अनुच्छेद 14 [Article 14] व्याख्या सहित

article 14

यह लेख अनुच्छेद 14 (Article 14) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। 

📜 अनुच्छेद 14 (Article 14) मूल संस्करण

भाग 3 “मौलिक अधिकार” 
14. विधि के समक्ष समता – राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
Part 3 “Fundamental Rights”
14. Equality before law.— The State shall not deny to any person equality before the law or the equal protection of the laws within the territory of India.

🔍 अनुच्छेद 14 व्याख्या

संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 14 से लेकर 18 तक समता का अधिकार (Right to Equality) वर्णित किया गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं। इसी का पहला अनुच्छेद है अनुच्छेद 14, जो कि विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण की बात करता है। 

समता का अधिकार (Right to Equality) 

अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समता एवं विधियों का समान संरक्षण (Equality before law Equal Protection of Law) ⚫ अनुच्छेद 15 (Article 15) – धर्म, मूलवंश, लिंग एवं जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (Prohibition of discrimination on grounds of religion, race, caste, sex or place of birth.) 

अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन में अवसर की समता (Equality of opportunity in matters of public employment.) ⚫ अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत (Abolition of Untouchability.) 

अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत (Abolition of titles.)

समता का आशय समानता से होता है, एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए समानता एक मूलभूत तत्व है क्योंकिक्यों ये हमें सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक वंचितता (deprivation) से रोकता है। 

समानता एक भाव है जो हमारी समाजीकरण (Socialization) की प्रक्रिया के दौरान ही हमारे अंतर्मन में उठने लगता है। हम दूसरों से समान आदर की अपेक्षा करते हैं, हम समाज से समान व्यवहार की अपेक्षा रखते हैं, हम अपने राज्य से समान अवसर प्रदान करने की अपेक्षा करते हैं। इत्यादि-इत्यादि। 

* उदाहरण के लिए देखें तो हम सब के वोट का मूल्य एक समान होता है, ये जो चीज़ है ये हमें एहसास दिलाता है कि ये देश मेरा भी उतना ही है जितना की किसी और का, इस देश को संवारने में, निखारने में मेरा भी उतना ही योगदान है जितना की किसी और का। 

समानता के कई प्रकार हो सकते हैं: उदाहरण के लिए 

1. प्राकृतिक – यानी कि प्रकृतिजनित समानता, जैसे कि खाने का अधिकार, संसर्ग करने का अधिकार आदि। 2. सामाजिक – यानी कि समाजजनित समानता, जैसे कि छुआछूत से मुक्ति का अधिकार। 

3. सिविल – यानी कि नागरिक अधिकार, जैसे सुरक्षा, सिविल सेवा आदि। 

4. राजनीतिक – जैसे कि सरकारी कार्यालयों तक पहुँच का अधिकार, जन प्रतिनिधित्व का अधिकार आदि। 5. आर्थिक – जैसे कि अर्थोपार्जन का अधिकार आदि। 

6. कानूनी – यानी कि न्याय का अधिकार। 

| अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। 

इसमें दो टर्म है पहला कि विधि के समक्ष समता (Equality before law) और दूसरा विधियों का समान संरक्षण (equal protection of laws) इन दोनों का ही संबंध न्याय की समानता से है पर दोनों में कुछ बारीक अंतर है। 

विधि के समक्ष समता (Equality before Law) का क्या मतलब है

इसे ब्रिटिश संविधान से लिया गया है। इसका मतलब है कि विधि के सामने कोई भी व्यक्ति चाहे अमीर गरीब, ऊंचा-नीचा, अधिकारी, गैर-अधिकारी सभी समान है, किसी के लिए भी कोई विशेषाधिकार नहीं होगा। इसका मतलब है कि समान लोगों के बीच कानून समान होगा और समान रूप से प्रशासित किया जाएगा। 

दूसरे शब्दों में कहें तो कोई भी विधि के ऊपर नहीं है यहाँ तक कि सरकार या राज्य भी नहीं।हीं अगर कोई किसी विधि का उल्लंघन करता है तो वो कोई भी हो उसे दंडित किया जा सकता है। 

कुल मिलाकर बात यह है कि हमारा संविधान ”विधि का शासन (Rule of law)” की व्यवस्था करता है, और विधि का शासन संविधान का मूल ढांचा है इसीलिए संसद इसमें संशोधन नहीं कर सकता है। 

◾ इसे नकारात्मक प्रकृति का माना जाता है क्योंकिक्यों ये कुछ देता नहीं है बस ये सुनिश्चित करता है कि विधि के समक्ष सब समान है अगर किसी के साथ कोई भेदभाव होता है तो विधि के अनुसार उसे रोका जाएगा। 

Q. विधि का शासन (Rule of law) क्या होता है

इसका सीधा सा मतलब यह है कि शासन विधि का है किसी व्यक्ति या संस्था का नहीं।हीं कानून का शासन एक मूलभूत सिद्धांत है जो लोकतांत्रिक समाजों और कानूनी प्रणालियों को रेखांकित करता है। यह इस विचार को संदर्भित करता है कि सरकारी अधिकारियों और संस्थानों सहित सभी व्यक्ति कानून के अधीन हैं और इसके तहत जवाबदेह हैं। 

इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, Equality and Fairness (समानता एवं निष्पक्षता) , Transparency (पारदर्शिता), Accountability (जवाबदेही), Protection of Individual Rights (व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा और Legal Certainty (कानूनी निश्चिंतता) इत्यादि। 

कहने का अर्थ है कि विधि के समक्ष समता कुछ और नहीं बल्कि विधि का शासन का ही एक निहितार्थ है। यानि कि जब हम विधि का शासन कहते हैं तो इसी में निहित है विधि के समक्ष समता। 

कुल मिलाकर आपको विधि के समक्ष समता (Equality before law) के बारे में तीन बातें याद रखनी है

1. सभी व्यक्तियों के साथ एक समान व्यवहार किया जाएगा। 

2. किसी को कोई विशेषाधिकार नहीं मिलेगा। और, 

3. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। 

विधियों का समान संरक्षण (Equal Protection of Law) का क्या मतलब है

◾ इसे अमेरिकी संविधान से लिया गया है। इसका सीधा सा मतलब है “समान परिस्थितियों में समान व्यवहार का अधिकार”। इस सिद्धांत के अनुसार, भारत में रहने वाले सभी लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए और राज्य इससे इनकार नहीं कर सकता 

हम एक असमान समाज में रहते हैं इसीलिए सबकी परिस्थितियाँ समान नहीं होती है। ऐसे में इसके भावार्थ की बात करें तो इसका अर्थ है असमान लोगों में या असमान समाज में समानता स्थापित करने की कोशिश करना। 

कहने का अर्थ ये है कि असमान समाज में सब के साथ एक व्यवहार नहीं किया जा सकता। अगर सबको समान मानकर ट्री ट किया जाएगा तो पिछड़ा है वो हमेशा पिछड़ा ही रहेगा। 

◾ यानी कि समानता के सिद्धांत का यह मतलब नहीं होता है कि सभी विधियाँ सभी को लागू हो, वो भी तब जब कि हम समझते हैं कि सभी की प्रकृति, गुण, या परिस्थिति एक सी नहीं है। ऐसे में विभिन्न वर्ग के व्यक्तियों की विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार उसके साथ पृथक व्यवहार की आवश्यकता होती है। 

उदाहरण के लिए एक अमीर आदमी कोर्ट में केस लड़ने के लिए महंगे से महंगा वकील कर सकता है, वहीं दूसरी तरफ गरीब आदमी के पास साधारण वकील करने का भी सामर्थ्य नहीं होता है। ऐसे में सही न्याय तो तभी मिलेगा जब उस गरीब व्यक्ति को भी अपनी बात कहने के लिए वकील प्रोवाइड कराया जाये। 

या, जैसे कि मान लीजिए सरकार द्वारा किसानों के एक खास वर्ग को 6 हज़ार रुपया सालाना दिया जा रहा है। तो ऐसे में एक असमानता तो उत्पन्न होती है क्योंकिक्यों सभी किसानों को ये लाभ नहीं मिल रहा है। 

◾ कुल मिलाकर, इस असमान समाज के सहज कार्य-व्यापार संचालन के लिए अगर किसी व्यक्ति, समाज या संस्था को कुछ अतिरिक्त ट्री टमेंट दिया जाता है तो उसे दिया जा सकता है। 

हालांकि यहाँ यह याद रखिए कि जब भी किसी वर्ग विशेष या व्यक्ति विशेष के पक्ष में इस तरह का वर्गीकरण किया जाता है तो इससे असमानता उत्पन्न होती है लेकिन यह असमानता अपने आप में कोई दोष नहीं है। 

कहने का अर्थ ये है कि अगर हम जानते हैं कि कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हो सकता है और उसके लिए हम विशेष कानून बनाते हैं तो ये कोई दोष नहीं है। अगर समाज के किन्ही वर्ग को कुछ विशेष कानून द्वारा संरक्षण दिया जाता है तो ये कोई दोष नहीं है। बल्कि इसे सकारात्मक कार्रवाई (Affirmative Action) कहा जाता है। जिसे हम आरक्षण कहते हैं वो भी एक सकारात्मक कार्रवाई ही है। 

◾ हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि सरकार मनमाने ढंग से कोई भी वर्गीकरण कर सकता है। वर्गीकरण हमेशा युक्तियुक्त (reasonable) होना चाहिए। 

तो अब सवाल ये आता है कि कोई विधि (law) युक्तियुक्त है कि नहीं ये कैसे तय होगा? 

| युक्तियुक्त वर्गीकरण का आधार (Basis of rational classification) 

(1) पहली बात तो ये कि ये मान कर चला जाता है कि विधानमंडल या संसद ने जो विधि बनायी है वो युक्तियुक्त है। लेकिन यह धारणा हमेशा काम नहीं करती है। 

इसीलिए यदि कोई विभेद या वर्गीकरण किया जाना होता है तो उसका उचित तर्क उस कानून में ही बता दिया जाता है। यदि ऐसा नहीं होता है तो कानून को असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है। 

(2) दूसरी बात ये कि कोई वर्गीकरण युक्तियुक्त नहीं है; ये साबित करने की ज़िम्मेदारी उस व्यक्ति पर होती है जिसने यह दावा किया है कि अमुक कानून या उसका प्रावधान युक्तियुक्त नहीं है। 

(3) तीसरी बात ये कि अगर राज्य, एक व्यक्ति को ही वर्ग मानकर उसके पक्ष में कोई विधि बनाती है तो वो भी युक्तियुक्त माना जाएगा, यदि उस व्यक्ति को लागू होने वाली विशेष परिस्थितियाँ ऐसी है जो दूसरों को लागू नहीं होता है। 

कहने का अर्थ है कि अगर सरकार के पास उचित तर्क है तो एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से भी कोई विधि बनायी जा सकती है। 

नोट – कराधान विधि (taxation law) के मामले में भी समान संरक्षण के सिद्धांत (Principle of equal Protection) का पालन किया जाता है। यानी कि युक्तियुक्त वर्गीकरण के आधार पर अलग-अलग समूहों पर अलग-अलग टैक्स लगाया जा सकता है। इसके अलावा कॉलेज में प्रवेश की बात हो या सरकारी नौकरी के लिए साक्षात्कार की बात हो सब जगह ये लागू होता है। 

यहाँ तक हमने ये समझा कि जब कोई कानून युक्तियुक्त आधार के बिना विभेद करता है तो उस कानून को इस आधार पर अविधिमान्य (invalid) करार किया जा सकता है कि वह समान संरक्षण सिद्धांत के विरुद्ध है। 

कुल मिलाकर विधियों का समान संरक्षण (Equal Protection of Law) के बारे में आपको तीन बातें आपको याद रखनी है

1. विधि के समक्ष समता (Equality before law) जहां नकारात्मक प्रकृति का है वहीं विधियों का समान संरक्षण (Equal Protection of Law) सकारात्मक प्रकृति का होता है। 

2. यह राज्य पर एक बाध्यता आरोपित करता है कि यहाँ रह रहे लोगों के मध्य सकारात्मक समानता स्थापित करें; 3. इसे लागू करने के लिए युक्तियुक्त वर्गीकरण (Reasonable Classification) होना जरूरी होता है। 

| अनुच्छेद 14 और पूर्ण समानता (Article 14 and Absolute Equality): 

एक बात हमेशा ध्यान रहें कि समानता का अधिकार अपने आप में पूर्ण नहीं है और न ही अंतिम है। इसीलिए मूल अधिकारों के लिए न जाने कितने विवाद हुए है और अक्सर होते ही रहते हैं। और अनुच्छेद 14 के कई अपवाद भी है; 

1. अनुच्छेद 361 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति या राज्यों के राज्यपाल अपनी शक्तियों/यों कर्तव्यों के प्रयोग के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं और उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में उनके खिलाफ कोई दीवानी या आपराधिक कार्यवाही नहीं हो सकती या जारी रह सकती है । 

2. अनुच्छेद 361-ए के अनुसार, संसद और राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन की कोई भी पर्याप्त रूप से सही रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए किसी व्यक्ति के लिए कोई दीवानी या अदालती कार्यवाही नहीं हो सकती । 

3. संसद का कोई सदस्य (अनुच्छेद 105) और राज्य विधायिका (अनुच्छेद 194) संसद या किसी समिति में उनके द्वारा कही गई किसी भी बात या किसी भी वोट के संबंध में किसी भी अदालती कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा । 

4. विदेशी संप्रभु (शासकों)कों , राजदूतों और राजनयिकों को आपराधिक और दीवानी कार्यवाही से प्रतिरक्षा का आनंद मिलता है । 

तो विधि के समक्ष समता (equality before law) के तहत तो सभी व्यक्ति को कानून के समक्ष समान माना गया है। लेकिन विधियों का समान संरक्षण (equal protection of law) के तहत पिछड़े, दलित, शोषित, पीड़ित आदि समुदाय के पक्ष में कुछ किया जा सकता है। 

इस तरह के कार्यवाही को सकारात्मक कार्रवाई कहा जाता है। और आरक्षण इसी से संबन्धित है। इन सभी टॉपिक को विस्तार से समझने के लिए नीचे दिये गए लेख को पढ़ सकते हैं। 

भारत में आरक्षण 

तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 14 (Article 14), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

FAQs Related to Article 14 

प्रश्न: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 क्या है

उत्तर: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 भारत के क्षेत्र के भीतर सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार और कानूनों की समान सुरक्षा की गारंटी देता है। 

प्रश्न: कानून के समान संरक्षण का क्या अर्थ है

उत्तर: कानून के समान संरक्षण का अर्थ है कि सभी व्यक्ति कानून द्वारा समान व्यवहार के हकदार हैं। इसका मतलब यह है कि किसी भी व्यक्ति के साथ उसकी जाति, धर्म, जाति, लिंग या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। 

प्रश्न: अनुच्छेद 14 के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ क्या हैं

उत्तर: अनुच्छेद 14 के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ हैं। एक चुनौती यह है कि समानता की अवधारणा जटिल है और इसकी व्याख्या विभिन्न तरीकों से की जा सकती है। एक और चुनौती यह है कि कानून के समान संरक्षण के कई अपवाद हैं, जिससे यह निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है कि कोई विशेष कानून भेदभावपूर्ण है या नहीं।हीं 

प्रश्न: अनुच्छेद 14 का क्या महत्व है

उत्तर: अनुच्छेद 14 एक महत्वपूर्ण अधिकार है जो सभी भारतीयों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। यह सुनिश्चित करता है कि कानून के तहत सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाए और किसी के साथ भेदभाव न किया जाए। 

प्रश्न: क्या अनुच्छेद 14 सिर्फ भारतीय नागरिकों पर लागू होता है

उत्तर: अनुच्छेद 14 नागरिकों पर तो लागू होता ही है साथ ही कंपनी, संघ एवं गैर-नागरिक व्यक्तियों पर भी लागू होता है। 

MCQs Related to Article 14 

Question 1: 

What does Article 14 of the Indian Constitution guarantee? 

a) Right to Equality 

b) Right to Life and Personal Liberty 

c) Right to Freedom of Speech 

d) Right to Religious Freedom 

Answer 1: a) Right to Equality 

Explanation 1: 

Article 14 of the Indian Constitution guarantees the Right to Equality. It states that the state shall not deny to any person equality before the law or the equal protection of the laws within the territory of India. This means that all individuals are equal before the law and are entitled to equal protection of the law without any discrimination. 

Question 2: 

Which of the following principles is enshrined in Article 14 of the Indian Constitution? 

a) Right to Freedom of Religion 

b) Rule of Law 

c) Right against Exploitation 

d) Right to Constitutional Remedies 

Answer 2: 

b) Rule of Law 

Explanation 2: 

Article 14 embodies the principle of the Rule of Law. It ensures that laws are applied equally to all individuals, and no one is above the law. The provision emphasizes that the state and its authorities must act fairly and justly, and their actions should be based on established laws and procedures. 

Question 3: 

Which of the following statements is true regarding Article 14 of the Indian Constitution? 

a) It applies only to Indian citizens. 

b) It guarantees equal outcomes for all individuals. 

c) It allows the state to discriminate in certain situations. 

d) It ensures equal protection of laws, not necessarily equal laws. 

Answer 3: 

d) It ensures equal protection of laws, not necessarily equal laws. 

Explanation 3: 

Article 14 ensures that individuals receive equal protection of laws, meaning that the laws are applied equally to all without discrimination. However, it does not necessarily require all laws to be identical for every situation; rather, it demands that the state’s actions are reasonable, just, and non-discriminatory. 

Question 4: 

Which of the following is NOT protected by Article 14 of the Indian Constitution? 

a) Equality before the law 

b) Equal protection of the laws 

c) Equal distribution of wealth 

d) Absence of arbitrary discrimination 

Answer 4: 

c) Equal distribution of wealth 

Explanation 4: 

Article 14 does not guarantee equal distribution of wealth. It ensures equality before the law and equal protection of the laws but does not mandate equal distribution of economic resources or wealth. 


अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से) और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।