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ना गरि कता : अर्थ, अर्जन, समा प्ति । Citizenship in Hindi [UPSC] 

ना गरि कता एक पहचा न है जो हमें वि श्व में एक खा स स्था न और सुविसुविधा एं प्रदान करता है। इस लेख में हम ना गरि कता (Citizenship) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके वि भि न्न महत्वपूर्ण पहलुओंलु ओंको समझने का प्रया स करेंगे; 

वे लो ग जो कि सी देश के पूर्ण सदस्य हो ते है एवं रा ज्य के प्रति जि सकी नि ष्ठा हो ती है उसे ना गरि क (Citizen) कहा जा ता है। ऐसे लो गों को देश के सभी सि वि ल और रा जनैति क अधि का र प्रा प्त हो ते हैं। 

ना गरि कता क्या है

ना गरि कता को ई पृथक अवधा रणा नहीं है बल्कि ये रा ष्ट्रवा द, लो कतंत्रत् , मूलमू भूतभू ना गरि क अधि का र, स्वतंत्रत् ता आदि से जुड़ाजुड़ा हुआ है। क्यों कि एक तरह से देखें तो ना गरि कता , एक व्यक्ति और एक रा ज्य के बी च का संबंध ही तो है, जि समें व्यक्ति का रा ज्य के प्रति नि ष्ठा हो ता है और उस नि ष्ठा के बदले में रा ज्य उसे संरक्षण प्रदान करता है।” 

जि स समय रा जतंत्रत् था या जि स समय लो कतंत्रत् नहीं था उस समय भी व्यक्ति और रा जा के बी च के संबंध हो ता था , उस समय भी व्यक्ति को कि सी खा स संगठन या ग्रुग् प का हि स्सा बना या जा ता था जहां कि उसे कुछ वि शेष प्रका र का अधि का र या कर्तव्य मि लता था । इसी लि ए ना गरि कता की एक परि भा षा ये भी है कि ”सा झा हि तों को प्रा प्त करने के उद्देश्य से बना ए कि सी कि सी संगठन की सदस्यता प्रा प्त करना ना गरि कता है।” 

लेकि न धी रे-धी रे आम लो गों द्वा रा कुछ मूलमू भूतभू ना गरि क अधि का रों या व्यक्ति गत अधि का रों की मां ग शुरूशु हो गयी । जि से कि सत्ता पक्ष द्वा रा दि या भी गया , जैसे कि ब्रि टेन में 1689 में बि ल ऑफ रा इट्स ला या गया जि सके तहत रा जा की शक्ति को कम कर दि या गया और संसद की शक्ति को बढ़ा दि या गया । सा थ ही ढेरों ना गरि क अधि का र लो गों को दि या गया । 

इसी तरह 1789 में फ्रां सी सी क्रां ति के दौरा न रा ष्ट्र रा ज्य की अवधा रणा ने ज़ो र पकड़ी जि समें सा झा संस्कृति , इति हा स एवं भूमिभूमिक्षेत्रत् के आधा र पर एक समा न पहचा न स्था पि त करने पर ज़ो र दि या गया ।

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कहने का अर्थ ये है कि जैसे-जैसे व्यक्ति गत स्वतंत्रत् ता या सा मूहिमूहिक ना गरि क स्वतंत्रत् ता में वृद्धि हो ता गया , वैसे-वैसे रा जतंत्रत् कमजो र हुआ और लो कतां त्रि क मूल्मूय मजबूत हो ता गया । 

इस तरह से व्यक्ति और रा ज्य के बी च सम्बन्धों में बदला व आया क्यों कि अब रा ज्य एक स्वतंत्रत्-संप्रभु संगठन के रूप में का म करने लगा और उस संगठन में रहने वा ले लो गों पर ये ज़ि म्मेदारी आ गयी कि वे अपनी संप्रभुताभुता की रक्षा करने के लि ए एकजुटजु रहे। 

इसके लि ए रा ज्य ने अपने सदस्यों या उस रा ज्यक्षेत्रत् के अंतर्गत रहने वा ले लो गों को कुछ वि शेषा धि का र और ज़ि म्मेदारी दी। इस तरह से ये लो ग वहाँ के ना गरि क कहला ने लगे क्यों कि इन्हे जो वि शेषा धि का र एवं ज़ि म्मेदारी प्रा प्त है वो इस रा ज्यक्षेत्रत् के बा हर के लो गों को प्रा प्त नहीं हो ता । इसी लि ए बा हरी लो ग वि देशी या एलि यन कहला ए। 

संक्षि प्त में कहें तो वे लो ग जो कि सी देश के पूर्ण सदस्य हो ते है एवं रा ज्य के प्रति जि सकी नि ष्ठा हो ती है उसे ना गरि क (Citizen) कहा जा ता है। ऐसे लो गों को देश के सभी सि वि ल और रा जनैति क अधि का र प्रा प्त हो ते हैं। यहीं अधि का र जब कि सी दूसदू रे देश के ना गरि क को नहीं मि लता है तो उसे वि देशी (Foreigner) कहते हैं। 

ये वि देशी समा न्यतः कि सी न कि सी देश का ना गरि क हो ता है और उस देश के प्रति उसकी नि ष्ठा हो ती है इसी लि ए उसके पा स उस देश का पा सपो र्ट हो ता है। 

उस व्यक्ति को अगर कि सी और देश जा ना हो तो सा मा न्यतः पहले उस देश से अनुमनुति लेनी हो ती है, जि से कि वी जा (Visa) कहा जा ता है। बगैर या अवैध वी जा एवं पा सपो र्ट के अगर को ई कि सी और देश में रह रहा है, तो उसे अवैध प्रवा सी (Illegal migrant) कहा जा ता है। 

◾इसके अला वा वे लो ग हैं जो युद्धयु, हिं सा , संघर्ष या उत्पी ड़न से भा ग गए हैं और दूसदू रे देश में सुरसुक्षा खो जने के लि ए अंतररा ष्ट्री य सी मा पा र कर कि सी और देश में शरण लेते हैं, शरणा र्थी (Refugees) कहला ते है। 

तो सा मा न्यतः को ई व्यक्ति कि सी न कि सी देश का ना गरि क हो ता है लेकि न कई बा र ऐसी स्थि ति भी आती है जब को ई व्यक्ति कि सी भी देश का ना गरि क नहीं हो ता है, उसे रा ज्यवि ही न (Stateless) कहा जा ता है। 

उदाहरण के लि ए – भा रत में यह नि यम है कि यहाँ पैदा हो ने वा ला बच्चा तभी भा रत का ना गरि क हो गा जब या तो उसके मा ता -पि ता दोनों उसके जन्म के समय भा रत का ना गरि क हो या फि र दोनों में से एक भा रत का ना गरि क हो और दूसदू रा अवैध प्रवा सी न हो । 

लेकि न मा न ली जि ये कि एक पुरुपुष जो भा रत का ना गरि क है और दूसदू रा एक अमेरि की युवयुती जो भा रत में अवैध तरी के से रह रहा है। अब इन दोनों का अगर बच्चा हो ता है, है तो वो बच्चा न तो अमेरि का का ना गरि क हो गा और न ही भा रत का । या नी कि वो रा ज्यवि ही न (Stateless) है। 

UNHCR के आंकड़ों के मुतामुताबि क अभी पूरे वि श्व में 1 करो ड़ 20 लो ग रा ज्यवि ही न है। वहीं शरणा र्थी की बा त करें तो वि श्व में उसकी संख्या 2.5 करो ड़ के आसपा स है। 

यहाँ पर ये बा त या द रखि ए कि शरणा र्थी भी रा ज्यवि ही न हो सकते है लेकि न सभी शरणा र्थी रा ज्यवि ही न नहीं हो ते हैं। ऐसा क्यों , ये आप समझ रहे हों गे। 

भा रत के संदर्भ में वि देशि यों के अधि का र 

भा रत के संवि धा न का भा ग 3 (अनुच्नुछेद 12 से लेकर 35 तक) मौ लि क अधि का रों के बा रे में है। लेकि न इनमें से कुछ अधि का र सि र्फ और सि र्फ भा रती यों के लि ए है, या नी कि वि देशि यों को नि म्नलि खि त अधि का र भा रत में प्रा प्त नहीं हैं। 

1. अनुच्नुछेद 15 के तहत, धर्म, मूलमू वंश, जा ति , लिं ग या जन्म स्था न के आधा र पर वि भेद के वि रुद्ध अधि का र; वि देशि यों को प्रा प्त नहीं है। या नी कि वि देशि यों को इन आधा रों पर भेदभा व कि या जा सकता है।

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2. अनुच्नुछेद 16 के तहत, लो क नि यो जन के वि षय में समता का अधि का र; वि देशि यों को प्रा प्त नहीं है। या नी कि सरका री नौ करि यों में वि देशि यों के सा थ भेदभा व कि या जा सकता है। 

3. अनुच्नुछेद 19 के तहत, स्वतंत्रत् ता का अधि का र भी वि देशि यों को प्रा प्त नहीं है। या नी कि वो हमा रे देश में आकर के स्वतंत्रत् ता की उस स्तर को एंजॉएं जॉय नहीं कर सकता है जो हम करते हैं। 

4. अनुच्नुछेद 29 और 30 के तहत, संस्कृति और शि क्षा संबंधी अधि का र; वि देशि यों को प्रा प्त नहीं है। या नी कि इन लो गों की भा षा , लि पि या संस्कृति भा रत में बची रहे या नहीं रहे इससे हमा रे संवि धा न को को ई मतलब नहीं है। 

इसके अला वे ये लो ग मतदान प्रक्रि या में भा ग नहीं ले सकते हैं, चुनाचुनाव नहीं लड़ सकते हैं, इन लो गों को टैक्स भी नहीं देना हो ता है और देश की रक्षा के लि ए प्रति बद्ध भी नहीं रहना हो ता है। यहाँ ये या द रखि ये कि भा रती य मूलमू के वि देशी को इन सा मा न्य वि देशि यों से अधि क अधि का र मि लते हैं। कैसे? इसे आगे समझा या गया है। 

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ना गरि कता के संवैसं वैधा नि क प्रा वधा न 

जैसा कि हम जा नते है भा रत में एकल ना गरि कता (Single citizenship) की व्यवस्था है। या नी कि आप देश के कि सी भी भा ग से क्यों न हो , आप भा रत के ही ना गरि क हों गे, उस क्षेत्रत् वि शेष के नहीं ।हीं 

भा रत के संवि धा न के भा ग 2 में ना गरि कता का वर्णन है, जि सके तहत अनुच्नुछेद 5 से 11 तक कुल 7 अनुच्नुछेद आते है। लेकि न यहाँ या द रखने वा ली बा त है कि इन अनुच्नुछेदों में उन्ही लो गों के ना गरि कता की चर्चा की गयी है जो आजा दी के समय देश के ना गरि क बन चुकेचुके थे या फि र बनने वा ले थे। 

इसके बा द जन्मे लो गों के लि ए या देश में आने वा ले अन्य नए लो गों के लि ए ना गरि कता की व्यवस्था के लि ए ना गरि कता अधि नि यम 1955 बना या गया । जि सकी चर्चा हम आगे करेंगे पहले संवैधा नि क व्यवस्था को समझ लेते हैं। 

जि समें अनुच्नुछेद 5 से लेकर 8 तक, संवि धा न ला गू हो ने के दि न तक जि सको -जि सको ना गरि कता मि ल चुकाचु का है, उसके बा रे में है। 

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अनुच्नुछेद 5 – संवि धा न के प्रा रम्भ पर ना गरि कता 

भा रत में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति भा रत के ना गरि क तभी हों गे जब वे नि म्नलि खि त में से को ई एक शर्त पूरा करें – (1) उसका जन्म भा रत में हो ना चा हि ए, या (2) उसके मा ता -पि ता में से कि सी एक का जन्म भा रत में हो ना चा हि ए, या (3) संवि धा न ला गू हो ने के 5 वर्ष पूर्व से वो भा रत में रह रहा हो । 

| Read in Details – अनुच्नुछेद 5 

अनुच्नुछेद 6 – पा कि स्ता न से भा रत आने वा ले व्यक्ति यों के ना गरि कता के अधि का र 

अगर को ई व्यक्ति पा कि स्ता न से भा रत आया हो तो वह भा रत का ना गरि क बन सकता है। यदि , उसके मा ता -पि ता या दादा-दादी अवि भा जि त भा रत में पैदा हुए हों और यदि वह 19 जुलाजु लाई 1948 से पूर्व ही नि वा स करने के उद्देश्य से भा रत आ चुकाचु का हो । 

| Read in Details – अनुच्नुछेद 6 

अनुच्नुछेद 7 – भा रत से पा कि स्ता न गए और फि र से भा रत आने वा ले व्यक्ति यों के ना गरि कता के अधि का र 

एक व्यक्ति जो 1 मा र्च 1947 के बा द भा रत से पा कि स्ता न चला गया हो , लेकि न बा द में फि र भा रत में पुनपुर्वा स के लि ए लौ ट आये तो उसे भा रत की ना गरि कता मि ल सकती है लेकि न उसे एक प्रा र्थना पत्रत् भा रत सरका र को देना हो गा और उसके बा द 6 मा ह तक भा रत में नि वा स करना हो गा । 

| Read in Details – अनुच्नुछेद 7 

अनुच्नुछेद 8 – भा रत के बा हर रहने वा ले भा रती य मूलमू के कुछ व्यक्ति यों के ना गरि कता के अधि का र 

ये उन लो गों के लि ए है जि सके मा ता -पि ता या दादा-दादी अवि भा जि त भा रत में पैदा हुए हों लेकि न वह भा रत के बा हर कहीं और मा मूलीमू ली तौ र पर नि वा स कर रहा हो , वह भी भा रत का ना गरि क बन सकता है। लेकि न उसे ना गरि कता के लि ए पंजी करण का आवेदन उस देश में मौ जूदजू भा रत के रा जनयि क को देना हो गा । तो कुल मि ला कर ये वो चा र तरह के लो ग है जि से संवि धा न ला गू हो ने तक ना गरि कता दी गई। आइये अब आगे के ती न अनुच्नुछेदों को समझते हैं। 

| Read in Details – अनुच्नुछेद 8 

अनुच्नुछेद 9 – वि देशी रा ज्य की ना गरि कता स्वेच्छा से अर्जि त करने वा ले व्यक्ति यों का भा रत का ना गरि क न हो ना 

वह व्यक्ति भा रत का ना गरि क नहीं मा ना जा एगा जो स्वेच्छा से कि सी और देश का ना गरि कता ग्रग् हण कर लेता हो । कहने का अर्थ ये है कि भा रत दोहरी ना गरि कता को मा न्यता नहीं देता है। अगर को ई व्यक्ति कि सी और देश की ना गरि कता ग्रग् हण करता है तो उसे भा रत की ना गरि कता से वंचि त हो ना हो गा । 

| Read in Details – अनुच्नुछेद 9 

अनुच्नुछेद 10 – ना गरि कता के अधि का रों का बने रहना 

ये अनुच्नुछेद एक आश्वा सन देता है कि जि न लो गों को अनुच्नुछेद 5, 6, 7, और 8 के तहत ना गरि कता दी गई है वे भा रत में ना गरि क बने रहेंगे। या नी कि ऐसे लो गों से ना गरि कता छी नी नहीं जा एगी । 

| Read in Details – अनुच्नुछेद 10 

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अनुच्नुछेद 11 – संसद द्वा रा ना गरि कता के अधि का र का वि धि द्वा रा वि नि यमन कि या जा ना 

इस अनुच्नुछेद के तहत, संसद के पा स यह अधि का र है कि ना गरि कता अर्जन और समा प्ति या इसी से संबन्धि त को ई भी नि यम या वि धि बना सकती है। कहने का अर्थ ये है कि यह अनुच्नुछेद संसद को ना गरि कता के संबंध में का नूननू बना ने की शक्ति देता है। 

| Read in Details – अनुच्नुछेद 11 

अनुच्नुछेद 5 से 11 तक का संवैधा नि क प्रा वधा न बस यही है। जा हि र है इसमें भवि ष्य में ना गरि कता को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं है, क्यों कि ये संवि धा न के ला गू हो ने के समय के परि स्थि ति यों पर ही फो कस करता है। इसी लि ए ना गरि कता से संबन्धि त सा री कमि यों को दूरदू करने के लि ए 1955 में ना गरि कता अधि नि यम ला या गया । ना गरि कता के संबंध में ये सबसे महत्वपूर्ण दस्ता वेज़ है, इसी लि ए इसे समझना बहुत जरूरी है। 

ना गरि कता अधि नि यम 1955 (Citizenship Act 1955) 

इस अधि नि यम में 18 धा रा एँ हैं जि समें से धा रा 3 से लेकर 7 तक भा रत की ना गरि कता प्रा प्त करने के क्रमशः 5 तरी के बता ए गए हैं, जो कि नि म्नलि खि त है – 

1. जन्म के आधा र पर (By birth)  

2. वंश के आधा र पर (By descent)  

3. पंजी करण के द्वा रा (By registration) 

4. प्रा कृति क तौ र पर (Naturally)  

5. क्षेत्रत् समा वि ष्ट के आधा र पर (On the basis of area comprised)। 

1. जन्म के आधा र पर ना गरि कता (Citizenship by birth) 

ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जन्म के आधा र पर भा रत का ना गरि क हो गा जि सका जन्म भा रत में 26 जनवरी , 1950 को या उसके पश्चा त कि न्तु 1 तु जुलाजु लाई 1987 से पूर्व हुआ है। 

इसका मतलब ये है कि उपरो क्त समय अंतरा ल में भा रत Jus Soli के सि द्धां त पर चलता था या नी कि को ई भी बच्चा अगर भा रत की भूमिभूमि पर जन्म लेगा वो भा रती य ना गरि कता का अधि का री हो गा । 

आप उस देश के ना गरि क है या नहीं इससे को ई भी फर्क नहीं पड़ता है अगर आपका बच्चा वहाँ जन्म लेता है तो उसे वहाँ की ना गरि कता मि ल जा एगी । इसी सि द्धां त पर अमेरि का भी चलता है। 

भा रत में इस व्यवस्था से अवैध प्रवा सी की समस्या और गंभीगं भीर हो ती चली गई (खा सकर के बां ग्ला देश से आए अवैध प्रवा सि यों के संदर्भ में), इसी लि ए 1986 में ना गरि कता अधि नि यम 1955 में संशो धन कि या गया और उसमें एक शर्त को जो ड़ दि या गया । 

या नी कि 1 जुलाजु लाई 1987 के बा द जन्म के आधा र पर कि सी व्यक्ति को भा रत की ना गरि कता तभी मि लेगी , जब उस व्यक्ति के जन्म के समय उसके मा ता या पि ता में से को ई एक भा रत का ना गरि क हो । 

लेकि न आगे चलकर ये भी ना का फ़ी सा बि त हुई और 2003 में ना गरि कता अधि नि यम 1955 में एक और संशो धन के जरि ये इसमें कुछ शर्ते जो ड़ दी गई। 

या नी कि इस संशो धन के ला गू हो ने के बा द से (2004 से ला गू हुआ) अब को ई व्यक्ति जन्म के आधा र पर भा रत का ना गरि क तभी बन सकता है जब उसके जन्म के समय (1) उसके मा ता -पि ता दोनों भा रत का ना गरि क हो , या (2) उसके मा ता – पि ता में से को ई एक भा रत का ना गरि क हो और दूसदू रा अवैध प्रवा सी न हो । 

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2. वंश के आधा र पर ना गरि कता (Citizenship by Descent) 

26 जनवरी 1950 को या उसके बा द लेकि न 10 दि सम्बर 1992 के पूर्व भा रत के बा हर पैदा हुआ को ई व्यक्ति वंश के आधा र पर भा रत का ना गरि क हो गा , यदि उसके जन्म के समय उसके पि ता भा रती य ना गरि क है। 

लेकि न जन्म लेने वा ले बच्चे का पि ता अगर केवल वंश के आधा र पर भा रती य ना गरि क है तो फि र उसके बच्चे को 1 सा ल के भी तर उस देश में स्थि त भा रती य दूतादूतावा स में रजि स्ट्रेशन करवा ना हो गा । (इसे Jus Sanguinis का सि द्धां त कहा जा ता है।) 

यहाँ पर एक समस्या ये थी कि बच्चे की ना गरि कता के लि ए पि ता का भा रती य ना गरि क हो ना जरूरी था । इसी लि ए जब जनवरी 1992 में महि ला आयो ग का गठन हुआ तो इसने इस बा त को उठा या । 

परि णा मस्वरूप, 1992 में ना गरि कता अधि नि यम (धा रा 4) 1955 में संशो धन करके ये प्रा वधा न कर दि या गया कि अब 10 दि सम्बर 1992 को या उसके बा द भा रत के बा हर पैदा हुआ को ई बच्चा भा रत का ना गरि क हो गा , यदि उसके मा ता या पि ता में से को ई उसके जन्म के समय भा रत का ना गरि क हो । 

लेकि न जन्म लेने वा ले बच्चे का मा ता या पि ता अगर केवल वंश के आधा र पर भा रती य ना गरि क है तो फि र उसके बच्चे को 1 सा ल के भी तर उस देश में स्थि त भा रती य दूतादूतावा स में रजि स्ट्रेशन करवा ना हो गा । 

हा लां कि 2003 में ना गरि कता अधि नि यम 1955 में संशो धन कि या गया और अब ये व्यवस्था ये है कि 3 दि सम्बर 2004 के पश्चा त भा रत के बा हर पैदा हुए कि सी भी बच्चे को वंश के आधा र पर ना गरि कता तब तक नहीं मि लेगा जब तक कि जन्म से एक वर्ष के भी तर उस देश में स्थि ति भा रती य दूतादूतावा स में रजि स्ट्रेशन न करवा या हो । (उसके मा ता या पि ता में से को ई एक उसके जन्म के समय भा रती य ना गरि क हो ना ही चा हि ए) 

3. पंजी करण द्वा रा ना गरि कता (Citizenship by registration) 

केंद्रद् सरका र कि सी आवेदन प्रा प्त हो ने पर, ना गरि कता अधि नि यम 1955 की धा रा 5 के तहत कि सी वैध प्रवा सी को भा रत के ना गरि क के रूप में पंजी करण कर सकती है, यदि वह नि म्नलि खि त में से कि सी भी एक श्रेश् रेणी में आता है- 

(1) भा रती य मूलमू का वह व्यक्ति रजि स्ट्रेशन के लि ए आवेदन करने के 7 वर्ष पहले से भा रत में मा मूलीमू ली तौ र पर नि वा सी है; 

लेकि न शर्त ये है कि – वह रजि स्ट्री करण के लि ए आवेदन करने के पहले के ठी क 1 वर्ष की सम्पूर्ण अवधि में भा रत में रहा हो , और इस 1 सा ल के पहले के 8 सा लों में से कम से कम 6 सा ल की अवधि भा रत में नि वा स कि या हो । 

यही उपरो क्त प्रा वधा न तब भी ला गू हो ता है, जब को ई व्यक्ति भा रत के कि सी ना गरि क से वि वा हि त है। (2) भा रती य मूलमू का वह व्यक्ति जो अवि भा जि त भा रत के बा हर कि सी अन्य देश में रह रहा हो । (3) भा रत के ना गरि क के ना बा लि ग बच्चे। 

(4) को ई व्यक्ति , जो पूरी आयु तथा क्षमता का हो तथा उसके मा ता -पि ता भा रत के ना गरि क के रूप में पंजी कृत हो । 

(5) को ई व्यक्ति , जो पूरी आयु तथा क्षमता का हो तथा उसके मा ता या पि ता में से को ई पहले स्वतंत्रत् भा रत का ना गरि क था और रजि स्ट्री करण के लि ए आवेदन करने के ठी क 1 वर्ष पूर्व से भा रत में मा मूलीमू ली तौ र पर नि वा सी हो । 

(6) को ई व्यक्ति , जो पूरी आयु तथा क्षमता का हो तथा भा रत सरका र द्वा रा जा री कि ए गए OCI का र्ड को पि छले 5 वर्ष से धा रण कर रहा हो और रजि स्ट्री करण के लि ए आवेदन करने के ठी क 1 वर्ष पहले से भा रत में मा मूलीमू ली तौ र पर नि वा स कर रहा हो ।

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कुल मि ला कर आप इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि अगर को ई बच्चा भा रत के बा हर पैदा हुआ हो और उसने वंश के आधा र पर जन्म से एक सा ल के भी तर भा रत की ना गरि कता नहीं ली और जवा न हो ने के बा द उसे भा रत की ना गरि कता लेने का मन कर रहा है तो वह इस तरी के को अपना सकता है। 

▪️उपरो क्त सभी श्रेश् रेणि यों के लो गों को भा रती य ना गरि क के रूप में पंजी कृत हो जा ने के बा द नि ष्ठा की शपथ लेनी पड़ती है। 

4. प्रा कृति क रूप से ना गरि कता (Citizenship by naturalisation) 

भा रत सरका र आवेदन प्रा प्त हो ने पर कि सी व्यक्ति को प्रा कृति क तौ र पर ना गरि कता प्रदान कर सकती है बशर्ते कि वह अवैध प्रवा सी न हो , और नि म्नलि खि त यो ग्यता एँ रखता हो : 

(क) वह व्यक्ति ऐसे कि सी देश से संबन्धि त न हो , जहां भा रती य ना गरि क प्रा कृति क रूप से ना गरि क नहीं बन सकते। 

(ख) यदि वह कि सी अन्य देश का ना गरि क हो तो भा रती य ना गरि कता प्रा प्त हो ने पर उसे उस देश की ना गरि कता का त्या ग करना हो गा । 

(ग) यदि को ई व्यक्ति भा रत में रह रहा हो और ना गरि कता संबंधी आवेदन देने के कम से कम 1 वर्ष पूर्व से भा रत में लगा ता र नि वा स कर रहा हो और इस 1 वर्ष के पहले के 14 वर्षों में से कम से कम 11 वर्ष भा रत में रहा हो । 

(घ) उसका चरि त्रत् भा रत सरका र की नजर में अच्छा हो ना चा हि ए और संवि धा न के आठवीं अनुसूनु सूची में उल्लि खि त कि सी भा षा का अच्छा ज्ञा ता हो ना चा हि ए। 

हा लां कि भा रत सरका र चा हें तो उपरो क्त शर्तों में ढी ल देसकती है या फि र सभी शर्तों को ही नजरंदाज कर सकती है यदि व्यक्ति कि सी वि शेष सेवा जैसे, वि ज्ञा न, दर्शन, कला , सा हि त्य, वि श्व शां ति या मा नव उन्नति आदि से संबद्ध हो । 

▪️इस तरह से ना गरि क बने व्यक्ति यों को भी भा रत के संवि धा न के प्रति नि ष्ठा की शपथ लेनी हो ती है। 5. क्षेत्रत् समा वि ष्ट के आधा र पर ना गरि कता (Citizenship by incorporation of territory) 

कि सी भी वि देशी क्षेत्रत् का जब भा रत के द्वा रा अधि ग्रग् हण कि या जा ता है तो उस क्षेत्रत् वि शेष के अंदर रह रहें लो गों को भा रत की ना गरि कता दी जा ती है। जैसे कि जब पॉ ण्डि चेरी और गो वा को भा रत में शा मि ल कि या गया तो उसके लो गों को भा रत की ना गरि कता दी गयी । 

▪️ये तो था ना गरि कता अर्जन करने का तरी का जि से कि ना गरि कता अधि नि यम 1955 के धा रा 3 से लेकर 7 तक वर्णि त कि या गया है। इसी तरह से धा रा 8, 9 और 10 ना गरि कता समा प्ति से संबन्धि त है जि से कि क्रमशः नी चे व्या ख्या यि त (Explained) कि या गया है। 

ना गरि कता समा प्ति के प्रा वधा न (Provisions for termination of citizenship) 

1. स्वैच्छि क त्या ग (Voluntary renunciation) 

ना गरि कता अधि नि यम धा रा 8 के अनुसानु सार, पूर्ण आयु और क्षमता प्रा प्त को ई भा रती य ना गरि क अपनी ना गरि कता छो ड़ना चा हे तो छो ड़ सकता है। लेकि न यदि को ई व्यक्ति ऐसे समय में भा रती य ना गरि कता छो ड़ने की घो षणा करता है जब भा रत कि सी युद्धयु में लगा हुआ हो , तो उसका रजि स्ट्री करण तब तक नि र्धा रि त रखा जा एगा जब तक केंद्रीद् रीय सरका र नि देश नहीं देदेती । 

2. बर्खा स्तगी के द्वा रा (By Termination)

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धा रा 9 के अनुसानु सार, यदि को ई भा रती य ना गरि क स्वेच्छा से कि सी अन्य देश की ना गरि कता ग्रग् हण कर ले तो उसकी भा रती य ना गरि कता स्वयं बर्खा स्त हो जा एगी । लेकि न जब भा रत कि सी युद्धयु में लगा हुआ हो , तो उसका रजि स्ट्री करण तब तक नि र्धा रि त रखा जा एगा जब तक केंद्रीद् रीय सरका र नि देश नहीं देदेती । 

3. वंचि त करने द्वा रा (By depriving) 

केंद्रद् सरका र कि सी व्यक्ति को भा रती य ना गरि कता से वंचि त कर देगा , यदि ; 

(1) ना गरि कता फर्जी तरी के से प्रा प्त की गयी हो ,  

(2) यदि ना गरि क ने संवि धा न के प्रति अना दर जता या हो ,  

(3) यदि ना गरि क ने युद्धयु के दौरा न शत्रुत् के सा थ गैर- का नूनीनूनी रूप से संबंध स्था पि त कि या हो या उसे को ई रा ष्ट्रवि रो धी सूचना दी हो ,  

(4) पंजी करण या प्रा कृति क ना गरि कता के पाँ च वर्ष के दौरा न ना गरि क को कि सी देश में दो वर्ष की कैद हुई हो , (5) ना गरि क सा मा न्य रूप से भा रत के बा हर सा त वर्षों से रह रहा हो । 

वि देशी भा रती य_ना गरि कता (Overseas Citizen of India) 

भा रती य मूलमू के व्यक्ति यों को दोहरी ना गरि कता प्रदान करने के उद्देश्य से भा रत सरका र द्वा रा कुछ यो जना एँ शुरूशु की गई ता कि वो कि सी और देश के ना गरि कता को छो ड़े बि ना भी भा रती य ना गरि कता के बहुत सा रे अधि का रों को एंजॉएं जॉय कर सके। इसके लि ए ना गरि कता अधि नि यम 1955 में ही संशो धन करके धा रा 7क, धा रा 7ख, धा रा 7ग एवं धा रा 7घ को सम्मि लि त कि या गया । तो वि देशी भा रती य ना गरि कता क्या है, इसके क्या ला भ है, कौ न ला भ उठा सकता है इत्या दि 
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