यह लेख अनुच्छेद 89 (Article 89) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

पाठकों से अपील 🙏
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें;
⬇️⬇️⬇️
Article 89

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; सीधे टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial


📜 अनुच्छेद 89 (Article 89) – Original

संसद के अधिकारी
89. राज्य सभा का सभापति और उपसभापति — (1) भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होगा।
(2) राज्य सभा, यथाशक्य शीघ्र, अपने किसी सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी और जब-जब उपसभापति का पद रिक्त होता है तब-तब राज्य सभा किसी अन्य सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी ।
—-अनुच्छेद 89—-

Officers of Parliament
89. The Chairman and Deputy Chairman of the Council of States.—(1) The Vice- President of India shall be ex officio Chairman of the Council of States.

(2) The Council of States shall, as soon as may be, choose a member of the Council to be Deputy Chairman thereof and, so often as the office of Deputy Chairman becomes vacant, the Council shall choose another member to be Deputy Chairman thereof.
Article 89

🔍 Article 89 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 89 (Article 89) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
—————————

| अनुच्छेद 89 – राज्य सभा का सभापति और उपसभापति

राज्यसभा (Rajya Sabha) अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों को प्रतिनिधित्व देने वाला एक संस्था है। अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है।

संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)। इस संसद के दो सदन है जिसमें से निचले सदन को लोकसभा और ऊपरी सदन को राज्यसभा कहा जाता है।

इसके सदस्यों का चुनाव जनता सीधे नहीं करती है बल्कि ये लोग अप्रत्यक्ष रूप से चुनकर आते हैं। अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

जिस तरह लोकसभा के कार्य संचालन के लिए एक अध्यक्ष होता है उसी तरह से राज्यसभा के कार्य संचालन के लिए भी एक अध्यक्ष होता है जिसे सभापति कहा जाता है। [राज्यसभा↗️ के बारे में विस्तार से जानें]

और अनुच्छेद 89 के तहत राज्य सभा का सभापति और उपसभापति की व्यवस्था की गई है। जबकि अनुच्छेद 80 में राज्यसभा की संरचना के बारे में बताया गया है। अनुच्छेद 89 के दो खंड है; आइए समझें;

अनुच्छेद-80 – भारतीय संविधान

इसे भी पढ़ें

अनुच्छेद 89(1) के तहत यह बताया गया है कि भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होगा।

◾ राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी या फिर अध्यक्ष को ही सभापति (Chairman) कहा जाता है। जो भी देश का उपराष्ट्रपति बनता है वह स्वतः ही राज्यसभा का सभापति भी बन जाता है।

यानी कि लोकसभा की तरह यहाँ सदस्यों के बीच से अध्यक्ष का चुनाव नहीं किया जाता। बल्कि उप-राष्ट्रपति ही सभापति के रूप में अपनी भूमिका निभाता है। हालांकि उप-राष्ट्रपति जब राष्ट्रपति बन जाता है तब वह वह राज्यसभा के सभापति के रूप में काम नहीं करता है।

◾ राज्यसभा के सभापति भारतीय संसद में एक महत्वपूर्ण पद है। राज्यसभा भारतीय संसद का ऊपरी सदन है, जिसका अर्थ है कि राज्यसभा का सभापति उच्च सदन का पीठासीन अधिकारी होता है।

◾ सभापति राज्यसभा की कार्यवाही के संचालन और सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। सभापति दिन की कार्यवाही का एजेंडा भी तय करता है और सदस्यों को विभिन्न मुद्दों पर बोलने के लिए बुलाता है।

अनुच्छेद 89(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि राज्य सभा, जितनी जल्दी हो सके, अपने किसी सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी और जब-जब उपसभापति का पद रिक्त होता है तब-तब राज्य सभा किसी अन्य सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी।

राज्यसभा अपने सदस्यों के बीच से ही अपना उपसभापति चुनती है। जब किसी कारण से उपसभापति का स्थान रिक्त हो जाता है तो राज्यसभा के सदस्य अपने बीच से नया उप सभापति चुन लेते हैं।

अनुच्छेद-81 – भारतीय संविधान

कुछ अन्य तथ्य:

सदन में सभापति का पद खाली होने पर या सभापति की अनुपस्थिति में उप-सभापति ही सभापति के रूप में कार्य करता है। जब ऐसा होता है तो दो उसके पास सभापति की सारी शक्तियाँ आ जाती हैं।

◾ एक बात का ध्यान रखिए कि उपसभापति सभापति के अधीनस्थ नहीं होता बल्कि वह राज्यसभा के प्रति सीधे उत्तरदायी होता है।

◼ सभापति की तरह ही उपसभापति भी सदन की कार्यवाही के दौरान पहले मत नहीं दे सकता लेकिन दोनों ओर से बराबर वोट पड़ने की स्थिति में वह अपना मत दे सकता है।

◼ सभापति की ही तरह जब उसे हटाने का प्रस्ताव विचारधीन हो या वोटिंग चल रहा हो तो वह सदन की कार्यवाही में पीठासीन नहीं होता, हालांकि वह सदन में उपस्थित हो सकता है, बोल भी सकता है।

◼ जब सभापति राज्यसभा की अध्यक्षता कर रहा होता है तब उपसभापति एक साधारण सदस्य की तरह होता है। वह बोल सकता है, कार्यवाही में भाग ले सकता है तथा मतदान कि स्थिति में मत भी दे सकता है।

◼ सभापति की तरह ही उपसभापति को भी संसद द्वारा तय किया गया वेतन और भत्ता मिलता है, जिसका भुगतान भारत की संचित निधि पर भारित होता है।

तो यही है अनुच्छेद 89 (Article 89), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं। [राज्यसभा↗️ के बारे में विस्तार से जानें]

| Related Article

Hindi ArticlesEnglish Articles
अनुच्छेद 90
अनुच्छेद 88
⚫ Article 77
⚫ Article 79
—————————
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
—————————–
FAQ. अनुच्छेद 89 (Article 89) क्या है?

अनुच्छेद 89 के तहत राज्य सभा का सभापति (Chairman) और उपसभापति (Deputy Chairman) की व्यवस्था की गई है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।