पेसा अधिनियम की विशेषताएँ
1. आदिवासी या जनजातीय क्षेत्रों में पंचायतों पर राज्य विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून वहाँ के प्रथागत क़ानूनों, रीति-रिवाजों, धार्मिक प्रचलनों आदि के अनुरूप होगा।
2. यहाँ गाँव का मतलब अपनी परंपराओं एवं रिवाजों के अनुसार जीवनयापन कर कर रहे एक समुदाय का वास स्थल अथवा वास स्थलों का एक समूह या फिर एक टोला अथवा टोलों का समूह होगा।
3. प्रत्येक गाँव में एक ग्राम सभा होगी जिसमें ऐसे लोग होंगे जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के लिए निर्वाचक सूची में दर्ज हो।
4. प्रत्येक ग्राम सभा अपने और अपने लोगों की परम्पराओं एवं प्रथाओं, सामाजिक- सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक संसाधन तथा विवाद निवारण के परंपरागत तरीकों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए सक्षम होगी।
5. सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों एवं परियोजना को ग्राम पंचायत द्वारा क्रियान्वित करने से पहले, ग्राम सभा से स्वीकृति लेनी होगी।
6. संविधान के भाग 9 के अंतर्गत जिन समुदायों के संबंध में आरक्षण के प्रावधान हैं, उन्हें अनुसूचित क्षेत्रों के प्रत्येक पंचायत में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन साथ में यह शर्त भी है कि अनुसूचित जनजातियों (scheduled tribes) का आरक्षण कुल स्थानों के 50% से कम नहीं होगा तथा पंचायतों के सभी स्तरों पर अध्यक्षों के पद अनुसूचित जनजाति (scheduled tribe) के लिये आरक्षित रहेंगे।
7. जिन अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व मध्यवर्ती स्तर की पंचायत या जिला स्तर की पंचायत में नहीं है उन्हे सरकार द्वारा नामित (nominated) किया जाएगा। लेकिन नामित सदस्यों की संख्या पंचायत में निर्वाचित कुल सदस्यों की संख्या के 1/10 वें भाग से अधिक नहीं होगी।
8. इन क्षेत्रों में विकास परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के पहले ग्राम सभा अथवा उपयुक्त स्तर की पंचायत से सलाह की जाएगी। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में इन परियोजनाओं से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास के पहले भी ग्राम सभा अथवा उपयुक्त स्तर की पंचायत से सलाह की जाएगी।
9. इन क्षेत्रों में लघु जल स्रोतों के लिए आयोजना एवं प्रबंधन की ज़िम्मेदारी उपयुक्त स्तर के पंचायत को दी जाएगी।
10. अधिसूचित क्षेत्रों मे छोटे स्तर पर खनिजों का खनन संबंधी लाइसेन्स प्राप्त करने के लिए ग्राम सभा अथवा उपयुक्त स्तर की पंचायत की अनुशंसा प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
11. अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत स्वशासन संस्थाओं के तौर पर कार्य कर सके इसके लिये राज्यों के विधानमंडल यह सुनिश्चित करेंगे कि उपयुक्त स्तर पर पंचायत तथा ग्राम सभा को –
(a) किसी भी मादक पदार्थ की बिक्री या उपभोग को प्रतिबंधित या नियमित करने का अधिकार होगा।
(b) छोटे स्तर पर वन उपज पर स्वामित्व होगा।
(c) गाँवों के हाट-बाज़ारों के प्रबंधन की शक्ति होगी।
(d) अनुसूचित जनजातियों को पैसा उधार दिये जाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने की शक्ति होगी।
(e) सभी सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत संस्थाओं एवं पदाधिकारियों पर नियंत्रण रखने की शक्ति होगी।
12. राज्य विधानमंडल ऐसी व्यवस्था बनाएगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च स्तर की पंचायतें निचले स्तर की किसी पंचायत या ग्राम सभा के अधिकारों का हनन नहीं कर सके।
13. अनुसूचित क्षेत्रो में जिला स्तर पर प्रशासकीय व्यवस्था बनाते समय राज्य विधानमंडल संविधान की छठी अनुसूची को फॉलो करेगी।
पेसा अधिनियम की विशेषताएँ
1. आदिवासी या जनजातीय क्षेत्रों में पंचायतों पर राज्य विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून वहाँ के प्रथागत क़ानूनों, रीति-रिवाजों, धार्मिक प्रचलनों आदि के अनुरूप होगा।
2. यहाँ गाँव का मतलब अपनी परंपराओं एवं रिवाजों के अनुसार जीवनयापन कर कर रहे एक समुदाय का वास स्थल अथवा वास स्थलों का एक समूह या फिर एक टोला अथवा टोलों का समूह होगा।
3. प्रत्येक गाँव में एक ग्राम सभा होगी जिसमें ऐसे लोग होंगे जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के लिए निर्वाचक सूची में दर्ज हो।
4. प्रत्येक ग्राम सभा अपने और अपने लोगों की परम्पराओं एवं प्रथाओं, सामाजिक- सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक संसाधन तथा विवाद निवारण के परंपरागत तरीकों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए सक्षम होगी।
5. सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों एवं परियोजना को ग्राम पंचायत द्वारा क्रियान्वित करने से पहले, ग्राम सभा से स्वीकृति लेनी होगी।
6. संविधान के भाग 9 के अंतर्गत जिन समुदायों के संबंध में आरक्षण के प्रावधान हैं, उन्हें अनुसूचित क्षेत्रों के प्रत्येक पंचायत में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन साथ में यह शर्त भी है कि अनुसूचित जनजातियों (scheduled tribes) का आरक्षण कुल स्थानों के 50% से कम नहीं होगा तथा पंचायतों के सभी स्तरों पर अध्यक्षों के पद अनुसूचित जनजाति (scheduled tribe) के लिये आरक्षित रहेंगे।
7. जिन अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व मध्यवर्ती स्तर की पंचायत या जिला स्तर की पंचायत में नहीं है उन्हे सरकार द्वारा नामित (nominated) किया जाएगा। लेकिन नामित सदस्यों की संख्या पंचायत में निर्वाचित कुल सदस्यों की संख्या के 1/10 वें भाग से अधिक नहीं होगी।
8. इन क्षेत्रों में विकास परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के पहले ग्राम सभा अथवा उपयुक्त स्तर की पंचायत से सलाह की जाएगी। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में इन परियोजनाओं से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास के पहले भी ग्राम सभा अथवा उपयुक्त स्तर की पंचायत से सलाह की जाएगी।
9. इन क्षेत्रों में लघु जल स्रोतों के लिए आयोजना एवं प्रबंधन की ज़िम्मेदारी उपयुक्त स्तर के पंचायत को दी जाएगी।
10. अधिसूचित क्षेत्रों मे छोटे स्तर पर खनिजों का खनन संबंधी लाइसेन्स प्राप्त करने के लिए ग्राम सभा अथवा उपयुक्त स्तर की पंचायत की अनुशंसा प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
11. अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत स्वशासन संस्थाओं के तौर पर कार्य कर सके इसके लिये राज्यों के विधानमंडल यह सुनिश्चित करेंगे कि उपयुक्त स्तर पर पंचायत तथा ग्राम सभा को –
(a) किसी भी मादक पदार्थ की बिक्री या उपभोग को प्रतिबंधित या नियमित करने का अधिकार होगा।
(b) छोटे स्तर पर वन उपज पर स्वामित्व होगा।
(c) गाँवों के हाट-बाज़ारों के प्रबंधन की शक्ति होगी।
(d) अनुसूचित जनजातियों को पैसा उधार दिये जाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने की शक्ति होगी।
(e) सभी सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत संस्थाओं एवं पदाधिकारियों पर नियंत्रण रखने की शक्ति होगी।
12. राज्य विधानमंडल ऐसी व्यवस्था बनाएगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च स्तर की पंचायतें निचले स्तर की किसी पंचायत या ग्राम सभा के अधिकारों का हनन नहीं कर सके।
13. अनुसूचित क्षेत्रो में जिला स्तर पर प्रशासकीय व्यवस्था बनाते समय राज्य विधानमंडल संविधान की छठी अनुसूची को फॉलो करेगी।