यह लेख अनुच्छेद 98 (Article 98) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।
पाठकों से अपील 🙏 |
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें; |

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
📜 अनुच्छेद 98 (Article 98) – Original
संसद के अधिकारी |
---|
98. संसद का सचिवालय — (1) संसद् के प्रत्येक सदन का पृथक् सचिवीय कर्मचारिवृंद होगा: परन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह संसद के दोनों सदनों के लिए सम्मिलित पदों के सृजन को निवारित करती है। (2) संसद, विधि द्वारा, संसद के प्रत्येक सदन के सचिवीय कर्मचारिवृंद में भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेगी। (3) जब तक संसद खंड (2) के अधीन उपबंध नहीं करती है तब तक राष्ट्रपति, यथास्थिति, लोक सभा के अध्यक्ष या राज्य सभा के सभापति से परामर्श करने के पश्चात् लोक सभा के या राज्य सभा के सचिवीय कर्मचारिवृंद में भर्ती के और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा और इस प्रकार बनाए गए नियम उक्त खंड के अधीन बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए प्रभावी होंगे। |
Officers of Parliament |
---|
98. Secretariat of Parliament.—(1) Each House of Parliament shall have a separate secretarial staff: Provided that nothing in this clause shall be construed as preventing the creation of posts common to both Houses of Parliament. (2) Parliament may by law regulate the recruitment, and the conditions of service of persons appointed, to the secretarial staff of either House of Parliament. (3) Until provision is made by Parliament under clause (2), the President may, after consultation with the Speaker of the House of the People or the Chairman of the Council of States, as the case may be, make rules regulating the recruitment, and the conditions of service of persons appointed, to the secretarial staff of the House of the People or the Council of States, and any rules so made shall have effect subject to the provisions of any law made under the said clause |
🔍 Article 98 Explanation in Hindi
अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)।
संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।
तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।
कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 98 (Article 98) को समझने वाले हैं;
⚫ अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 98 – संसद का सचिवालय
अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।
इस संसद के दो सदन है जिसमें से संसद के निचले सदन को लोकसभा कहा जाता है। और ऊपरी सदन को राज्यसभा। लोक सभा के कार्य संचालन के लिए एक अध्यक्ष होता है जिसे लोक सभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) कहा जाता है।
अनुच्छेद 81 में लोक सभा की संरचना के बारे में बताया गया है। अनुच्छेद 93 के तहत लोक सभा में अध्यक्ष (Speaker) और उपाध्यक्ष (Deputy Speaker) की व्यवस्था की गई है।
लोकसभा के संचालन का काम इसी के जिम्मे होता है। लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा व उसके प्रतिनिधियों का मुखिया होता है तथा वह सदन का मुख्य प्रवक्ता होता है। [लोक सभा↗️ के बारे में विस्तार से जानें]
जिस तरह लोकसभा के कार्य संचालन के लिए एक अध्यक्ष होता है उसी तरह से राज्यसभा के कार्य संचालन के लिए भी एक अध्यक्ष होता है जिसे सभापति कहा जाता है। [राज्यसभा↗️ के बारे में विस्तार से जानें]
अनुच्छेद 80 में राज्यसभा की संरचना के बारे में बताया गया है। वहीं अनुच्छेद 89 के तहत राज्यसभा के लिए सभापति (Chairman) और उपसभापति (Deputy Chairman) की व्यवस्था की गई है।
यहाँ पर एक सवाल आपके दिमाग में आ सकता है कि माना कि राज्यसभा गुणी जनों की सभा है, बुद्धिजीवियों की सभा है पर लोकसभा में तो ज़्यादातर कम पढ़े-लिखे लोग ही आते है, कई लोग तो पहली बार ही चुनकर आते है जिन्हे न तो ज्यादा संविधान की बारीकियों का ज्ञान होता है और न ही किसी संस्थान को चलाने का तजुर्बा होता है फिर भी कितने पेशेवर तरीके से संसद चलता है। ऐसा कैसे होता है ?
ऐसा होता है सचिवालय (Secretariat) की मदद से, संसद के दोनों सदनों का अपना पृथक सचिवालय स्टाफ होता है जो बहुत ही ज्यादा पढ़े-लिखे और अपने काम में निपुण होता है।
इन दोनों सदनों के सचिवालय का मुखिया महासचिव (सेक्रेटरी जनरल) होता है। जो पर्दे के पीछे से संसद को चलाने में अपना योगदान देते हैं। और अनुच्छेद 98 इसी के बारे में है। इस अनुच्छेद के तीन खंड हैं। आइये समझें;
⚫ अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान |
अनुच्छेद 98 (1) के तहत व्यवस्था किया गया है कि संसद् के प्रत्येक सदन का पृथक् सचिवीय कर्मचारिवृंद होगा।
इस खंड की मदद से संसद के दोनों सदन के लिए अलग-अलग सचिवीय स्टाफ़ (secretarial staff) की व्यवस्था की गई है। यानि कि दोनों सदनों के लिए अलग-अलग सचिवालय की व्यवस्था की गई है (इसका क्या मतलब है इसे आगे समझाया गया है)।
यहाँ यह याद रखिए कि दोनों सदनों के लिए अलग-अलग स्टाफ़ होने का यह मतलब नहीं है कि संसद के दोनों सदनों के लिए सम्मिलित सचिवीय पद (Common Post for both Houses) नहीं हो सकते हैं;
अनुच्छेद 98 (2) के तहत संसद, विधि द्वारा, संसद के प्रत्येक सदन के सचिवीय स्टाफ़ की भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेगी।
इसके लिए संसद ने समय के साथ दोनों ही सचिवालय (लोक सभा सचिवालय और राज्य सभा सचिवालय) के लिए ढेरों नियम-कानून बनाए हैं, जिसे कि आप चाहे तो पढ़ सकते हैं;
RULES APPLICABLE TO EMPLOYEES OF THE LOK SABHA SECRETARIAT
- Lok Sabha Secretariat (Recruitment and Conditions of Service) Rules, 1955
- Lok Sabha Secretariat (Conduct) Rules, 1955
- Methods of Recruitment and Eligibility conditions for appointment to various posts in the Lok Sabha Secretariat (R&CS) Order No PDA-1156/2007 dated 21.02.2007)
- R&CS Order No PDA-1255/2011 dated 25.11.2011
- Regulation of Seniority of Officers of the Lok Sabha Secretariat R&CS Order No.PDA.1076/2003 dated 20.12.2003
- Manual on Office Procedure (English)
- R&CS Order No PDA-1241/2011 dated 04.05.2011
- Instructions And Forms Regarding ACRs/APARs.
- Recruitment Rules
RULES APPLICABLE TO EMPLOYEES OF THE RAJYA SABHA SECRETARIAT
- Rajya Sabha Secretariat (Methods of Recruitment and Qualifications for Appointment) Order, 2020 (Revised upto 30 June, 2022)
- The Rajya Sabha Secretariat (Methods Of Recruitment and Qualifications For Appointment) Order, 2017
- The Rajya Sabha Secretariat (Recruitment and Conditions of Service) Rules, 1957
अनुच्छेद 98 (3) जब तक संसद खंड (2) के अधीन उपबंध नहीं करती है तब तक राष्ट्रपति, यथास्थिति, लोक सभा के अध्यक्ष या राज्य सभा के सभापति से परामर्श करने के पश्चात् लोक सभा के या राज्य सभा के सचिवीय स्टाफ़ की भर्ती के और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा और इस प्रकार बनाए गए नियम उक्त खंड के अधीन बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए प्रभावी होंगे।
जैसा कि हमने ऊपर अनुच्छेद 98(2) के तहत समझा कि संसद को यह शक्ति दी गई है कि सचिवालय के स्टाफ़ के लिए नियम-कानून बनाए। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता तब तक राष्ट्रपति लोक सभा के या राज्य सभा के सचिवीय स्टाफ़ की भर्ती के और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा।
लेकिन यह काम राष्ट्रपति अपने मन से नहीं करेगा बल्कि अगर लोक सभा सचिवालय के लिए नियम बनाने है तो लोक सभा अध्यक्ष से परामर्श करेगा और अगर राज्य सभा के लिए नियम बनाने हैं तो राज्य सभा के सभापति से परामर्श करेगा।
और दूसरी बात ये कि इस तरह से जो भी नियम बनाए जाएँगे वो संसद द्वारा बनाए गए संबन्धित विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए ही प्रभावी होंगे।
यहाँ तक हमने मोटा-मोटी चीजों को समझ लिया है आइये अब संसदीय सचिवालय को थोड़ा विस्तार से समझते हैं;
संसदीय सचिवालय (parliamentary secretariat):
संसदीय सचिवालय एक सहायक कार्यालय है जो भारतीय संसद के कामकाज में सहायता करता है। यह एक गैर-पक्षपातपूर्ण संस्था है जो संसद के दोनों सदनों, अर्थात् लोकसभा और राज्य सभा को सचिवीय और प्रशासनिक सहायता प्रदान करती है।
◾ संसदीय सचिवालय में अधिकारियों की एक टीम शामिल होती है, जिन्हें लोकसभा के अध्यक्ष और राज्य सभा के सभापति द्वारा नियुक्त किया जाता है। सचिवालय के अधिकारी महासचिव की देखरेख में काम करते हैं, जो सचिवालय का प्रशासनिक प्रमुख होता है।
◾ संसदीय सचिवालय के कार्यों में संसद की कार्यवाही की आधिकारिक रिपोर्टों और अभिलेखों की तैयारी और प्रकाशन, अभिलेखों और दस्तावेजों का रखरखाव, प्रक्रिया के नियमों की व्याख्या, और सदन के कामकाज के संचालन में अध्यक्ष और सभापति को सहायता शामिल है।
◾ सचिवालय, संसदीय समितियों के काम में भी मदद करता है, संसद सदस्यों के लिए ब्रीफिंग सामग्री तैयार करता है, और संसदीय सत्रों और कार्यक्रमों के लिए रसद सहायता (Logistics Support) प्रदान करता है।
◾ भारतीय संसद के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए संसदीय सचिवालय एक महत्वपूर्ण संस्थान है और संसदीय कार्यवाही की अखंडता और पारदर्शिता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जैसा कि हमने ऊपर समझा अनुच्छेद 98 के तहत लोक सभा और राज्य सभा के लिए अलग-अलग सचिवालय की व्यवस्था की गई है। आइये दोनों को संक्षिप्त में समझते हैं;
लोक सभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat):
लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) एक स्वतंत्र निकाय है जो लोकसभा अध्यक्ष, के मार्गदर्शन और नियंत्रण में कार्य करता है।
◾ अपने संवैधानिक और सांविधिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन में लोक सभा के अध्यक्ष को लोक सभा के महासचिव (Secretary-General), अपर सचिव स्तर के पदाधिकारी (Additional Secretary), संयुक्त सचिव (Joint Secretary) और विभिन्न स्तरों पर सचिवालय के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
याद रखिए कि महासचिव (Secretary-General) का वेतनमान, पद और हैसियत आदि भारत सरकार में सर्वोच्च रैंक के अधिकारी यानी कैबिनेट सचिव के बराबर होता है।
◾ अपर सचिव या संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की सहायता के लिए निदेशक या उप सचिव (Director or Deputy Secretary) और समकक्ष स्तर का अधिकारी होता है।
◾ मध्य स्तर पर, अवर सचिव (Under Secretary) और समकक्ष स्तर के अधिकारियों को रखा जाता है और सबसे निचले स्तर पर कार्यकारी अधिकारी (Executive Officer) या सहायक कार्यकारी अधिकारी (Assistant Executive Officer) और समकक्ष की हैसियत से अधिकारी प्रदान किए जाते हैं।
◾ वर्तमान में, कार्यात्मक आधार पर ग्यारह सेवाओं को वर्गीकृत किया गया है, जो सदन और इसके सचिवालय की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। प्रत्येक सेवा के कार्य दूसरे के पूरक हैं और काफी विशिष्ट हैं। ये सेवाएं हैं:-
I. Legislative, Financial Committee, Executive and Administrative Service (LAFEAS)
II. Library, Reference, Research, Documentation and Information Service (LARRDIS)
III. Verbatim Reporting Service (VRS)
IV. Private Secretaries and Stenographic Service (PSSS)
V. Simultaneous Interpretation Service (SIS)
VI. Printing & Publications Service (P&PS)
VII. Editorial and Translation Service (E&T)
VIII. Parliament Security Service (PSS)
IX. Staff Car Drivers Service
X. Messengers Service
XI. Parliament Museum and Archives (PMA)
| इन सभी के कार्यों को विस्तार से समझने के लिए यह पीडीएफ़ पढ़ सकते हैं; Functioning of Lok Sabha Secretariat
राज्य सभा सचिवालय (Rajya Sabha Secretariat):
लोक सभा सचिवालय की तरह ही राज्य सभा सचिवालय भी काम करता है। राज्य सभा सचिवालय भी राज्य सभा के सभापति के समग्र मार्गदर्शन और नियंत्रण में कार्य करता है।
अपने संवैधानिक और वैधानिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन में, राज्य सभा के सभापति को महासचिव द्वारा सहायता प्रदान की जाती है, जो भारत सरकार के कैबिनेट सचिव रैंक का पद धारण करता है।
बदले में महासचिव को सचिव, अपर सचिव, संयुक्त सचिव और सचिवालय के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
बहुत पहले 1974 में संसदीय वेतन समिति की सिफारिशों के आधार पर सचिवालय को निम्नलिखित दस सेवाओं में कार्यात्मक आधार पर पुनर्गठित किया गया था, जो सदन और इसकी समितियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
(i) The Legislative, Financial, Executive and Administrative (LAFEA) Service
(ii) The Library, Reference, Research, Documentation and Information (LARRDI) Service
(iii) The Verbatim Reporting (VR) Service
(iv) The Simultaneous Interpretation Service (SIS)
(v) The Editorial and Translation (E&T) Service
(vi) The Private Secretaries and Stenographic (PSS) Service
(vii) The Printing and Publications (P&P) Service
(viii) The Parliament Security Service (PSS)
(ix) The Drivers and Despatch Riders (D&DR) Service
(x) The Messenger Service
| इन सभी के कार्यों को विस्तार से समझने के लिए यह पीडीएफ़ पढ़ सकते हैं; Functioning of Rajya Sabha Secretariat
कुल मिलाकर भारतीय संसद के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए संसदीय सचिवालय एक महत्वपूर्ण संस्थान है और संसदीय कार्यवाही की अखंडता और पारदर्शिता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह विभिन्न प्रकार के सचिवालयी गतिविधियों को अंजाम देता हैं; जैसे कि
(i) सदन के प्रभावी कामकाज के लिए सचिवीय सहायता प्रदान करना;
(ii) सदन के सदस्यों को वेतन और अन्य भत्तों का भुगतान;
(iii) सदन के सदस्यों को स्वीकार्य सुविधाएं प्रदान करना;
(iv) विभिन्न संसदीय समितियों की सेवा करना;
(v) अनुसंधान और संदर्भ सामग्री तैयार करना और विभिन्न प्रकाशन निकालना;और
(vi) सदन की दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही का रिकॉर्ड तैयार करना और प्रकाशित करना और राज्य सभा और इसकी समितियों के कामकाज के संबंध में आवश्यक अन्य प्रकाशनों को प्रकाशित करना।
तो यही है अनुच्छेद 98 (Article 98), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
| Related Article
⚫ अनुच्छेद 99 ⚫ अनुच्छेद 97 |
- https://rajyasabha.nic.in/RajyaSabhaSecretariat
- https://loksabha.nic.in/Secretariat/OfficersOfSecretariat.aspx
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका | ⚫ Constitution ⚫ Basics of Parliament ⚫ Fundamental Rights ⚫ Judiciary in India ⚫ Executive in India |
अनुच्छेद 98 के तहत संसदीय सचिवालय (Parliamentary secretariat) की व्यवस्था की गई है, ये दोनों सदनों के लिए होती है। जो कि पृष्ठभूमि में रहकर संसद को सुचारु ढंग से चलाने में मदद करता है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |