यह लेख अनुच्छेद 81 (Article 81) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

पाठकों से अपील 🙏
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें;
⬇️⬇️⬇️
Article 81
Article 81 With Clause Wise Explanation

अगर टेलीग्राम लिंक काम न करे तो सीधे टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial


📜 अनुच्छेद 81 (Article 81)

संसद
1[81. लोक सभा की संरचना (1) 2[अनुच्छेद 331 के उपबंधों के अधीन रहते हुए 3***] लोकसभा —
(क) राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए 4[पांच सौ तीस] से अनधिक 4[सदस्यों], और
(ख) संघ राज्यक्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए ऐसी रीति से, जो संसद विधि द्वारा उपबंधित करें, चुने हुए 5[बीस] से अनधिक 5[सदस्यों], से मिलकर बनेगी।

(2) खंड (1) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिए, —
(क) प्रत्येक राज्य को लोक सभा में स्थानों का आवंटन ऐसी रीति से किया जाएगा कि स्थानों की संख्या से उस राज्य की जनसंख्या का अनुपात सभी राज्यों के लिए यथासाध्य एक ही हो, और
(ख) प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में ऐसी रीति से विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन-क्षेत्र की जनसंख्या का उसको आवंटित स्थानों की संख्या से अनुपात समस्त राज्य में यथासाध्य एक ही हो:

6[परंतु इस खंड के उपखंड (क) के उपबंध किसी राज्य को लोक सभा में स्थानों के आवंटन के प्रयोजन के लिए तब तक लागू नहीं होंगे जब तक उस राज्य की जनसंख्या साठ लाख से अधिक नहीं हो जाती है।]

(3) इस अनुच्छेद में, “जनसंख्या” पद से ऐसी अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं:

7[परंतु इस खंड में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति, जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं, निर्देश का, जब तक सन 8[2026] के पश्चात की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़ें प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, 9[यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह, –

(i) खंड (2) के उपखंड (क) और उस खंड के परंतुक के प्रयोजनों के लिए 1971 की जनगणना के प्रति निर्देश है; और
(ii) खंड (2) के उपखंड (ख) के प्रयोजनों के लिए 10[2001] की जनगणना के प्रति निर्देश है।]]
———————————
1. संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 4 द्वारा अनुच्छेद 81 और अनुच्छेद 82 के स्थान पर प्रतिस्थापित।
2. संविधान (पैंतीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1974 की धारा (1-3-1975 से) “अनुच्छेद 331 के उपबंधों के अधीन रहते हुए” के स्थान पर प्र्तिस्थापित।
3. संविधान (छतीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 5 द्वारा (26-4-1975 से) “और दसवीं अनुसूची के पैरा-4” शब्दों और अक्षरों का लोप किया गया।
4. गोवा, दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम, 1987 (1987 का 18) की धारा 63 द्वारा (30-5-1987 से) “पांच सौ पच्चीस सदस्यों” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
5. संविधान (इकतीसवाँ संशोधन ) अधिनियम, 1973 की धारा 2 द्वारा “पच्चीस सदस्यों” के स्थान पर (17-10-1973 से) प्रतिस्थापित।
6. संविधान (इकतीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1973 की धारा 2 द्वारा (17-10-1973 से) पच्चीस सदस्यों के स्थान पर अंतःस्थापित।
7. संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 15 द्वारा (3-1-1977 से) अंतःस्थापित।
8. संविधान (चौरासीवाँ संशोधन) अधिनियम, 2001 की धारा 3 द्वारा “2000” के स्थान पर (21-2-2002 से) प्रतिस्थापित।
9. संविधान (चौरासीवाँ संशोधन) अधिनियम, 2001 की धारा 3 द्वारा “2003” के स्थान पर (22-6-2002 से) प्रतिस्थापित।
10. संविधान (सतासीवां संशोधन) अधिनियम, 2003 की धारा 2 द्वारा “1991” के स्थान पर (22-6-2002 से) प्रतिस्थापित।
—-अनुच्छेद 81—-

Parliament
1[81. Composition of the House of the People.(1) 2[Subject to the provisions of article 331 3***], the House of the People shall consist of—
(a) not more than 4[five hundred and thirty members] chosen by direct election from territorial constituencies in the States, and
(b) not more than 5[twenty members] to represent the Union territories, chosen in such manner as Parliament may by law provide.

(2) For the purposes of sub-clause (a) of clause (1),—
(a) there shall be allotted to each State a number of seats in the House of the People in such manner that the ratio between that number and the population of the State is, so far as practicable, the same for all States; and
(b) each State shall be divided into territorial constituencies in such manner that the ratio between the population of each constituency and the number of seats allotted to it is, so far as practicable, the same throughout the State:

6[Provided that the provisions of sub-clause (a) of this clause shall not be applicable for the purpose of allotment of seats in the House of the People to any State so long as the population of that State does not exceed six millions.]

(3) In this article, the expression “population” means the population as ascertained at the last preceding census of which the relevant figures have been published.

7[Provided that the reference in this clause to the last preceding census of which the relevant figures have been published shall, until the relevant figures for the first census taken after the year 8[2026] have been published, 9[be construed,—
(i) for the purposes of sub-clause (a) of clause (2) and the proviso to that clause, as a reference to the 1971 census; and
(ii) for the purposes of sub-clause (b) of clause (2) as a reference to the 10[2001] census.]]

—————
1. Subs. by s. 4, ibid. for arts. 81 and 82 (w.e.f. 1-11-1956).
2. Subs. by the Constitution (Thirty-fifth Amendment) Act, 1974, s. 4, for “subject to the provisions of article 331” (w.e.f. 1-3-1975).
3. The words and figure “and paragraph 4 of the Tenth Schedule” omitted by the Constitution (Thirty-sixth Amendment) Act, 1975, s. 5 (w.e.f. 26-4-1975).
4. Subs. by the Goa, Daman and Diu Reorganisation Act, 1987 (18 of 1987), s. 63, for “five hundred and twenty-five members” (w.e.f. 30-5-1987).
5. Subs. by the Constitution (Thirty-first Amendment) Act, 1973, s. 2, for “twenty-five members” (w.e.f. 17-10-1973).
6. Ins. by s. 2, ibid. (w.e.f. 17-10-1973).
7. Added by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 15 (w.e.f. 3-1-1977).
8. Subs. by the Constitution (Eighty-fourth Amendment) Act, 2001, s. 3, for “2000” (w.e.f. 21-2-2002).
9. Subs. by s.3, ibid, for certain words (w.e.f. 21-2-2002).
10. Subs. by the Constitution (Eighty-seventh Amendment) Act, 2003, s. 2, for “1991” (w.e.f. 22-6-2003)
Article 81

🔍 Article 81 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 81 (Article 81) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
—Article 81—

| अनुच्छेद 81 – लोक सभा की संरचना

लोकसभा आम जनों की एक सभा है जहां प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि बैठते हैं। प्रत्येक प्रतिनिधि किसी खास भौगोलिक क्षेत्र से चुनकर आते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र (constituency) कहा जाता है।

प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जनसंख्या के आधार पर आवंटित किया गया एक खास भौगोलिक क्षेत्र है। जीते हुए उम्मीदवार किसी खास निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और संसद में बैठकर विधायी या कार्यकारी प्रक्रिया में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रत्येक सदस्य को सांसद (Member of Parliament) कहा जाता है (जिसकी संख्या वर्तमान में 543 है) और ये सारे सांसद मिलकर विधायिका (legislature) कहलाते हैं।

अनुच्छेद 81 के तहत कुल तीन खंड आते हैं, जिसके तहत लोकसभा की संरचना (Composition of the House of the People) का वर्णन है। आइये खंडवार समझते हैं;

अनुच्छेद 81 खंड (1)

इस खंड के तहत बताया गया है कि अनुच्छेद 331 के उपबंधों के अधीन रहते हुए लोकसभा — राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों (territorial constituencies) से प्रत्यक्ष निर्वाचन (Direct Election) द्वारा चुने गए 530 सदस्यों से और संघ राज्यक्षेत्रों (UT) का प्रतिनिधित्व करने के लिए ऐसी रीति से (जो संसद विधि द्वारा उपबंधित करें) चुने हुए 20 सदस्यों से मिलकर बनेगी।

इस खंड के तहत मुख्य रूप से कुल तीन बातें है;

(1) लोकसभा के लिए 530 सदस्य राज्यों से चुनकर आएंगे।

(2) लोकसभा के लिए 20 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों (UT) से चुनकर आएंगे।

(3) ये दोनों ही चीज़ें अनुच्छेद 331 के अधीन रहकर होगा।

अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति को एक विवेकाधिकार दिया गया है कि यदि राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि लोकसभा में एंग्लो-इंडियन प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो राष्ट्रपति एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को लोकसभा में मनोनीत कर सकता है।

लेकिन याद रखिए कि एंग्लो-इंडियन के कॉन्सेप्ट को जनवरी 2020 में 104th संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा खत्म दिया गया है। इसका मतलब ये है कि अब राष्ट्रपति द्वारा 2 एंग्लो-इंडियन को नामित नहीं किया जाएगा। [एंग्लो-इंडियन को समझें]
लोकसभा की संरचना

कुल मिलाकर स्थिति यह है कि जनवरी 2020 तक लोकसभा में 545 सदस्य हुआ करता था। जिसमें से 530 सदस्य राज्यों से चुन कर आते थे, 13 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों से चुनकर आते थे लेकिन केंद्रशासित प्रदेशों से चुनकर आने वाले सदस्यों की अधिकतम संख्या 20 है यानी कि 7 सदस्य अभी चुनकर नहीं आते थे। और दो सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित या नाम निर्देशित एंग्लो-इंडियन समुदाय से आते थे।

चूंकि एंग्लो-इंडियन के कॉन्सेप्ट को जनवरी 2020 में 104th संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा खत्म दिया गया है। ऐसे में अभी कि बात करें तो 530 सदस्य राज्यों से चुनकर पहले की तरह ही आते हैं, और 20 केंद्रशासित प्रदेशों की सीटों में से 13 सदस्य पहले की ही तरह चुनकर आते हैं, तो अभी कुल 543 सीटें लोकसभा में हैं यानी कि 543 सदस्य अभी लोकसभा में हैं।

अनुच्छेद 81 खंड (2)

इस खंड के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि खंड (1) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिए, — (क) प्रत्येक राज्य को लोक सभा में स्थानों का आवंटन ऐसी रीति से किया जाएगा कि स्थानों की संख्या से उस राज्य की जनसंख्या का अनुपात सभी राज्यों के लिए यथासाध्य एक ही हो, और
(ख) प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में ऐसी रीति से विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन-क्षेत्र की जनसंख्या का उसको आवंटित स्थानों की संख्या से अनुपात समस्त राज्य में यथासाध्य एक ही हो:

खंड 2 के तहत यह बताया गया है कि लोकसभा में खंड (1) के उपखंड (क) के तहत जो 530 सीटें भरी जानी है, वो प्रत्येक राज्यों से किस तरह से आएगा। इसके तहत लोकसभा के प्रत्यक्ष निर्वाचन के लिए राज्यों को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। कैसे विभाजित किया गया है; यही अनुच्छेद 81(2) में वर्णित है।

(क). लोकसभा में सीटों का आवंटन प्रत्येक राज्य को ऐसी रीति से किया जाएगा कि सीटों की संख्या से उस राज्य की जनसंख्या का अनुपात सभी राज्यों के लिए यथा साध्य एक ही हो।

इसका मतलब ये है कि अगर बिहार में लोकसभा की 40 सीटें है तो उसकी एक सीट लगभग उतने ही लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जितना कि उत्तर-प्रदेश का (जहां पर 80 सीटें है)।

आप चाहे तो इसे कैलकुलेट कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि जनसंख्या 1971 वाली लेनी है और 2026 तक यही काम करेगा। 1971 वाला जनसंख्या क्यों लिया जाता है इसे आप आगे समझ सकते हैं;

1971 में बिहार की जनसंख्या 56300000 थी। अब अगर इसमें 40 से भाग दें तो यह आता है 1407500 यानि कि लगभग 14 लाख। 1971 में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 88340000 थी। अब अगर इसमें 80 से भाग दें तो यह आता है 1104250।

यानि कि बिहार में जहां 14 लाख लोगों के लिए एक लोकसभा सांसद है वहीं उत्तर प्रदेश में प्रति 11 लाख लोगों के लिए 1 लोकसभा सीट है। यह बराबर तो नहीं है लेकिन चूंकि अनुच्छेद 81(2) में साफ-साफ लिखा है कि यथासाध्य एक होनी चाहिए, तो वो है।

कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह है कि बिहार की 40 सीटें जितने लोगों का प्रतिनिधित्व करता है लगभग उतने ही लोगों का प्रतिनिधित्व उत्तर प्रदेश की 80 सीटें करता है। और बाकी राज्यों का भी अनुपात यही है।

(ख). प्रत्येक राज्य को क्षेत्रीय निर्वाचन-क्षेत्रों (territorial constituencies) में इस तरह से विभाजित किया गया है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या और उसके लिए आवंटित सीटों की संख्या के बीच का अनुपात पूरे राज्य में यथा साध्य एक ही हो।

इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि बिहार को जो 40 सीटें दी गई है उसे अलग-अलग 40 भौगोलिक निर्वाचन क्षेत्र में बाँट दिया गया है। और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक सीट का आवंटन किया गया है। अब ये जो अलग-अलग प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्र (territorial constituencies) है यह ऐसा नहीं है कि एक निर्वाचन क्षेत्र 20 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहा है वही दूसरा निर्वाचन क्षेत्र 5 लाख या 7 लाख लोगों का।

कुल मिलाकर यहाँ कहने का अर्थ यह है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में जनसंख्या यथासाध्य एक ही होनी चाहिए। और यह पूरे देश में हरेक राज्यों में ऐसा ही होना चाहिए।

[नोट- यहाँ पर एक बात याद रखिए कि यह उपबंध उन राज्यों पर लागू नहीं होता जिनकी जनसंख्या 60 लाख से कम है। यह बात इसी अनुच्छेद में परंतुक (Proviso) के रूप में लिख दिया गया है, जिसे कि आप ऊपर अनुच्छेद में लिखा देख सकते है।]

अनुच्छेद 81 खंड (3)

इस खंड के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि इस अनुच्छेद में, “जनसंख्या” पद से ऐसी अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत (intended) है जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं:

परंतु इस खंड में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति, जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं, निर्देश का, जब तक सन 2026 के पश्चात की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़ें प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह, –

(i) खंड (2) के उपखंड (क) और उस खंड के परंतुक के प्रयोजनों के लिए 1971 की जनगणना के प्रति निर्देश है; और
(ii) खंड (2) के उपखंड (ख) के प्रयोजनों के लिए 2001 की जनगणना के प्रति निर्देश है।

यहाँ पर दो बातें हैं;

पहली बात: खंड (2) के उपखंड (क) और उस खंड के परंतुक के प्रयोजनों के लिए 1971 की जनगणना का इस्तेमाल किया जाएगा। तब तक जब तक की साल 2026 के बाद पहली जनगणना के आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, यानि कि मोटे तौर पर 2031 तक।

इसका सीधा सा मतलब यह है कि साल 2031 तक जिस राज्य को जितनी सीटें अभी प्राप्त है, वहीं रहेंगी। यानि कि अगर बिहार को 40 सीटें प्राप्त है तो यह अभी 40 ही रहेंगी भले ही 1971 के बाद जनसंख्या कितनी ही क्यों न बढ़ गई हो।

दूसरी बात: खंड (2) के उपखंड (ख) के प्रयोजनों के लिए 2001 की जनगणना का इस्तेमाल किया जाएगा।

इसका सीधा सा मतलब यह है कि अगर बिहार को 40 सीटें प्राप्त है तो वो तो अभी नहीं बदलने वाली है लेकिन उन सीटों के लिए जो निर्वाचन क्षेत्र तय किया गया है, उस प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या यथासाध्य एक ही हो इसके लिए साल 2001 की जनगणना का इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसे इस तरह से भी समझ सकते हैं कि हो सकता है कि 1971 के बाद किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या दूसरे प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के तुलना में बढ़ गया हो या घट गया हो। तो ऐसी स्थिति में राज्य के अंदर ही उन 40 निर्वाचन क्षेत्रों को 2001 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित किया जा सकता है, ताकि सभी निर्वाचन क्षेत्रों की जनसंख्या यथासाध्य एक ही हो जाए।

Q. 1971 वाली जनसंख्या का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

◾ पहले तो 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा राज्यों को लोकसभा में सीटों का आवंटन और प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों का विभाजन को वर्ष 2000 तक 1971 के जनगणना के आधार पर फिक्स कर दिया गया।

इस प्रतिबंध को 84वें संविधान संशोधन अधिनियम 2001 द्वारा 25 वर्ष और बढ़ाकर 2026 तक फिक्स कर दिया गया। यानी कि 2026 तक जिस राज्य कि अभी जो स्थिति है वही रहेगी, और 1971 वाला जनसंख्या के आधार पर ही चलेगा। (जैसा कि अभी हमने ऊपर समझा भी)

◾ वहीं राज्य के भीतर के निर्वाचन क्षेत्रों के लिए भी साल 2000 तक 1971 के जनगणना का ही प्रयोग किया जाता था (42वें संविधान संशोधन के कारण)।

लेकिन 84वें संविधान संशोधन अधिनियम 2001 द्वारा इसे 1991 की जनगणना पर शिफ्ट कर दिया गया। पुनः 2003 में 87वां संविधान संशोधन के माध्यम से इसे 2001 के जनगणना पर शिफ्ट कर दिया गया (जैसा कि अभी हमने ऊपर समझा)।

साल 1971 वाली जनगणना इस्तेमाल करने के पीछे की कहानी ये है कि दक्षिण भारतीय राज्यों ने आजादी के बाद जनसंख्या पर नियंत्रण रखने में काफी कामयाबी हासिल की। लेकिन उत्तर भारतीय राज्यों ने जनसंख्या कम करने के बजाए दुगुनी-तिगुनी गति से उसे बढ़ने दिया।

दक्षिण भारतीय राज्यों की चिंता ये थी कि अगर आज के जनसंख्या के हिसाब से राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट वैल्यू निकाले तो उत्तर भारतीय राज्यों की वोट वैल्यू इतनी हो जाएगी कि वो खुद अपने दम पर ही राष्ट्रपति को चुन लेंगी।

◾ इसे केरल और बिहार के उदाहरण से समझिए। 1971 के जनसंख्या के हिसाब से केरल के एक विधायक का वोट वैल्यू 152 है। वहीं बिहार के एक विधायक का वोट वैल्यू 173 है। यानी कि ज्यादा अंतर नहीं है।

अब 2011 के जनसंख्या के हिसाब से देखें तो केरल के एक विधायक का वोट वैल्यू 238 आता है। वहीं बिहार का 427 आता है। लगभग दोगुने का फर्क है। अब आप समझ रहे होंगे कि क्यों 1971 वाला जनसंख्या इस्तेमाल किया जाता है।

◾ इसे विस्तार से समझने के लिए  राष्ट्रपति चुनाव जरूर पढ़ें।

तो यही है अनुच्छेद 81 (Article 81), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
—Article 81——

| Related Article

Hindi ArticlesEnglish Articles
अनुच्छेद 82
अनुच्छेद 80
⚫ Article 82
⚫ Article 80
—Article 81—
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
—————————–
FAQ. अनुच्छेद 81 (Article 81) क्या है?

अनुच्छेद 81 (Article 81), लोक सभा की संरचना के बारे में है। लोकसभा (जिसे कि निचला सदन भी कहा जाता है) का गठन वयस्‍क मतदान के आधार पर जनता द्वारा प्रत्‍यक्ष चुनाव के माध्यम से चुने गए के प्रतिनिधियों से होता है।
संविधान में लोकसभा की अधिकतम संख्या 550 निर्धारित की गई है जिसमें से 530 प्रतिनिधि राज्यों के लिए और 20 प्रतिनिधि केंद्रशासित प्रदेशों के लिए है। 
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।