Overseas Citizenship of India

Overseas Citizenship of India

वि देशी भा रती य ना गरि कता । Overseas Citizenship of India in Hindi 

वि देशी भा रती य ना गरि कता ; भा रती य मूलमू के व्यक्ति यों को दोहरी ना गरि कता प्रदान करने से संबंधि त हैं, हा लां कि इसमें भा रती य ना गरि क जि तना अधि का र नहीं मि लता है। 

इस लेख में हम वि देशी भा रती य ना गरि कता (Overseas Citizenship of India) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके वि भि न्न महत्वपूर्ण पहलुओंलु ओंको समझने की को शि श करेंगे; 

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चूंकि ये ना गरि कता से संबंधि त है इसी लि ए इस लेख की बेहतर समझ के लि ए पहले ना गरि कता और उसके वि भि न्न प्रा वधा नों को अवश्य समझ लें। 

वि देशी भा रती य कौ न हैं

एक हो ता है – NRI (Non Resident Indian/अप्रवा सी भा रती य), जो कि सी भी का रण से सा मा न्यतः भा रत के बा हर नि वा स करता है और उसके पा स भा रती य पा सपो र्ट भी हो ता है। 

NRI को वे सभी ला भ मि लते है जो कि सी भा रती य ना गरि क को उपलब्ध हो ता है या नी कि ये भा रत में सभी प्रका र की गति वि धि यों में सम्मि लि त हो सकते है और उन पे वही सा रे नि यम और का नूननू ला गू हो ते हैं जो कि सी अन्य भा रती य ना गरि क पे ला गू हो ते हैं। 

कुल मि ला कर ये भा रती य ना गरि क ही हैं जो भा रत के बा हर मा मूलीमू ली तौ र पर रह रहा है। इसके बा रे में आयकर अधि नि यम 1961 के धा रा 6 में बता या गया है। 

दूसदू रा हो ता है – PIO (Person of Indian Origin/ भा रती य मूलमू के व्यक्ति ), या नी कि ऐसा व्यक्ति जि सका को ई पूर्वज भा रती य ना गरि क था और जो वर्तमा न में अन्य देश की ना गरि कता या रा ष्ट्री यता धा रण करता है या करती है। जि स देश के ये ना गरि क हो ते हैं उसी देश का पा सपो र्ट इनके पा स हो ता है। 

चूंकि ये भा रत के ना गरि क नहीं हो ते हैं इसी लि ए इन लो गों को को ई वि शेष ला भ नहीं मि लता । ये लो ग अगर भा रत आते भी हैं तो उसी प्रका र के गति वि धि यों में शा मि ल हो सकते हैं जि स प्रका र के वी जा पर ये आए हैं। जैसे कि अगर पर्यटन वी जा पर आए है तो सि र्फ भा रत में पर्यटन कर सकते हैं। 

इसके अला वा अगर ये लो ग भा रत में 180 दि नों से अधि क रहते हैं तो इनका स्था नी य पुलिपुलिस प्रा धि का रि यों के सा थ नि बंधि त हो ना आवश्यक हो ता है। वि देशी भा रती य ना गरि कता (Overseas Citizenship of India); जो कि हम इस लेख में पढ़ने वा ले हैं, मुख्मुय रूप से इन्ही लो गों के लि ए है। इसके बा रे में ना गरि कता अधि नि यम 1955 में बता या गया है। 

यहाँ ये या द रखि ए कि वि देशी भा रती य ना गरि कता भा रत की वा स्तवि क ना गरि कता नहीं है, क्यों कि संवि धा न के अनुच्नुछेद 9 में सा फ-सा फ लि खा है कि अगर को ई व्यक्ति कि सी और देश की ना गरि कता स्वेच्छा से ग्रग् हण कर लेता है तो उसकी भा रती य ना गरि कता समा प्त हो जा एगी ।

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या नी कि सच्चे अर्थों में भा रत, दोहरी ना गरि कता कि सी को नहीं देसकता है। हाँ , उसके ना म पर कुछ सुविसुविधा एं जरूर देसकता है और वहीं देता भी है। 

वि देशी भा रती य ना गरि कता की पृष्ठभूमि 

अगस्त 2002 में PIO का र्ड स्की म (Persons of Indian Origin Card) को शुरूशु कि या गया था इसके तहत को ई वि शेष ला भ नहीं दि या गया था बस यह एक ऐसे व्यक्ति को जा री की गई पहचा न थी , जो अफगा नि स्ता न, बां ग्ला देश, भूटाभूटान, ची न, ईरा न, नेपा ल, पा कि स्ता न और श्रीश् रीलंका के अला वा कि सी अन्य देश का पा सपो र्ट रखता था और इससे पहले ती न पी ढ़ि यों तक अपनी भा रती य उत्पत्ति को सा बि त कर सकता था । 

सि तंबर 2000 में भा रत सरका र (वि देश मंत्मं रात् रालय) ने भा रती य डा यस्पो रा पर एल.एम. सिं घवी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरी य समि ति का गठन कि या । कमि टी को वैश्वि क भा रती य डा यस्पो रा के व्या पक अध्ययन करने तथा उनके सा थ रचना त्मक संबंध बना ने के उपा यों पर अनुशंनुशंसा देने का का र्य सौं पासौं पा गया । 

(डा यस्पो रा शब्द प्रा ची न ग्रीग् रीक शब्द से आया है जि सका अर्थ है प्रसा र या फैला व। या नी कि जब लो ग अपनी मा तृभूतृ मिभूमि से दूरदू दुनिदुनिया भर के स्था नों तक बि खरे रहते हैं और अपनी संस्कृति को फैला ते हैं, तो उसे समग्रग् रूप से डा यस्पो रा कहा जा ता है।) 

इस समि ति ने अपनी रि पो र्ट जनवरी , 2002 में सौं पीसौं पी। इसने ना गरि कता अधि नि यम 1955 में संशो धन की सि फ़ा रि श की ता कि कुछ वि शेष देशों में रहने वा ले भा रती य मूलमू के व्यक्ति यों (Persons of Indian Origin) को दोहरी ना गरि कता प्रदान की जा सके। 

उसी अनुसानु सार ना गरि कता संशो धन अधि नि यम, 2003 के मा ध्यम से ना गरि कता अधि नि यम 1955 में संशो धन करके वि देशी ना गरि कता शी र्षक से ”धा रा 7क, धा रा 7ख, धा रा 7ग एवं धा रा 7घ” शा मि ल कि या गया । 

इसके तहत 16 देशों के भा रती य मूलमू के व्यक्ति यों (पा कि स्ता न और बां ग्ला देश को छो ड़कर) के लि ए वि देशी भा रती य ना गरि कता (Overseas Citizenship of India या नी कि OCI) का प्रा वधा न कि या गया । 

दोहरी ना गरि कता के लि ए लगा ता र मां गों के जवा ब में, वि शेष रूप से उत्तरी अमेरि का और अन्य वि कसि त देशों में प्रवा सी भा रती यों की आकां क्षा ओं और उम्मी दों को पूरा करने के लि ए, अगस्त 2005 में ना गरि कता अधि नि यम 1955 में संशो धन करके सभी देशों के भा रती य मूलमू के व्यक्ति यों के लि ए (पा कि स्ता न और बां ग्ला देश को छो ड़कर) वि देशी भा रती य ना गरि कता (Overseas Citizenship of India या नी कि OCI) यो जना शुरूशु की गई। 

कुल मि ला कर अब स्थि ति ये बनी कि PIO का र्ड स्की म 2002 से चल ही रहा था और अब OCI स्की म भी 2005 से चलने लगी । या नी कि दोनों स्की म सा थ-सा थ चलने लगी , वैसे OCI स्की म अधि क लो कप्रि य हुई। 

बा द में चलकर आवेदकों के लि ए और अधि क सुविसुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से भा रत सरका र ने PIO का र्ड स्की म तथा OCI स्की म को मि ला कर एकल स्की म का सूत्रत् ण कि या जि समें दोनों स्की मों के सका रा त्मक पक्षों को शा मि ल कि या गया । 

इस प्रका र इस उद्देश्य की पूर्ति के लि ए ना गरि कता संशो धन अधि नि यम 2015 अधि नि यमि त कि या गया । PIO का र्ड स्की म को 2015 के प्रभा व से रद्द कर दी गई और यह अधि सूचि त कि या गया कि सभी चा लू PIO का र्डधा रक 2015 से वि देशी भा रती य ना गरि कता का र्डधा रक (Overseas Citizenship of India Cardholder) मा न लि ए जा एँगेएँगे। 

ना गरि कता संशो धन अधि नि यम 2015 ने ”वि देशी भा रती य ना गरि क (Overseas Citizen of India” को बदलकर ” वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डधा रक (Overseas Citizen of India Cardholder)” कर दि या । वर्तमा न में अभी यही स्की म चल रहा है।

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ना गरि कता संशो धन अधि नि यम 2015 के तहत मुख्मुय अधि नि यम (जो कि धा रा 7क, धा रा 7ख, धा रा 7ग, धा रा 7घ था ) में बदला व ला या गया और OCI का र्डहो ल्डर के संबंध में अब वर्तमा न स्थि ति नि म्नलि खि त है – 

कौ न लो ग वि देशी भा रती य ना गरि क का र्ड हो ल्डर (OCI Cardholder) के लि ए रजि स्ट्रेशन करवा सकता है

1. केंद्रद् सरका र, जरूरी शर्तों , नि र्बंधनों (Restrictions) और री ति के अधी न रहते हुए, इस संबंध में कि ए गए आवेदन पर, कि सी को वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डधा रक (Overseas Citizen of India Cardholder) के रूप में पंजी कृत कर सकती है, यदि वे नि म्न में से को ई शर्त पूरा करता हो – 

(a) पूर्ण आयु एवं क्षमता वा ला को ई व्यक्ति , 

(I) जो कि सी अन्य देश का ना गरि क है, लेकि न संवि धा न ला गू हो ने के समय अथवा उसके पश्चा त कि सी समय भा रत का ना गरि क था , अथवा 

(II) जो कि सी अन्य देश का ना गरि क है लेकि न संवि धा न ला गू हो ने के समय भा रत का ना गरि क हो ने लि ए यो ग्य था , अथवा 

(III) जो कि सी अन्य देश का ना गरि क है लेकि न उस भू-भूभा ग से संबंध रखता है जो 15 अगस्त 1947 के पश्चा त भा रत का भा ग बन गया था , अथवा 

(IV) जो कि सी ऐसे ना गरि क का पुत्पुरत् /पुत्पुरीत् री या पौ त्रत् /पौ त्रीत् री या प्रपौ त्रत् /प्रपौ त्रीत् री हो , अथवा (b) को ई व्यक्ति जो धा रा (a) में उल्लि खि त व्यक्ति का ना बा लि ग बच्चा हो , अथवा 

(c) को ई व्यक्ति जो कि ना बा लि ग बच्चा हो और जि सके मा ता -पि ता भा रत के ना गरि क है अथवा मा ता -पि ता में से एक भा रत का ना गरि क है, अथवा 

(d) भा रती य ना गरि क का वि देशी मूलमू का /की पति /पत्नी , या वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डधा रक का वि देशी मूलमू का पति /पत्नी जि सका वि वा ह नि बंधि त (Registered) है और उसका वि वा ह आवेदन प्रस्तुततु करने की ति थि के पूर्व कम से कम दो वर्ष तक लगा ता र बना हुआ है, 

इन प्रा वधा नों के तहत आने वा ले भा रती य मूलमू के वि देशी भा रत के का र्डधा रक वि देशी ना गरि क (Overseas Citizen of India Cardholder) के रूप में खुदखु को रजि स्ट्री कृत कर सकेगी । 

▪️को ई भी व्यक्ति जो स्वयं अथवा उसके मा ता -पि ता में से को ई अथवा जि सके दादा/दादी, परदादा/परदादी पा कि स्ता न, बां ग्ला देश अथवा ऐसे कि सी देश जि न्हे भा रत सरका र उल्लि खि त कर सकती है, वि देशी भा रती य ना गरि क का र्ड हो ल्डर के लि ए नि बंधन (Registration) के लि ए यो ग्य नहीं हो गा । 

2. भा रत सरका र, रा जपत्रत् में अधि सूचना द्वा रा , उस आंकड़ें को उल्लि खि त कर सकती है जि समें से सूची बद्ध भा रती य मूलमू के का र्डधा रक व्यक्ति यों को वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर (Overseas Citizen of India Cardholder) मा न लि या जा एगा । 

3. बि न्दु (1) दु में को ई बा त पहले रहते हुए भी , केंद्रद् सरका र अगर संतुष्तुट हो की को ई वि शेष परि स्थि ति बनती है, तो उन परि स्थि ति यों को लि खि त में अभि लेखि त कर, कि सी व्यक्ति को वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर के रूप में नि बंधि त (register) कर सकती है। 

वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर को प्रा प्त अधि का र 

1. एक वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर को ऐसे अधि का र प्रा प्त हों गे जैसा की केंद्रद् सरका र द्वा रा समय-समय पर रा जपत्रत् में अधि सूचना के मा ध्यम से उल्लि खि त या वि नि र्दि ष्ट कि या जा एगा ।

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2. एक वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर को नि म्नलि खि त अधि का र नहीं हों गे (जो कि कि सी भा रती य ना गरि क को मि लते हैं) – 

(a) उसे अनुच्नुछेद 16 के अधी न, सा र्वजनि क रो जगा र के मा मले में अवसर की समा नता का अधि का र नहीं हो गा (b) वह अनुच्नुछेद 58 के अधी न, रा ष्ट्रपति चुनेचुनेजा ने के यो ग्य नहीं हो गा 

(c) वह अनुच्नुछेद 66 के अधी न, उपरा ष्ट्रपति चुनेचुनेजा ने के यो ग्य नहीं हो गा 

(d) वह अनुच्नुछेद 124 के अधी न, सर्वो च्च न्या या लय का न्या या धी श नि युक्युत कि ए जा ने के यो ग्य नहीं हो गा (e) वह अनुच्नुछेद 217 के अधी न, उच्च न्या या लय के न्या या धी श नि युक्युत कि ए जा ने के यो ग्य नहीं हो गा 

(f) वह लो क प्रति नि धि त्व अधि नि यम 1950 की धा रा 16 के अधी न, एक मतदाता के रूप में पंजी कृत कि ए जा ने का अधि का री नहीं हो गा 

(g) वह लो क प्रति नि धि त्व अधि नि यम 1951 की धा रा 3 और 4 के अधी न, लो कसभा या रा ज्यसभा का सदस्य बनने के यो ग्य नहीं हो गा 

(h) वह लो क प्रति नि धि त्व अधि नि यम 1951 की धा रा 5, धा रा 5क और धा रा 6 के अधी न, रा ज्य वि धा नसभा या रा ज्य वि धा नपरि षद का सदस्य चुनेचुनेजा ने के यो ग्य नहीं हो गा 

(i) वह सा र्वजनि क सेवा ओं में नि युक्तियुक्ति तथा संघ अथवा रा ज्य के मा मलों से संबन्धि त पद के लि ए यो ग्य नहीं हो गा , जब तक कि ऐसी सेवा ओं एवं पदों पर नि युक्तियुक्ति के लि ए केंद्रद् सरका र वि शि ष्ट नि र्देश न दे। 

वि देशी ना गरि कता का र्ड का परि त्या ग कैसे कि या जा सकता है

1. यदि पूर्ण आयु एवं क्षमता वा ला को ई वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर नि र्धा रि त प्रपत्रत् पद्धति से उस का र्ड के परि त्या ग की घो षणा करता है तो इस घो षणा को केंद्रद् सरका र द्वा रा पंजी कृत कि या जा एगा तथा इस पंजी करण के पश्चा त वह व्यक्ति वि देशी भा रती य ना गरि क नहीं रह जा एगा । 

2. जब एक व्यक्ति वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर नहीं रह जा ता है तब उसका वि देशी मूलमू की पत्नी /पति जि सने वि देशी भा रती य ना गरि क का र्ड प्रा प्त कि या है और इसका ना बा लि ग बच्चा जो की वि देशी भा रती य ना गरि क के रूप में पंजी कृत है, भा रत का वि देशी ना गरि क नहीं रह जा एगा । 

दे र्ड हो के में हो है

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वि देशी भा रती य ना गरि क का र्ड हो ल्डर के रूप में पंजी करण कब रद्द हो सकता है

केंद्रद् सरका र, आदेश द्वा रा , वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर के रूप में पंजी कृत कि सी व्यक्ति का पंजी करण रद्द कर सकता है, यदि वह संतुष्तुट है की – 

(a) वि देशी भा रती य ना गरि कता का र्डहो ल्डर धो खा धड़ी , असत्य प्रति नि धि त्व अथवा भौ ति क सा क्ष्य को छुपा कर प्रा प्त की गई है, अथवा 

(b) वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर ने भा रत के संवि धा न के प्रति अनि ष्ठा प्रदर्शि त की है, अथवा 

(c) वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर ने, ऐसे कि सी युद्धयु जि समें भा रत भी संलग्न है, के दौरा न शत्रुत् के सा थ गैरका नूनीनूनी रूप से संपर्क स्था पि त कि या है, अथवा 

(d) वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर ने पंजी करण के पाँ च वर्षों के भी तर दो वर्षों से कम की कैद की सजा भुगभुती है, अथवा 

(e) यदि ऐसा करना भा रत की संप्रभुताभुता एवं अखंडखं ता भा रत की सुरसुक्षा , कि सी दूसदू रे देश के सा थ मैत्रीत् रीपूर्ण संबंध अथवा सा मा न्य जनता के हि त में हो , अथवा 

(f) कि सी वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर का वि का स – (I) कि सी सक्षम न्या या लय द्वा रा या अन्य द्वा रा भंगभं कर दि या गया हो , अथवा (II) भंगभं नहीं कि या गया हो , लेकि न ऐसे वि वा ह के बने रहते ही उसने कि सी और के सा थ वि वा ह कर लि या हो । 

वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर को मि लने वा ले ला भ 

(1) मुफ्मुत भा रत या त्रात् रा के लि ए बहु प्रवि ष्टि (Multiple entry) एवं जी वन भर के लि ए बहुउद्देश्यी य वी जा (Multipurpose visa) की सुविसुविधा । 

(हा लां कि OCI का र्डहो ल्डर को भा रत में शो धका र्य के लि ए वि शेष अनुमनुति लेनी हो गी जि सके लि ए वे इंडि या मि शन / पो स्ट/ FRRO को आवेदन प्रस्तुततु कर सकते हैं। कुल मि ला कर कहें तो ऐसे लो ग जी वन भर बि ना वी जा भा रत आ सकता है। 

(2) भा रत में कि तने भी लंबे समय तक रुकने के लि ए एक FRRO (Foreigners Regional Registration Officer) के सा थ पंजी यन से छूट। 

[नो ट- भा रत में वी ज़ा और आव्रजन संबंधी सेवा ओं जैसे कि , पंजी करण, वी ज़ा एक्सटेंशन, वी ज़ा रूपां तरण, एक्ज़ि ट परमि ट आदि की इच्छा रखने वा ले सभी वि देशी को FRRO की जरूरत पड़ती है।] 

(3) कृषि अथवा बा गा न परि संपत्ति यों के अधि ग्रग् हण के मा मलों को छो ड़कर वि त्ती य, आर्थि क और शैक्षि क क्षेत्रोंत् रों में एनआरआई के सा थ समा नता । या नी कि ये लो ग भा रत में कृषि भूमिभूमि नहीं खरी द सकते हैं। 

(4) ये लो ग कि तने भी समय तक देश में रुक सकता है, वो भी बि ना पुलिपुलिस अधि का रि यों को रि पो र्ट कि ए। वही बि ना का र्डधा रक व्यक्ति अगर देश में 180 दि नों से ज्या दा रुकता है तो उसे पुलिपुलिस को रि पो र्ट करनी पड़ती है। 

(5) पंजी कृत वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर भा रत में घरेलू उड़ा नों के कि रा ए के मा मले में आप्रवा सी भा रती य के बरा बर समझे जा एँगेएँगे। 

(6) पंजी कृत वि देशी भा रती य ना गरि क का र्डहो ल्डर भा रत से रा ष्ट्री य उद्या नों एवं वन्यजी व अभया रण्यों में वही प्रवेश शुल्शुक लि या जा एगा जो घरेलू आगंतुगं कोंतु कों से लि या जा ता है।

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(7) रा ज्य सरका रों को सुनिसुनिश्चि त करना चा हि ए कि OCI का र्डहो ल्डर पंजी करण, उन लो गों को प्रदान की जा ने वा ली कि सी भी सेवा के लि ए उनके पहचा न पत्रत् के रूप में व्यवहा र में ला या जा ये। 

OCI का र्डधा रक से संबंधि त नि यमों में हुए नए बदला व 

मा र्च 2021 में गृहगृ मंत्मं रात् रालय ने OCI का र्डधा रक के संबंधि त कुछ नि यमों में बदला व कि ए हैं जो कि नि म्नलि खि त है; 

1. OCI का र्डधा रक को FRRO या कि सी सक्षम प्रा धि का री से वि शेष अनुमनुति (Special permission) लेनी हो गी , अगर वे नि म्नलि खि त में से कि सी गति वि धि में शा मि ल हो ने के लि ए इंडि या आए हैं- 

– रि सर्च के लि ए,  

– मि शनरी या तबलि गी गति वि धि में शा मि ल हो ने के लि ए,  

– पर्वता रो हण के लि ए,  

– पत्रत् का रि ता के लि ए,  

– कि सी ऐसी जगह घूमघूने के लि ए जो कि संरक्षि त है या प्रति बंधि त है,  

– कि सी वि देशी संस्था ओं आदि में Internship करने के लि ए। 

2. OCI का र्डधा रक अब नि म्नलि खि त मा मलों में भा रत के ना गरि कों के समा न ही मा ने जा एँगेएँगे; 

– घरेलू उड़ा नों के कि रा यों में,  

– बच्चे गो द लेने के अंतर्रा ष्ट्री य मा मलों में,  

– कृषि भूमिभूमि को छो ड़कर अन्य भूमिभूमि को खरी दने और बेचने के मा मलों में,  

– डॉ क्टर, नर्स, र्स अधि वक्ता , आर्कि टेक्ट और चा र्टर अका उंटेंट जैसे व्यवसा य करने के मा मलों में। 

3. OCI का र्डधा रक को अखि ल भा रती य प्रवेश परी क्षा ओं (ओं जैसे JEE और NEET) के मा मले में NRI के बरा बर मा ना जा एगा । या नी कि NRI के तहत जो को टा नि र्धा रि त कि या गया है उसी के तहत ये भी आएंगेएं गेन कि भा रती य ना गरि क के को टे के तहत। 

ये लो ग भा रत का ना गरि क कैसे बन सकते हैं?हैं 

ना गरि कता अधि नि यम 1955 के अनुसानु सार को ई व्यक्ति यदि OCI का र्डहो ल्डर के रूप में पाँ च वर्ष के लि ए पंजी कृत रहता है और जो ना गरि कता पंजी करण आवेदन के पहले लगा ता र 12 मा ह तक सा मा न्यतः भा रत में नि वा स करता रहा है, भा रत की ना गरि कता प्रा प्त कर सकता है।