इस लेख में हम सूडानी भाषा परिवार [Sudanese languages] पर सरल एवं सहज़ चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे।

बेहतर समझ के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें और इसके पिछले वाले लेख को अवश्य पढ़ें ताकि आप समझ सकें कि भाषाओं के वर्गीकरण का आधार क्या है? 📄 भाषा से संबंधित लेख

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सूडानी भाषा
Image credit – wikimedia

| सूडानी भाषा परिवार की पृष्ठभूमि

भाषा को मुख्य रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है – आकृतिमूलक वर्गीकरण (morphological या syntactical classification) और पारिवारिक वर्गीकरण (genealogical classification)।

पारिवारिक वर्गीकरण के तहत विद्वानों ने सम्पूर्ण भाषा को भौगोलिक आधार पर पहले चार खंड में विभाजित किया है, जो कि कुछ इस तरह है; (1) अमेरिकी खंड (2) अफ्रीका खंड (3) यूरेशिया खंड (4) प्रशांत महासागर खंड

इसी में से अफ्रीका खंड के तहत 3 भाषा परिवारों को रखा गया है, उसी में से एक है सूडानी भाषा परिवार [Sudanese languages], और इस लेख में हम इसी पर चर्चा करने वाले हैं।

Read – भारोपीय भाषा परिवार (Indo-European Language Family)

अफ्रीका भाषायी विविधता से परिपूर्ण है। पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में बोली जाने वाली अधिकांश भाषाएँ चार भाषा परिवारों से आती हैं;

[1] नीलो-सहारन भाषाएँ (Nilo-Saharan languages) – नीलो-सहारन भाषा परिवार में एक भाषण क्षेत्र है जो नील घाटी से उत्तरी तंजानिया तक और नाइजीरिया और कांगो में फैला है। इसकी प्रमुख भाषाएँ हैं; कनुरी, फर, सोंगहे, नोबिन और व्यापक नीलोटिक परिवार (जिनमें लुओ, दिनका और मासाई शामिल हैं)।

[2] नाइजर-कांगो भाषाएँ (Niger-Congo languages) – नाइजर-कांगो भाषाएँ पश्चिम अफ्रीका में बोली जाने वाली सबसे बड़ी भाषा परिवार हैं। इस परिवार की अधिकांश भाषाएँ तानवाला (tonal) हैं जैसे, योरूबा और इग्बो, अकान और ईवे भाषा। नाइजर-कांगो भाषाओं की एक प्रमुख शाखा बंटू (bantu) है, जिसमें परिवार के बाकी हिस्सों की तुलना में व्यापक भाषण क्षेत्र है।

[3] एफ्रो-एशियाई भाषाएं (Afro-Asiatic languages) – एफ्रो-एशियाई भाषाएं पूरे उत्तरी अफ्रीका, हॉर्न ऑफ अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और साहेल के कुछ हिस्सों में बोली जाती हैं। 400 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली लगभग 375 अफ्रीकी भाषाएं हैं। एफ्रो-एशियाटिक के मुख्य उप-परिवार बर्बर, चाडिक, कुशिटिक, ओमोटिक, मिस्र और सेमिटिक हैं। परिवार की सबसे व्यापक शाखा, सेमिटिक भाषाएं (अरबी, अम्हारिक् और हिब्रू), अफ्रीका के बाहर बोली जाने वाली अफ्रीकी भाषा की एकमात्र शाखा है।

[4] अन्य भाषा परिवार (other language families) – इसके तहत उन भाषाओं या भाषा परिवारों को रखा जाता है जो कि अफ्रीकी महाद्वीप के बाहर केंद्रित या उत्पन्न होने वाले भाषा परिवारों से संबंधित हैं। जैसे कि, ऑस्ट्रोनेशियन (Austronesian), इंडो-यूरोपीय (Indo-European), क्रियोल भाषाएं (creole languages) इत्यादि।

जैसा कि हमने ऊपर समझा अफ्रीका में बोली जाने वाली अधिकांश भाषाएँ चार भाषा परिवारों में आती हैं; उनमें से तीन- एफ्रो-एशियाटिक, नाइजर-कांगो और निलो-सहारन, सूडानी भाषा में प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रत्येक भाषा परिवार को कई भाहसा समूहों में विभाजित किया जाता है। सूडान में तीन परिवारों में से प्रत्येक के दो या दो से अधिक प्रमुख समूह मौजूद हैं।

सूडान में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा अरबी है, जो एफ्रो-एशियाई भाषा परिवार की सेमिटिक शाखा का सदस्य है। एफ्रो-एशियाटिक की एक अन्य प्रमुख शाखा कुशिटिक (Cushitic) का प्रतिनिधित्व बेडाविये (bedeviye) द्वारा किया जाता है, जो बड़े पैमाने पर खानाबदोश बेजा लोगों द्वारा बोली जाती है।

चाडिक (Chadic), एक तीसरी एफ्रो-एशियाटिक शाखा, इसकी सबसे महत्वपूर्ण एकल भाषा, हौसा, एक पश्चिम अफ्रीकी भाषा है जिसका इस्तेमाल नाइजीरिया में होसा लोगों द्वारा किया जाता है और सूडान में कई अन्य पश्चिम अफ्रीकियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।

अरबी के कई अलग-अलग रूप हैं, और एक में महारत हासिल करने वाले सभी लोग दूसरे का उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं। विद्वानों द्वारा नोट की गई किस्मों में शास्त्रीय अरबी (कुरान की भाषा), व्यापक बोली जाने वाली भाषा नहीं है। बल्कि ये ज्यादातर इस्लामी संस्कार और कविता में उपयोग की जाती है।

सूडान में कम से कम दो प्रकार की बोलचाल की अरबी हैं – जो देश के पूर्वी हिस्से में बोली जाती हैं वह सूडानी या ओमदुरमानी (Omdurmani) बोलचाल की अरबी के रूप में जानी जाती हैं। और जो पश्चिमी सूडान में बोली जाती है, वो चाड में बोली जाने वाली बोलचाल की अरबी के समान है।

न्युबियन भाषाएँ (Nubian languages) सूडान और दक्षिणी मिस्र में बोली जाने वाली भाषाओं का समूह हैं, मुख्यतः नील नदी के किनारे, जहाँ नोबिन और केन्ज़ी बोली जाती हैं। और दक्षिणी सूडान के नुबा हिल्स और दारफुर के क्षेत्रों में, जहां बिरकेड (Birked) और मिडोब (midob) बोली जाती है।

इन भाषाओं को अब नीलो-सहारन भाषा परिवार (Nilo-Saharan language family) का हिस्सा माना जाता है।

तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में ग्रीक भूगोलवेत्ता एराटोस्थनीज द्वारा नुबाई का उल्लेख एक जातीय नाम के रूप में किया गया था, जो आज के दक्षिणी मिस्र और उत्तरी सूडान में असवान के दक्षिण में नील घाटी के निवासियों को दर्शाता है।

वहीं नाइजर-कांगो भाषा समूह की बात करें तो इसमें भाषाओं के कई प्रभाग और उपखंड शामिल हैं। जिसमें से अज़ांडे (Azande) और आदमवा-पूर्वी भाषा प्रभाग की कई अन्य भाषाएं, और साथ ही पश्चिम अटलांटिक डिवीजन के फुलानी भाषा (Fulani language) सूडान में प्रतिनिधित्व पाता है।

विशेषताएँ

सूडानी भाषाएँ अयोगात्मक है।

अयोगात्मक भाषा (Isolation Language)
इस अयोगात्मक में आयोग का अर्थ ये है की यहाँ शब्द में ‘उपसर्ग’ या ‘प्रत्यय’ जोड़ कर रूप रचना नहीं किया जाता है बल्कि इस पद्धति में प्रत्येक शब्द का अपना एक स्वतंत्र सत्ता विद्यमान होता है। इसी कारण से इस वर्ग के भाषा में प्रत्येक शब्द स्वतंत्र रीति से अलग-अलग प्रयुक्त होता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो इस तरह के भाषा में में शब्द का स्थान परवर्तित होने से अर्थ भी परिवर्तित हो जाता है। इसके अतिरिक्त शब्द संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया विशेषण आदि भेद भी नहीं होता है। उदाहरण ;
कुत्ते ने सांप को काट लिया
सांप ने कुत्ते को काट लिया
यहाँ जो अर्थ बदला है वो रूप परिवर्तन से नहीं बल्कि स्थान भेद से बदला है। यानी कि कर्ता और कर्म की भूमिका स्थान परिवर्तन के कारण बदला है।

अर्थभेद करने के लिए ‘सुर’ और ‘तान’ का उपयोग होता है।

धातुएँ एकाक्षर हैं। दो-दो शब्दों को जोड़कर अर्थ का बोध कराया जाता है।

‘पुरुष’ और ‘स्त्री’ का वाचक शब्द लगाकर लिंग बोध कराया जाता है। कुछ शब्दों का केवल एक लिंग है। जैसे ‘वह’ एक ही लिंग में प्रयुक्त होता है।

बहुवचन का भाव स्पष्ट नहीं है। बहुवचन बनाने के कुछ उपाय ये हैं- (क) शब्द के बाद बहुत्वसूचक शब्द जोड़ देना। जैसे ‘वे’, ‘उनको’ आदि जैसा समानार्थक शब्द। (ख) ह्रस्व स्वर को दीर्घ करना।

इस परिवार में कुछ विशेष प्रकार के शब्द हैं, इन्हे कई नाम दिये गए हैं – शब्द चित्र, ध्वन्यात्मक, वर्णनात्मक क्रिया-विशेषण। जैसे हिन्दी में खटखट, पट-पट आदि क्रियाविशेषण या विशेषण होते हैं उसी तरह से सूडानी में भी होते हैं जैसे कि क-क (सीधा), त्य-त्य (जल्दी), त्यो-त्यो (लंबी चाल से), सी-सी (छोटे कदम रखकर) इत्यादि।

उम्मीद है सूडानी भाषा आपको समझ में आया होगा। भाषा विज्ञान को अच्छे से समझने के लिए भाषा पर लिखे अन्य लेखों को भी पढ़ें;

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भाषा और बोली में अंतर।Language and Dialect in Hindi
भाषा में परिवर्तन का कारण : संक्षिप्त परिचर्चा [भाषा-विज्ञान]
भाषा का पारिवारिक वर्गीकरण [संक्षिप्त एवं सटीक विश्लेषण]

References,
भाषा विज्ञान [सूडानी भाषा ] DDE MD University [Text Book]
Wikipedia contributors. (2022, May 22). Languages of Sudan. In Wikipedia, The Free Encyclopedia. Retrieved 12:59, August 31, 2022, from https://en.wikipedia.org/w/index.php?title=Languages_of_Sudan&oldid=1089241872
Britannica, The Editors of Encyclopaedia. “Nubian languages”. Encyclopedia Britannica, 22 Apr. 2016, https://www.britannica.com/topic/Nubian-languages. Accessed 27 September 2022.