यह लेख अनुच्छेद 86 (Article 86) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 86

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📜 अनुच्छेद 86 (Article 86)

संसद
86. सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार — (1) राष्ट्रपति, संसद्‌ के किसी एक सदन में या एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण कर सकेगा और इस प्रयोजन के लिए सदस्यों की उपस्थिति की अपेक्षा कर सकेगा।

(2) राष्ट्रपति, संसद्‌ में उस समय लंबित किसी विधेयक के संबंध में संदेश या कोई अन्य संदेश, संसद्‌ के किसी सदन को भेज सकेगा और जिस सदन को कोई संदेश इस प्रकार भेजा गया है वह सदन उस संदेश द्वारा विचार करने के लिए अपेक्षित विषय पर सुविधानुसार शीघ्रता से विचार करेगा।
—-अनुच्छेद 86—-

Parliament
86. Right of President to address and send messages to Houses.—(1) The President may address either House of Parliament or both Houses assembled together, and for that purpose require the attendance of members.

(2) The President may send messages to either House of Parliament, whether with respect to a Bill then pending in Parliament or otherwise, and a House to which any message is so sent shall with all convenient despatch consider any matter required by the message to be taken into consideration.
Article 86

🔍 Article 86 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 86 (Article 86) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 86 – सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार

संसद उन लोगों के बैठने की जगह है जो जनता के किसी खास हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। संसद का मुख्य काम है कानून या विधि बनाना या फिर अप्रासंगिक एवं गैर-जरूरी क़ानूनों को खत्म करना या उसमें बदलाव करना; ताकि एक ऐसी व्यवस्था बनी रहे जो उस समय-काल के हिसाब से तर्कसंगत एवं न्यायसंगत हो।

कहने का अर्थ है कि राष्ट्रपति भी संसद का एक अंग है और इसी राष्ट्रपति को अनुच्छेद 86 के तहत सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का अधिकार दिया गया है। इस अनुच्छेद के दो खंड है, आइये समझें;

अनुच्छेद 86(1) के तहत राष्ट्रपति, संसद्‌ के किसी एक सदन में या एक साथ सम्मिलित दोनों सदनों में अभिभाषण (Address) कर सकेगा और इस प्रयोजन के लिए सदस्यों की उपस्थिति की अपेक्षा कर सकेगा।

कहने का अर्थ है कि राष्ट्रपति दोनों सदनों में भाषण दे सकता है और इसके साथ ही दोनों सदनों के संयुक्त बैठक में भी भाषण दे सकता है। और इसके लिए जरूरी है कि सदन के सदस्य उपस्थित रहे।

अनुच्छेद 86(1) के तहत राष्ट्रपति, संसद्‌ में उस समय लंबित किसी विधेयक के संबंध में संदेश या कोई अन्य संदेश, संसद्‌ के किसी सदन को भेज सकेगा और जिस सदन को कोई संदेश इस प्रकार भेजा गया है वह सदन उस संदेश द्वारा विचार करने के लिए अपेक्षित विषय पर सुविधानुसार शीघ्रता से विचार करेगा।

यहाँ दो बातें हैं;

पहली बात तो ये कि राष्ट्रपति, संसद में लंबित किसी विधेयक (Bill) के संबंध में या किसी अन्य विषय के संबंध में किसी भी सदन को संदेश भेज सकता है।

और दूसरी बात ये कि जब यह संदेश भेजा जाएगा तो जिस विषय पर उस संदेश में सदन द्वारा विचार करने की अपेक्षा की गई है। उस अपेक्षित विषय पर वह सदन सुविधानुसार जितनी जल्दी हो सके विचार करेगा।

तो यही है अनुच्छेद 86 (Article 86), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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FAQ. अनुच्छेद 86 (Article 86) क्या है?

अनुच्छेद 86 के तहत राष्ट्रपति को सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का अधिकार दिया गया है। इस अनुच्छेद के दो खंड है। जिसे समझना जरूरी है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।