यह लेख अनुच्छेद 48 (Article 48) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;

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अनुच्छेद 48

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📜 अनुच्छेद 48 (Article 48)

48. कृषि और पशुपालन का संगठन — राज्य, कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और सुधार के लिए और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा।

1[48क. पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा — राज्य, देश के पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन का और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।]
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1. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 10 द्वारा (3-1-1977 से) अंतःस्थापित।
अनुच्छेद 48—-
48. Organisation of agriculture and animal husbandry.—The State shall endeavour to organise agriculture and animal husbandry on modern and scientific lines and shall, in particular, take steps for preserving and improving the breeds, and prohibiting the slaughter, of cows and calves and other milch and draught cattle.

1[48A. Protection and improvement of environment and safeguarding of forests and wild life.—The State shall endeavour to protect and improve the environment and to safeguard the forests and wild life of the country.]
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1. Ins. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 10 (w.e.f. 3-1-1977).
Article 48

🔍 Article 48 Explanation in Hindi

राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy/DPSP) का शाब्दिक अर्थ है – राज्य के नीति को निर्देशित करने वाले तत्व।

जब संविधान बनाया गया था उस समय लोगों को लोकतांत्रिक राज्य में शासन करने का और देशहीत में कानून बनाने का कोई तजुर्बा नहीं था। खासकर के राज्यों के लिए जो कि एक लंबे औपनिवेशिक काल के बाद शासन संभालने वाले थे।

जैसा कि हम जानते है कि हमारे देश में राजनेताओं के लिए पढ़ा-लिखा होना कोई अनिवार्य नहीं है। ऐसे में मार्गदर्शक आवश्यक हो जाता है ताकि नीति निर्माताओं को हमेशा ज्ञात होता रहे कि किस तरफ जाना है।

◾ ऐसा नहीं था कि DPSP कोई नया विचार था बल्कि आयरलैंड में तो ये काम भी कर रहा था और हमने इसे वहीं से लिया।

◾ राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) नागरिकों के कल्याण और विकास के लिए कानूनों और नीतियों को बनाने के लिए दिशानिर्देश हैं। ये भारतीय संविधान के भाग IV में शामिल हैं।

◾ ये सिद्धांत गैर-प्रवर्तनीय (non enforceable) हैं, जिसका अर्थ है कि ये अदालतों द्वारा लागू नहीं हैं, हालांकि इसे देश के शासन में मौलिक माना जाता है और कानून और नीतियां बनाते समय सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए।

कुल मिलाकर नीति-निदेशक तत्व लोकतांत्रिक और संवैधानिक विकास के वे तत्व है जिसका उद्देश्य लोक-कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।

DPSP का वर्गीकरण — नीचे आप निदेशक तत्वों का वर्गीकरण देख सकते हैं। इससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि जो अनुच्छेद आप पढ़ रहें है वे किसलिए DPSP में शामिल की गई है और किन उद्देश्यों को लक्षित करने के लिए की गई है।

सिद्धांत
(Principles)
संबंधित अनुच्छेद
(Related Articles)
समाजवादी
(Socialistic)
⚫ अनुच्छेद 38
⚫ अनुच्छेद 39
⚫ अनुच्छेद 39क
⚫ अनुच्छेद 41
⚫ अनुच्छेद 42
⚫ अनुच्छेद 43
⚫ अनुच्छेद 43 क
⚫ अनुच्छेद 47
गांधीवादी
(Gandhian)
⚫ अनुच्छेद 40
⚫ अनुच्छेद 43
⚫ अनुच्छेद 43ख
⚫ अनुच्छेद 46
⚫ अनुच्छेद 48
उदार बौद्धिक
(Liberal intellectual)
⚫ अनुच्छेद 44
⚫ अनुच्छेद 45
⚫ अनुच्छेद 48
⚫ अनुच्छेद 48A
⚫ अनुच्छेद 49
⚫ अनुच्छेद 50
⚫ अनुच्छेद 51
Article 48

इसके अलावा निदेशक तत्वों को निम्नलिखित समूहों में भी बांट कर देखा जा सकता है;

कल्याणकारी राज्य (Welfare State) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 38 (1 एवं 2), अनुच्छेद 39 (ख एवं ग), अनुच्छेद 39क, अनुच्छेद 41, अनुच्छेद 42, अनुच्छेद 43, अनुच्छेद 43क एवं अनुच्छेद 47 को रखा जाता है।

प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता (Equality of Dignity & Opportunity) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 40, 41, 44, 45, 46, 47 48 एवं 50 को रखा जाता है।

व्यक्ति के अधिकार (individual’s rights) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 39क, 41, 42, 43 45 एवं 47 को रखा जाता है।

संविधान के भाग 4 के अंतर्गत अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 48 (Article 48) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-34 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-35 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 48 – कृषि और पशुपालन का संगठन

इस अनुच्छेद के तहत राज्य, कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और सुधार के लिए और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा।

इस अनुच्छेद के दो भाग है। पहला भाग कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने से संबंधित है।

जबकि दूसरे भाग में भाग गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और सुधार और उनके वध पर रोक लागाने की बात कही गई है।

पहला भाग – कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करना

भारत सरकार ने आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों से कृषि और पशुपालन को व्यवस्थित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (नाबार्ड): यह योजना किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों की खरीद और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): यह योजना प्राकृतिक आपदाओं और फसल विफलताओं के खिलाफ फसलों के लिए बीमा कवरेज प्रदान करती है।

प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): इस योजना का उद्देश्य फसल उत्पादकता बढ़ाने और पानी की बर्बादी को कम करने के लिए किसानों के लिए सिंचाई सुविधाओं में सुधार करना है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान करना है, ताकि वे इसे सुधारने और फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए उचित उपाय कर सकें।

जैविक खेती पर राष्ट्रीय परियोजना: इस परियोजना का उद्देश्य जैविक खाद्य पदार्थों के उत्पादन को बढ़ाने और रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने पर ध्यान देने के साथ देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना है।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM): इस योजना का उद्देश्य आधुनिक प्रजनन तकनीकों के उपयोग और पशु चिकित्सा सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से देश में पशुधन की उत्पादकता और आनुवंशिक क्षमता में सुधार करना है।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB): यह संगठन आधुनिक प्रजनन तकनीकों के उपयोग और पशु चिकित्सा सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से देश में डेयरी उद्योग के विकास को बढ़ावा देता है।

मवेशी और भैंस प्रजनन पर राष्ट्रीय परियोजना (NPCBB): इस परियोजना का उद्देश्य आधुनिक प्रजनन तकनीकों के उपयोग और पशु चिकित्सा सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से देश में मवेशियों और भैंसों की आनुवंशिक क्षमता में सुधार करना है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन: मिशन का उद्देश्य दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने, आनुवंशिक संरचना में सुधार और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के समग्र उद्देश्यों के साथ एक केंद्रित और वैज्ञानिक तरीके से स्वदेशी नस्लों का संरक्षण और विकास करना है।

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना: यह योजना किसानों को कृषि आदानों और उपकरणों की खरीद के लिए कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान): यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को उनकी आय और आजीविका में सुधार करने में मदद करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM): इस मिशन का उद्देश्य आधुनिक कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से देश में खाद्यान्न उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): इस मिशन का उद्देश्य आधुनिक कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से देश में बागवानी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करना है।

नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (NMSA): इस मिशन का उद्देश्य मिट्टी के स्वास्थ्य, जल प्रबंधन और फसल उत्पादकता में सुधार पर ध्यान देने के साथ देश में टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है।

मवेशी और भैंस प्रजनन के लिए राष्ट्रीय परियोजना (NPCBB): इस परियोजना का उद्देश्य आधुनिक प्रजनन तकनीकों के उपयोग और पशु चिकित्सा सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से देश में मवेशियों और भैंसों की आनुवंशिक क्षमता में सुधार करना है।

मछुआरों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय योजना: इस योजना का उद्देश्य मछुआरों को मछली पकड़ने के उपकरण, नाव और अन्य सुविधाओं की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

राष्ट्रीय पशुधन रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NLDC): इस कार्यक्रम का उद्देश्य पशुधन रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना और देश में पशुधन के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार करना है।

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB): इस संगठन का उद्देश्य मछली पकड़ने की आधुनिक पद्धतियों और तकनीकों के उपयोग के माध्यम से देश में मत्स्य क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना है।

राष्ट्रीय बांस मिशन: इस मिशन का उद्देश्य देश में बांस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना और निर्माण, कागज और वस्त्र जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बांस के उपयोग को बढ़ाना है।

कृषि के लिए प्रोटीन समर्थन के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMPSA): इस मिशन का उद्देश्य जनसंख्या की पोषण स्थिति में सुधार के लिए दालों, तिलहन और बाजरा जैसी प्रोटीन युक्त फसलों के उत्पादन में वृद्धि करना है।

तो यहाँ पर हमने कुछ उदाहरणों को देखा कि किस तरह से कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित किया जा रहा है। भारत सरकार कृषि और पशुपालन में आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों को बढ़ावा देने के लिए लगातार नई नीतियों को अपडेट और लागू कर रही है।

दूसरा भाग – गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और सुधार और उनके वध पर रोक लगाना।

इस प्रावधान में उल्लिखित पशुओं के किसी भी वर्ग का वध नहीं किया जाएगा, चाहे कृषि या पशुपालन की दृष्टि से उनकी कोई उपयोगिता न हो।

कहने का अर्थ है कि इस निदेश के तहत गायों एवं बछड़ों को संरक्षण दिया गया है। साथ ही यही संरक्षण ऐसे अन्य पशुओं को दिया गया है जो वर्तमान में दुधारू है या आगे दूध देंगे या जो वर्तमान में वाहक पशु (carrier animal) का काम कर रहें है।

याद रखिए यह संरक्षण उन पशुओं को प्राप्त नहीं है जो पहले दूध देता था या पहले वाहक पशु था लेकिन अब नहीं है।

भारत सरकार ने गायों और बछड़ों और अन्य दुधारू पशुओं की नस्लों के संरक्षण और सुधार के लिए और उनके वध पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:

पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960: यह अधिनियम कुछ शर्तों को छोड़कर, गायों और बछड़ों और अन्य दुधारू पशुओं की हत्या पर प्रतिबंध लगाता है।

गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास पर राष्ट्रीय परियोजना: इस परियोजना का उद्देश्य आधुनिक प्रजनन तकनीकों के उपयोग और पशु चिकित्सा सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से देश में गोजातीय पशुओं की आनुवंशिक क्षमता में सुधार करना है।

राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन नीति (2020): इस नीति का उद्देश्य आधुनिक प्रजनन तकनीकों के उपयोग और पशु चिकित्सा सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से देश में गोजातीय पशुओं की आनुवंशिक क्षमता में सुधार करना है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इस मिशन का उद्देश्य गायों की देशी नस्लों का संरक्षण और विकास करना, उनकी आनुवंशिक संरचना में सुधार करना और दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है।

राष्ट्रीय पशुधन रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NLDC): इस कार्यक्रम का उद्देश्य पशुधन रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना और देश में पशुधन के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार करना है।

मवेशी और भैंस प्रजनन पर राष्ट्रीय परियोजना (NPCBB): इस परियोजना का उद्देश्य आधुनिक प्रजनन तकनीकों के उपयोग और पशु चिकित्सा सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से देश में मवेशियों और भैंसों की आनुवंशिक क्षमता में सुधार करना है।

राष्ट्रीय गाय आयोग (NCC): गाय संरक्षण और विकास से संबंधित मामलों, किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और गौहत्या से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए सरकार को सलाह देने के लिए आयोग की स्थापना की गई है।

गौ अभयारण्य और गौशाला: ये सरकार द्वारा गायों और अन्य गोजातीय पशुओं के संरक्षण और प्रजनन के लिए स्थापित संरक्षित क्षेत्र हैं।

गोहत्या पर प्रतिबंध: भारत के कई राज्यों ने गायों और अन्य दुधारू पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगा दिया है।

तो यहाँ पर हमने कुछ उदाहरणों के माध्यम से समझा कि किस तरह से भारत सरकार गायों और बछड़ों और अन्य दुधारू पशुओं की नस्लों के संरक्षण और सुधार के लिए नीतियों को ला रही है और कार्यान्वित कर रही है।


42वें संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से DPSP में अनुच्छेद 48क को अन्तःस्थापित (Insert) किया गया। अनुच्छेद 48क पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित है और हमने उसपर अलग से चर्चा की है। पढ़ें – अनुच्छेद 48क

तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 48 (Article 48), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-31(ख) – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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अनुच्छेद 48 (Article 48) क्या है?

राज्य, कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और सुधार के लिए और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

| Related Article

अनुच्छेद 47
अनुच्छेद 49
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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
—–Article 48——-
अस्वीकरण - यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से) और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।