यह लेख अनुच्छेद 85 (Article 85) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 85

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📜 अनुच्छेद 85 (Article 85) – Original

संसद
1[85. संसद के सत्र, सत्रावसान और विघटन — (1) राष्ट्रपति समय-समय पर, संसद्‌ के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा, किन्तु उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह मास का अंतर नहीं होगा।]

(2) राष्ट्रपति, समय-समय पर —
(क) सदनों का या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा ;
(ख) लोक सभा का विघटन कर सकेगा।
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1.संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 की धारा 6 द्वारा (18-6-1951 से) प्रतिस्थापित।
—-अनुच्छेद 85—-

संसद
1[85. Sessions of Parliament, prorogation and dissolution. — (1) The President shall from time to time summon each House of Parliament to meet at such time and place as he thinks fit, but six months shall not intervene between its last sitting in one session and the date appointed for its first sitting in the next session.

(2) The President may from time to time —
(a) prorogue the Houses or either House;
(b) dissolve the House of the People.]
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1. Subs. by the Constitution (First Amendment) Act, 1951, s. 6, for art. 85 (w.e.f. 18-6-1951)
Article 85

🔍 Article 85 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 85 (Article 85) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 85 – संसद के सत्र, सत्रावसान और विघटन

संसद उन लोगों के बैठने की जगह है जो जनता के किसी खास हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। संसद का मुख्य काम है कानून या विधि बनाना या फिर अप्रासंगिक एवं गैर-जरूरी क़ानूनों को खत्म करना या उसमें बदलाव करना; ताकि एक ऐसी व्यवस्था बनी रहे जो उस समय-काल के हिसाब से तर्कसंगत एवं न्यायसंगत हो।

अनुच्छेद 79 के अनुसार, भारतीय संसद, देश का सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था है जो अपने तीन घटकों के द्वारा संचालित (या गठित) होता है- राष्ट्रपति (President) और दो सदन—राज्यसभा (Rajya Sabha) एवं लोकसभा (Lok Sabha)

अनुच्छेद 85 इसी संसद के सत्र (Session), सत्रावसान (Prorogation) और विघटन (Dissolution) के बारे में है। इस अनुच्छेद के दो खंड है; आइये समझते हैं;

अनुच्छेद 85(1) के तहत राष्ट्रपति समय-समय पर, संसद्‌ के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा, किन्तु उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह मास का अंतर नहीं होगा।

यहाँ पर तीन बातें हैं;

पहली बात तो ये कि राष्ट्रपति समय-समय पर सत्र आहूत (Call a Session) करेगा। यानि कि सत्र को शुरू करवाना राष्ट्रपति का काम है।

दूसरी बात ये कि राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर अधिवेशन के लिए बुला सकता है जो वह ठीक समझें। यानि कि यह राष्ट्रपति के विवेकाधिकार पर छोड़ दिया गया है।

इसका एक अन्य पहलू यह है कि राष्ट्रपति अभी का जो पार्लियामेंट हैं उसके इत्तर भी कहीं और सत्र को शुरू करवा सकता है। और जहां यह होगा उसी को संसद कहा जाएगा। अभी के लिए यह दिल्ली के संसद भवन में होता है।

तीसरी बात ये कि राष्ट्रपति हमेशा यह ध्यान रखेगा कि एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह मास का अंतर न हो।

सत्र (Session) का कॉन्सेप्ट:

भारतीय राजनीति में, एक सत्र उस अवधि को संदर्भित करता है जिसके दौरान संसद या राज्य विधानमंडल अपने व्यवसाय का संचालन करने के लिए मिलते हैं। किए जाने वाले विधायी कार्य की मात्रा के आधार पर एक सत्र कई सप्ताह या महीनों तक चल सकता है।

◾ सामान्यतः साल में संसद के तीन सत्र होते हैं, बजट सत्र (Budget Session), मानसून सत्र (Monsoon Session) और शीतकालीन सत्र (Winter Session)। और इन सभी सत्रों के बीच छह माह से कम का समय होता है।

बजट सत्र आमतौर पर जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में शुरू होता है और मई तक चलता है, जिसके दौरान सरकार वार्षिक बजट पेश करती है।

मानसून सत्र आमतौर पर जुलाई में शुरू होता है और अगस्त में समाप्त होता है, जबकि शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर में शुरू होता है और दिसंबर तक चलता है।

इसी तरह, प्रत्येक राज्य विधानमंडल का भी सत्रों का अपना कार्यक्रम होता है, अधिकांश राज्यों में एक वर्ष में दो या तीन सत्र होते हैं।

◾ एक सत्र के दौरान, सदन विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता है, जिसमें बहस, विधेयकों को पारित करना और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा शामिल है।

◾ संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्य इन गतिविधियों में भाग लेते हैं और अपने घटकों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सदन की कार्यवाही आमतौर पर नियमों और प्रक्रियाओं के एक सेट के अनुसार संचालित की जाती है, जो सदन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए तैयार की जाती हैं।

◾ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक सत्र (Session), सदन की अवधि (Term of House) से अलग होता है। एक सत्र कुछ हफ्तों या महीनों तक चलता है, जबकि सदन की अवधि उस पूरी अवधि को संदर्भित करती है जिसके लिए सदस्य चुने जाते हैं।

एक सत्र को सत्रावसान या स्थगित किया जा सकता है, लेकिन सदन की अवधि केवल राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा ही भंग की जा सकती है, जैसा भी मामला हो।

अनुच्छेद 85(2) के तहत बताया गया है कि राष्ट्रपति, समय-समय पर — (क) सदनों का या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा; (ख) लोक सभा का विघटन कर सकेगा।

यहाँ पर दो बातें हैं:

पहली बात तो ये कि राष्ट्रपति, समय-समय पर सदनों का या किसी सदन का सत्रावसान (Prorogation) कर सकेगा।

सत्रावसान (Prorogation) का कॉन्सेप्ट:

◾ भारतीय राजनीति में, सत्रावसान संसद या राज्य विधानमंडल के एक सत्र के औपचारिक अंत को संदर्भित करता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा भारत के राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल, जैसा भी मामला हो, क्रमशः संसद या राज्य विधानमंडल के सत्र को समाप्त करते हैं।

◾ सत्रावसान एक सत्र के अंत को चिह्नित करता है, और सभी लंबित बिल (Pending Bills) और अन्य संसदीय काम समाप्त हो जाते हैं। हालांकि, अधूरे कार्य को अगले सत्र में शुरू किया जा सकता है, जो आमतौर पर कुछ महीनों के अंतराल के बाद शुरू होता है।

◾ किसी सत्र के सत्रावसान की शक्ति राष्ट्रपति/राज्यपाल में निहित होती है, जो यथास्थिति, प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्य करता है। राष्ट्रपति/राज्यपाल सत्रावसान की घोषणा करते हुए एक अधिसूचना जारी करते हैं, जो आमतौर पर सदन द्वारा स्थगन के प्रस्ताव को सदन के समक्ष रखने और और उसे पारित करने के बाद किया जाता है।

यहाँ दो बातें याद रखिए

(1) सत्रावसान (Prorogation) एक सत्र का अंत होता है, लोकसभा के अंत का या सरकार के अंत का नहीं।

(2) सत्रावसान, स्थगन (Adjournment) से अलग होता है, वो ऐसे कि स्थगन एक निर्दिष्ट अवधि के लिए सदन की कार्यवाही के अस्थायी निलंबन (temporary suspension) को संदर्भित करता है, जबकि सत्रावसान (Prorogation) सत्र के औपचारिक अंत को चिह्नित करता है।

दूसरी बात ये कि राष्ट्रपति, समय-समय पर लोक सभा का विघटन (Dissolution) कर सकेगा।

विघटन (Dissolution) का कॉन्सेप्ट:

भारतीय राजनीति में, विघटन (Dissolution) संसद या राज्य विधानमंडल के कार्यकाल की औपचारिक समाप्ति को संदर्भित करता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा भारत के राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल, जैसा भी मामला हो, क्रमशः संसद या राज्य विधानमंडल को उसके सामान्य कार्यकाल के पूरा होने से पहले भंग कर देते हैं।

विघटन आमतौर पर तब होता है जब सत्तारूढ़ दल या गठबंधन के पास सदन में बहुमत नहीं होता है, और सरकार महत्वपूर्ण कानून पारित करने में असमर्थ होती है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति या राज्यपाल को सदन को भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने की सलाह देते हैं।

◾ संसद को भंग करने की शक्ति इस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति में निहित है, जो प्रधानमंत्री की सलाह पर कार्य करता है। राष्ट्रपति सदन को भंग करने की घोषणा करते हुए एक अधिसूचना जारी करते हैं, जिससे सदन के सभी सदस्यों का कार्यकाल तत्काल समाप्त हो जाता है।

◾ एक बार जब सदन भंग हो जाता है, तो देश “कार्यवाहक सरकार (caretaker government)” के एक चरण में प्रवेश करता है, जहां निवर्तमान सरकार चुनाव के बाद नई सरकार बनने तक सीमित क्षमता में कार्य करना जारी रखती है।

कार्यवाहक सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह कोई भी बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से बचें और नई सरकार के कार्यभार संभालने तक केवल आवश्यक कार्य ही करें।

◾ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विघटन, सत्रावसान या स्थगन से अलग होता है। सत्रावसान और स्थगन से अस्थायी निलंबन या सत्र का अंत होता है, जबकि विघटन से सदन के पूरे कार्यकाल का ही अंत हो जाता है।

तो यही है अनुच्छेद 85 (Article 85), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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FAQ. अनुच्छेद 85 (Article 85) क्या है?

अनुच्छेद 85 संसद के सत्र, सत्रावसान और विघटन (Sessions of Parliament, prorogation and dissolution) के बारे में है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।