इस लेख में हम बहुमत_(majority) के कई अन्य प्रकारों पर सरल और संक्षिप्त चर्चा करेंगे एवं इसके अवधारणा को समझने की कोशिश करेंगे;

तो अच्छी तरह से समझने के लिए इस लेख के अंत तक जरूर पढ़ें और साथ ही इससे जुड़े हुए अन्य लेखों को भी पढ़ें।

संविधान संशोधन की प्रक्रिया में बहुमत का बहुत बड़ा रोल होता है। उस प्रक्रिया में मुख्य रूप से तीन प्रकार के बहुमत को प्रयोग में लाया जाता है। लेकिन बहुमत के अन्य प्रकार भी होते हैं।

बहुमत के प्रकार
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बहुमत कितने प्रकार का होता है?

बहुमत (majority) शब्द का इस्तेमाल प्रायः वोटिंग के सेंस में किया जाता है। ये समान्यतः चार प्रकार का होता है –

(1) सामान्य बहुमत (Simple Majority)

(2) पूर्ण बहुमत (Absolute Majority)

(3) प्रभावी बहुमत (Effective Majority) और

(4) विशेष बहुमत (Special Majority)

आइये इसे एक-एक करके समझते हैं;

सामान्य बहुमत (Simple Majority)

इससे लगभग सभी अवगत होते ही हैं। इसका मतलब होता है – उपस्थित कुल सदस्यों का या फिर मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों का 50 प्रतिशत से अधिक। यानी कि अगर 100 लोग वोटिंग कर रहें है तो कम से कम 51 की सहमति।

सामान्य स्थितियों में ज़्यादातर इसी का इस्तेमाल होता है जैसे कि – अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion), विश्वास प्रस्ताव (motion of confidence), धन बिल (Money bill), सामान्य बिल (General bill), इत्यादि।

पूर्ण बहुमत (Absolute Majority)

इसमें भी 50 प्रतिशत से अधिक सदस्यों की सहमति ही काउंट किया जाता है पर अंतर बस इतना है कि इसमें खाली सीटों को भी काउंट किया जाता है। मतलब ये कि जो सदस्य अनुपस्थित है उसकी भी काउंटिंग होती है।

जैसे कि अगर लोकसभा में इसका इस्तेमाल किया जाएगा तो कम से कम 273 सदस्यों की सहमति जरूरी है भले ही बहुत सारे सदस्य सभा में उपस्थित न हो।

इसे खासतौर पर सरकार बनाने के समय इस्तेमाल किया जाता है। आपने सुना भी होगा, 273 या अधिक सीटें प्राप्त कर लेने के बाद अक्सर ये कहा जाता है कि अमुक सरकार पूर्ण-बहुमत की सरकार है।

प्रभावी बहुमत (Effective Majority)

ये पूर्ण-बहुमत (Absolute majority) का ही उल्टा है। जहां पूर्ण-बहुमत में खाली सीटों को भी काउंट किया जाता है वहीं इसमें खाली सीटों को छोडकर काउंट किया जाता है। यानी कि जितना उपस्थित है उसी का 50 प्रतिशत या उससे अधिक।

इसका उपयोग आमतौर पर महाभियोग के दौरान किया जाता है। जैसे कि अगर लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति को पद से हटाना हो।

यहाँ याद रखिए कि राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता पड़ती है। ज्यादा जानकारी के लिए अनुच्छेद 61 पढ़ें;

विशेष बहुमत (Special Majority)

भारत के संविधान में कई प्रकार के विशेष_बहुमत (Special Majority) की चर्चा की गयी है। आइये हम उसे एक-एक करके देखते हैं।

अनुच्छेद 368 के तहत विशेष_बहुमत

संविधान के ज़्यादातर उपबंधों का संशोधन इसी के द्वारा किया जाता है। अनुच्छेद 368 के अनुसार इसका का मतलब होता है – प्रत्येक सदन के कुल सदस्यों का बहुमत और उस दिन सदन में उपस्थित और मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों का दो तिहाई बहुमत।

इसे इस उदाहरण से समझिए – जैसे कि लोकसभा की बात करें तो वहाँ कुल 545 सदस्य होते है। अब इसका साधारण बहुमत निकालें तो ये 273 होता है। यानी कि इतना तो चाहिए ही।

इसके साथ ही, अब मान लेते हैं कि जिस दिन वोटिंग होनी है उस दिन सिर्फ 420 सदस्य ही लोकसभा में उपस्थित है और वे सभी मतदान में भाग लेंगे तो, उन सब का दो तिहाई बहुमत (Two thirds majority) होना चाहिए। यानी कि 280 सदस्यों की सहमति भी।

कुल मिलाकर अगर 280 सदस्यों की सहमति मिल जाए तो दोनों शर्ते पूरी हो जाएंगी। इसी को विशेष बहुमत कहा जाता है। इस प्रकार के विशेष बहुमत से मूल अधिकार (Fundamental Rights), राज्य के नीति के निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy) आदि को संशोधित किया जाता है।

अनुच्छेद 249 के तहत विशेष बहुमत

अनुच्छेद 249 के तहत भी विशेष बहुमत की चर्चा की गयी है। इसमें और अनुच्छेद 368 वाले विशेष बहुमत में अंतर बस इतना है कि अनुच्छेद 247 वाले विशेष बहुमत में सिर्फ मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों की दो तिहाई सहमति की आवश्यकता होती है

वहीं अनुच्छेद 368 वाले में उपस्थित और मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों की दो तिहाई सहमति के अलावे कुल सदस्यों का भी बहुमत (50 प्रतिशत या उससे अधिक) जरूरी होता है।

अनुच्छेद 61 के तहत विशेष_बहुमत

एक और विशेष_बहुमत होता है। जिसका कि जिक्र अनुच्छेद 61 में किया गया है। अनुच्छेद 61 दरअसल राष्ट्रपति पर महाभियोग के बारे में है। इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाना हो। इसके लिए सदन के कुल सदस्यों का दो तिहाई सहमति आवश्यक है।

राष्ट्रपति पर महाभियोग लगना कोई सामान्य बात तो है नहीं और ये अक्सर चर्चा में भी नहीं रहता, इसीलिए हम इसके बारे में आम तौर पर अंजान रहते हैं।

संसद के विशेष बहुमत के साथ-साथ आधे राज्य विधानमंडल की संस्तुति के द्वारा

भारत के संघीय ढांचे से संबन्धित जो भी संशोधन होता है उसके लिए संसद के विशेष बहुमत के साथ-साथ कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडलों की भी मंजूरी जरूरी होता है। यहाँ याद रहे कि संसद से तो विशेष बहुमत की दरकार होती है, लेकिन राज्य विधानमंडल में साधारण बहुमत से ही काम चल जाता है।

संघीय ढांचे से संबन्धित निम्नलिखित विषयों को देखा जा सकता है-

▪️ राष्ट्रपति का निर्वाचन एवं इसकी प्रक्रिया। (अनुच्छेद 54 और 55)
▪️ केंद्र एवं राज्य कार्यकारिणी की शक्तियों का विस्तार। (अनुच्छेद 73 और 162)
▪️ उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय। (अनुच्छेद 241, संविधान के भाग 5 का अध्याय 4 और भाग 6 का अध्याय 5)
▪️ केंद्र एवं राज्य के बीच विधायी शक्तियों का विभाजन। (संविधान के भाग 11 का अध्याय 1)
▪️ सातवीं अनुसूची से संबन्धित कोई विषय।
▪️ संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व।
▪️ संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और इसके लिए प्रक्रिया (अनुच्छेद 368)।

कुल मिलाकर यही है बहुमत_(majority) के विभिन्न प्रकार, उम्मीद है सभी प्रकार के बहुमत से परिचित हो गए होंगे। कुछ और बेहतरीन लेख यहाँ से पढ़ें

Types of Majority Practice Quiz upsc


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Chapter Wise Polity Quiz

बहुमत (majority) अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions - 4
  2. Passing Marks - 75 %
  3. Time - 3 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

Money Bill,

Only a motion by the ruling party is enough to pass it.
can be passed by a simple majority.
is passed by a special majority.

1 / 4

धन विधेयक,

  1. को पारित करने के लिए सिर्फ सत्ता पक्ष का प्रस्ताव की काफी है।
  2. को सामान्य बहुमत से पारित किया जा सकता है।
  3. को विशेष बहुमत से पारित किया जाता है।

Select the correct option from the given options.

  1. Amendment of fundamental right is done by special majority of Article 368.
  2. The boundaries of the territory etc. can be decided by simple majority.
  3. The special majority under Article 247 only requires the consent of two-thirds of the members participating in the voting.
  4. A two-thirds majority of the total members of the House is required to impeach the President.

2 / 4

दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें।

  1. मूल अधिकार का संशोधन अनुच्छेद 368 के विशेष बहुमत से होता है।
  2. राज्यक्षेत्र के सीमाओं आदि का निर्धारण सामान्य बहुमत से हो सकता है।
  3. अनुच्छेद 247 वाले विशेष बहुमत में सिर्फ मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों की दो तिहाई सहमति की आवश्यकता होती है।
  4. राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने के लिए सदन के कुल सदस्यों का दो तिहाई बहुमत आवश्यक होता है।

3 / 4

दिए गए अनुच्छेदों में से कौन सा अनुच्छेद विशेष बहुमत (Special Majority) से संबन्धित है?

Choose the correct statement from the given statements with reference to majority;

  1. 50% +1 of people voting can be called a simple majority.
  2. A money bill can be passed by a simple majority.
  3. Those voting in an absolute majority are counted as well as vacant seats.
  4. A special majority is required for a motion of no confidence.

4 / 4

बहुमत के संदर्भ में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. वोटिंग कर रहे लोगों के 50% +1 को सामान्य बहुमत कहा जा सकता है।
  2. धन विधेयक सामान्य बहुमत से पारित हो सकता है।
  3. पूर्ण बहुमत में वोट कर रहे लोगों के साथ-साथ खाली सीटों को भी गिना जाता है।
  4. अविश्वास प्रस्ताव के लिए विशेष बहुमत की जरूरत पड़ती है।

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मूल संविधान
Types of Majorities in the Indian Parliament
https://en.wikipedia.org/wiki/Majority