संसदीय कार्यवाही के साधन (Device of Parliamentary Proceedings) के रूप में विभिन्न प्रकार के संसदीय प्रस्ताव (Motions in Parliament), संसदीय संकल्प (Parliamentary Resolution), प्रश्नकाल एवं शून्यकाल आदि आते हैं।
इस लेख में हम संसदीय संकल्प (Parliamentary resolution) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे, एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने की कोशिश करेंगे।
इस लेख को पढ़ने से पहले संसदीय प्रस्ताव (Parliamentary motion) को जरूर समझ लें क्योंकि ये उसी से संबन्धित है। प्रस्ताव और संकल्प में अंतर को समझने के लिए भी ये जरूरी है।
संसदीय कार्यवाही के साधन (Device of Parliamentary Proceedings) |
प्रश्नकाल एवं शून्यकाल (Question Hour and Zero Hour) |

संसदीय संकल्प (Parliamentary Resolution) क्या है?
प्रस्ताव (Motion) की तरह संकल्प (Resolution) भी एक प्रक्रियागत उपाय या संसदीय कार्यवाही का एक साधन है जो लोक महत्व के किसी मामले पर सदन में चर्चा उठाने के लिए सदस्यों या मंत्रियों द्वारा लाया जा सकता है।
संकल्प वास्तव में मूल प्रस्ताव होता है। सदन में पेश किया जाने वाला प्रस्ताव निम्नलिखित रूपों में हो सकता है, जैसे कि :-
किसी राय या सिफ़ारिश की घोषणा के रूप में हो सकता है,
सरकार द्वारा विचार किए जाने के लिए किसी मामले या स्थिति की ओर ध्यान दिलाने वाला हो सकता है,
किसी ऐसे रूप में हो सकता है जिससे कोई संदेश दिया जा सके,
किसी कार्यवाही के लिए सिफ़ारिश या आग्रह के रूप में हो सकता है, या फिर
किसी ऐसे रूप में हो सकता है जिसे अध्यक्ष या सभापति उचित समझे।
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प्रस्ताव और संकल्प में अंतर (Difference b/w Parliamentary Motion & Resolution)
प्रस्ताव और संकल्प एक-दूसरे से इतने समान है कि इसमें अंतर करना काफी मुश्किल होता है। विषय-वस्तु के स्तर पर तो इन दोनों में अंतर न के बराबर ही होता है क्योंकि जिस विषय पर प्रस्ताव लाया गया हो उस विषय पर संकल्प भी लाया जा सकता है। तो वास्तव में जो इन दोनों में अंतर होता है वो प्रक्रियागत होता है।
सभी संकल्प मूल प्रस्तावों (Substantive Motions) की श्रेणी में ही आते हैं, यानी कि संकल्प एक विशिष्ट प्रकार का प्रस्ताव ही होता है। हालांकि हर बार ये जरूरी नहीं है कि सभी संकल्प मूल प्रस्ताव ही हो।
◼ प्रस्ताव की बात करें तो उस पर मतदान हो ही ये जरूरी नहीं होता, जबकि संकल्प के मामले में उस पर मतदान होना आवश्यक होता है।
यानी कि अगर पेश करने वाला सदस्य ये चाहता है कि उस विषय पर मतदान हो तो वो प्रस्ताव की जगह संकल्प लाएगा।
◼ मूल प्रस्ताव पर स्थानापन्न प्रस्ताव (Substitute Motion) भी पेश किए जा सकते हैं, जबकि किसी संकल्प पर स्थानापन्न संकल्प (Substitute Resolution) पेश नहीं किया जाता है।
यानी कि अगर पेश करने वाला सदस्य ये चाहता है कि उसके द्वारा पेश किए गए विषय वस्तु किसी दूसरे विषय वस्तु से बदल न दिये जाये तो वे प्रस्ताव की जगह संकल्प लाएगा।
संकल्पों का वर्गीकरण
संकल्पों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है :- 1. गैर-सरकारी सदस्यों का संकल्प 2. सरकारी संकल्प 3. सांविधिक संकल्प
1. गैर-सरकारी सदस्यों का संकल्प (Private Members’ Resolution) – यह संकल्प गैर-सरकारी सदस्यों द्वारा लाया जाता है।
हर दूसरे शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घंटे गैर-सरकारी संकल्पों के लिए निर्धारित किए जाते हैं। जो सदस्य इस संकल्प को पेश करना चाहता है उसे इसकी सूचना महासचिव को देनी होती है।
यदि वे संकल्प स्वीकार हो जाते हैं तो वे गैर-सरकारी सदस्यों की कार्य सूची में रखे जाते हैं। पीठासीन अधिकारी द्वारा पुकारे जाने पर संबन्धित सदस्य संकल्प पेश करता है और उस पर भाषण देता है।
उसके पश्चात अन्य सदस्य या मंत्री बोलते हैं। यदि कोई सदस्य चाहे तो उस पर संशोधन भी पेश कर सकता है। गैर-सरकारी सदस्यों के संकल्पों पर चर्चा के लिए समय गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति नियत करती है।
2. सरकारी संकल्प (Government resolution) – यह संकल्प मंत्री द्वारा लाया जाता है इसीलिए इसे सरकारी संकल्प कहा जाता है। इसे किसी भी दिन सोमवार से गुरुवार तक लाया जा सकता है।
यहाँ भी मंत्री को संकल्प पेश करने की सूचना महासचिव को देनी होती है। इसके बाद सब कुछ वैसे ही होता है जैसे कि गैर-सरकारी संकल्प में होता है। कोई सरकारी संकल्प गृहीत कर दिये जाने पर, सदन द्वारा कार्य मंत्रणा समिति की सिफ़ारिश पर उस चर्चा के लिए समय नियत किया जाता है।
मंत्रियों द्वारा पेश किए जाने वाले संकल्पों का उद्देश्य आमतौर पर सरकार द्वारा किए गए अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ या समझौते पर सदन की स्वीकृति लेना होता है।
3. सांविधिक संकल्प (Statutory resolution)- इस संकल्प को गैर-सरकारी सदस्य द्वारा या मंत्री द्वारा लाया जा सकता है, इसे सांविधिक संकल्प इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसे संविधान के उपबंध या अधिनियम के तहत लाया जाता है। जैसे कि कुछ अधिनियम में स्पष्ट रूप से वर्णित होता है कि सरकार निर्धारित समयावधि में संकल्प पेश करें।
गैर-सरकारी सदस्य का संकल्प, सरकारी संकल्प और सांविधिक संकल्प के सदन द्वारा पारित हो जाने के बाद, प्रत्येक संकल्प की एक-एक प्रति महासचिव द्वारा संबन्धित मंत्री को भेजी जाती है।
सदन द्वारा स्वीकृत प्रस्तावों या संकल्पों का प्रभाव:
किसी प्रस्ताव या संकल्प को स्वीकृत करके सदन उसके विषय के बारे में अपनी राय की घोषणा करता है और वह सदन का आदेश हो जाता है। इनके प्रभावों की बात करें तो संसद द्वारा स्वीकृत संकल्प निम्नलिखित श्रेणियों में आते हैं;
- ऐसे संकल्प सरकार पर बंधनकारी नहीं होते जिनमें सदन ने केवल अपनी राय व्यक्त की हो। प्रथा यह है कि इन संकल्पों में व्यक्त रायों को कार्यरूप देना या न देना पूर्णतया सरकार के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है।
- सदन द्वारा स्वयं अपनी कार्यवाहियों संबंधी मामलों में स्वीकृत संकल्प बंधनकारी होते हैं और वे कानून की शक्ति रखते हैं। उनकी वैधता को न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- सांविधिक प्रभाव वाले संकल्प, यदि स्वीकृत हो जाते हैं, तो सरकार के लिए बंधनकारी होते हैं और उनमें कानून की शक्ति होती है। जैसे कि राष्ट्रपति पर महाभियों चलाने, उपराष्ट्रपति, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और राज्यसभा के उपसभापति को हटाने का संकल्प। राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत किसी अध्यादेश का निरनुमोदन करने एवं अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन आदि करने का संकल्प।
तो ये रही संसदीय संकल्प (Parliamentary resolution), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। नीचे संसद से संबन्धित अन्य लेख है उसे भी विजिट करें।