इस लेख में हम मधुबनी चित्रकला (Madhubani painting) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे;
तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें और अगर आप सीखना चाहते हैं तो नीचे दिये गए पीडीएफ़ को फॉलो कर सकते हैं। इसके साथ ही संबंधित अन्य लेखों का भी लिंक नीचे दिया हुआ है, उसे भी अवश्य पढ़ें।
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भारतीय कला में भारतीय चित्रकला की एक बहुत लंबी परंपरा और इतिहास है, हालांकि जलवायु परिस्थितियों के कारण बहुत कम प्रारंभिक उदाहरण बचे हैं। लेकिन जो बचे है, उन्हे देखें तो पता चलता है कि कुछ चित्रकला के उदाहरण 10,000 साल से भी ज्यादा पुराने हैं, जैसे कि भीमबेटका का गुफाचित्र।
कालांतर में भारत में सैंकड़ों चित्रकला विकसित हुए, जिसमें से कुछ नष्ट हो गए और कुछ आज भी अभ्यास में लाये जाते हैं। इन्ही में से बहुत सारी क्षेत्रीय या ग्रामीण चित्रकलाएं है,
जैसे कि पट्टाचित्र पेंटिंग (जो कि ओड़ीसा, बंगाल में कपड़े पर की जाती है), मधुबनी चित्रकला (इस पर हम इस लेख में बात करने वाले हैं), कलमकारी पेंटिंग (सूती वस्त्रों पर हाथ से की जाने वाली पेंटिंग, जो कि आंध्र प्रदेश में अभ्यास में लाया जाता है), एवं मंदाना पेंटिंग (जो कि राजस्थान एवं मध्य-प्रदेश में अभ्यास में लाया जाता है, इसे दीवार एवं जमीन पर बनाया जाता है) इत्यादि।
मधुबनी चित्रकला क्या है? (What is Madhubani painting?)
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मधुबनी चित्रकला (madhubani painting), एक लोक कला है,जिसकी उत्पत्ति बिहार के मिथिला क्षेत्र के मधुबनी जिले से हुई है। इस चित्र कला का इतिहास अति प्राचीन है, ऐसा माना जाता है कि राम-सीता विवाह के समय महिला कलाकारों से इसे बनवाया गया था|
इस चित्रकला को बचाए रखने में महिलाओं की ही अधिक भूमिका रही है, आज भी यह अधिकतर महिलाओं द्वारा ही बनाया जाता है। इसके कई रूप घर-घर में प्रचलित है और आज भी विभिन्न अवसरों पर इसे बनाया जाता है।
मधुबनी चित्रकला को शुरू में विभिन्न संप्रदाय द्वारा बनाया जाता था और बनाए जाने वाली चित्रों को पांच शैलियों में बाँटा गया था, जैसे कि तांत्रिक, कोहबर, भरनी, कटचन, और गोदना।
वर्तमान समय में लगभग सारी शैलियों का एक दूसरे में विलय हो गया हैं। समकालीन कलाकारों द्वारा इसमें और नवीनता लाने का प्रयास किया जा रहा हैं, इसीलिए अब ये दीवार, कैनवास, हस्तनिर्मित, कागज एवं कपड़ों पर भी बनाई जाती है।
मधुबनी चित्रकला के दो रूप प्रचलित है, (1) भित्ति चित्र (mural painting) और (2) अरिपन (aripan)।
(1) भित्ति चित्र
मधुबनी चित्रकला को आमतौर पर दीवारों पर बनाए जाने की परंपरा रही है। हालांकि यह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है, क्योंकि यह मिट्टी के दीवारों पर बनाया जाता था और अब प्लास्टर वाले दीवारों पर सामान्यतः नहीं बनाया जाता है।
भित्ति चित्र को समान्यतया: तीन रूपों में दर्शाया जाता हैं।
1. गोसनी घर (पूजा घर) की सजावट,
2. कोहबर घर (विवाहित जोड़ों का घर) की सजावट,
3. घर की बाहरी दीवारों की सजावट।
गोसनी घर (पूजा घर) में बनाए गए चित्र धार्मिक महत्व के होते हैं इस प्रकार की धार्मिक चित्र में दुर्गा, राधा-कृष्ण, राम-सीता, शिव-पार्वती, विष्णु-लक्ष्मी आदि का अधिक चित्रण होता है|
कोहबर घर में बनाए गए चित्र कामुक प्रवृत्ति के होते हैं इसमें कामदेव, रति तथा यक्षणियों का चित्रण किया जाता है।
विशेष आयोजन जैसे कि- विवाह, मुंडन या उपनयन आदि में घर के अंदरूनी दीवारों सहित घर के बाहरी दीवारों की भी सजावट की जाती हैं ।
चित्रों की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए पशु-पक्षियों, जानवरों, तथा विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों के चित्र निर्मित किए जाते हैं।
(2) अरिपन
मधुबनी कला का एक अन्य रूप अरिपन चित्र है। यह आंगन में एवं चौखट के सामने जमीन पर निर्मित किए जाने वाले चित्र है। चावल को पीस कर उसमें आवश्यकतानुसार रंग मिलाकर महिलाएं इसे अपनी हाथों और उंगलियों से बनाती है।
इसमें बनाई जाने वाली जाने वाली चित्र निम्न प्रकार के हैं।
1. देवी-देवताओं के चित्र
2. तांत्रिक प्रतीकों पर आधारित चित्र
3. मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को दर्शाने वाले चित्र
4. स्वास्तिक, ओम इत्यादि के आकार का चित्र
5. फूल, पेड़ एवं फलों के चित्र।
वर्तमान परिदृश्य
आज के समय में व्यवसायिक या फिर अधिक से अधिक लोगों तक इस कला को पहुंचाने के उद्देश्य से कपड़े एवं कागज पर भी चित्रांकन की प्रवृत्ति बढ़ी है। उँगलियों की जगह अब ब्रश की कूची ने ले ली है।
इन चित्रों में प्रयोग किए जाने वाले रंग अधिकांश वनस्पतियों और घरेलू चीजों से ही बनाया जाता है, जैसे कि हल्दी, केले के पत्ते, पीपल की छाल इत्यादि।
हालांकि अब सिंथेटिक रंगों का भी इस्तेमाल होता है। इस चित्रकला में अधिकतर हरा, पीला, नीला, केसरिया, लाल, बैंगनी आदि रंगों का इस्तेमाल होता है।
वर्तमान में इस कला की लोकप्रियता राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब बढ़ रही है, इस कला को संरक्षित करने तथा इस में नवीनता लाने के लिए बहुत सारे नए कलाकारों प्रशिक्षण दिया जा रहा है
इसके लिए कई प्रशिक्षण तथा बिक्री केन्द्रों की स्थापना की गई है। आये दिन राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार प्रदर्शनियाँ आयोजित की जा रही हैं।
| मधुबनी चित्रकला कैसे बनाया जाता है?
मधुबनी चित्रकला अपने अलग स्टाइल, पैटर्न एवं खूबसूरत प्राकृतिक रंगों के कारण खूब ख्याति पायी है, ऐसे में इसे सीखना अब एक रोजगार का माध्यम भी है। नीचे पीडीएफ़ से आप इसे सीख सकते हैं कि इसे किस तरह से बनाया जाता है;
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