कभी सोचा है कि सांसदों को जो आवास आवंटित होता है उसका नियमन (Regulation) कौन करता है, इस तरह के ढेरों ऐसे विषय है जिसको कि मंत्रिमंडलीय समितियां (Cabinet Committee) देखती है।
दरअसल इसका गठन ही सरकार के कामों की अधिकता को कम करने के लिए किया जाता है। ये ढेरों महत्वपूर्ण काम करती है।
इस लेख में हम मंत्रिमंडलीय समितियां (Cabinet Committees) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे, एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने की कोशिश करेंगे।
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मंत्रिपरिषद क्या है?
चूंकि प्रधानमंत्री, अकेले सारा काम नहीं कर सकता है इसीलिए उसे ऐसे लोगों की जरूरत होती है जो उसके एजेंडे के अनुसार काम करें।
प्रधानमंत्री बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है और उसे घोषणा पत्र में जनता से किए गए वादे को पूरा करना होता है इसीलिए उसके पास ये शक्ति दी गई है कि वे ऐसे लोगों का एक समूह बनाए जो सदन का सदस्य हो उसके विचारों से सहमति रखता हो। इसे ही मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार, राष्ट्रपति को सलाह एवं सहायता देने के लिए एक मंत्रिपरिषद का गठन किया जाएगा जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा। यहीं बातें राज्य के लिए अनुच्छेद 163 में लिखा हुआ है।
इसी तरह अनुच्छेद 75 में लिखा हुआ है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेंगे और प्रधानमंत्री जिन व्यक्तियों को चुनेंगे उसे राष्ट्रपति मंत्री पद के लिए नियुक्त करेंगे। यहीं बात राज्य के लिए अनुच्छेद 164 में लिखी हुई है।
इसकी संख्या फिक्स है कि ये लोकसभा के कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। यानी कि केंद्र में मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या 80-81 हो सकता है। इसी 80-81 में से कुछ लोग कैबिनेट मंत्री होते हैं, कुछ लोग राज्य मंत्री होते हैं और उपमंत्री होते हैं।
मंत्रिमंडल क्या है? (What is a cabinet?)
जैसे कि अभी हमने ऊपर देखा कैबिनेट या मंत्रिमंडल, मंत्रिपरिषद का ही एक भाग होता है। जिसमें आमतौर पर मंत्रिपरिषद के मुक़ाबले एक तिहाई सदस्य होता है लेकिन इनके पास सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय होता है जैसे कि गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, कृषि मंत्रालय आदि।
मंत्रिपरिषद तो शुरू से ही संविधान का हिस्सा रहा है लेकिन मंत्रिमंडल को 44वें संविधान संशोधन अधिनियम 1978 के तहत संविधान में डाला गया।
मंत्रिमंडल या कैबिनेट धीरे-धीरे इतना सशक्त हो गया कि ये वास्तविक रूप में मंत्रिपरिषद की शक्तियों का प्रयोग करने लगी और उसके लिए कार्य भी करने लगी। दूसरे शब्दों में कहें तो ये मंत्रिपरिषद को राजनैतिक निर्णय लेकर निर्देश देती है तथा ये निर्देश सभी मंत्रियों पर बाध्यकारी होते हैं।
ज्यादा जानकारी के लिए मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में अंतरों↗️ को समझें
इससब के बावजूद भी काम की अधिकता इतनी ज्यादा होती है कि सिर्फ मंत्रिपरिषद या मंत्रिमंडल से काम नहीं चलता है, बल्कि कुछ विशेष कामों को करने के लिए अलग से समिति बनानी पड़ती है जिसे मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee) कहा जाता है।
मंत्रिमंडलीय समितियां (Cabinet committee)
जैसा कि अभी ऊपर हमने पढ़ा, मंत्रिमंडलीय समिति एक विशेष प्रकार की समिति है जिसे कुछ खास प्रकार के कामों को करने के लिए बनाया जाता है।
ये समितियां मंत्रिमंडल (cabinet) के कार्य की अधिकता को तो कम करता ही है साथ ही साथ प्रभावकारी समन्वय स्थापित करने के लिए ये नीतिगत मुद्दों का गहन अध्ययन भी करता है। वैसे इसका उल्लेख कहीं संविधान में नहीं किया गया है इसीलिए ये एक गैर-संवैधानिक या संविधानेत्तर (unconstitutional or extraconstitutional) समिति है।
◾ ये समिति श्रम और प्रतिनिधिमंडल के विभाजन के सिद्धांतों पर आधारित होता है जो कि जरूरी मुद्दों का हल तलाशती है एवं मंत्रिमंडल के विचार के लिए प्रस्ताव बनाती है और उसपर निर्णय भी लेती है। हालांकि मंत्रिमंडल इनके लिए गए निर्णयों की समीक्षा कर सकता है और उसमें जरूरी बदलाव भी कर सकता है।
◾ इन समितियों को प्रधानमंत्री द्वारा समय की जरूरत तथा परिस्थिति की मांग के अनुसार गठित की जाती है एवं इसकी सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं होती है। आमतौर पर इसके सदस्यों की संख्या 3 से 8 तक होता है जो कि समान्यतः कैबिनेट मंत्री होते हैं हालांकि गैर-कैबिनेट मंत्री भी इसके सदस्य हो सकते हैं।
ज़्यादातर समितियों के प्रमुख प्रधानमंत्री होते है कुछेक के प्रमुख गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री भी होते हैं। यदि किसी समिति में प्रधानमंत्री सदस्य हो, तो उसकी अध्यक्षता वही करते हैं।
◾ ये समितियां दो प्रकार की होती हैं- स्थायी (Permanent) तथा तदर्थ (Ad hoc)। स्थायी समितियां स्थायी प्रकृति की होती है जबकि तदर्थ समितियां अस्थायी प्रकृति की। तदर्थ समितियों का गठन समय-समय पर विशेष समस्याओं को सुलझाने के लिए किया जाता है। प्रयोजन पूरा होते ही इन्हे विघटित कर दिया जाता है।
मंत्रिमंडलीय समितियों की सूची (List of cabinet committees)
2013 में UPA यानी कि काँग्रेस सरकार के समय निम्नलिखित 10 समितियां अस्तित्व में थी।
1. आर्थिक मामलों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
2. कीमतों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति*
3. राजनीतिक मामलों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
4. मंत्रिमंडल की नियुक्त समिति
5. सुरक्षा के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
6. विश्व व्यापार संगठन के मामलों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति*
7. निवेश के लिए मंत्रिमंडलीय समिति*
8. UIDAI के लिए मंत्रिमंडलीय समिति*
9. संसदीय मामलों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
10. आवास के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
NDA यानी कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में 10 जून 2014 को मंत्रिमंडल की 4* स्थायी समितियों की समाप्त कर दी गई, इस प्रकार सिर्फ 6 मंत्रिमंडलीय समितियां बची –
1. राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (cabinet committee on political affairs)
2. आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (cabinet committee on economic affairs)
3. मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet)
4. सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (cabinet committee on security)
5. संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Parliamentary Affairs)
6. आवास के लिए मंत्रिमंडलीय समिति (cabinet committee on housing)।
इसमें दो मंत्रिमंडलीय समितियां नयी बनाई गई है जिसे कि आप आगे समझेंगे;
वर्तमान मंत्रिमंडलीय समितियां (Current cabinet committees)
वर्तमान समय की बात करें तो अभी कुल 8 मंत्रिमंडलीय समितियां कार्यरत हैं। जो कि निम्न है।
1. राजनीतिक मामलों की समिति (Political affairs committee) – नीतिगत फैसले लेने वाली ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण समिति है जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
ये केन्द्र और राज्य से संबंधित मुद्दों पर तो फैसला करती ही है इसके अलावा ये विदेशी मामलों से संबंधित उन नीतिगत मुद्दों पर निर्णय लेती है जो सीधे तौर पर आंतरिक या बाहरी सुरक्षा से जुड़े नहीं होते हैं।
वास्तव में कैबिनेट मंत्रियों की यह समिति ही तय करती है कि सरकार किन मुद्दों पर ज्यादा फोकस करेगी और किन नीतियों को अपनाते हुए आगे बढ़ेगी।
2. आर्थिक मामलों की समिति (Economic affairs committee) – ये भी एक महत्वपूर्ण समिति है जो आर्थिक क्षेत्र की सरकारी गतिविधियों को निर्देशित करती है तथा उनमें समन्वय स्थापित करने का काम करती है।
विनिवेश (disinvestment) का मामला हो या फिर संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों से संबन्धित मामला, आयात-निर्यात से संबन्धित मामला हो या महंगाई एवं कीमतों की निगरानी संबंधी मामला; इस सब पर विचार-विमर्श और निर्णय इसी समिति द्वारा लिया जाता है। इसकी अध्यक्षता अभी प्रधानमंत्री कर रहें हैं।
3. नियुक्ति समिति (Appointment committee) – ये समिति केन्द्रीय सचिवालय, लोक उद्यमों, बैंक तथा वित्तीय संस्थाओं में सभी उच्च पदों पर नियुक्तियों के संबंध में निर्णय लेती है।
कैबिनेट सचिव से लेकर भारत सरकार के छोटे-बड़े अधिकारियों की नियुक्ति और सेवा विस्तार का फैसला मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ही करती है।
सरकार के तमाम मंत्रालयों में अधिकारियों की नियुक्ति, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, एयर इंडिया के सीएमडी, भारत सरकार से जुड़े तमाम सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (Public Sector Undertakings) के अध्यक्ष की नियुक्ति भी इस समिति की सहमति के बाद ही होती है। इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री स्वयं करते हैं।
4. संसदीय कार्यों की समिति (Parliamentary affairs committee) – ये संसद में सरकार की भूमिका एवं कार्यों को देखती है।
यह समिति संसद सत्र की तारीखों का फैसला करती है, सदनों की बैठक बुलाने या स्थगित करने के प्रस्ताव पर विचार करती है एवं राज्यों विधानमंडलों द्वारा पारित ऐसे विधेयक जिनका संबंध संसद से होता है; पर विचार-विमर्श भी करती है।
इसके अलावा यह विधेयक, बजट, बजट से जुड़ी अनुदान मांगो और विभिन्न प्रस्तावों पर सरकार की तरफ से फैसला भी करती है और लगातार इसकी निगरानी भी करती है। इसकी अध्यक्षता अभी रक्षा मंत्री कर रहें है।
5. सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Security) – यह समिति देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की स्थिति पर विचार विमर्श करता है और महत्वपूर्ण फैसले लेता है।
देश के अंदर की कानून-व्यवस्था, बाहरी सुरक्षा से जुड़े विदेश मामले, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से जुड़े आर्थिक और राजनीतिक मामले, परमाणु ऊर्जा से संबंधित सभी मामले इसी समिति के दायरे में आता है। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
6. निवेश और संवृद्धि के लिए मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee for Investment and Growth) – ये नयी बनी समिति है जो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विस्तार, विलय (मर्जर), निवेश, विनिवेश या बंद करने जैसे फैसले लेती है। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
7. रोजगार तथा कौशल विकास पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Employment and Skill Development) – ये भी नयी बनी समिति है जो देश में बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए युवाओं के कौशल को निखारने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने को लेकर नीतिगत फैसले करती है। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री कर रहे हैं।
8. आवास पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Housing) – ये समिति संसद के सदस्यों को आवंटित किए जाने वाले आवासों के बारे में निर्देशों, नियमों और शर्तों का निर्धारण करता है, इसी के आधार पर सांसदों को उनकी वरिष्ठता और विभिन्न कैटेगरी के आधार पर आवास का आवंटन होता है। इसकी अध्यक्षता अभी गृह मंत्री द्वारा किया जा रहा है।
⏫ इन समितियों के अध्यक्षों के अलावा अन्य सदस्यों को जानने के लिए प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की इस रिपोर्ट को पढ़ें।
कुल मिलाकर यही हैं मंत्रिमंडलीय समितियां, पर NDA सरकार से पहले मंत्री समूह और शक्ति सम्पन्न मंत्री समूह भी इसी के साथ चल रहा था जो कि एनडीए सरकार द्वारा खत्म कर दिया गया………..
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मंत्री समूह और शक्ति सम्पन्न मंत्री-समूह (Group of Ministers and Empowered Group of Ministers)
मंत्रिमंडलीय समितियों के अतिरिक्त विभिन्न मुद्दों, विषयों को देखने के लिए कुछ मंत्री-समूहों और कुछ शक्ति सम्पन्न मंत्री समूहों का भी गठन किया जाता रहा है। जिसमें से कुछ मंत्री समूहों को मंत्रिमंडल की ओर से निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त था जबकि शेष समूह अपनी अनुशंसाएँ मंत्रिमंडल को भेजा करते थे।
जैसे कि 2013 में 21 मंत्री समूह और 6 शक्ति सम्पन्न मंत्री समूह अस्तित्व में थे। लेकिन 2014 में मोदी सरकार ने इस सब को समाप्त कर दिया। इस सब का काम अब विभिन्न मंत्रालयों के अधीन हो रहा है।
इसे खत्म करने के पीछे एक कारण द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2005-09) का मंत्री-समूहों के कामकाज पर की गई कुछ टिप्पणियाँ भी थी।
जैसे कि आयोग ने कहा था कि बड़ी संख्या में मंत्री-समूह के गठन से काम में अनावश्यक देरी हो जाता है। वे नियमित रूप से एकत्रित नहीं हो पाते हैं और उनके बीच समन्वयता खत्म हो जाती है।
आयोग ने इसके लिए चयनात्मक उपयोग पर बल दिया। जितना जरूरत हो उतना ही मंत्री-समूह गठित किया जाये। समाप्त किए गए मंत्री समूह और शक्ति सम्पन्न मंत्री समूह की लिस्ट दी गई है आप चाहे तो देख सकते हैं।
2013 में निम्नलिखित 21 मंत्रिसमूह अस्तित्व में थे –
1. जल प्रबंधन की समेकित रणनीति के विकास के लिए मंत्री समूह
2. प्रशासनिक सुधार आयोग के प्रतिवेदनों पर विचार के लिए मंत्री-समूह
3. नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए मंत्री समूह
4. राष्ट्रीय औषधि नीति, 2006 के लिए मंत्री समूह
5. ऊर्जा क्षेत्र के मामलों के लिए मंत्री समूह
6. प्रसार भारती के संचालन से संबन्धित विविध विषयों के लिए मंत्री-समूह
7. भोपाल गैस लीक आपदा से संबन्धित मंत्री-समूह
8. भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए उपाय सुझाने के लिए मंत्री-समूह
9. कोयला खनन तथा अन्य विकास परियोजना से संबन्धित पर्यावरणीय एवं विकास संबंधी विषयों के लिए मंत्री-समूह
10. मीडिया के लिए मंत्री-समूह
11. राष्ट्रमंडल खेल, 2010 के प्रतिवेदन पर विचार करने एवं अनुशंसा करने के लिए मंत्री-समूह
12. कोयला क्षेत्र के लिए विनियमन के संबंध में मंत्री-समूह
13. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि तथा राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के लिए मंत्री समूह
14. भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास तथा पुनर्स्थापन विधेयक 2011 में संशोधन पर विचार के लिए मंत्री-समूह
15. पहले से विद्यमान यूरिया इकाइयों को नयी दर योजना NPS के चरण 3 से अधिक करने के लिए नीति निर्धारण हेतु गठित मंत्री-समूह
16. राष्ट्रीय कौशल विकास प्राधिकरण गठित हेतु मंत्री-समूह
17. देश भर में 18 वर्ष या अधिक उम्र के निवासियों के लिय पहचान पत्र जारी करने के लिए मंत्री-समूह
18. केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों में सुधार के लिए विशेषज्ञों की नामसूची की अनुशंसाओं पर मंत्री-समूह
19. अर्ध-सरकारी न्यायाधिकरणों, आयोगों, नियामक निकायों आदि के अध्यक्षों तथा सदस्यों की एक समान सेवा शर्तों को लागू करने पर विधार करने के लिए मंत्री-समूह।
20. भारतीय राजस्व सेवा तथा अन्य सहायक प्रणालियों पर विचार एवं सुझाव के लिए मंत्री- समूह
21. भारत संचार निगम लिमिटेड तथा महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड को पुनर्जीवित करने संबन्धित मामलों को देखने के लिए मंत्री समूह।
2013 में निम्नलिखित 6 शक्ति सम्पन्न मंत्री-समूह (Empowered Groups of Ministers) कार्यरत थे:
1. सभी केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के शेयर मूल्य-पट्टी (Price band) तथा उनकी बिक्री के अंतिम मूल्य के निर्धारण के लिए शक्ति सम्पन्न मंत्री-समूह।
2. गैस के मूल्य निर्धारण तथा गैस के व्यावसायिक उपयोग पर विचार के लिए शक्ति सम्पन्न मंत्री-समूह
3. अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट्स के लिए शक्ति सम्पन्न मंत्री-समूह।
4. मास रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (MRTS) के लिए शक्ति सम्पन्न मंत्री-समूह।
5. स्पेक्ट्रम खाली करने (vacation of spectrum) तथा 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए तथा 22 सेवा क्षेत्रों में अनुज्ञप्ति लाइसेन्स प्रदान करने तथा 2जी बैंड में स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले देखने के लिए शक्ति सम्पन्न मंत्री-समूह।
6. सूखे (drought) पर शक्ति सम्पन्न मंत्री-समूह।
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मंत्रिमंडलीय समितियां प्रैक्टिस क्विज यूपीएससी
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क्यों बनाई जाती हैं मंत्रिमंडलीय समितियां? क्या होते हैं इनके अधिकार ?↗️
Reconstitution of Cabinet Committees- 2019-revised – प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो