यह लेख अनुच्छेद 88 (Article 88) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 88

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📜 अनुच्छेद 88 (Article 88) – Original

संसद
88. सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार — प्रत्येक मंत्री और भारत के महान्यायवादी को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी सदन में, सदनों की किसी संयुक्त बैठक में और संसद्‌ की किसी समिति में, जिसमें उसका नाम सदस्य के रूप में दिया गया है, बोले और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग ले, किन्तु इस अनुच्छेद के आधार पर वह मत देने का हकदार नहीं होगा।
—-अनुच्छेद 88 —-

Parliament
88. Rights of Ministers and Attorney-General as respects Houses.— Every Minister and the Attorney-General of India shall have the right to speak in, and otherwise to take part in the proceedings of, either House, any joint sitting of the Houses, and any committee of Parliament of which he may be named a member, but shall not by virtue of this article be entitled to vote.
Article 88

🔍 Article 88 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 88 (Article 88) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 88 – सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार

संघीय कार्यपालिका (Central Executive) के तहत अनुच्छेद 52 से लेकर 78 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के कार्यपालिका की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), उप-राष्ट्रपति (vice president), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) एवं महान्यायवादी (Attorney General) आते हैं।

अनुच्छेद 88, संघीय कार्यपालिका के मंत्रियों और महान्यायवादी (Attorney General) को सदन के संदर्भ में मिले कुछ अधिकार के बारे में है।

इस अनुच्छेद के तहत बताया गया है कि प्रत्येक मंत्री और भारत के महान्यायवादी को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी सदन में, सदनों की किसी संयुक्त बैठक में और संसद्‌ की किसी समिति में, जिसमें उसका नाम सदस्य के रूप में दिया गया है, बोले और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग ले, किन्तु इस अनुच्छेद के आधार पर वह मत देने का हकदार नहीं होगा।

कहने का अर्थ है कि प्रत्येक मंत्री (Minister) और भारत के महान्यायवादी (Attorney General);

(1) संसद के किसी भी सदन में बोल सकता है और उसकी कार्यवाहियों में भाग ले सकता है।

(2) संसद के किसी संयुक्त बैठक (Joint meeting) में बोल सकता है और उसकी कार्यवाहियों में भाग ले सकता है।

(3) संसद के किसी समिति में बोल सकता है और उसकी कार्यवाहियों में भाग ले सकता है, बशर्ते कि उसका नाम उस समिति में सदस्य के रूप में दिया गया हो।

लेकिन यहाँ याद रखने वाली बात यह कि प्रत्येक मंत्री और भारत के महान्यायवादी बोल तो सकता है और उसकी कार्यवाहियों में भाग तो ले सकता है लेकिन वह मतदान प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकता है।

तो यही है अनुच्छेद 88 (Article 88), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 88 (Article 88 ) क्या है?

अनुच्छेद 88 सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार से संबन्धित है। इसे समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।