इस लेख में हम एक हास्य-व्यंग्य (hasya vyang) साझा कर रहें है। पर इससे पहले आप जनसंख्या समस्या वाला लेख जरूर पढ़ें। तब ये पढ़ने में मजा आएगा।
Hasya Vyang – बढ़ती आबादी
देश की बढ़ती आबादी
आबादी है कि बरबादी
इसका एक बहुत बड़ा कारण है – शादी
जिसे करके सभी रोते हैं
और 98 प्रतिशत बच्चा तो
इसी शादी के कारण पैदा होते है।
फिर क्या है इस समस्या का निवारण
आबादी बढ़ने के तो और भी हैं कारण
खूब सोचा खूब विचारा
तो मुझे याद आया
पंडित नेहरू जी का अमर नारा –
आराम हराम है…
जिसे देश की जनता ने ज्यादा ही सीरियसली ले लिया
और पैदा कर दिया
अपने यहाँ हर साल
एक नया ऑस्ट्रेलिया
मैंने सोचा- इस समस्या हेतु
कुछ किया जाय
देश के नेताओं से ही कुछ पूछा जाय
मैंने देश के प्रधानमंत्री
वाजपेयी जी से पूछा-
गुरुजी ! क्या है आपके पास
इस समस्या का कोई हल?
वो मुस्कुराते हुए बोले –
मेरी तरह ही रहो अटल
मैंने एक पंडित जी से पूछा
तो वे बोले –
आप क्यों लेते इतना पेन हैं
अरे भाई ! बच्चे तो
भगवान की देन है
और जिस देश में हों
36 करोड़ देवी-देवताएं
उस देश में बच्चे कितने होने चाहिए
खुद हिसाब लगाएँ
मैंने परिवार नियोजन
अधिकारी से पूछा
तो वो बोले – भईया !
जब से हमारे विभाग को आंकड़ों में
पता चला है कि हमारे देश में एक महिला हर मिनट में
दो बच्चे पैदा कर रही है
तब से हमारी पूरी फौज
उस महिला को ही ढूंढती फिर रही है
मेरा एक दोस्त बोला –
आप मेरी भी माने आबादी तो बढ़ाते हैं
ये फिल्मी गाने
हो जाता है अनर्थ
जरा गौर से समझों
इस गानों के अर्थ
“तेरे मेरे मिलन की ये रैना
नया कोई गुल खिलाएगी”
अब गुल खिलाये या न खिलाये
देश की आबादी जरूर बढ़ाएगी
एक और गाना आया था
जिसे लाखों लोगों ने सहगान समझकर गाया था
“हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाभी खो जाये”
इस गाने ने भी देश की जनता में
ऐसी खलबली मचा दी
कि ढाई – तीन करोड़ आबादी
तो अकले इस गाने ने ही
बढ़ा दी
परिवार नियोजन वाले तो
उस महिला को ढूँढने में
खामखां वक्त गवां रहे हैं
जो चीज़ ढूंढनी चाहिए थी
‘चाभी’ वह ढूँढ ही नहीं पा रहे हैं
एक और बड़ा हैरतअंगेज़ गाना आया था
‘एक चुम्मा तू मुझको उधार दे दे
बदले में यू.पी. बिहार ले ले’
आबादी के संदर्भ में समझेंगे इसे आप
यू. पी. बिहार का अर्थ है
25 करोड़ जनसंख्या
बाप रे बाप !
अच्छा हुआ इसके गीतकार ने ये नहीं लिखा
‘चुम्मा तू मुझको दे दे दो – तीन
बदले में ले ले पूरा चीन’
मैं तो सरकार से कहता हूँ –
कि सिगरेट और शराब की तरह
ऐसे-ऐसे गानों के साथ भी
ये चेतावनी प्रसारित किया जाय
“ये गाना आबादी बढ़ाने का प्रचारक है
इसे सुनना
जनता और देश के स्वास्थ्य के लिए
हानिकारक है”
अब आप कहेंगे
इस कविता में मैंने क्या कहा
आबादी की समस्या का प्रश्न
तो वहीं का वहीं रहा
दोस्तों ! इस कविता के माध्यम से
मैं कहना चाहता हूँ
उन सोये हुए लोगों से
हो आज तक नहीं जगे हैं
सिर्फ आबादी बढ़ाने में लगे है
अरे सोये हुए लोगों
जागो और देखो
जिन बच्चों को तुम
ठीक से खाना नहीं खिला सकते हो
जिन्हे कपड़े-स्लेट कलम-बस्ता
नहीं दिला सकते हो
पैदा होते ही
जिन्हे घेर लेती है बीमारी
चीर-रुदन में जो
भूल गए हों किलकारी
चेहरों पर जिनके
मुस्कान की जगह विषाद
जो नहीं जानते बिस्कुट
चौकलेट आइसक्रीम का स्वाद
देश के नए नन्हें-नन्हें छौने
जिन्हे दिला नहीं सकते हो खिलौने
क्या तुमने उनके बदन को
अपनी निगाहों से नापा है
जिनका कुल जीवन
बचपन से सीधा बुढ़ापा है
कुपोषण से शिकार ये बच्चे
ऐसे बीमार बच्चे
ऐसे लाचार बच्चे
क्या यहीं देश का
सुनहरा भविष्य है?
इन्हें देखकर मेरी तो
ये ही छटपटाहट है
अरे इन बच्चों को पैदा
करने वालों
तुम्हें इन्हे पैदा करने का
क्या हक़ है?
तुम्हारे ये आका
तुम्हारे ये नेता
तुम्हें ये कभी नहीं समझाएँगे
हो जाएँगे भाषण देकर गुम
क्योंकि उनकी नजरों में
आदमी नहीं
सिर्फ वोट बैंक हो तुम
आओ सब एक दूसरे को बताएँ
तोड़ दो थोथी सामाजिक मान्यताएँ
बेटे और बेटी में फर्क का तर्क
मत बनाओ अपने जीवन को नर्क
सिर्फ और सिर्फ एक स्वस्थ बच्चे की
पुकार बन जाओ
‘जागो’ और देश के विकास
की रफ्तार बन जाओ !
??◼◼◼??
[hasya vyang; बढ़ती आबादी – महेंद्र अजनबी]
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