यह लेख अनुच्छेद 76 (Article 76) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।
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📜 अनुच्छेद 76 (Article 76)
भारत का महान्यायवादी |
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76. भारत का महान्यायवादी — (1) राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित किसी व्यक्ति को भारत का महान्यायवादी नियुक्त करेगा। (2) महान्यायवादी का यह कर्तव्य होगा कि वह भारत सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे और विधिक स्वरूप के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राष्ट्रपति उसको समय-समय पर निर्देशित करे या सौंपे और उन कृत्यों का निर्वहन करे जो उसको इस संविधान अथवा प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन प्रदान किए गए हों। (3) महान्यायवादी को अपने कर्तव्यों के पालन में भारत के राज्यक्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार होगा। (4) महान्यायवादी, राष्ट्रपति के प्रसाद्पर्यंत पद धारण करेगा और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करेगा जो राष्ट्रपति अवधारित करे। |
Attorney-General for India |
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76. Attorney-General for India.—(1) The President shall appoint a person who is qualified to be appointed a Judge of the Supreme Court to be Attorney-General for India. (2) It shall be the duty of the Attorney-General to give advice to the Government of India upon such legal matters, and to perform such other duties of a legal character, as may from time to time be referred or assigned to him by the President, and to discharge the functions conferred on him by or under this Constitution or any other law for the time being in force. (3) In the performance of his duties the Attorney-General shall have right of audience in all courts in the territory of India. (4) The Attorney-General shall hold office during the pleasure of the President, and shall receive such remuneration as the President may determine. |
🔍 Article 76 Explanation in Hindi
अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का पहला अध्याय है – कार्यपालिका (Executive)।
कार्यपालिका के तहत अनुच्छेद 52 से लेकर 78 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के कार्यपालिका की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), उप-राष्ट्रपति (vice president), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) एवं महान्यायवादी (Attorney General) आते हैं।
कार्यपालिका के तहत यहाँ प्रधानमंत्री की चर्चा इसीलिए नहीं की गई है क्योंकि मंत्रिपरिषद का मुखिया ही प्रधानमंत्री होता है।
यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।
कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अंतर्गत अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 151 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 76 को समझने वाले हैं;
| अनुच्छेद 76 – भारत का महान्यायवादी
जैसा कि हमने ऊपर समझा कि संघीय कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद के साथ-साथ महान्यायवादी (Attorney General) भी होते हैं। और अनुच्छेद 76 में इसी के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस अनुच्छेद के तहत 4 खंड है।
महान्यायवादी (Attorney General) कौन होता है?
दरअसल जब भी लॉ डिग्रीधारी, अधिवक्ता (Advocate) बन जाता है यानी कि किसी की तरफ से केस लड़ने के योग्य हो जाता है तो फिर आगे वो व्यक्ति इस क्षेत्र में बहुत कुछ बन सकता है; जैसे कि यदि वो न्यायालय में राज्य की तरफ से किसी पीड़ित का पक्ष लेता है तो उसे लोक अभियोजक (Public prosecutor) कहा जाता है।
यदि वो व्यक्ति न्यायालय में न्यायालय में राज्य सरकार की तरफ से खड़ा होता है तो उसे राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General of State)↗️ कहा जाता है।
यदि वो व्यक्ति न्यायालय में केंद्र सरकार की तरफ से खड़ा होता है तो उसे महान्यायवादी (Attorney General) कहा जाता है।
इसी महान्यायवादी के सहायक (Assistant) के रूप में काम करने वाले को अधिकारी को महा याचक/ महा न्यायभिकर्ता (solicitor general) कहते हैं।
अनुच्छेद 76(1) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित (qualified) किसी व्यक्ति को भारत का महान्यायवादी नियुक्त करेगा।
दूसरे शब्दों में कहें तो भारत के महान्यायवादी में उन योग्यताओं का होना आवश्यक होता है जो उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए होता है; यानी कि
(1) वह भारत का नागरिक हो,
(2) उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करने का पाँच वर्षों का अनुभव हो या किसी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्षों का अनुभव हो, या
(3) राष्ट्रपति के नज़र वह न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।
अनुच्छेद 75(2) के तहत बताया गया है कि महान्यायवादी के कर्तव्य क्या होंगे।
अनुच्छेद के इस खंड के तहत भारत सरकार के मुख्य कानून अधिकारी के रूप में महान्यायवादी के निम्नलिखित कर्तव्य हैं:-
1. भारत सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे जो राष्ट्रपति द्वारा सौपे गए हो।
2. संविधान या किसी अन्य विधि द्वारा प्रदान किए गए कृत्यों का निर्वहन करें।
इसी के तहत महान्यायवादी के निम्नलिखित कार्य है;
1. भारत सरकार से संबन्धित मामलों को लेकर उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार की ओर से पेश होना।
2. संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत, उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
3. सरकार से संबन्धित किसी मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई का अधिकार।
अनुच्छेद 75(3) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि महान्यायवादी को अपने कर्तव्यों के पालन में भारत के राज्यक्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार होगा।
कहने का अर्थ है कि भारत के किसी भी अदालत में महान्यायवादी को सुनवाई का अधिकार है। इसके अतिरिक्त संसद के दोनों सदनों मे बोलने या कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है। हालांकि वो वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकता है।
अनुच्छेद 75(4) के तहत कहा गया है कि महान्यायवादी, राष्ट्रपति के प्रसाद्पर्यंत पद धारण करेगा और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करेगा जो राष्ट्रपति अवधारित करे।
कहने का अर्थ है कि एक संसद सदस्य की तरह महान्यायवादी को भी सभी भत्ते एवं विशेषाधिकार मिलते है। महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसाद्पर्यंत काम करते हैं और वही वेतन व भत्ते प्राप्त करते हैं जो राष्ट्रपति द्वारा तय किया जाता है।
याद रखें;
◾महान्यायवादी के अतिरिक्त भी भारत सरकार के अन्य कानूनी अधिकारी होते हैं। इसमें एक Solicitor General of India एवं 4 Additional Solicitors General for India होते हैं। ये लोग महान्यायवादी को उसकी ज़िम्मेदारी पूरी करने में सहायता करते हैं।
◾महान्यायवादी का पद एक संवैधानिक पद है जिसका कि अनुच्छेद 76 में उल्लेख किया गया है। वहीं Solicitor General of India एवं Additional Solicitors General for India की बात करें तो संविधान में उसकी चर्चा नहीं की गयी है।
◾ कहने को तो इसे कार्यपालक की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन महान्यायवादी केंद्रीय कैबिनेट का सदस्य नहीं होता है। सरकारी स्तर पर विधिक मामलों को देखने के लिय केन्द्रीय कैबिनेट (cabinet) में एक अलग से विधि मंत्री (Law minister) होता है। जबकि अमेरिका के महान्यायवादी को कार्यकारी प्राधिकार भी होता है।
महान्यायवादियों की सूची
महान्यायवादी | कार्यकाल | प्रधानमंत्री |
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एम सी सीतलवाड | 28 Jan 1950 – 1 Mar 1963 | जवाहरलाल नेहरू |
सी के दफतरी | 2 Mar 1963 – 30 Oct 1968 | जवाहरलाल नेहरू; लाल बहादुर शास्त्री |
नीरेन डे | 1 Nov 1968 – 31 Mar 1977 | इन्दिरा गांधी |
एस वी गुप्ते | 1 Apr 1977 – 8 Aug 1979 | मोरारजी देशाई |
एल एन सिन्हा | 9 Aug 1979 – 8 Aug 1983 | इन्दिरा गांधी |
के परासरण | 9 Aug 1983 – 8 Dec 1989 | इन्दिरा गांधी; राजीव गांधी |
सोली सोराबजी | 9 Dec 1989 – 2 Dec 1990 | वी पी सिंह ; चन्द्रशेखर |
जी रामास्वामी | 3 Dec 1990 – 23 Nov 1992 | चन्द्रशेखर; पी वी नरसिम्हाराव |
मिलन के बनर्जी | 21 Nov 1992 – 8 July 1996 | पी वी नरसिम्हा राव |
अशोक देशाई | 9 July 1996 – 6 April 1998 | एच डी देवगौड़ा; इंद्र कुमार गुजराल |
सोली सोराबजी | 7 April 1998 – 4 June 2004 | अटल बिहारी बाजपेयी |
मिलन के बनर्जी | 5 June 2004 – 7 June 2009 | मनमोहन सिंह |
गूलम इस्साजी वेहनवती | 8 June 2009 – 11 June 2014 | मनमोहन सिंह |
मुकुल रोहतगी | 19 June 2014 – 18 June 2017 | नरेंद्र मोदी |
के के वेणुगोपाल | 1 July 2017 – 30 Sep 2022 | नरेंद्र मोदी |
आर वेंकटरमन | 1 Oct 2022 – Incumbent | नरेंद्र मोदी |
तो यही है अनुच्छेद 76 (Article 76), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अनुच्छेद 76 के तहत राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित (qualified) किसी व्यक्ति को भारत का महान्यायवादी नियुक्त करेगा।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |