यह लेख अनुच्छेद 42 (Article 42) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;
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📜 अनुच्छेद 42 (Article 42)
42. काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध – राज्य काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए और प्रसूति सहायता के लिए उपबंध करेगा। |
42. Provision for just and humane conditions of work and maternity relief.—The State shall make provision for securing just and humane conditions of work and for maternity relief. |
🔍 Article 42 Explanation in Hindi
राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy/DPSP) का शाब्दिक अर्थ है – राज्य के नीति को निर्देशित करने वाले तत्व।
जब संविधान बनाया गया था उस समय लोगों को लोकतांत्रिक राज्य में शासन करने का और देशहीत में कानून बनाने का कोई तजुर्बा नहीं था। खासकर के राज्यों के लिए जो कि एक लंबे औपनिवेशिक काल के बाद शासन संभालने वाले थे।
जैसा कि हम जानते है कि हमारे देश में राजनेताओं के लिए पढ़ा-लिखा होना कोई अनिवार्य नहीं है। ऐसे में मार्गदर्शक आवश्यक हो जाता है ताकि नीति निर्माताओं को हमेशा ज्ञात होता रहे कि किस तरफ जाना है।
◾ ऐसा नहीं था कि DPSP कोई नया विचार था बल्कि आयरलैंड में तो ये काम भी कर रहा था और हमने इसे वहीं से लिया।
◾ राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) नागरिकों के कल्याण और विकास के लिए कानूनों और नीतियों को बनाने के लिए दिशानिर्देश हैं। ये भारतीय संविधान के भाग IV में शामिल हैं।
◾ ये सिद्धांत गैर-प्रवर्तनीय (non enforceable) हैं, जिसका अर्थ है कि ये अदालतों द्वारा लागू नहीं हैं, हालांकि इसे देश के शासन में मौलिक माना जाता है और कानून और नीतियां बनाते समय सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए।
कुल मिलाकर नीति-निदेशक तत्व लोकतांत्रिक और संवैधानिक विकास के वे तत्व है जिसका उद्देश्य लोक-कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
DPSP का वर्गीकरण — नीचे आप निदेशक तत्वों का वर्गीकरण देख सकते हैं। इससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि जो अनुच्छेद आप पढ़ रहें है वे किसलिए DPSP में शामिल की गई है और किन उद्देश्यों को लक्षित करने के लिए की गई है।
सिद्धांत (Principles) | संबंधित अनुच्छेद (Related Articles) |
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समाजवादी (Socialistic) | ⚫ अनुच्छेद 38 ⚫ अनुच्छेद 39 ⚫ अनुच्छेद 39क ⚫ अनुच्छेद 41 ⚫ अनुच्छेद 42 ⚫ अनुच्छेद 43 ⚫ अनुच्छेद 43 क ⚫ अनुच्छेद 47 |
गांधीवादी (Gandhian) | ⚫ अनुच्छेद 40 ⚫ अनुच्छेद 43 ⚫ अनुच्छेद 43ख ⚫ अनुच्छेद 46 ⚫ अनुच्छेद 48 |
उदार बौद्धिक (Liberal intellectual) | ⚫ अनुच्छेद 44 ⚫ अनुच्छेद 45 ⚫ अनुच्छेद 48 ⚫ अनुच्छेद 48A ⚫ अनुच्छेद 49 ⚫ अनुच्छेद 50 ⚫ अनुच्छेद 51 |
इसके अलावा निदेशक तत्वों को निम्नलिखित समूहों में भी बांट कर देखा जा सकता है;
कल्याणकारी राज्य (Welfare State) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 38 (1 एवं 2), अनुच्छेद 39 (ख एवं ग), अनुच्छेद 39क, अनुच्छेद 41, अनुच्छेद 42, अनुच्छेद 43, अनुच्छेद 43क एवं अनुच्छेद 47 को रखा जाता है।
प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता (Equality of Dignity & Opportunity) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 40, 41, 44, 45, 46, 47 48 एवं 50 को रखा जाता है।
व्यक्ति के अधिकार (individual’s rights) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 39क, 41, 42, 43 45 एवं 47 को रखा जाता है।
संविधान के भाग 4 के अंतर्गत अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 42 को समझने वाले हैं;
| अनुच्छेद 42 – काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
इस निदेशक उपबंध के तहत राज्य काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए और प्रसूति सहायता के लिए उपबंध करेगा।
दूसरे शब्दों में कहें तो इसका मतलब ये है कि राज्य, मानव के काम करने के अनुकूल दशाओं का निर्माण करेगा और दूसरी बात ये कि गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसूति सहायता (Maternity relief) का उपबंध करेगा।
⚫ भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए काम करने की अनुकूल स्थिति बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। कुछ प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
◾ कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर राष्ट्रीय नीति: सरकार ने अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए एक नीति तैयार की है। यह सुरक्षित और स्वस्थ काम करने की स्थिति बनाने के लिए दिशा-निर्देश देता है और सुरक्षा मानकों की निगरानी और प्रवर्तन प्रदान करता है।
◾ न्यूनतम मजदूरी अधिनियम: सरकार ने एक न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की है जिसे विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों को भुगतान किया जाना चाहिए। यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि श्रमिकों को उनके श्रम के लिए उचित वेतन दिया जाता है और शोषण को रोकने में मदद करता है।
◾ श्रम कानून: सरकार ने श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं। ये कानून काम के घंटे, छुट्टी और सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे मुद्दों को कवर करते हैं।
◾ कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण: सरकार नागरिकों को रोजगार योग्य बनाने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने के लिए कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करती है। यह नागरिकों के लिए बेहतर रोजगार के अवसर पैदा करने और उनकी कमाई क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
◾ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना: सरकार वैधानिक न्यूनतम मजदूरी दर पर अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देती है।
◾ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना: सरकार ने इस योजना को COVID-19 महामारी से प्रभावित श्रमिकों और कम आय वाले समूहों के कल्याण के लिए शुरू किया। इस योजना में वित्तीय सहायता, खाद्य सुरक्षा और रोजगार सृजन शामिल हैं।
ये भारत सरकार द्वारा अपने नागरिकों के लिए अनुकूल कामकाजी परिस्थितियों को बनाने के लिए उठाए गए कुछ प्रमुख कदम हैं। सरकार नागरिकों की जीवन स्थितियों में सुधार लाने और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों पर काम करना जारी रखे हुए है।
प्रसूति सहायता (maternity support)
भारत सरकार ने कामकाजी महिलाओं को मातृत्व राहत प्रदान करने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। कुछ प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
◾ मातृत्व लाभ अधिनियम: मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 कुछ प्रतिष्ठानों में महिला कर्मचारियों को प्रसूति से पहले और बाद में 12 सप्ताह की अवधि के लिए मातृत्व लाभ के भुगतान का प्रावधान करता है। यह अधिनियम कारखानों, खानों, बागानों और दुकानों और प्रतिष्ठानों में सभी महिला कर्मचारियों पर लागू होता है।
मातृत्व लाभ (केंद्र सरकार के कर्मचारी) नियम के तहत भारत सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश को मौजूदा 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया है।
◾ घर से काम (Work from home): सरकार ने मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 के अनुसार गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए घर से काम करने के विकल्प की अनुमति दी है, ताकि वे अपने नवजात शिशु की देखभाल करते हुए काम करना जारी रख सकें।
◾ क्रेच सुविधा (Crèche Facility): मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 यह अनिवार्य करता है कि 50 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक प्रतिष्ठान को निर्धारित दूरी के भीतर क्रेच सुविधा प्रदान करनी होगी, ताकि कामकाजी माताएं अपने बच्चे की देखभाल कर सकें।
◾ प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: यह सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है जो गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पहले जन्म के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और उनके बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य और पोषण प्रदान करना है।
कामकाजी महिलाओं को मातृत्व राहत प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख कदम ये हैं। सरकार गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की जीवन स्थितियों में सुधार लाने और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए नीतियों और कार्यक्रमों पर काम करना जारी रखे हुए है।
तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 42 (Article 42), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
राज्य काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए और प्रसूति सहायता के लिए उपबंध करेगा।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;
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⚫ अनुच्छेद 41 ⚫ अनुच्छेद 43 | ⚫ Article 41 ⚫ Article 43 |
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |