Barcode बहुत पहले से चलन में है आज भी हरेक प्रॉडक्ट पर Barcode छपा होता है। वहीं QRcod, डिजिटल पेमेंट सिस्टम के चलन में आने के बाद फ़ेमस हुआ। और FasTag परिवहन की दिशा में एक नया प्रयोग है जो की भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया है।
इस लेख में हम Barcode, QRcode and FasTag पर चर्चा करेंगे, एवं इसके विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे, तो लेख को अंत तक जरूर पढ़ें;

Barcode क्या है?
बार कोड मोटे तौर पर किसी वस्तु के बारे में जानकारी देनेवाले डेटा का मशीन से पढ़े जाने लायक ऑप्टिकल विवरण होता है। आसान भाषा में कहें तो ये कुछ नंबरों को स्टोर करके रखता है जिस नंबर में प्रॉडक्ट की जानकारी होती है।
बारकोड में बहुत सारी ब्लैक एंड व्हाइट समांतर रखायें होती है। हर रेखा को उसकी मोटाई और उसके बीच के गैप के अनुसार नंबर निर्धारित कर दिये जाते है। जैसे कि आप नीचे तस्वीरों में देख सकते हैं।

ऑप्टिकल स्कैनर रेखाओं की मोटाई को पढ़ कर ये समझ लेता है कि ये कौन सा नंबर है तथा प्रॉडक्ट की जरूरी जानकारी जैसे कि उसकी कीमत आदि सामने स्क्रीन पर दिखा देता है।
ये वैश्विक स्तर पर काम करता है इसीलिए रेखाओं की वैल्यू सब जगह समान होती है बस कोड सभी देश का अलग-अलग होता है।
जैसे अगर कोई इंडिया की कंपनी है जो कोई सामान बनाती है तो उसका कोड 890 है।आप इसे इस तस्वीर में देख भी सकते हैं।

ये एक कंपनी द्वारा संचालित होता है। जिसका नाम है GS1, आप इसके वेबसाइट पर जाकर चेक भी कर सकते है। चेक करें । बारकोड के नीचे लिखे कोड की मदद से आप प्रॉडक्ट के बारे में आंशिक जानकारीयां भी प्राप्त कर सकते हैं।
Barcode का इतिहास
साठ के दशक में अमेरिकन रेलरोड्स की एसोसिएशन ने बार कोड का चलन शुरू किया था। इसका विकास जनरल टेलीफोन एंड एलेक्ट्रोनिक्स ने किया था।
इसके तहत इस्पात की पटरियों की पहचान के लिए उनमें रंगीन पट्टियाँ लगाई जाती थी। ये पट्टियाँ उस सामाग्री के स्वामित्व, उस उपकरण के टाइप और पहचान नंबर की जानकारी देती थी।
गाड़ी के दोनों ओर ये पट्टियाँ लगी होती थी। इन प्लेटों को यार्ड के गेट पर लगा स्कैनर पढ़ता था। तकरीबन दस साल तक इस्तेमाल में आने के बाद इसका चलन बंद कर दिया गया, क्योंकि यह व्यवस्था विश्वसनीय नहीं रही।
इसके बाद जब सुपर मार्केट में सामान के भुगतान की व्यवस्था में इस्तेमाल किया गया, तो उसमें काफी सफलता मिली। इसके बाद यह व्यवस्था दुनिया भर में चलने लगी।
पहले यह एक आयामी व्यवस्था थी, अब इनमें चतुष्कोण, पंचकोण, डॉट और अन्य ज्यामितीय संरचनाओं यानी दो आयामी व्यवस्था का इस्तेमाल भी होने लगा है।
शुरू में बारकोड को पढ़ने के लिए ऑप्टिकल स्कैनर और बारकोड रीडर आते थे, पर अब डेस्कटॉप प्रिंटरों और स्मार्टफोनों में भी इसकी व्यवस्था होने लगी है।
QR Code क्या है?
बारकोड का ही एडवांस रूप है क्यूआर कोड(QR Code) । बार कोड और क्यूआर कोड में मूल अंतर यही है कि जहां बारकोड में सिर्फ नंबर स्टोर किए जा सकते है वहीं क्यूआर कोड में नंबर के साथ टेक्स्ट मैसेज या url भी स्टोर कर सकते हैं।
बारकोड का इस्तेमाल आमतौर पर कंपनीयों द्वारा अलग-अलग प्रॉडक्ट की सूची बनाने तथा व्यापारिक सुगमता के लिए किया जाता है। वहीं क्यूआर कोड का इस्तेमाल सभी लोग अपनी जानकारी को खास तरीके से स्टोर करने और भेजने के लिए करते हैं।
आप भी चाहें तो इसे खुद बना सकते है और अपनी जानकारी को क्यूआर कोड के रूप में स्टोर कर सकते है। नीचे मैं लिंक दे रहा हूँ । यहाँ से बनाएं। जैसे कि मैंने एक QR Code बनाया है, आप इसे स्कैन कीजिये और देखिये क्या मिलता है।

Radio Frequency Identification तकनीक
21वीं सदी में रेडियो फ्रिक्वेन्सी आइडेंटिफीकेशन की शुरुआत हुई। जहां बारकोड और क्यूआर कोड में नंबर और टेक्स्ट मैसेज स्टोर किए जा सकते है वहीं रेडियो फ्रिक्वेन्सी आधारित इस सिस्टम में अपने बैंकिंग डिटेल्स आदि भी स्टोर किए जा सकते है ।
FasTag
Fastag इसी RFID यानी कि Radio Frequency Identification टेक्नोलौजी आधारित Device है; जिसे कि किसी भी पेमेंट सिस्टम से कनैक्ट किया जा सकता है
जिससे कि रुपयों के भौतिक आदान-प्रदान की जगह ऑनलाइन आदान-प्रदान संभव हो पाता है। इससे वित्तीय पारदर्शिता तो सुनिश्चित होती ही है साथ ही समय की भी बचत होती है। इसीलिए सरकार आज इसे इतनी ज्यादा प्राथमिकता दे रही है। मेट्रो कार्ड भी इसी तकनीक पर काम करती है।
FAQs
बारकोड किसे कहते है?
बार कोड मोटे तौर पर किसी वस्तु के बारे में जानकारी देनेवाले डेटा का मशीन से पढ़े जाने लायक ऑप्टिकल विवरण होता है। आसान भाषा में कहें तो ये कुछ नंबरों को स्टोर करके रखता है जिस नंबर में प्रॉडक्ट की जानकारी होती है।
बारकोड में बहुत सारी ब्लैक एंड व्हाइट समांतर रखायें होती है। हर रेखा को उसकी मोटाई और उसके बीच के गैप के अनुसार नंबर निर्धारित कर दिये जाते है।क्यूआर कोड किसे कहते हैं?
बारकोड का ही एडवांस रूप है क्यूआर कोड(QR Code) । बार कोड और क्यूआर कोड में मूल अंतर यही है कि जहां बारकोड में सिर्फ नंबर स्टोर किए जा सकते है वहीं क्यूआर कोड में नंबर के साथ टेक्स्ट मैसेज या url भी स्टोर कर सकते हैं।
FastTag किसे कहते हैं?
Fastag, RFID यानी कि Radio Frequency Identification टेक्नोलौजी आधारित Device है; जिसे कि किसी भी पेमेंट सिस्टम से कनैक्ट किया जा सकता है
जिससे कि रुपयों के भौतिक आदान-प्रदान की जगह ऑनलाइन आदान-प्रदान संभव हो पाता है। इससे वित्तीय पारदर्शिता तो सुनिश्चित होती ही है साथ ही समय की भी बचत होती है।
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