यह लेख अनुच्छेद 9 (Article 9) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।
📜 अनुच्छेद 9 (Article 9) मूल संस्करण
अनुच्छेद 9 हिन्दी संस्करण |
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9. विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना – यदि किसी व्यक्ति ने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है तो वह अनुच्छेद 5 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा अथवा अनुच्छेद 6 या अनुच्छेद 8 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा। |
Article 9 English Edition |
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9. Persons voluntarily acquiring citizenship of a foreign State not to be citizens.— No person shall be a citizen of India by virtue of article 5, or be deemed to be a citizen of India by virtue of article 6 or article 8, if he has voluntarily acquired the citizenship of any foreign State. |
🔍 अनुच्छेद 9 व्याख्या
भारत के संविधान के भाग 2 में नागरिकता का वर्णन है, जिसके तहत अनुच्छेद 5 से 11 तक कुल 7 अनुच्छेद आते है। संविधान में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करने वाली कोई स्थायी विधि नहीं है। बल्कि अनुच्छेद 11 के तहत यह संसद पर छोड़ दिया गया कि वह इस संबंध में उचित स्थायी कानून बनाए। और संसद ने इसी को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से साल 1955 में नागरिकता अधिनियम अधिनियमित किया।
लेकिन जब तक यह कानून नहीं बना था तब तक किसे भारत का नागरिक माना जाएगा और किसे नहीं,हीं इसी का उल्लेख अनुच्छेद 5 से लेकर 11 तक किया गया है। और इसी के तहत इस लेख में हम अनुच्छेद 9 को समझने वाले हैं।
| अनुच्छेद 9 – विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का भारत का नागरिक न होना
वह व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा जो स्वेच्छा से किसी और देश का नागरिकता ग्रहण कर लेता हो। कहने का अर्थ ये है कि भारत दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता है। अगर कोई व्यक्ति किसी और देश की नागरिकता ग्रहण करता है तो उसे भारत की नागरिकता से वंचित होना होगा।
जैसे कि जो व्यक्ति 1 मार्च 1947 के पश्चात पाकिस्तान प्रव्रजन कर गए और जिन्होने पाकिस्तान की नागरिकता या राष्ट्रीयता प्राप्त कर ली, वे भारत का नागरिक होने का दावा नहीं कर सकते। क्योंकि पाकिस्तान अब विदेशी राज्य है।
समझने योग्य बातें – विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने का अर्थ ये है कि 26 जनवरी 1950 के पूर्व विदेशी नागरिकता अर्जित करना। यानी कि अगर कोई व्यक्ति संविधान लागू के पहले विदेशी नागरिकता अर्जित कर ली है तो वह अनुच्छेद 5 का लाभ नहीं उठा सकता।
कहने का अर्थ ये है कि 26 जनवरी 1950 के पश्चात होने वाले प्रव्रजन के मामले अनुच्छेद 9 के तहत नहीं आते हैं बल्कि नागरिकता अधिनियम 1955 के अधीन आते हैं। और नागरिकता अधिनियम की जो धारा 9 है वो यह कहता है कि यदि कोई व्यक्ति संविधान लागू होने के पश्चात स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता को अर्जित कर लेता है तो वह भारत की नागरिकता खो देगा।
कोई व्यक्ति विदेशी नागरिकता अर्जित की है कि नहीं यह सुनिश्चित करना केंद्र सरकार के ज़िम्मेदारी है। यानी कि इसे अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में या अनुच्छेद 32 के तहत उच्चतम न्यायालय में नहीं ले जाया जा सकता है।
तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 9 (article 9), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।