केंद्रद्–रा ज्य वि धा यी संबंध पर चर्चा [UPSC]
इस लेख में हम केंद्रद्–रा ज्य वि धा यी संबंध (Center-State Legislative Relations) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके वि भि न्न महत्वपूर्ण पहलुओंलु ओंको समझेंगे,
तो अच्छी तरह से समझने के लि ए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें सा थ ही इस टॉ पि क से संबंधि त अन्य लेखों को भी पढ़ें।
कि सी देश के अंदर केंद्रद् और रा ज्य हैं, या नी कि एक संघी य व्यवस्था है। तो कुछ न कुछ तो संबंध हो गा ही , वि धा यी संबंध उन्ही में से एक है।
केंद्रद् –रा ज्य संबंसं बंध (Center-state relationship)
? जैसा कि हम जा नते है कि भा रत का संवि धा न अपने आप में संघी य व्यवस्था वा ला है। और संघी य व्यवस्था शक्ति यों के वि भा जन के सि द्धां त पर आधा रि त हो ता है।
जि सका मतलब है कि संवि धा न द्वा रा प्रदत सा री की सा री शक्ति याँ जैसे कि वि धा यी (legislative), का र्यपा लक (executive)और वि त्ती य (financial) शक्ति याँ केंद्रद् और रा ज्यों के मध्य वि भा जि त है।
हा लां कि यहाँ पर एक बा त या द रखने यो ग्य है कि हमा रे संवि धा न में न्या यि क शक्ति यों के वि भा जन की को ई व्यवस्था नहीं है क्यों कि यहाँ पर एकल न्या यि क व्यवस्था है, ये ऐसा क्यों है इसे न्या या लय वा ले लेख से समझ सकते हैं।
केंद्रद् और रा ज्य के अपने-अपने अधि का र क्षेत्रत् है और दोनों ही उसमें स्वतंत्रत् है। पर फि र भी एक देश के रूप में देखा जा ए तो केंद्रद् एक अभि भा वक की भूमिभूमिका में नजर आता है। जि सका का म है सबको सा थ लेकर चलना ।
केंद्रद् और रा ज्य संबंध इसलि ए भी जा नना जरूरी है क्यों कि केंद्रद् आखि रका र जो भी करता है वो रा ज्य के लि ए ही तो करता है।
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दूसदू री बा त ये है कि इनके बी च के सम्बन्धों का अध्ययन करने से इन दोनों के अधि का र क्षेत्रत् को आसा नी से पृथक कि या जा सकता है। हमने संघी य व्यवस्था में और संसदीय व्यवस्था में देखा की कि स तरह केंद्रद् और रा ज्य के मध्य ची जों का बंटवा रा कर दि या गया है।
केंद्रद् –रा ज्य संबंध का वर्गी करण
अध्ययन की दृष्टिदृष्टि से देखें तो केंद्रद् और रा ज्य के सम्बन्धों को ती न भा गों में वि भक्त कि या जा सकता हैं;
1. वि धा यी संबंध (Legislative relationship)
2. प्रशा सनि क संबंध (Administrative relations)
3. वि त्ती य संबंध(Financial relations)
इस लेख में हम केंद्रद् और रा ज्य के वि धा यी संबंधों (Center-State Legislative Relations) की चर्चा करेंगे।
केंद्रद् –रा ज्य वि धा यी संबंसं बंध (Center-State Legislative Relations)
वि धा यी संबंध का सी धा सा मतलब है केंद्रद् और रा ज्य के मध्य वि धि बना ने के स्तर पर संबंध। संवि धा न के भा ग 11 में अनुच्नुछेद 245 से 255 तक केंद्रद्-रा ज्य वि धा यी सम्बन्धों (Center-state legislative relations) की चर्चा की गयी है।
दि ए गए चा र्ट में देख सकते हैं कि कि स अनुच्नुछेद में क्या प्रा वधा न है; (इसे हम आगे वि स्ता र से समझने वा ले हैं।)
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अनुच्नुछेद
संख्या प्रा वधा न
अनुच्नुछेद 245
अनुच्नुछेद 246
अनुच्नुछेद 246 (क)
अनुच्नुछेद 247
अनुच्नुछेद 248
अनुच्नुछेद 249
अनुच्नुछेद 250
अनुच्नुछेद 251
अनुच्नुछेद 252
अनुच्नुछेद 253
अनुच्नुछेद 254
अनुच्नुछेद 255
संसद द्वा रा और रा ज्यों के वि धा न-मंडमं लों द्वा रा बना ई गई वि धि यों का वि स्ता र संसद द्वा रा और रा ज्यों के वि धा न-मंडमं लों द्वा रा बना ई गई वि धि यों की वि षय-वस्तु मा ल एवं सेवा कर के संबंध में वि शेष उपबंध
कुछ अति रि क्त न्या या लयों की स्था पना का उपबंध करने की संसद की शक्ति अवशि ष्ट वि धा यी शक्ति याँ
रा ज्य सूची के वि षय के संबंध में रा ष्ट्री य हि त में वि धि बना ने की संसद की शक्ति
यदि आपा त की उद्घो षणा प्रवर्तन में हो तो रा ज्य सूची के वि षय के संबंध में वि धि बना ने की संसद की शक्ति
संसद द्वा रा अनुच्नुछेद 249 और 250 के अधी न बना ई गई वि धि यों और रा ज्यों के वि धा न-मंडमं लों द्वा रा बना ई गई वि धि यों में असंगति
दो या अधि क रा ज्यों के लि ए उनकी सहमति से वि धि बना ने की संसद की शक्ति और ऐसी वि धि का कि सी अन्य रा ज्य द्वा रा अंगी का र कि या जा ना
अंतररा ष्ट्री य करा रों को प्रभा वी करने के लि ए वि धा न
संसद द्वा रा बना ई गई वि धि यों और रा ज्यों के वि धा न-मंडमं लों द्वा रा बना ई गई वि धि यों में असंगति सि फ़ा रि शों और पूर्व मंजूमं रीजूरी के बा रे में अपेक्षा ओं को केवल प्रक्रि या के वि षय मा नना
जैसा कि हमने ऊपर भी चर्चा की है, संघी य व्यवस्था हो ने के का रण केंद्रद् और रा ज्य के मध्य शक्ति यों का बंटवा रा कर दि या गया है। जि समें केंद्रद् के पा स अपेक्षा कृत ज्या दा शक्ति याँ हैं। पर कि तनी वि धा यी शक्ति याँ केंद्रद् के पा स है और कि तनी वि धा यी शक्ति याँ रा ज्य के पा स है इसे चा र भा गों में बाँ ट कर देखा जा सकता है।
1. केंद्रद् और रा ज्य वि धा न के सी मां त क्षेत्रत्
2. केंद्रद्–रा ज्य वि धा यी वि षयों का बंटवा रा
3. रा ज्य क्षेत्रत् में संसदीय वि धा न
4. रा ज्य वि धा नमंडमं ल पर केंद्रद् का नि यंत्रत् ण
1. केंद्रद् और रा ज्य वि धा न के सी मां त क्षेत्रत्
इसका मतलब ये है कि केंद्रद् और रा ज्य के वि धा न बना ने की सी मा एं क्या -क्या है। संवि धा न, केंद्रद् और रा ज्यों के वि धा यी शक्ति यों के संबंध में सी मा ओं को लेकर, अनुच्नुछेद 245 के तहत नि म्न प्रा वधा न की व्यवस्था करता है,
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> संसद के पा स पूरे भा रत या इसके कि सी भी क्षेत्रत् के लि ए का नूननू बना ने अधि का र है। यहीं नहीं संसद द्वा रा बना या गया का नूननू भा रती य ना गरि क एवं उनकी वि श्व में कहीं भी संपत्ति पर भी ला गू हो ता है।
> रा ज्य वि धा नमंडमं ल की बा त करें तो रा ज्य वि धा नमंडमं ल सि र्फ उस रा ज्य के लि ए का नूननू बना सकती है।
कुछ वि शेष स्थि ति यों को छो ड़ देतो उसके अला वा रा ज्य वि धा नमंडमं ल द्वा रा नि र्मि त का नूननू रा ज्य के बा हर के क्षेत्रोंत् रों में ला गू नहीं हो ता है।
संसद के का नूननू पर प्रति बंध –
> कुछ क्षेत्रत् ऐसे भी हैं जहां पर संसद का का नूननू ला गू नहीं हो ता । या फि र दूसदू रे शब्दों में कहें तो रा ष्ट्रपति और रा ज्यपा ल के पा स कुछ वि शेषा धि का र हो ता है, जि सका इस्तेमा ल करके वे खुदखु नि यम, परि नि यम आदि बना सकते हैं।
> अंडमा न एवं नि को बा र द्वी प समूहमू, लक्षद्वी प, दादरा एवं ना गर हवेली और दमन व दीव में रा ष्ट्रपति केन्द्रीद् रीय क़ा नूनोंनूनों को ला गू करने के लि ए बा ध्य नहीं हो ता है।
इन क्षेत्रोंत् रों की शां ति , सुरसुक्षा एवं अच्छी सरका र के लि ए रा ष्ट्रपति खुदखु का नि यम, परि नि यम या का नूननू ला गू कर सकता है। रा ष्ट्रपति चा हे तो संसद के का नूननू को भी ला गू कर सकता है (संशो धन करके या बगैर संशो धन के)।
> रा ज्यपा ल और रा ष्ट्रपति को ये शक्ति है कि अनुसूनु सूची 6 के रा ज्यों , या नी कि मि ज़ो रम, असम, मणि पुरपु और त्रि पुरापुरा के वि शेष स्टेट्स प्रा प्त जनजा ती य जि लों में, संसद के कि सी का नूननू को परि वर्तनों के सा थ ला गू कर सकता है।
ऐसा करने का मकसद दरअसल वहाँ के जनजा ती य संस्कृति को बचा ना है। क्यों कि जा हि र है एक ही का नूननू इतने बड़े देश में सबके लि ए उसी रूप में उपयुक्युत हो ; ये जरूरी तो नहीं और ऐसा कि या भी नहीं जा ना चा हि ए।
या द रखने यो ग्य बा तें
रा ज्य वि धा नमंडमं ल संसद प्रत्या यो जि ती नहीं है – संसद और रा ज्य वि धा न दोनों को अपनी शक्ति संवि धा न से प्रा प्त हो ती है। कहने का अर्थ ये है कि रा ज्य वि धा नमंडमं ल संसद के अधी न का म नहीं करता है या उसके दायि त्व का नि र्वहन नहीं करता है बल्कि दोनों अलग-अलग संस्था है और दोनों के वि धा यी शक्ति यों को संवि धा न में बता या गया है।
इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि जो का म जि सको सौं पासौं पा गया है वो का म उसे ही करना है। उदाहरण के लि ए, संसद कि सी सचि व को , या कि सी प्रा धि करण को ये नहीं कह सकता है कि को ई का नूननू बना दो।
भूतभूलक्षी (retrospective) वि धा न बना ने की क्षमता – दरअसल भूतभूलक्षी वि धा न का मतलब हो ता है कि सी वि धा न को भूतभूका ल से ला गू करना । संसद और रा ज्य वि धा नमंडमं ल दोनों भूतभूलक्षी वि धा न (Retrospctive Law) बना सकता है। लेकि न दांडि क वि धि यों (Penal Laws) यों को भूतभूलक्षी प्रभा व नहीं दि या जा सकता है। वहीं करा धा न वि धि यों (taxation laws) को भूतभूलक्षी प्रभा व दि या जा सकता है।
Q. न्या या लय ने जि स वि धि को शून्शूय कर दि या है क्या वि धा नमंडमं ल उसे फि र से बना सकता है?
हाँ , बना सकता है। पर वि धा नमंडमं ल को कुछ बा तों को ध्या न में रखना हो गा । जैसे कि क्या वह वि धि मूलमू अधि का र से सुसंसु संगत है; क्या उस वि धि से उन कमि यों को दूरदू कर दि या गया है जि से न्या या लय ने दोष के रूप में पा या था , इत्या दि ।
सशर्त और अधी नस्थ वि धा यन का नूननू या नि यमों द्वा रा अनुमनुति यो ग्य है – जो सा रवा न (Substantive) वि धा यी कृत्य है उसे तो वि धा नमंडमं ल को ही करना पड़ेगा या नी कि वो इसे प्रत्या यो जि त (delegate) नहीं कर सकता है। लेकि न वि धि के प्रशा सन या उसे ला गू करने को का र्यपा लि का (Executive) या कि सी अन्य नि का य पर छो ड़ सकता है।
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जब कि सी वि धि को वि धा नमंडमं ल या स्था नी य प्रा धि का री के नि र्णय के ऊपर छो ड़ा जा ता है कि उस स्था नी य क्षेत्रत् में उस वि धि को ला गू करने की आवश्यकता है कि नहीं , हीं या फि र ऐसी को ई घटना हुई की नहीं जि ससे की वह वि धि प्रभा व में आ पा एँ; एँतो इसे सशर्त वि धा यन (conditional legislation) कहा जा ता है। जब कि सी वि धि को अधि नि यमि त करके, उसे अधी नस्थ अभि करण (subordinate agency) या का र्यपा लि क प्रा धि का री (executive authority) को उस वि धि के प्रयो जनों को क्रि या न्वि त करने के लि ए नि यम या उपनि यम बना ने की शक्ति सौं पीसौं पी जा ती है तो उसे अधी नस्थ वि धा यन (Subordinate Legislation) कहा जा ता है।
2. केंद्रद् –रा ज्य वि धा यी वि षयों का बंटवा रा
अनुच्नुछेद 246 के तहत, संवि धा न में केंद्रद् एवं रा ज्य के बी च वि धा यी वि षयों के बंटवा रे के संबंध में त्रि स्तरी य व्यवस्था की है गयी है। जि से सा तवीं अनुसूनु सूची (Seventh schedule) में रखा गया है। ये ती न प्रका र की सूचि याँ हैं – ▶ संघ सूची (Union list),
▶ रा ज्य सूची (State list), और
▶ समवर्ती सूची (Concurrent list)
1. संघ सूची से संबन्धि त कि सी भी मसले पर का नूननू बना ने की संसद को वि शि ष्ट शक्ति प्रा प्त है। इसमें को ई रा ज्य हस्तक्षेप नहीं कर सकता ।
जि स समय संवि धा न बना या गया था उस समय तो इसमें 97 वि षय था पर अभी इस सूची में 100 वि षय है, जैसे – रक्षा , बैंकिं ग, वि देश मा मले, मुद्मुराद् रा, आण्वि क ऊर्जा , बी मा , संचा र, केंद्रद्-रा ज्य व्या पा र एवं वा णि ज्य, जनगणना , लेखा परी क्षा आदि ।
2. इसी प्रका र रा ज्य सूची के वि षयों पर रा ज्य वि धा नमण्डल को का नूननू बना ने की शक्ति प्रा प्त है, पर सा मा न्य परि स्थि ति यों में, क्यों कि कभी -कभी कुछ ऐसी वि शि ष्ट परि स्थि ति आ जा ती है जहां रा ज्य के वि षयों पर भी का नूननू केंद्रद् ही बना ती है – जैसे कि आपा तका ल ।
जि स समय संवि धा न बना या गया था उस समय तो इसमें 66 वि षय था पर अब इसमें 61 वि षय है। जैसे- सा र्वजनि क व्यवस्था , पुलिपुलिस, जन-स्वा स्थ्य एवं सफा ई, कृषि , जेल, स्था नी य शा सन, मतस्य पा लन, बा जा र आदि ।
3. समवर्ती सूची के संबंध में संसद एवं रा ज्य वि धा नमंडमं ल दोनों का नूननू बना सकते है। इस सूची में इस समय 52 वि षय मूलमू रूप से इसमें मा त्रत् 47 वि षय था ।
जैसे- आपरा धि क का नूननू प्रक्रि या , सि वि ल प्रक्रि या , वि वा ह एवं तला क, जनसंख्या नि यंत्रत् ण और परि वा र नि यो जन, बि जली , श्रश् म कल्या ण, आर्थि क एवं सा मा जि क यो जना , दवा , अखबा र, पुस्पुतक एवं छा पा प्रेस, उच्चतम एवं उच्च न्या या लय के अति रि क्त सभी न्या या लयों का गठन एवं अन्य।
42वें संशो धन अधि नि यम 1976 के तहत 5 वि षयों को रा ज्य सूची से समवर्ती सूची में शा मि ल कि या गया । वे है – शि क्षा , वन, ना प एवं तौ ल, वन्य जी वों एवं पक्षि यों का संरक्षण, न्या य का प्रशा सन।
जो भा ग कि सी रा ज्य के अंतर्गत नहीं आता है, संसद उस भा ग के लि ए ती नों सूचि यों या उसके अति रि क्त भी कि सी वि षय पर का नूननू बना सकता है। जैसे कि केंद्रद्शा सि त प्रदेश।
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ती नों सूचि यों का पी डी एफ़ यहाँ से डा उनलो ड करें – रें In Hindi – In English
यहाँ यह या द रखें कि संघ और रा ज्य के बी च जब वि धा यी वि वा द हो ता है तब संघ सूची के तहत बना ई गई वि धि रा ज्य सूची और समवर्ती सूची के ऊपर अवि भा वी हो ता है।
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सा थ ही अनुच्नुछेद 246क के तहत संसद को और समवर्ती सूची के संबंध में रा ज्य के वि धा नमंडमं लों को मा ल एवं सेवा कर के संबंध में वि धि याँ बना ने की शक्ति हो गी ।
कुछ अनुच्नुछेद एवं तथ्य:
अनुच्नुछेद 247, संसद को कुछ अति रि क्त न्या या लय की स्था पना की शक्ति देता है। दूसदू रे शब्दों में कहें तो संसद, अच्छे प्रशा सन के लि ए; संघ सूची के वि षयों पर बना ए गए कि सी का नूननू के संबंध में अति रि क्त न्या या लयों की स्था पना कर सकेगी ।
अनुच्नुछेद 248 के अनुसानु सार, जो वि षय ती नों सूचि यों (संघ सूची , रा ज्य सूची एवं समवर्ती सूची ) में लि खि त नहीं है, उस पर वि धा न बना ने का अधि का र संसद को है।
या नी कि जि स वि षय का उल्लेख इन ती नों सूचि यों में नहीं कि या गया है, उस पर सि र्फ संसद ही का नूननू बना सकता है। उदाहरण के लि ए, 1994 में जब पहली बा र देश में सेवा कर (service tax) ला गू कि या गया था तो केंद्रद् सरका र ने इसी प्रा वधा न का हवा ला देते हुए उसपर का नूननू बना ने का अधि का र अपने पा स रखा था ।
जबकि अमेरि का में इसका उल्टा है, वहां जो अवशि ष्ट शक्ति यां हैं, उस पे का नूननू बना ने का अधि का र रा ज्य के पा स हो ता है। केंद्रद् तय कि ए गए वि षयों के अला वा अन्य कि सी वि षय पर का नूननू नहीं बना सकता है।
? संवि धा न में संघ सूची को रा ज्य सूची एवं समवर्ती सूची के ऊपर रखा गया है और समवर्ती सूची को रा ज्य सूची के ऊपर रखा गया है। इसका मतलब ये है कि संघ और रा ज्य में कि सी भी प्रका र का को ई टकरा व हो गा तो संघ सूची ही मा न्य हो गा ।
इस तरह स्पष्ट है कि वि धा यी एकता के लि ए आवश्यक रा ष्ट्री य महत्व के मा मलों को संघ सूची में शा मि ल कि या गया । क्षेत्रीत् रीय एवं स्था नी य महत्व एवं वि वि धता वा ले वि षयों को रा ज्य सूची में रखा गया है।
और दोनों के महत्व वा ले वि धा यी वि षयों को समवर्ती सूची में रखा गया । इस तरह संवि धा न अनेकता में एकता (unity in diversity) की अनुमनुति देता है।
3. रा ज्य क्षेत्रत् में संसदीय वि धा न
ऊपर हमने अभी जो भी वि धा यी शक्ति यों के बँटवा रे के बा रे में पढ़ा है वो दरअसल तब ला गू हो ता है जब स्थि ति सा मा न्य हो । लेकि न कभी -कभी कुछ ऐसी परि स्थि ति याँ आती है जि समें संसद ही रा ज्य के लि ए वि धा न बना ती है।
दूसदू रे शब्दों में कहें तो , ये उस प्रश्न का उत्तर है कि केंद्रद् कि न परि स्थि ति यों में रा ज्य सूची पर भी का नूननू बना सकती है आइये जा नते हैं ऐसी कौ न–कौ न सी स्थि ति याँ है जि समें संसद रा ज्यों के लि ए का नूननू बना ती है। 1. जब रा ज्य सभा एक प्रस्ता व पा रि त कर दें
अनुच्नुछेद 249 के तहत, जब रा ज्यसभा उस दि न सदन में उपस्थि त सदस्यों के दो-ति हा ई बहुमत से एक प्रस्ता व करेगा कि संसद को रा ज्य सूची के मा मलों पर का नूननू बना ना चा हि ए तो संसद उस मा मले पर का नूननू बना ने में सक्षम हो जा एंगीएं गी।
हा लां कि ऐसे का नूननू 1 वर्ष के लि ए ही बना या जा सकता है लेकि न इसे संसद जि तनी बा र चा हे बढ़ा सकता है, पर एक बा र में 1 वर्ष से अधि क नहीं बढ़ा या जा सकता ।
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संसद द्वा रा रा ज्य सूची के वि षयों पर का नूननू बना ने का ये मतलब नहीं है कि रा ज्य उस सूची पर का नूननू नहीं बना सकता है; रा ज्य भी उस सूची के वि षयों पर का नूननू बना सकता है लेकि न अगर रा ज्य और केंद्रद् के का नूननू में को ई टकरा व हो ता है तो केंद्रद् का का नूननू ही मा न्य मा ना जा एगा । (ऐसा अनुच्नुछेद 251 में लि खा हुआ है)
2. रा ष्ट्री य आपा तका ल के दौरा न (During a national emergency)
अनुच्नुछेद 250 के अनुसानु सार, देश में आपा तका ल ला गू हो जा ने की स्थि ति में संसद, रा ज्य सूची के वि षय पर का नूननू बना सकता है; जो कि सम्पूर्ण रा ज्य क्षेत्रत् या उसके कि सी भा ग पर ला गू हो गा । (हा लां कि आपा तका ल समा प्त हो ने के छह मा ह तक ही यह व्यवस्था प्रभा वी रहेगी ।)
ऐसा नहीं है कि इस दौरा न रा ज्य वि धा नमंडमं ल का नूननू नहीं बना सकती है लेकि न टकरा व की स्थि ति में संसदीय का नूननू ही मा न्य हो गा । (ऐसा अनुच्नुछेद 251 में लि खा हुआ है)
3. रा ज्यों के अनुरोनुरोध पर
अनुच्नुछेद 252 के अनुसानु सार, जब दो या दो से अधि क रा ज्य अपने-अपने वि धा नमंडमं ल में ये प्रस्ता व पा रि त कर देकि संसद रा ज्य सूची के वि षयों पर भी का नूननू बना सकती है। तो संसद को रा ज्य के लि ए, रा ज्य सूची के वि षयों पर का नूननू बना ने का अधि का र मि ल जा ता है ।
हा लां कि यहाँ ये बा त या द रखने यो ग्य है कि जो -जो रा ज्य ये प्रस्ता व पा रि त करेगा संसद उसी रा ज्य के लि ए का नूननू बना सकेगा और उसी रा ज्य पर ला गू हो गा । लेकि न को ई रा ज्य अगर संसद द्वा रा का नूननू बना ए जा ने के बा द भी अपने वि धा नमंडमं ल में ऐसा प्रस्ता व पा रि त कर देतो उस रा ज्य में भी ये का नूननू ला गू हो जा एगा ।
इस तरह से कुछ का नूननू पहले पा रि त भी हो चुकेचुके हैं। जैसे कि – जल प्रदूषदूण (नि यंत्रत् ण एवं नि वा रण) अधि नि यम 1974 , वन्य जी व संरक्षण अधि नि यम 1972, मा नव अंग प्रति रो पन अधि नि यम आदि ।
4. अंतर्रा ष्ट्री य समझौ ते ला गू करने के उद्देश्य से
अनुच्नुछेद 253 के अनुसानु सार, संसद अंतर्रा ष्ट्री य संधि या समझौ ते को ला गू करने के उद्देश्य से रा ज्य सूची के वि षयों पर का नूननू बना सकता है।
इस व्यवस्था के तहत बना ए गए कुछ का नूननू इस प्रका र है- संयुक्युत रा ष्ट्र (सुविसुविधा एवं प्रति रक्षा ) अधि नि यम 1947, जेनवा समझौ ता अधि नि यम 1960, अपहरण के खि ला फ अधि नि यम 1982 आदि ।
यहाँ यह या द रखि ए कि जहां अनुच्नुछेद 251, अनुच्नुछेद 249 और 250 के वि षय में बा त करता है वहीं अनुच्नुछेद 254 के तहत अगर को ई भी का नूननू जो रा ज्य और केंद्रद् के मध्य वि वा द पैदा करता है तो ऐसी स्थि ति में केंद्रद् का का नूननू रा ज्य के का नूननू पर हा वी हो गा ।
4. रा ज्य वि धा नमंडमं ल पर केंद्रद् का नि यंत्रत् ण
रा ष्ट्रपति शा सन के दौरा न
अनुच्नुछेद 356 के तहत रा ष्ट्रपति शा सन कि सी रा ज्य में लगा या जा ता है। ऐसा हो ने पर वि धा नमंडमं ल की सा री शक्ति याँ संसद के पा स आ जा ती है। दूसदू रे शब्द में संसद के पा स रा ज्य सूची के वि षय पर भी का नूननू बना ने का अधि का र आ जा ता है।
रा ष्ट्रपति शा सन के उपरां त भी संसद द्वा रा बना या गया का नूननू प्रभा वी रहता है। हा लां कि रा ज्य वि धा नमंडमं ल चा हे तो उस का नूननू को समा प्त या उसमें संशो धन कर सकती है।
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इसके अला वे कुछ ऐसी अपवा दजनक परि स्थि ति याँ भी है जि समें केंद्रद् का रा ज्य सूची पर नि यंत्रत् ण हो ता है; जैसे कि ▶
1. रा ज्यपा ल कुछ प्रका र के रा ज्य वि धेयकों (State bills) को रा ष्ट्रपति के संस्तुतितुति (Recommendation) के लि ए सुरसुक्षि त कर सकती है।
ऐसी स्थि ति में रा ष्ट्रपति के पा स वी टो पा वर हो ता है या नी कि रा ष्ट्रपति चा हे तो उस वि धेयक को खा रि ज भी कर सकती है। (इसे वि स्ता र से समझने के लि ए रा ज्यपा ल एवं रा ष्ट्रपति पढ़ें।)
2. रा ज्य सूची के कुछ वि षयों पर वि धेयक (Bill) रा ष्ट्रपति से सहमति मि लने के बा द की ला या जा सकता है। जैसे कि व्या पा र और वा णि ज्य के स्वतंत्रत् ता पर प्रति बंध लगा ने वा ले वि धेयक आदि ।
3. वि त्ती य आपा तका ल की स्थि ति में वि धा नमंडमं ल द्वा रा पा रि त धन या वि त्त वि धेयक को रा ष्ट्रपति सुरसुक्षि त रखने का आदेश देसकती है।
केंद्रद् –रा ज्य वि धा यी संबंसं बंध पर सरका रि या आयो ग
* कुल मि ला कर देखें तो पा एंगेएं गेकी केंद्रद् के पा स ज्या दा शक्ति है और रा ज्य के पा स उसकी अपेक्षा बहुत कम। पर ये जरूरी था क्यों कि अगर ऐसा नहीं हो ता और रा ज्य को ज्या दा शक्ति देदी गयी हो ती तो ये रा ष्ट्र की एकता और अखंडखं ता के लि ए ये खतरा बन जा ता ।
ये बा त सरका रि या आयो ग ने भी स्वी का री , जि से कि केंद्रद्-रा ज्य संबंध की बेहतरी के लि ए अच्छे सुझासु झावों की सि फ़ा रि श के लि ए गठि त कि या गया था (1983-87)। इन्हो ने कमेंट में नि म्न बा तें कही थी –
संघी य सर्वो च्चता , केंद्रद् एवं रा ज्यों के क़ा नूनोंनूनों के मध्य तना व एवं टकरा वों को समा प्त करने एवं सौ हा र्दपूर्ण संबंध वि कसि त करने की एक शक्ति है। यदि केन्द्रीद् रीय सर्वो च्चता की इस स्थि ति को समा प्त कि या गया तो इसके नका रा त्मक प्रभा वों का अनुमानुमान भी नहीं लगा या जा सकता ।
सरकरि या आयो ग
कुल मि ला कर यही है केंद्रद्-रा ज्य वि धा यी संबंध (Center-State Legislative Relations), उम्मी द है समझ में आया हो गा । इसके आगे केंद्रद्-रा ज्य प्रशा सनि क संबंध को जरूर पढ़ें – केंद्रद्–रा ज्य प्रशा सनि क संबंध