यह लेख अनुच्छेद 55 (Article 55) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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अनुच्छेद 55
-Article 55

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📜 अनुच्छेद 55 (Article 55)

55. राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति — (1) जहां तक साध्य हो, राष्ट्रपति के निर्वाचन में भिन्न-भिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व के मापमान में एकरूपता होगी।
(2) राज्यों में आपस में ऐसी एकरूपता तथा समस्त राज्यों और संघ में समतुल्यता प्राप्त कराने के लिए संसद और प्रत्येक राज्य की विधान सभा का प्रत्येक निर्वाचित सदस्य ऐसे निर्वाचन में जितने मत देने का हकदार है उनकी संख्या निम्नलिखित रीति से अवधारित की जाएगी, अर्थात:-
(क) किसी राज्य की विधान सभा के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के उतने मत होंगे जितने कि एक हज़ार के गुणित उस भागफल में हो जो राज्य की जनसंख्या को उस विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग देने पर आए;
(ख) यदि एक हज़ार के उक्त गुणितों को लेने के बाद शेष पांच सौ से कम नहीं है तो उपखंड (क) में निर्दिष्ट प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या में एक और जोड़ दिया जाएगा;
(ग) संसद के प्रत्येक सदन के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के मतों की संख्या वह होंगी जो उपखंड (क) और उपखंड (ख) के अधीन राज्यों की विधान सभाओं के सदस्यों के लिए नियत कुल मतों की संख्या को, संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग देने पर आए, जिसमें आधे से अधिक भिन्न को एक गिना जाएगा और अन्य भिन्नों की उपेक्षा की जाएगी।
(3) राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा।
1[स्पष्टीकरण – इस अनुच्छेद में, “जनसंख्या” पद से ऐसी अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आंकड़ें प्रकाशित हो गए हैं;
परंतु इस स्पष्टीकरण में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति, जिसके सुसंगत आंकड़ें प्रकाशित हो गए हैं, निर्देश का, जब तक सन 2[2006] के पश्चात की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़ें प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह 1971 की जनगणना के प्रति निर्देश है।]
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1. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 12 द्वारा (3-1-1977 से) स्पष्टीकरण के स्थान पर प्रतिस्थापित।
2. संविधान (चौरासीवां संशोधन) अधिनियम, 2001 की धारा 2 द्वारा “2000” के स्थान पर (21-2-2002 से) प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 55—-
55. Manner of election of President.— (1) As far as practicable, there shall be uniformity in the scale of representation of the different States at the election of the President.
(2) For the purpose of securing such uniformity among the States inter se as well as parity between the States as a whole and the Union, the number of votes which each elected member of Parliament and of the Legislative Assembly of each State is entitled to cast at such election shall be determined in the following manner:—
(a) every elected member of the Legislative Assembly of a State shall have as many votes as there are multiples of one thousand in the quotient obtained by dividing the population of the State by the total number of the elected members of the Assembly;
(b) if, after taking the said multiples of one thousand, the remainder is not less than five hundred, then the vote of each member referred to in sub-clause (a) shall be further increased by one;
(c) each elected member of either House of Parliament shall have such number of votes as may be obtained by dividing the total number of votes assigned to the members of the Legislative Assemblies of the States under sub-clauses (a) and (b) by the total number of the elected members of both Houses of Parliament, fractions exceeding one-half being counted as one and other fractions being disregarded.
(3) The election of the President shall be held in accordance with the system of proportional representation by means of the single transferable vote and the voting at such election shall be by secret ballot.

1[Explanation.— In this article, the expression “population” means the population as ascertained at the last preceding census of which the relevant figures have been published:
Provided that the reference in this Explanation to the last preceding census of which the relevant figures have been published shall, until the relevant figures for the first census taken after the year 2[2026] have been published, be construed as a reference to the 1971 census.]
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1. Subs. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 12, for the Explanation (w.e.f. 3-1-1977).
2. Subs. by the Constitution (Eighty-fourth Amendment) Act, 2001, s. 2, for “2000” (w.e.f. 21- 2-2002).
Article 55

🔍 Article 55 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का पहला अध्याय है – कार्यपालिका (Executive)

कार्यपालिका के तहत अनुच्छेद 52 से लेकर 78 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के कार्यपालिका की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), उप-राष्ट्रपति (vice president), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) एवं महान्यायवादी (Attorney General) आते हैं।

कार्यपालिका के तहत यहाँ प्रधानमंत्री की चर्चा इसीलिए नहीं की गई है क्योंकि मंत्रिपरिषद का मुखिया ही प्रधानमंत्री होता है।

यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अंतर्गत अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 151 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 54 को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
——–Article 55—–

| अनुच्छेद 55 – राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति

अनुच्छेद 55 राष्ट्रपति के निर्वाचन के तरीके को व्याख्यायित करता है। इस अनुच्छेद के कुल तीन भाग है।

अनुच्छेद 55(1) के अनुसार, जहां तक साध्य (practicable) हो, राष्ट्रपति के निर्वाचन में भिन्न-भिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व के मापमान (scale) में एकरूपता होगी।

अनुच्छेद 55(3) के अनुसार, राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (proportional representation system) के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (single transferable vote) द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा।

◾ अनुच्छेद 55(1) में जिस एकरूपता की बात की गई है, राज्यों में आपस में वैसी एकरूपता लाने के लिए क्या करना होगा उसी रीति के बारे में अनुच्छेद 55(2) में चर्चा की गई है।

◾ दूसरी बात कि समस्त राज्यों और संघ में समतुल्यता प्राप्त कराने के लिए संसद और प्रत्येक राज्य की विधान सभा का प्रत्येक निर्वाचित सदस्य ऐसे निर्वाचन में कितने मत देने का हकदार होगा उसकी संख्या निकालने का सूत्र अनुच्छेद 55(2) में दिया गया है।

नहीं समझ में आया तो कोई बात नहीं आइये इसे आसान भाषा में समझते हैं;

राष्ट्रपति चुनाव किस रीति (method) से होगा अनुच्छेद 55 में यही लिखा है। हमने समझा कि राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (proportional representation system) के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (single transferable vote) द्वारा होता है।

आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (proportional representation system) का अर्थ क्या है?

आनुपातिक प्रतिनिधित्व एक मतदान प्रणाली है जिसका उपयोग कई देशों में विधायी निकायों के सदस्यों को चुनने के लिए किया जाता है। आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में, एक विधायी निकाय में एक राजनीतिक दल को प्राप्त होने वाली सीटों की संख्या चुनाव में प्राप्त होने वाले मतों की संख्या के समानुपाती होती है।

इसका मतलब यह है कि यदि किसी राजनीतिक दल को चुनाव में 30% मत प्राप्त होते हैं, तो उसे विधायी निकाय में लगभग 30% सीटें प्राप्त होंगी।

आनुपातिक प्रतिनिधित्व के कई अलग-अलग रूप होते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

पार्टी-सूची आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Party-list PR System): पार्टी-सूची आनुपातिक प्रतिनिधित्व एक प्रकार की चुनावी प्रणाली है जिसका उपयोग विधायी निकायों के सदस्यों को चुनने के लिए किया जाता है। इसमें मतदाताओं द्वारा राजनीतिक दल के लिए मतदान किया जाता है और राजनीतिक दल को प्राप्त मतों की संख्या के अनुपात में सीटों से सम्मानित किया जाता है।

दूसरे शब्दों में, एक पार्टी-सूची प्रणाली में, मतदाता व्यक्तिगत उम्मीदवारों के बजाय एक राजनीतिक दल के लिए मतदान करता है। राजनीतिक दलों को तब विधायी निकाय में चुनाव में प्राप्त मतों की संख्या के अनुपात में सीटें प्राप्त होती हैं।

उदाहरण के लिए, यदि किसी राजनीतिक दल को चुनाव में 30% मत प्राप्त होते हैं, तो उसे विधायी निकाय में लगभग 30% सीटें प्राप्त होंगी।

राजनीतिक दल को मिलने वाली विशिष्ट सीटें उस क्रम से निर्धारित होती हैं जिसमें राजनीतिक दल के उम्मीदवारों को मतपत्र पर सूचीबद्ध किया जाता है। सूची में पहले उम्मीदवारों को पहली सीटें मिलती हैं, और ये तब तक चलता है, जब तक कि राजनीतिक दल द्वारा जीती गई सभी सीटें भर नहीं जातीं।

पार्टी-सूची प्रणाली को यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि राजनीतिक दलों को उनके समर्थन के स्तर के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। इस प्रणाली का उपयोग नीदरलैंड, स्वीडन और इज़राइल समेत कई देशों में किया जाता है।

पार्टी-सूची पीआर प्रणाली में, मतदाता अलग-अलग उम्मीदवारों के बजाय विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच चयन करते हैं। इसके परिणामस्वरूप विधायी निकाय में विभिन्न राजनीतिक विचारों का अधिक आनुपातिक प्रतिनिधित्व हो सकता है, क्योंकि छोटे दलों और अल्पसंख्यक समूहों के पास सीटें जीतने का बेहतर मौका होता है।

मिश्रित सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Mixed-Member PR System): ये एक ऐसा चुनावी प्रक्रिया है जिसमें आनुपातिक प्रतिनिधित्व और फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम का मिश्रण होता है।

इस सिस्टम में, मतदाता दो वोट डालते हैं: एक राजनीतिक दल के लिए और एक उम्मीदवार के लिए। राजनीतिक दलों को वोटों के अनुपात के आधार पर विधायी निकाय में सीटें दी जाती हैं। उम्मीदवारों को विशिष्ट निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के रूप में चुना जाता है, जैसा कि फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम में होता है।

उदाहरण से समझें तो अगर 100 सीटों के लिए चुनाव लड़ा गया है और 3 पार्टियां है जो चुनाव लड़ रही है। ऐसे में यदि किसी पार्टी को 40 प्रतिशत वोट मिला है तो उसे विधानमंडल में 40 सीटें मिल जाएंगी।

लेकिन किसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए जो उम्मीदवार चुना जाएगा वो फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम के आधार पर चुना जाएगा। यानि कि जो सबसे ज्यादा वोट लाएगा वही जीतेगा (जैसा कि भारत में आम चुनाव में होता है)।

इस प्रणाली को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधित्व और व्यक्तिगत मतदाताओं के प्रतिनिधित्व के बीच संतुलन हासिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

राजनीतिक दलों को उनके द्वारा प्राप्त मतों की संख्या के अनुपात में सीटें प्राप्त होती हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि छोटे दलों और अल्पसंख्यक समूहों को विधायी निकाय में प्रतिनिधित्व प्राप्त हो।

साथ ही, व्यक्तिगत उम्मीदवारों को विशिष्ट निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाता है, जो उस स्थानीय मतदाताओं के प्रति जवाबदेह होता है और जो स्थानीय चिंताओं को दूर कर सकता है।

इस प्रणाली का उपयोग जर्मनी, न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड सहित कई देशों में किया जाता है। इसे फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम की तुलना में अधिक आनुपातिक और समावेशी प्रणाली माना जाता है, क्योंकि यह विधायी निकाय में व्यापक राजनीतिक विचारों और हितों के प्रतिनिधित्व की अनुमति देता है।

पर राष्ट्रपति के चुनाव में प्रॉब्लम ये होता है कि एक ही सीट होती है। इसीलिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व का ये जो सूची प्रणाली (List System) है। ये काम नहीं करता है।

एकल हस्तांतरणीय वोट (Single Transferable Vote): एकल हस्तांतरणीय वोट (STV) एक मतदान प्रणाली है जिसका उपयोग उम्मीदवारों के चुनाव के लिए या विकल्पों के एक सेट से एक विकल्प चुनने के लिए किया जाता है।

यह मतदाताओं को उनके पसंदीदा विकल्पों को रैंक करने की अनुमति देता है और उन विकल्पों को वोट आवंटित करता है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बर्बाद वोटों की संख्या कम से कम हो।

यह प्रणाली मतदाताओं की पसंद के आधार पर हारने वाले उम्मीदवारों से दूसरे उम्मीदवारों को वोट तब तक स्थानांतरित करता है जब तक कि एक उम्मीदवार को वोटों का बहुमत नहीं मिल जाता।

इस पद्धति का उपयोग बहु-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों के चुनावों में किया जाता है और इसे विभिन्न मतों वाले मतदाताओं के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

कुल मिलाकर कहने का अर्थ ये है कि मतदाता वरीयता के क्रम में उम्मीदवारों को रैंक करते हैं, और मतदाताओं द्वारा व्यक्त की गई प्राथमिकताओं के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाता है।

अब आप यहाँ पर समझ रहे होंगे कि अनुच्छेद 55 में जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल हस्तांतरणीय वोट का जिक्र है वो क्या है। आइये अब अनुच्छेद 55(2) में बताए गए कैलक्युलेशन विधि को समझते हैं;

वोट मूल्य का गणित

हमने अनुच्छेद 55(1) के तहत समझा कि निर्वाचन में राज्यों का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो, यानी कि राज्य के जितने भी विधायक है, उनके वोट का वैल्यू एक समान हो। और साथ ही साथ राज्य और केंद्र के सांसदों का भी वोट मूल्य एक समान हो। वोट का मूल्य एक समान होने का क्या मतलब है इसे आगे समझते हैं।

वोट का वैल्यू समान हो इसके लिए अनुच्छेद 55(2) के तहत जो तकनीक अपनाई जाती है उसमें उस राज्य की जनसंख्या को उस राज्य के विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों से भाग दे दिया जाता है और जितना भी भागफल आता है उसे फिर से 1000 से भाग दे दिया जाता है।

➡ 1000 से भाग इसीलिए दे दिया जाता है ताकि संख्या कम आए और कैलकुलेशन में आसानी रहें। इसे आप इस प्रकार लिख सकते हैं।

राष्ट्रपति चुनाव

◾ अब यहाँ पर ये बात ध्यान रखिए कि किसी भी राज्य की जनसंसख्या 1971 वाला इस्तेमाल किया जाता है। और 2026 के बाद जब तक पहला जनगणना नहीं हो जाता है तब तक यही जनसंख्या इस्तेमाल होता रहेगा। ऐसा स्पष्टीकरण में आप पढ़ सकते हैं;

◾ अभी जो फॉर्मूला ऊपर लिखें है, आइये उसके हिसाब से बिहार के एक विधायक का वोट वैल्यू निकालते है। बिहार का 1971 का जनसंख्या 42,126,800 है और बिहार में विधानसभा का कुल सीट 243 है।

अब उस जनसंख्या में अगर 243 से भाग दे दिया जाये तो 1,73,361 आता है। अगर इसे 1000 से भाग दे दिया जाये तो 173 आता है।

? इसका मतलब ये हुआ कि राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने वाले बिहार के हर एक वोटर का वोट मूल्य 173 है। इसी प्रकार से सभी राज्यों का निकाल लिया जाता है। सभी राज्य में उसके विधायकों के 1 वोट का मूल्य एक समान ही होता है। तो ये तो हो गया राज्य के स्तर पर वोट का अनुपात

? इसी प्रकार से राज्य और केंद्र के मध्य वोट का अनुपात भी एक समान होना चाहिए। चूंकि संसद के दोनों सदन के निर्वाचित सदस्य इस चुनाव में भाग लेते हैं, इसीलिए उन सबके वोट का मूल्य भी सभी राज्य के विधायक से बराबर रहना चाहिए।

आइये इसे भी निकाल के देखते हैं कि कितना आता है। इसे इस तरह से निकाला जाता है।

कैलक्यूलेट करने पर सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य 549,495 आता है।

यहाँ पर याद रखिए कि इसमें जम्मू और कश्मीर की 87 सीट का कैलक्युलेशन है। अगर भविष्य में वहाँ का सीट बढ़ जाएगा तो वोट वैल्यू अलग हो जाएगी।

अभी संसद में कुल निर्वाचित सदस्य 776 है। 543 लोकसभा में और 233 राज्य सभा में। तो 549,495 में अगर 776 से भाग देंगे तो ये आता है – 708 यानी कि एक सांसद के वोट का मूल्य 708 है। तो कुल सांसद के वोट का मूल्य 549,408 हुआ।

◾ अब आप यहाँ पर देखें तो देश के कुल विधायक का वोट वैल्यू 549,495 है, जबकि कुल सांसदों का वोट वैल्यू 549,408 है। यानी कि दोनों का अनुपात लगभग बराबर है।

इस व्यवस्था को आनुपातिक प्रतिनिधित्व कहा जाता है। अब अगर कुल सांसदों और कुल विधायकों का वोट वैल्यू जोड़ दिया जाये तो 1,098,903 आता है।

◾ याद रखिए कि निर्वाचक मंडल में जो सदस्य है उसकी संख्या 4896 ही हैं। वो कैसे? वो ऐसे कि देश में अभी कुल निर्वाचित विधायकों की संख्या 4120 है। और कुल निर्वाचित सांसदों की संख्या 776 है। दोनों को जोड़ दीजिये तो 4896 आ जाएगा और यही तो अनुच्छेद 54 के तहत निर्वाचक मंडल (Electoral College) है जो राष्ट्रपति को चुनेंगे।

अब आप समझ रहे होंगे कि निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों की संख्या 4896 है और सभी का वोट वैल्यू 1,098,903 है। अब अगर  1,098,903  में 4896 से भाग दे दें तो लगभग 224 आता है। यानी कि निर्वाचक मंडल के जितने भी सदस्य है, उन सब के एक वोट का मूल्य 224 है। तो हो गया न सभी के वोट का मूल्य एक समान।

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

अनुच्छेद 54 राष्ट्रपति के चुनाव में कौन-कौन से लोग भाग लेंगे उसके बारे में है। यानि कि निर्वाचक मण्डल के बारे में है।

वहीं अनुच्छेद 55 राष्ट्रपति चुनाव के प्रक्रिया क्या है उसके बारे में है। जिसे कि हमने ऊपर समझा।

ये दो अनुच्छेद तो राष्ट्रपति चुनाव के बारे में बताता ही है साथ ही साथ अनुच्छेद 57 बताता है कि क्या कोई दोबारा राष्ट्रपति बन सकता है।

अनुच्छेद 58 बताता है कि राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अर्हताएँ (Qualifications) क्या-क्या है। 

अनुच्छेद 62 बताता है कि अगर राष्ट्रपति का पद खाली है या होने वाला है तो कब तक चुनाव कराना आवश्यक है।

राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया समझने के लिए पढ़ें –  राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया

यहाँ यह याद रखिए कि ये सारे अनुच्छेद राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी सारी बातें नहीं बताता है, जैसे कि नामांकन प्रक्रिया, मतदान का तरीका एवं वोटों की गिनती आदि।

उपरोक्त सारी चीजों को समझने के लिए आपको राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 (Presidential and Vice Presidential Election Act 1952) को समझना होगा।

तो यही है अनुच्छेद 55 (Article 55), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-31(ख) – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
——Article 55——-
अनुच्छेद 55 (Article 55) क्या है?

राष्ट्रपति चुनाव किस रीति (method) से होगा अनुच्छेद 55 में यही लिखा है। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (proportional representation system) के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (single transferable vote) द्वारा होता है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

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Hindi ArticlesEnglish Articles
अनुच्छेद 54
अनुच्छेद 56
⚫ Article 54
⚫ Article 56
—-Article 55—-
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
—–Article 55——
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।
Article 55