यह लेख अनुच्छेद 70 (Article 70) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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अनुच्छेद 70

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📜 अनुच्छेद 70 (Article 70)

70. अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन — संसद, ऐसी किसी आकस्मिकता में जो इस अध्याय में उपबंधित नहीं है, राष्ट्रपति के कृत्यों के निर्वहन के लिए ऐसा उपबंध कर सकेगी जो वह ठीक समझे।
—-अनुच्छेद 70

70. Discharge of President’s functions in other contingencies.— Parliament may make such provision as it thinks fit for the discharge of the functions of the President in any contingency not provided for in this Chapter.
Article 70

🔍 Article 70 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का पहला अध्याय है – कार्यपालिका (Executive)

कार्यपालिका के तहत अनुच्छेद 52 से लेकर 78 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के कार्यपालिका की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), उप-राष्ट्रपति (vice president), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) एवं महान्यायवादी (Attorney General) आते हैं।

कार्यपालिका के तहत यहाँ प्रधानमंत्री की चर्चा इसीलिए नहीं की गई है क्योंकि मंत्रिपरिषद का मुखिया ही प्रधानमंत्री होता है।

यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अंतर्गत अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 151 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 70 को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 70 – अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन

अनुच्छेद 70 कहता है कि संसद, ऐसी किसी आकस्मिकता में जो इस अध्याय में उपबंधित नहीं है, राष्ट्रपति के कृत्यों के निर्वहन के लिए ऐसा उपबंध कर सकेगी जो वह ठीक समझे।

कहने का अर्थ है कि अनुच्छेद 70 के तहत संसद आकस्मिकता की स्थिति में राष्ट्रपति के कृत्यों के निर्वहन के लिए कानून बना सकती है।

◾साल 1969 में इसी को ध्यान में रखकर संसद ने एक कानून बनाया – राष्ट्रपति (कार्यों का निर्वहन) अधिनियम, 1969 [The President (Discharge of Functions) Act, 1969] आइये इसके बारे में थोड़ा समझ लेते हैं;

राष्ट्रपति (कार्यों का निर्वहन) अधिनियम, 1969

इस अधिनियम के तहत चार धाराएँ है, जो कि निम्नलिखित बातें कहती है;

(1) राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के कार्यालयों में रिक्तियों की स्थिति में, (मृत्यु, त्यागपत्र या हटाने के प्रत्येक मामले में कारण से), भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुपस्थिति में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उपलब्ध वरिष्ठतम न्यायाधीश राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन तब तक करेंगे जब तक कि राष्ट्रपति के कार्यालय में रिक्ति को भरने के लिए संविधान के प्रावधानों के अनुसार निर्वाचित एक नया राष्ट्रपति अपने कार्यालय में प्रवेश नहीं करता है या एक नया उपराष्ट्रपति अनुच्छेद 65 के तहत राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना शुरू करता है, जो भी पहले हो।

(2) जब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करते हुए मर जाता है, इस्तीफा दे देता है, या हटा दिया जाता है या अन्यथा पद पर नहीं रहता है, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश या, उनकी अनुपस्थिति में, वरिष्ठतम न्यायाधीश धारा (1) उक्त कार्यों का निर्वहन तब तक करेगी जब तक कि राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू नहीं करते हैं या एक नए उपराष्ट्रपति को पूर्वोक्त के रूप में चुना जाता है, जो भी पहले हो।

(3) जब उपराष्ट्रपति,— (ए) राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते समय, या
(बी) राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करते समय,

अनुपस्थिति, बीमारी या किसी अन्य कारण से राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुपस्थिति में, उप-धारा (1) में निर्दिष्ट वरिष्ठतम न्यायाधीश उक्त कार्यों का निर्वहन करेंगे-

(i) खंड (ए) में निर्दिष्ट मामले में, जब तक कि पूर्वोक्त के रूप में निर्वाचित एक नया राष्ट्रपति अपने कार्यालय में प्रवेश नहीं करता है या जब तक कि उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं करता है, जो भी पहले हो;

(ii) खंड (बी) में संदर्भित मामले में, जब तक राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू नहीं करते हैं, या उपराष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करते हैं, जो भी पहले हो।

(4) इस खंड के तहत राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करने वाला व्यक्ति, उस अवधि के दौरान और उसके संबंध में, जब वह उक्त कार्यों का निर्वहन कर रहा हो, उसके पास राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ होंगी और इस तरह की परिलब्धियों का हकदार होगा, भत्ते और विशेषाधिकार जो संसद द्वारा कानून द्वारा निर्धारित किए जा सकते हैं और जब तक कि इस संबंध में प्रावधान नहीं किया जाता है, तब तक ऐसी परिलब्धियां, भत्ते और विशेषाधिकार जो दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट हैं।

अगर आपको समझ में नहीं आया कि यह अधिनियम क्या कहने की कोशिश कर रहा है तो आप यहाँ क्लिक करके समझ सकते हैं। हमने पहले ही राष्ट्रपति की बेसिक्स वाले लेख में इस पर विस्तार से चर्चा किया है।

THE PRESIDENT (DISCHARGE OF FUNCTIONS) ACT, 1969 – See PDF

तो यही है अनुच्छेद 70 (Article 70), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया समझने के लिए पढ़ें –  राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया

अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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FAQ. अनुच्छेद 70 (Article 70) क्या है?

अनुच्छेद 70, अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों के निर्वहन के संबंध में है। इसके तहत संसद, ऐसी किसी आकस्मिकता में जो इस अध्याय में उपबंधित नहीं है, राष्ट्रपति के कृत्यों के निर्वहन के लिए ऐसा उपबंध कर सकेगी जो वह ठीक समझे।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।