प्रतिभूति बाज़ार दो प्रकार के होते हैं – प्राथमिक बाज़ार और द्वितीयक बाज़ार। प्रतिभूतियां प्राथमिक बाज़ार में पहली बार आती है और फिर उसके बाद द्वितीयक बाज़ार में खरीद-बिक्री के लिए हमेशा उपलब्ध रहती है। इसी द्वितीयक बाज़ार को स्टॉक मार्केट कहा जाता है और इसी को स्टॉक एक्स्चेंज भी कहा जाता है।

इस लेख में हम स्टॉक एक्स्चेंज (Stock Exchange) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे, तो लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

नोट – अगर आप शेयर मार्केट के बेसिक्स को ज़ीरो लेवल से समझना चाहते हैं तो आपको पार्ट 1 से शुरुआत करनी चाहिए। अगर वो समझ चुके है या सिर्फ स्टॉक एक्स्चेंज (stock exchange) को ही समझना है तो फिर जारी रखें।

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स्टॉक एक्स्चेंज क्या है?

अगर किसी कंपनी को अपना शेयर बेचना है तो वे लोगों के घर-घर जाकर तो नहीं बेचेंगे इसीलिए एक ऐसी जगह तो होनी ही चाहिए जहां से कंपनी अपना शेयर बेच सके और निवेशक उसे वहाँ से खरीद सके। वहीं जगह है, स्टॉक एक्स्चेंज (Stock exchange)

दूसरे शब्दों में, स्टॉक एक्स्चेंज (Stock exchange) एक वित्तीय संगठन है जहां पर प्रतिभूति बाज़ार के संघटकों जैसे कि शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर, आदि की खरीद-बिक्री की जाती है।

स्टॉक एक्स्चेंज अर्थात शेयर बाज़ार कंपनियों को पैसा एवं तरलता उपलब्ध कराने का काम करता है और निवेशकों, ट्रेडर्स और कंपनी, सभी के लिए एक सुलभ और पारदर्शी प्लैटफ़ार्म मुहैया कराता है।

प्रतिभूति बाज़ार (नियामक) अधिनियम 1956 के अनुसार शेयर बाज़ार का मतलब ऐसे बाज़ार से है जो कि प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त, निपटान हेतु सहायता, नियमन एवं नियंत्रण उद्देश्य से स्थापित किया जाये।

स्टॉक एक्स्चेंज के प्रमुख कार्य

1. स्टॉक एक्स्चेंज, प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री के द्वारा प्रतिभूति बाज़ार में तरलता (Liquidity) उपलब्ध कराता है। यानी कि लोग अपने-अपने को घरों से पैसे बाहर निकालकर बाज़ार में लाते है, जो कि इसका सही स्थान भी है।

2. स्टॉक एक्स्चेंज, द्वितीयक प्रतिभूति बाज़ार का अकेला सबसे महत्वपूर्ण संस्थान है जो शेयरों का मूल्य निर्धारण करके निवेशकों को अति महत्वपूर्ण सूचना उपलब्ध कराता है। शेयरों का मूल्य निर्धारण मांग एवं पूर्ति की सिद्धांत द्वारा निर्धारित होता है।

3. ये अपने सूचकांकों (Indices) द्वारा प्रतिभूति बाज़ार की वर्तमान स्थिति, रुझान आदि सूचनाएँ उपलब्ध करता है। जिससे कि निवेशकों को बाज़ार के मूड का पता चलता है।

4. ये सूचीबद्ध (Listed) कंपनियों को उनके वर्तमान स्टॉकधारकों की सूचना प्रदान करता है जिससे कि कंपनियों को कई सुविधाएं मिलती है। जैसे कि लाभांश (Dividend) का वितरण।

5. शेयर बाज़ार सट्टेबाजों के लिए एक ऐसा वैधानिक स्थान उपलब्ध करवाता है जहां वो कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत रहकर सट्टा संबंधी गतिविधियों में भाग ले सकता है और अपने लक को आजमा सकता है।

भारत में स्टॉक एक्स्चेंज का इतिहास

विश्व में पहले स्टॉक एक्स्चेंज की स्थापना 1631 में बेल्जियम के एंटवर्प शहर में हुई थी। इस हिसाब से देखें तो भारत में ये काफी देर से आया क्योंकि इसके पदार्पण का इतिहास 18वीं सदी के अंत में दिखाई देता है।

हालांकि औपचारिक रूप से भारत में पहला स्टॉक एक्स्चेंज (शेयर बाज़ार ) 1875 में बंबई में स्थापित हुआ। इसका नाम बंबई नेटिव शेयर एवं स्टॉक ब्रोकर्स एसोशिएशन था। आज इसे ही बाम्बे स्टॉक एक्स्चेंज (Bombay Stock Exchange – BSE) के नाम से जाना जाता है।

आगे चलकर इसे फॉलो करते हुए अहमदाबाद (1894), कलकत्ता (1908) और मद्रास (1937) में भी स्टॉक एक्स्चेंजों का विकास हुआ। यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि 1990 के दशक के प्रारम्भ तक भारतीय द्वितीयक बाज़ार क्षेत्रीय स्थानीय शेयर बाज़ार तक ही सीमित था।

वर्ष 1991 के सुधारों के पश्चात भारतीय द्वितीयक बाज़ार ने तीन स्तरीय स्वरूप प्राप्त किया। इसमें शामिल था – क्षेत्रीय शेयर बाज़ार, राष्ट्रीय शेयर बाज़ार, ओवर द काउंटर एक्स्चेंज ऑफ इंडिया (OTCEI)

बाम्बे स्टॉक एक्स्चेंज (BSE)

भारत में मुख्य दो स्टॉक एक्स्चेंज है एक है Bombay Stock Exchange (BSE) और दूसरा है National Stock Exchange (NSE)।

बाम्बे स्टॉक एक्स्चेंज भारत का प्रथम स्टॉक एक्स्चेंज है पहले ये एक प्रादेशिक स्टॉक एक्स्चेंज (क्षेत्रीय शेयर बाज़ार) था जिसे कि 2002 में राष्ट्रीय स्टॉक एक्स्चेंज (राष्ट्रीय शेयर बाज़ार) में परिवर्तित कर दिया गया। भारत के कुल स्टॉक के 75 प्रतिशत का कारोबार इसी के माध्यम से होता है।

वर्तमान में BSE से सम्बद्ध चार शेयर सूचकांक है। 1. सेंसेक्स (Sensex) 2. BSE 200 3. BSE 500 4. राष्ट्रीय सूचकांक (National Index)।

इसमें से जो सबसे फेमस सूचकांक (Index) है वो है सेंसेक्स (Sensex)। हम सेंसेक्स के बारे में तो समझेंगे ही पर उससे पहले आइये जानते है कि सूचकांक क्या होता है।

सूचकांक क्या है? (What is an index?)

सूचकांक या इंडेक्स किसी चीज़ के प्रदर्शन को मानकीकृत तरीके से ट्रैक करने का एक तरीका है। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी सामग्री के क्रमिक व्यवस्था (विशेष रूप से वर्णमाला या संख्यात्मक क्रम में) को सूचकांक (Index) कहते हैं। जैसे कि स्टॉक मार्केट को मानकीकृत तरीके से ट्रैक करने को स्टॉक इंडेक्स (Stock index) कहते हैं।

सेंसेक्स क्या है? – BSE के लिए ये जो सूचकांक है उसे सेंसेक्स कहते हैं। सेंसेक्स (SENSEX) का मतलब होता है – Sensitive Index

सेंसेक्स दरअसल 30 सबसे बड़ी कंपनियों का इंडेक्स है। शेयर मार्केट की वर्तमान स्थिति को बताने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। शेयर मार्केट अच्छा प्रदर्शन कर रहा है या बुरा, ये इससे पता चलता है। देश की सबसे बड़ी 30 कंपनियां अगर अच्छा प्रदर्शन कर रही है तो ये मान लिया जाता है कि शेयर मार्केट अच्छा कर रही है और अगर वो 30 कंपनियाँ घाटे में जा रही है तो इसका मतलब शेयर मार्केट गिर रहा है।

अब आपके मन में सवाल आ सकता है कि 30 कंपनियाँ ही क्यों जबकि यहाँ तो लाखों कंपनियाँ है। दरअसल बात ये है कि ये जो सबसे बड़ी 30 कंपनियाँ है उसका मार्केट वैल्यू इतना ज्यादा होता है कि इसी से पूरे मार्केट का मोटा-मोटा अंदाजा लग जाता है कि मार्केट किस दिशा की ओर जाएगी।

इसे आप इस तरह से समझ सकते है – मान लीजिये कि किसी टीम में 3-4 अच्छे बल्लेबाज हैं तो क्या सिर्फ उसके खेल देखकर ये अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि पूरा खेल किस दिशा में जाएगा। बिलकुल लगाया जा सकता है और लगाया भी जाता है। यही काम यहाँ भी होता है सबसे बड़ी 30 कंपनियों का प्रदर्शन देखकर अंदाजा लगा लिया जाता है कि मार्केट किस दिशा में जा रहा है या जाने वाला है।

1979 में जब सेंसेक्स को लॉंच किया गया था तब 30 कंपनियों का वैल्यू 100 रखा गया था। यानी कि उस समय का सेंसेक्स 100 था। जबकि आज के सेंसेक्स की बात करें तो आज ये 60,000 है। इसका मतलब ये हुआ उस दिन अगर किसी ने 100 रुपया का स्टॉक खरीदा होगा तो आज के हिसाब से उसका मूल्य 60,000 रुपया हो गया होगा। अब आप समझ रहे होंगे कि क्यों सेंसेक्स का ऊपर जाना निवेशकों के लिए अच्छा होता है

इसी प्रकार से बाम्बे स्टॉक एक्स्चेंज और भी 3 प्रकार के इंडेक्स जारी करता है, जैसे कि BSE 200 – जिस प्रकार सेंसेक्स 30 कंपनियों के परफ़ोर्मेंस को दिखाता है उसी प्रकार BSE 200, 200 कंपनियों का सूचकांक है जिसमें कि सेंसेक्स के 30 कंपनियाँ भी शामिल होती है।

विदेशी निवेशकों के लिए इसका डॉलर वर्जन भी बनाया गया है जिसे Dollex कहा कहा जाता है। इसी प्रकार BSE 500, सबसे बड़े 500 कंपनियों का सूचकांक है और राष्ट्रीय सूचकांक (National index) – कुल 100 कंपनियों का इंडेक्स है, जिसमें कि सेंसेक्स की कंपनियाँ भी शामिल होती है।

कुल मिलाकर यही सेंसेक्स और इंडेक्स का बेसिक्स है। इसी तरह से सब स्टॉक एक्स्चेंज का अपना इंडेक्स होता है। जैसे कि National Stock Exchange (NSE) की बात करें तो वे निफ्टी (Nifty) के नाम से इंडेक्स जारी करती है। जो कि देश कि सबसे बड़ी 50 कंपनियों का इंडेक्स होता है। सेंसेक्स से ये इस मायने में अलग है कि जहां सेंसेक्स का Base Value 100 है, वहीं निफ्टी का Base Value 1000 है।

ओवर द काउंटर एक्स्चेंज ऑफ इंडिया (OTCEI)

OTCEI का परिचालन 1992 से शुरू हुआ और ये मुंबई में स्थित है। यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन काम करता है। यह छोटी कंपनियों के लिए भारत का पहला एक्सचेंज था और साथ ही भारत में पहला कम्प्यूटरीकृत स्टॉक एक्सचेंज भी।

OTCEI की स्थापना सेटलमेंट में होने वाले विलंब को रोकने, धोखाधड़ी को रोकने और छोटी कंपनियों को शेयर बाज़ार से जोड़ने के उद्देश्य से की गई थी। हालांकि OTCEI अब एक कार्यात्मक एक्सचेंज नहीं है क्योंकि इसे सेबी ने 31 मार्च 2015 के अपने आदेश के माध्यम से इसकी मान्यता रद्द कर दी।

अब हम बात करेंगे स्टॉक एक्स्चेंज के घटकों के बारे में, जो कि स्टॉक एक्स्चेंज का ही एक भाग है और इसे अच्छे से चलते रहने में ये मदद करते हैं।

| स्टॉक एक्स्चेंज के घटक

ब्रोकर या दलाल – ये एक मिडिलमैन का काम करता है जो कि स्टॉक एक्स्चेंज का एक पंजीकृत सदस्य होता है। ये अपने ग्राहक की तरफ से प्रतिभूतियों की खरीद या बिक्री करता है और कुल सौदा पर अपना कमीशन लेता है। इसीलिए इसे कमीशन ब्रोकर भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए, एंजेल ब्रोकर, जीरोधा आदि

जॉब्बर या आढ़ती – एक जॉब्बर ब्रोकर का भी ब्रोकर होता है। जिस तरह एक आम निवेशक ब्रोकर के संपर्क में रहता है उसी तरह एक ब्रोकर जॉब्बर के संपर्क में रहता है। दूसरे शब्दों में कहें तो जॉब्बर का आम निवेशकों से कोई संपर्क नहीं होता है।

ये स्टॉक एक्स्चेंज में ही ट्रेडिंग पोस्ट पर नियुक्त होता है और वहीं से कम मूल्य अंतरों पर प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री का काम करता हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज में इसे तारवानी वाला कहा जाता है। वहीं लंदन स्टॉक एक्स्चेंज में इसे मार्केट मेकर कहा जाता है। बॉम्बे स्टॉक में अगर किसी कंपनी की 3 करोड़ से ऊपर की शेयर पूंजी है तो वह जॉब्बर को नियुक्त कर सकता है।

सेबी (SEBI)

भारतीय प्रतिभूति बाज़ार का उचित और जरूरी रेग्युलेशन के उद्देश्य से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Security and Exchange Board of India – SEBI) का वर्ष 1988 में एक गैर-संवैधानिक निकाय के रूप में स्थापना किया गया था।

हालांकि सेबी अधिनियम, 1992 द्वारा इसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इसका मुख्यालय मुंबई में है। सेबी के बोर्ड में चेयरमैन के अतिरिक्त 9 अन्य सदस्य होते हैं।

सेबी की स्थापना के कारण पूंजी बाज़ार में 1980 के दशक में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई। निवेशकों की लगातार बढ़ती संख्या और बाज़ार पूंजीकरण के विस्तार के कारण कंपनियों, दलालों तथा प्रतिभूति बाज़ार में सम्मिलित अन्य लोगों को कई प्रकार की आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया जाने लगा। इससे इस बाज़ार की छवि धूमिल हुई और निवेशकों का भरोसा इस पर कम होने लगा। इसी सब को ध्यान में रखकर सेबी का गठन किया गया।

सेबी का उद्देश्य – सेबी का उद्देश्य एक ऐसे माहौल को तैयार करना है जिसके माध्यम से प्रतिभूति बाज़ार के संसाधनों का उचित नियोजन संभव हो सके और इसकी गतिशीलता बरकरार रह सके। इसके साथ ही इसका उद्देश्य प्रतिस्पर्धा को उत्प्रेरित करना और नवाचारों को प्रोत्साहित करना है।

सेबी के कार्य – सेबी अधिनियम 1992 के अनुसार सेबी के कुछ महत्वपूर्ण कार्य इस प्रकार है –

1. ये स्टॉक एक्स्चेंज, मर्चेन्ट बैंक, म्यूचुअल फ़ंड, ब्रोकरों, रजिस्ट्रार, हस्तांतरण एजेंट (transfer agent) आदि का पंजीकरण करता है।

2. ये इन्वेस्टिंग से जुड़े शिक्षा को प्रोत्साहन देता है। इसके अलावा ये समय-समय पर जरूरी गाइडलाइंस जारी करता है और भारतीय प्रतिभूति बाज़ार पर अपनी नजर बनाए रखता है।

3. ये स्टॉक एक्स्चेंज तथा संबन्धित अन्य मध्यस्थों की जांच तथा उनकी ऑडिट करता है ताकि सबकुछ व्यवस्थित और कानूनसम्मत तरीके से चलता रहे।

उम्मीद है स्टॉक एक्स्चेंज को आप समझ गए होंगे। अगले पार्ट में हम कुछ दिलचस्प उदाहरणों के माध्यम से समझेंगे कि शेयर मार्केट काम कैसे करता है

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