इस लेख में हम निर्वाचक मंडल (Electoral College) पर सरल एवं सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे। यह लेख एक संदर्भ लेख है जिसका इस्तेमाल आप राष्ट्रपति चुनाव को समझने में कर सकते हैं।
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भूमिका
भारत का आम चुनाव फ़र्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम के आधार पर होता है। यानि कि जो उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट लाएगा वो जीत जाएगा।
◾ फर्स्ट पास्ट द पोस्ट (FPTP) एक सरल और सीधी प्रणाली है जिसका उपयोग कई देशों में चुनाव कराने के लिए किया जाता है, भारत उसमें से एक है जहां पर सांसद, विधायक एवं स्थानीय प्रतिनिधियों का चुनाव इसी व्यवस्था से होता है।
◾ FPTP के फायदे भी हैं और इसके कुछ नुकसान भी है। फायदे ये है कि ये स्पष्ट और आम आदमी द्वारा समझने के लिहाज से सरल है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र को एक प्रतिनिधित्व मिलता है, मजबूत बहुमत वाली सरकार भी मिल जाती है।
नुकसान ये है कि आवश्यक रूप से परिणाम नहीं देता है क्योंकि ऐसा हो सकता है कि एक राजनीतिक दल बहुत कम वोटों के साथ बड़ी संख्या में सीटें जीत जाए। जिससे मतदाताओं में निराशा और असंतोष की भावना पैदा होती है। अल्पसंख्यकों और छोटे राजनीतिक दलों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है।
लेकिन राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति आदि के चुनावों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (Proportional Representation System) का इस्तेमाल किया जाता है।
PR सिस्टम का इस्तेमाल इसीलिए किया जाता है क्योंकि इसमें भाग लेने वाले मतदाता इस व्यवस्था की समझ रखते हैं और चूंकि सर्वोच्च पद पर बैठने वाले व्यक्ति का सवाल होता है तो इस व्यवस्था से यह सुनिश्चित होता है कि एक निश्चित वोट प्रतिशत लाने पर ही कोई जीत सकता है।
ज्यादा जानकारी के लिए राष्ट्रपति चुनाव और उपराष्ट्रपति चुनाव अवश्य पढ़ें;
अनुच्छेद 54 के तहत राष्ट्रपति चुनाव की रीति के बारे में बताया गया है उसी के तहत निर्वाचक मंडल का जिक्र किया गया है। इसी तरह से अनुच्छेद 66 के तहत उपराष्ट्रपति चुनाव की रीति के बारे में बताया गया है और वहाँ भी निर्वाचक मंडल का जिक्र आता है।
हालांकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का निर्वाचक मंडल अलग-अलग होता है। हम दोनों के बारे में बात करेंगे।
राष्ट्रपति चुनाव एवं निर्वाचक मंडल
अनुच्छेद 54 में निर्वाचक मंडल (Electoral College) की बात कही गयी है। निर्वाचक मंडल मतलब वो जो राष्ट्रपति को चुनेंगी। चूंकि राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष विधि से होता नहीं है इसीलिए निर्वाचक मंडल (Electoral College) की व्यवस्था की गयी है।
राष्ट्रपति का निर्वाचक मंडल (Electoral College) निम्नलिखित लोगों से बना होता है:
- राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य (भारत की संसद का ऊपरी सदन);
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य (भारत की संसद का निचला सदन);
- प्रत्येक राज्य की विधान सभा के निर्वाचित सदस्य (राज्य विधानमंडल का निचला सदन); और
- विधान सभा वाले प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के निर्वाचित सदस्य (अर्थात दिल्ली और पुडुचेरी) [(जम्मू और कश्मीर को भी इसी में शामिल जाएगा जब तक कि उसे पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दे दिया जाता)]।
राज्य विधान सभाओं और संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा डाले गए वोटों का मूल्य भारत के संविधान के अनुच्छेद 55(2) के प्रावधानों द्वारा निर्धारित किया जाता है। ये व्यवस्था इसीलिए किया गया है ताकि सभी राज्यों के वोट वैल्यू समान रहे और राज्य एवं केंद्र के वोट वैल्यू भी समान रहे।
◼ अनुच्छेद 55(2) में आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार वोट वैल्यू के कैलक्युलेशन विधि को बताया गया है;
आनुपातिक प्रतिनिधित्व के तहत राष्ट्रपति चुनाव में यह सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन में राज्यों का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो।
यानी कि राज्य के जितने भी विधायक है, उनके वोट का वैल्यू एक समान हो। और साथ ही साथ राज्य और केंद्र के सांसदों का भी वोट मूल्य एक समान हो। वोट का मूल्य एक समान होने का क्या मतलब है ये आगे समझते हैं।
चूंकि एक निर्वाचित विधायक निर्वाचक मंडल का सदस्य होता है तो सबसे पहले एक विधायक का वोट मूल्य निकाला जाता है। इसका एक फॉर्मूला है जिसे आप नीचे देख सकते हैं;
एक विधायक (MLA) का मत मूल्य कैसे निकाला जाता है?

◾ अब यहाँ पर ये बात ध्यान रखिए कि 84वें संविधान संशोधन के तहत किसी भी राज्य की जनसंसख्या 1971 वाला इस्तेमाल किया जाता है। करेंट वाला नहीं और 2026 तक इसका उपयोग जारी रहेगा। ऐसा क्यों किया जाता है?
इसके पीछे की कहानी ये है कि दक्षिण भारतीय राज्यों ने आजादी के बाद जनसंख्या पर नियंत्रण रखने में काफी कामयाबी हासिल की। लेकिन उत्तर भारतीय राज्यों ने जनसंख्या कम करने के बजाए दुगुनी-तिगुनी गति से उसे बढ़ने दिया।
दक्षिण भारतीय राज्यों की चिंता ये थी कि अगर आज के जनसंख्या के हिसाब से वोट वैल्यू निकाले तो उत्तर भारतीय राज्यों की वोट वैल्यू इतनी हो जाएगी कि वो खुद अपने दम पर ही राष्ट्रपति को चुन लेंगी। जो कि सही भी है।
◾ इसे केरल और बिहार के उदाहरण से समझिए। 1971 के जनसंख्या के हिसाब से केरल के एक विधायक का वोट वैल्यू 152 है। वहीं बिहार के एक विधायक का वोट वैल्यू 173 है। यानी कि ज्यादा अंतर नहीं है।
अब 2011 के जनसंख्या के हिसाब से देखें तो केरल के एक विधायक का वोट वैल्यू 238 आता है। वहीं बिहार का 427 आता है। लगभग दोगुने का फर्क है। अब आप समझ रहे होंगे कि क्यों 1971 वाला जनसंख्या इस्तेमाल किया जाता है।
यानी, उनके राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में 1971 की जनगणना द्वारा निर्धारित औसत निर्वाचन क्षेत्र का आकार, 1,000 से विभाजित।
विधायकों के वोटों की संख्या इस प्रकार है:
S. No. | Name of the State/Union Territory | Number of State Legislative Assembly seats (elective) | Population (1971 Census) | Value of the vote of each MLA | Total value of votes for the State/Union Territory |
---|---|---|---|---|---|
1 | Andhra Pradesh | 175 | 27,800,586† | 159 | 27,825 |
2 | Arunachal Pradesh | 60 | 467,511 | 8 | 480 |
3 | Assam | 126 | 14,625,152 | 116 | 14,616 |
4 | Bihar | 243 | 42,126,236 | 173 | 42,039 |
5 | Chhattisgarh | 90 | 11,637,494 | 129 | 11,610 |
6 | Delhi | 70 | 4,065,698 | 58 | 4,060 |
7 | Goa | 40 | 795,120 | 20 | 800 |
8 | Gujarat | 182 | 26,697,475 | 147 | 26,754 |
9 | Haryana | 90 | 10,036,808 | 112 | 10,080 |
10 | Himachal Pradesh | 68 | 3,460,434 | 51 | 3468 |
11 | Jammu and Kashmir | 87 | 6,300,000 | 72 | 6,264 |
12 | Jharkhand | 81 | 14,227,133 | 176 | 14,256 |
13 | Karnataka | 224 | 29,299,014 | 131 | 29,344 |
14 | Kerala | 140 | 21,347,375 | 152 | 21,280 |
15 | Madhya Pradesh | 230 | 30,016,625 | 131 | 30,130 |
16 | Maharashtra | 288 | 50,412,235 | 175 | 50,400 |
17 | Manipur | 60 | 1,072,753 | 18 | 1,080 |
18 | Meghalaya | 60 | 1,011,699 | 17 | 1,020 |
19 | Mizoram | 40 | 332,390 | 8 | 320 |
20 | Nagaland | 60 | 516,499 | 9 | 540 |
21 | Odisha | 147 | 21,944,615 | 149 | 21,903 |
22 | Puducherry | 30 | 471,707 | 16 | 480 |
23 | Punjab | 117 | 13,551,060 | 116 | 13,572 |
24 | Rajasthan | 200 | 25,765,806 | 129 | 25,800 |
25 | Sikkim | 32 | 209,843 | 7 | 224 |
26 | Tamil Nadu | 234 | 41,199,168 | 176 | 41,184 |
27 | Telangana | 119 | 15,702,122† | 132 | 15,708 |
28 | Tripura | 60 | 1,556,342 | 26 | 1,560 |
29 | Uttar Pradesh | 403 | 83,849,905 | 208 | 83,824 |
30 | Uttarakhand | 70 | 4,491,239 | 64 | 4,480 |
31 | West Bengal | 294 | 44,312,011 | 151 | 44,394 |
Total | 4,120 | 549,302,005 | 549,495 |
नोट – यहाँ यह याद रखें कि इस चार्ट में जम्मू और कश्मीर के मामले में 87 विधानसभा सीटों को लिया गया है। जो कि पुनःसीमांकन के बाद बदल सकता है।
ऊपर के चार्ट के माध्यम से हम सभी राज्यों एक विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों के एक विधायक का वोट वैल्यू और सभी विधायकों के वोट वैल्यू को देख सकते हैं;
◾ इसी प्रकार से राज्य और केंद्र के मध्य वोट का अनुपात भी एक समान होना चाहिए। चूंकि संसद के दोनों सदन के निर्वाचित सदस्य इस चुनाव में भाग लेते हैं, इसीलिए उन सबके वोट का मूल्य भी सभी राज्य के विधायक से बराबर रहना चाहिए।
एक सांसद (MP) का मत मूल्य कैसे निकाला जाता है?
एक सांसद (MP) के वोट का मूल्य निकालने के लिए इस फॉर्मूला का इस्तेमाल किया जाता है;

एक सांसद के वोट के मूल्य की गणना सभी विधायकों के वोटों के कुल मूल्य को सांसदों की संख्या से विभाजित करके की जाती है। एक सांसद द्वारा प्राप्त वोटों की संख्या निर्धारित करने का सूत्र है:
कैलक्यूलेट करने पर सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य 549,495 आता है।
संसद के कुल सदस्य (निर्वाचित) = लोकसभा (543) + राज्यसभा (233) = 776
प्रत्येक वोट का मूल्य = 549,495 / 776 = 708.11 यानि कि 708
संसद के मतों का कुल मूल्य = 776 × 708 = 549,408
◾ अब आप यहाँ पर देखें तो देश के कुल विधायक का वोट वैल्यू 549,495 है, जबकि कुल सांसदों का वोट वैल्यू 549,408 है। यानी कि दोनों का अनुपात लगभग बराबर है।
अब अगर कुल सांसदों और कुल विधायकों का वोट वैल्यू जोड़ दिया जाए तो 1,098,903 आता है।
◾ याद रखिए कि निर्वाचक मंडल में जो सदस्य है उसकी संख्या 4896 ही हैं। वो कैसे? वो ऐसे कि देश में अभी कुल निर्वाचित विधायकों की संख्या 4120 है। और कुल निर्वाचित सांसदों की संख्या 776 है। दोनों को जोड़ दीजिए तो 4896 आ जाएगा और यही तो निर्वाचक मंडल (Electoral College) है जो राष्ट्रपति को चुनेंगे।
◾ अब आप समझ रहे होंगे कि निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों की संख्या 4896 है और सभी का वोट वैल्यू 1,098,903 है। अब अगर 1,098,903 में 4896 से भाग दे दें तो लगभग 224 आता है।
यानी कि निर्वाचक मंडल के जितने भी सदस्य है, उन सब के एक वोट का मूल्य 224 है। तो हो गया न सभी के वोट का मूल्य एक समान।
Elector | Total number of electors | Total value of votes |
---|---|---|
MLA (elected) | 4,120 | 549,495 |
MP (elected) | 776 | 549,408 |
Total | 4,896 | 1,098,903 |
उपराष्ट्रपति का निर्वाचक मंडल
राष्ट्रपति की तरह ही उपराष्ट्रपति का चुनाव भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। लेकिन फिर भी कुछ प्रावधानों में अंतर है, आइये समझें;
◾ राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो निर्वाचक मंडल बनता है उसमें सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही शामिल होता है। वहीं उप-राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में निर्वाचित और गैर-निर्वाचित यानी कि मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं।
◾ राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य सभा एवं लोकसभा के साथ साथ राज्य विधानसभाओं के सदस्य भी शामिल होते हैं। जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही भाग लेते हैं।
◾ दोनों सदनों के सदस्यों को मिलाकर निर्वाचक मंडल बनता है।
निर्वाचक मंडल = लोकसभा की 545 सीटें + राज्यसभा की 245 सीटें = 790 वोटर्स
◾ राष्ट्रपति की तरह ही इस चुनाव में निर्वाचक सीधे तौर पर उम्मीदवार को नहीं चुनता है बल्कि जितने भी उम्मीदवार खड़े होते हैं उसको वरीयता क्रम में रखते हैं।
◾ गहराई से समझने के लिए पढ़ें – उपराष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है?
⚫ अनुच्छेद 54 ⚫ अनुच्छेद 66 ⚫ अनुच्छेद 65 ⚫ अनुच्छेद 67 |