रा ज्यपा ल : संवैधा नि क प्रा वधा न, नि युक्तियुक्ति , इत्या दि [UPSC]
जि स तरह देश का संवैधा नि क प्रमुखमु रा ष्ट्रपति हो ता है उसी तरह रा ज्य का संवैधा नि क प्रमुखमु रा ज्यपा ल हो ता है। रा ज्य के भी तर संवि धा न को बना ए और बचा ए रखने की ज़ि म्मेदारी रा ज्यपा ल के ऊपर ही हो ती है।
इस लेख में हम रा ज्यपा ल (Governor) के सभी जरूरी पहलुओंलु ओंपर सरल और सहज चर्चा करेंगे, तो इसे अंत तक जरूर पढ़ें।
Central Council of Ministers Hindi
Cabinet Committee Hindi
Chief Minister of Indian States Hindi
President of India Hindi
रा ज्यपा ल क्या है?
भा रत एक संघी य व्यवस्था वा ला देश है या नी कि यहाँ केंद्रद् सरका र की तरह रा ज्य सरका र भी हो ता है और रा ज्य सरका र की अपनी का र्यपा लि का हो ती है।
संवि धा न के छठे भा ग में अनुच्नुछेद 152 से लेकर अनुच्नुछेद 167 तक रा ज्य में सरका र के का र्यपा लि का के बा रे में बता या गया है। रा ज्य का र्यपा लि का के मुख्मुयतः चा र भा ग हो ते है।
रा ज्यपा ल (Governor), मुख्मुयमंत्मं रीत् री (Chief Minister), मंत्रिमंत्रि परि षद (Council of Ministers) और रा ज्य के महा धि वक्ता (Advocate General of the state)।
रा ज्यपा ल_(Governor), रा ज्य का संवैधा नि क का र्यका री प्रमुखमु हो ता है, जबकि मुख्मुयमंत्मं रीत् री रा ज्य का वा स्तवि क का र्यका री प्रमुखमु हो ता है। दूसदू री बा त ये कि रा ज्यपा ल, केंद्रद् सरका र के प्रति नि धि के रूप में भी का र्य करता है। इस तरह रा ज्यपा ल दोहरी भूमिभूमिका नि भा ता है।
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◼ या द रखि ए रा ज्य में उप-रा ज्यपा ल का को ई का र्या लय नहीं हो ता जैसे कि केंद्रद् में उप-रा ष्ट्रपति हो ते हैं। रा ज्यपा ल की नि युक्तियुक्ति
इसकी नि युक्तियुक्ति की बा त करे तो ये थो ड़ा अजी ब है, क्यों कि इसकी नि युक्तियुक्ति न तो रा ष्ट्रपति की तरह हो ती है और ही ये सी धे जनता द्वा रा चुनाचुना जा ता है। बल्कि उसकी नि युक्युत रा ष्ट्रपति के मुहमुर लगे आज्ञा पत्रत् के मा ध्यम से हो ती है।
दूसदू रे शब्दों में कहें तो रा ज्यपा ल सी धे केंद्रद् सरका र द्वा रा मनो नी त हो ता है इसी लि ए ये का फी वि वा दों में भी रहता है कि केंद्रद् सरका र मनो नी त करता है तो जा हि र है केंद्रद् सरका र के हि तों के प्रति उसका झुकाझु काव रहेगा ।
हा लां कि उच्चतम न्या या लय ने 1979 में ये स्पष्ट कर दि या कि , रा ज्य मे रा ज्यपा ल केंद्रद् सरका र के अधी न रो जगा र नहीं है बल्कि यह एक स्वतंत्रत् संवैधा नि क का र्या लय है।
रा ज्यपा ल का चुनाचुनाव क्यों नहीं करवा या जा ता है?
अगर चुनाचुनाव के मा ध्यम से रा ज्यपा ल को चुनाचुना जा ये तो कम से कम उपरो क्त समस्या खत्म हो सकती है। लेकि न चुनाचुनाव के मा ध्यम से नहीं चुनचुने के कई का रण है जो खुदखु संवि धा न सभा ने बता ए है, वो क्या है आप खुदखु ही देखि ये।
◼ पहली बा त कि – रा ज्यपा ल का सी धा नि र्वा चन रा ज्य में स्था पि त संसदीय व्यवस्था की स्थि ति के प्रति कूल हो सकता है और सा थ ही इससे मुख्मुयमंत्मं रीत् री और रा ज्यपा ल के बी च संघर्ष की स्थि ति भी पैदा हो सकती है।
◼ दूसदू री बा त कि – रा ज्यपा ल का सी धा नि र्वा चन रा ज्य में आम चुनाचुनाव के समय एक गंभीगं भीर समस्या उत्पन्न कर सकता है क्यों कि सत्ता रूढ़ दल तो यही चा हेगा कि रा ज्यपा ल उसका ही आदमी हो और अगर ऐसा हो गा तो वह एक नि ष्पक्ष व नि स्वा र्थ मुखिमुखिया नहीं बन पा एगा
◼ ती सरी बा त कि – रा ज्यपा ल सि र्फ संवैधा नि क प्रमुखमु हो ता है इसी लि ए उसके नि र्वा चन के लि ए चुनाचुनाव की जटि ल व्यवस्था और भा री धन खर्च क्यों कि या जा ये।
◼ चौ थी बा त कि – रा ष्ट्रपति द्वा रा नि युक्तियुक्ति की व्यवस्था से रा ज्यों पर केंद्रद् का नि यंत्रत् ण बना रहेगा इससे देश की एकता और अखंडखं ता सुनिसुनिश्चि त हो पा एगी ।
यही वो कुछ का रण है जि सकी वजह से हमने अमेरि की मॉ डल ”जहां रा ज्य का रा ज्यपा ल सी धे चुनाचुना जा ता है” को छो ड़ दि या एव कना डा , जहां रा ज्यपा ल को केंद्रद् द्वा रा नि युक्युत कि या जा ता है, को अपना लि या ।
नि युक्युत हो ने के लि ए अर्हता एं
अनुच्नुछेद 157– रा ज्यपा ल के रूप में नि युक्युत हो ने वा ले व्यक्ति के लि ए दो अर्हता एं (Qualifications) एं नि र्धा रि त करता है।
1. उसे भा रत का ना गरि क हो ना चा हि ए
2. वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकाचु का हो ।
इसके अला वा कुछ परंपरा एँ है जो इतनी ही महत्वपूर्ण है जैसे कि –
पहला , वह उस रा ज्य से संबन्धि त न हो जहां उसे नि युक्युत कि या गया है ऐसा इसी लि ए ता कि वह स्था नी य रा जनी ति से मुक्मुत रह सके।
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दूसदू रा , जब रा ज्यपा ल की नि युक्तियुक्ति हो तब रा ष्ट्रपति के लि ए आवश्यक हो कि वह रा ज्य के मुख्मुयमंत्मं रीत् री से परा मर्श करे ता कि रा ज्य मे संवैधा नि क व्यवस्था सुनिसुनिश्चि त हो । चूंकि ये एक परंपरा है इसी लि ए कभी इसका पा लन हो ता तो कभी नहीं भी ।
पद की शर्ते
अनुच्नुछेद 158 – रा ज्यपा ल के पद की शर्तों के बा रे में है।
✅संवि धा न में रा ज्यपा ल के पद के लि ए नि म्नलि खि त शर्तों का नि र्धा रण कि या गया है –
1. उसे न तो संसद सदस्य हो ना चा हि ए और न ही वि धा नमंडमं ल का सदस्य। यदि ऐसा को ई व्यक्ति रा ज्यपा ल नि युक्युत कि या जा ता है तो उसे सदन से उस ति थि से अपना पद छो ड़ना हो गा जब से उसने रा ज्यपा ल का पद ग्रग् हण कि या है।
2. उसे कि सी ला भ के पद पर नहीं हो ना चा हि ए
3. बि ना कि सी कि रा ए के उसे रा जभवन उपलब्ध हो गा
4. वह संसद द्वा रा नि र्धा रि त सभी प्रका र की उपलब्धि यों , वि शेषा धि का र और भत्तों के लि ए अधि कृत हो गा
5. यदि वही व्यक्ति दो या अधि क रा ज्यों में बतौ र रा ज्यपा ल नि युक्युत हो ता है तो ये उपलब्धि यां और भत्ते रा ष्ट्रपति द्वा रा तय मा नकों के हि सा ब से रा ज्य मि लकर प्रदान करेंगे
6. का र्यका ल के दौरा न उनकी आर्थि क उपलब्धि यों व भत्तों को कम नहीं कि या जा सकता । रा ष्ट्रपति की तरह रा ज्यपा ल को भी अनेक वि शेषा धि का र और उन्मुक्तिमुक्ति याँ प्रा प्त है। जैसे कि – ◼ उसे अपने शा सकी य कृत्यों के लि ए वि धि क दायि त्व से नि जी उन्मुक्तिमुक्ति याँ प्रा प्त हो ती है।
◼ अपने का र्यका ल के दौरा न उसे आपरा धि क का र्यवा ही की सुनसुवा ई से उन्मुक्तिमुक्ति प्रा प्त हो ती है। उसे अपने का र्यका ल के दौरा न गि रफ्ता र कर का रा वा स में नहीं डा ला जा सकता है।
हा लां कि दो मही ने के नो टि स पर व्यक्ति गत क्रि या कला पों पर उनके वि रुद्ध ना गरि क का नूननू संबंधी का र्यवा ही प्रा रम्भ की जा सकती है।
शपथ (Oath)
अनुच्नुछेद 159 – रा ज्यपा ल_(governor) के शपथ एवं प्रति ज्ञा न के बा रे में है।
का र्यभा र ग्रग् हण करने से पहले रा ज्यपा ल सत्यनि ष्ठा की शपथ लेता है। शपथ में रा ज्यपा ल प्रति ज्ञा करता है कि – 1. नि ष्ठा पूर्वक दायि त्वों का नि र्वहन करेगा ।
2. संवि धा न और वि धि की रक्षा , संरक्षण और प्रति रक्षण करेगा
3. स्वयं को रा ज्य कि जनता के हि त व सेवा में समर्पि त करेगा ।
◼ रा ज्यपा ल को शपथ, संबन्धि त रा ज्य के उच न्या या लय के मुख्मुय न्या या धी श दि लवा ते हैं। उनकी अनुपनुस्थि ति में उपलब्ध वरि ष्ठत्तम न्या या धी श शपथ दि लवा ते हैं।
का र्यका ल (Tenure)
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अनुच्नुछेद 156 – रा ज्यपा ल_(governor) की पदावधि के बा रे में है।
समा न्यतः रा ज्यपा ल का का र्यका ल पदग्रग् हण से पाँ च वर्ष कि अवधि के लि ए हो ते हैं, कि न्तु वा स्तव मे वह रा ष्ट्रपति के प्रसा द्पर्यंत पद धा रण करता है। इसके अला वा वह कभी भी रा ष्ट्रपति को संबो धि त कर अपना त्या गपत्रत् देसकता है।
वैसे संवि धा न में ऐसी को ई वि धि नहीं है जि सके तहत रा ष्ट्रपति , रा ज्यपा ल को हटा दे। इसी लि ए जब रा ज्यपा ल को हटा ना हो ता है तो उससे सी धे त्या गपत्रत् ही मां ग लि या जा ता है। जैसे कि वी पी सिं ह के नेतृत्तृव वा ली रा ष्ट्री य मो र्चा सरका र ने 1989 में उन सभी रा ज्यपा लों से त्या गपत्रत् मां ग लि या था , जि न्हे कॉं ग्रेग् रेस सरका र द्वा रा नि युक्युत कि या गया था ।
◼ रा ष्ट्रपति , एक रा ज्यपा ल_को उसके बचे हुए का र्यका ल के लि ए कि सी दूसदू रे रा ज्य में स्था नां ति रि त कर सकता हैं। इसके अला वा अगर एक रा ज्यपा ल, जि सका का र्यका ल पूरा हो चुकाचु का है; को उसी रा ज्य या अन्य रा ज्य में दोबा रा भी नि युक्युत कि या जा सकता है।
◼ एक रा ज्यपा ल_पाँ च वर्ष के अपने का र्यका ल के बा द भी तब तक पद पर बना रह सकता है जब तक कि उसका उत्तरा धि का री का र्य ग्रग् हण न कर ले। इसके पी छे यह तर्क है कि रा ज्य में अनि वा र्य रूप से एक रा ज्यपा ल रहना चा हि ए ता कि रि क्तता की को ई स्थि ति पैदा न हो ने पा ए।
◼ रा ष्ट्रपति को जब ऐसा लगता है कि को ई ऐसी परि स्थि ति आ गई है जि सका संवि धा न में उल्लेख नहीं है तो वह रा ज्यपा ल के का र्यों के नि र्वहन के लि ए उपबंध बना सकता है, जैसे कि – वर्तमा न रा ज्यपा ल का अगर नि धन हो जा ये तो ऐसी परि स्थि ति में संबन्धि त रा ज्य के उच्च न्या या लय के मुख्मुय न्या या धी श को अस्था यी तौ र पर रा ज्यपा ल का का र्यभा र सौ पा जा सकता है।
रा ज्यपा ल की संवैसं वैधा नि क स्थि ति
समा न्यतः प्रत्येक रा ज्य के लि ए एक रा ज्यपा ल_(governor) हो ता है, लेकि न सा तवें संवि धा न संशो धन अधि नि यम 1956 के अनुसानु सार एक ही व्यक्ति को दो या अधि क रा ज्यों का रा ज्यपा ल भी नि युक्युत कि या जा सकता है। जैसा कि हमने ऊपर भी चर्चा कि या है कि रा ज्यपा ल को ना ममा त्रत् का का र्यका री बना या गया है, वा स्तवि क का र्यका री तो मुख्मुयमंत्मं रीत् री और मंत्रिमंत्रि परि षद ही हो ता है। इस संबंध में ती न अनुच्नुछेद महत्वपूर्ण है।
1. अनुच्नुछेद 154 – ये कहता है कि – रा ज्य की का र्यका री शक्ति याँ रा ज्यपा ल_में नि हि त हो गी । या नी कि सभी का र्यका री का र्य रा ज्यपा ल के ना म पर कि ए जा एँगेएँगे।
2. अनुच्नुछेद 163 – अपने वि वेका धि का र वा ले का र्यों के अला वा अपने अन्य का र्यों को करने के लि ए रा ज्यपा ल को मुख्मुयमंत्मं रीत् री के नेतृत्तृव वा ली मंत्रिमंत्रि परि षद से सला ह लेनी हो गी ।
3. अनुच्नुछेद 164 – रा ज्य मंत्रिमंत्रि परि षद की वि धा नमंडमं ल के प्रति सा मूहिमूहिक उत्तरदायि त्व हो गी । यह उपबंध रा ज्य में रा ज्यपा ल की संवैधा नि क बुनिबुनिया द के रूप में है।
यहाँ पर कुछ बा त ध्या न रखि ए कि –
◼ संवि धा न में इस बा त की कल्पना की गयी थी कि रा ज्यपा ल अपने वि वेक के आधा र पर कुछ स्थि ति यों में का म करें, जबकि रा ष्ट्रपति के मा मले में ऐसी कल्पना नहीं की गयी ।
संवि धा न ने स्पष्ट कि या है कि यदि रा ज्यपा ल के वि वेका धि का र पर को ई प्रश्न उठे तो रा ज्यपा ल का नि र्णय अन्तरि म एवं वैध हो गा , इस संबंध में इस आधा र पर प्रश्न नहीं उठा या जा सकता कि उसे वि वेका नुसानु सार नि र्णय लेने का अधि का र था या नहीं ।हीं
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✅रा ज्यपा ल_के संवैधा नि क वि वेका धि का र नि म्नलि खि त मा मलों में हैं –
1. रा ष्ट्रपति के वि चा रा र्थ कि सी वि धेयक को आरक्षि त करना
2. रा ज्य में रा ष्ट्रपति शा सन की सि फ़ा रि श करना
3. पड़ो सी केंद्रद्शा सि त रा ज्य में (अति रि क्त प्रभा र की स्थि ति में) बतौ र प्रशा सक के रूप में का र्य करते समय
4. असम, मेघा लय, त्रि पुरापुरा और मि ज़ो रम के रा ज्यपा ल द्वा रा खनि ज उत्खनन की रॉ यल्टी के रूप में जनजा ती य जि ला परि षद को देय रा शि का नि र्धा रण
5. रा ज्य के वि धा नपरि षद एवं प्रशा सनि क मा मलों में मुख्मुयमंत्मं रीत् री से जा नका री प्रा प्त करना । ✅रा ज्यपा ल_के पा स रा ष्ट्रपति की ही तरह ही परि स्थि ति जन्य नि र्णय लेने का भी अधि का र हो ता है। जैसे कि –
1. वि धा न सभा चुनाचुनाव में कि सी भी दल को पूर्ण बहुमत न मि लने की स्थि ति में या का र्यका ल के दौरा न अचा नक मुख्मुयमंत्मं रीत् री का नि धन हो जा ने एवं उसके नि श्चि त उत्तरा धि का री न हो ने पर मुख्मुयमंत्मं रीत् री की नि युक्तियुक्ति के मा मले में।
2. रा ज्य वि धा नसभा में वि श्वा स मत हा सि ल न करने पर बर्खा स्तगी के मा मले में।
3. मंत्रिमंत्रि परि षद के अल्पमत में आने पर रा ज्य वि धा नसभा को वि घटि त करना ।
◼ 42वें संवि धा न संशो धन 1976 के बा द रा ष्ट्रपति के लि ए मंत्रिमंत्रि यों की सला ह की बा ध्यता तय कर दी गयी , जबकि रा ज्यपा ल के संबंध में इस तरह का को ई उपबंध नहीं है।
वि वेका धि का र के बा रे में वि स्ता र से समझें; Discretionary Powers of President & Governor in Hindi
⏫लेख ज्या दा बड़ा हो जा एगा इसि लि ए रा ज्यपा ल_(governor) की शक्ति यों के बा रे में अगले लेख में बा त करेंगे। उसे अभी पढ़ने के लि ए ↗️यहाँ क्लि क करें।
समा पन तथ्य
भा रत में, रा ज्यपा ल की भूमिभूमिका मुख्मुय रूप से एक औपचा रि क है, लेकि न उनके कुछ महत्वपूर्ण संवैधा नि क उत्तरदायि त्व हैं। भा रत में रा ज्यपा लों के बा रे में कुछ तथ्य इस प्रका र हैं:
◾ रा ज्यपा ल रा ज्य का प्रमुखमु हो ता है और रा ज्य में भा रत के रा ष्ट्रपति का प्रति नि धि त्व करता है। रा ज्यपा ल की नि युक्तियुक्ति भा रत के रा ष्ट्रपति द्वा रा पां च वर्ष की अवधि के लि ए की जा ती है।
◾ रा ज्यपा ल को प्रधा नमंत्मं रीत् री की सला ह पर भा रत के रा ष्ट्रपति द्वा रा पद से हटा या जा सकता है। रा ज्यपा ल के पा स रा ज्य वि धा नमंडमं ल को आहूत करने, सत्रात् रावसा न करने और भंगभं करने की शक्ति है।
◾रा ज्यपा ल के पा स मुख्मुयमंत्मं रीत् री की सला ह पर रा ज्य में मुख्मुयमंत्मं रीत् री और अन्य मंत्रिमंत्रि यों को नि युक्युत करने की शक्ति है।
◾रा ज्यपा ल रा ज्य वि श्ववि द्या लयों का कुला धि पति हो ता है और उसके पा स वि श्ववि द्या लय के कुलपति और अन्य अधि का रि यों को नि युक्युत करने की शक्ति हो ती है।
◾रा ज्यपा ल के पा स कि सी भी का नूननू के खि ला फ कि सी भी का नूननू के खि ला फ कि सी भी अपरा ध के लि ए दोषी ठहरा ए गए कि सी भी व्यक्ति की सजा को रा हत, या छूट देने या नि लंबि त करने, परि हा र करने या कम करने की शक्ति है, जि सके लि ए रा ज्य की का र्यका री शक्ति का वि स्ता र हो ता है।
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◾ रा ज्यपा ल के पा स रा ज्य की शां ति , प्रगति और सुशासुशासन के लि ए नि यम बना ने की भी शक्ति है। रा ज्यपा ल को मंत्रिमंत्रि परि षद द्वा रा सहा यता प्रदान की जा ती है, जो रा ज्य वि धा नमंडमं ल के प्रति उत्तरदायी हो ती है।
रा ज्यपा ल को पद ग्रग् हण करने से पहले पद और गो पनी यता की शपथ लेनी हो ती है। कुल मि ला कर, रा ज्यपा ल भा रत में केंद्रद् और रा ज्यों के बी च संवैधा नि क संतुलतु न बना ए रखने में महत्वपूर्ण भूमिभूमिका नि भा ता है।