यह लेख अनुच्छेद 15 (Article 15) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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अनुच्छेद 15

📜 अनुच्छेद 15 (Article 15) Original

भाग 3 “मौलिक अधिकार” [समता का अधिकार]
15. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध — (1) राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा ।

(2) कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर –
(क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों मैं प्रवेश, या
(ख) पूर्णतः या भागत: राज्य-निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग, के संबंध में किसी भी निर्योग्यता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।

(3) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।

1[(4) इस अनुच्छेद की या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक इष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्‍नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करैगी।]

2[(5) इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 19 के खंड (1) के उपखंड (छ) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्‍नति के लिए या अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के लिए, विधि द्वारा, कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी, जहां तक ऐसे विशेष उपबंध, अनुच्छेद 30 के खंड (1) में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं से भिन्‍न, शिक्षा संस्थाओं में, जिनके अंतर्गत प्राइवेट शिक्षा संस्थाएं भी हैं, चाहे वे राज्य से सहायता प्राप्त हों या नहीं, प्रवेश से संबंधित हैं।]

3[(6) इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 19 के खंड (1) के उपखंड (छ) या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की कोई बात, राज्य को–

(क) खंड (4) और खंड (5) में उल्लिखित वर्गों से भिन्‍न नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल किन्हीं वर्गों की उन्‍नति के लिए कोई भी विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी ; और

(ख) खंड (4) और खंड (5) में उल्लिखित वर्गों से भिन्‍न नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल किन्हीं वर्गों की उन्‍नति के लिए कोई भी विशेष उपबंध करने से वहां निवारित नहीं करेगी, जहां तक ऐसे उपबंध, ऐसी शैक्षणिक संस्थाओं में, जिनके अंतर्गत अनुच्छेद 30 के खंड (1) में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं से भिन्न प्राइवेट शैक्षणिक संस्थाएं भी हैं, चाहे वे राज्य द्वारा सहायता पाने वाली हैं या सहायता न पाने वाली हैं, प्रवेश से संबंधित हैं, जो आरक्षण की दशा में विद्यमान आरक्षणों के अतिरिक्त तथा प्रत्येक प्रवर्ग में कुल स्थानों के अधिकतम दस प्रतिशत के अध्यधीन होंगे ।

स्पष्टीकरण: इस अनुच्छेद और अनुच्छेद 16 के प्रयोजनों के लिए “आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग” वे होंगे, जो राज्य द्वारा कुटुंब की आय और आर्थिक अलाभ के अन्य सूचकों के आधार पर समय-समय पर अधिसूचित किए जाएं।]
—————————-
1. संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 की धारा 2 द्वारा (18-6-1951 से) जोड़ा गया ।
2. संविधान (तिरानवैवां संशोधन) अधिनियम, 2005 की धारा 2 द्वारा (20-1-2006 से) अन्तःस्थापित ।
3. संविधान (एक सौ तीनवां संशोधन) अधिनियम, 2019 की धारा 2 द्वारा (14-1-2019 से) अंतःस्थापित ।
अनुच्छेद 15 हिन्दी संस्करण
Part 3 “Fundamental Rights” [Right to Equality]
15. Prohibition of discrimination on grounds of religion, race, caste, sex or place of birth— (1) The State shall not discriminate against any citizen ‘on grounds only of religion, race, caste, sex, place of birth or any of them.

(2) No citizen shall, on grounds only of religion, race, caste, sex, place of birth or any of them, be subject to any disability, liability, restriction or condition with regard to—

(a) access to shops, public restaurants, hotels and places of public entertainment; or

(b) the use of wells, tanks, bathing ghats, roads and places of public resort maintained wholly or partly out of State funds or dedicated to the use of the general public.

(3) Nothing in this article shall prevent the State from making any special provision for women and children.

1[(4) Nothing in this article or in clause (2) of article 29 shall prevent the State from making any special provision for the advancement of any socially and educationally backward classes of citizens or for the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes.]

2[(5) Nothing in this article or in sub-clause (g) of clause (1) of article 19 shall prevent the State from making any special provision, by law, for the advancement of any socially and educationally backward classes of citizens or for the Scheduled Castes or the Scheduled Tribes in so far as such special provisions relate to their admission to educational institutions including private educational institutions, whether aided or unaided by the State, other than the minority educational institutions referred to in clause (1) of article 30.]

3[(6) Nothing in this article or sub-clause (g) of clause (1) of article 19 or clause (2) of article 29 shall prevent the State from making,—

(a) any special provision for the advancement of any economically weaker sections of citizens other than the classes mentioned in clauses (4) and (5); and

(b) any special provision for the advancement of any economically weaker sections of citizens other than the classes mentioned in clauses (4) and (5) in so far as such special provisions relate to their admission to educational institutions including private educational institutions, whether aided or unaided by the State, other than the minority educational institutions referred to in clause (1) of article 30, which in the case of reservation would be in addition to the existing reservations and subject to a maximum of ten per cent. of the total seats in each category.

Explanation — For the purposes of this article and article 16, “economically weaker sections” shall be such as may be notified by the State from time to time on the basis of family income and other indicators of economic disadvantage. ]
————————————
1. Added by the Constitution (First Amendment) Act, 1951, s.2 (wef. 18-6-1951).
2. Ins. by the Constitution (Ninety-third Amendment) Act, 2005, s.2 (w.e.f. 20-1-2006).
3. Ins. by the Constitution (One Hundred and Third Amendment) Act, 2019, s. 2 (wef. 14-1-2019).
Article 15 English Version


🔍 Article 15 Explanation in Hindi

संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 14 से लेकर 18 तक समता का अधिकार (Right to Equality) वर्णित किया गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं।

समता का अधिकार (Right to Equality)
अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समता एवं विधियों का समान संरक्षण (Equality before law Equal Protection of Law)
अनुच्छेद 15 (Article 15)  धर्म, मूलवंश, लिंग एवं जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (Prohibition of discrimination on grounds of religion, race, caste, sex or place of birth.)
अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन में अवसर की समता (Equality of opportunity in matters of public employment.)
अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत (Abolition of Untouchability.)
अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत (Abolition of titles.)
Article 15

इसी का दूसरा अनुच्छेद है अनुच्छेद 15, जो कि “धर्म, मूलवंश, लिंग एवं जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध” की बात करता है। तो सबसे पहला सवाल तो यही आता है कि समानता (Equality) क्या होता है?

समानता समान होने की स्थिति है। इसका मतलब है कि सभी के साथ उचित व्यवहार किया जाता है और उनकी जाति, लिंग, धर्म, या किसी अन्य व्यक्तिगत विशेषता की परवाह किए बिना सभी के पास समान अधिकार और अवसर हैं।

समानता का सिद्धांत यह भी है कि सभी लोगों को समान बनाया गया है और उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। यह सिद्धांत कई संविधानों और मानवाधिकार दस्तावेजों में निहित है, जिसमें से भारत का संविधान भी एक है।

| अनुच्छेद 15 – केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध

एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए समानता एक मूलभूत तत्व है क्योंकि ये हमें सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक वंचितता (deprivation) से रोकता है।

हमने अनुच्छेद 14 के तहत समझा कि किस तरह से “विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण” सिद्धांत की मदद से समानता स्थापित करने की कोशिश की गई है।

उसी की अगली कड़ी है अनुच्छेद 15, हालांकि अनुच्छेद 15 सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए है जबकि अनुच्छेद 14 भारत में रह रहे सभी व्यक्तियों पर लागू होता है। अनुच्छेद 15 के तहत कुल 6 खंड है; आइए इसके एक-एक खंड को समझते हैं;

Article 15(1) Explanation :-

अनुच्छेद 15(1) के तहत कहा गया है कि राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल* धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।

अनुच्छेद के इस खंड के तहत एक प्रकार से गारंटी दी गई है कि राज्य की नजर में सभी भारतीय नागरिक बराबर है। और उसके साथ केवल* इन पांच आधारों पर कोई विभेद (Discrimination) नहीं किया जाएगा।

ये पांच आधार है – धर्म (Religion), मूलवंश (race), जाति (Caste), लिंग (sex) और जन्मस्थान (Place of Birth)। जैसे कि मान लीजिये कि सरकार ने एक चापाकल लगाया, तो सरकार किसी खास जाति को उस चापाकल से पानी पीने को मना नहीं कर सकती है।

भेदभाव का आधारभेदभाव न होने का मतलब
धर्म (Religion)राज्य किसी व्यक्ति या समूह के साथ किसी भी सार्वजनिक स्थान या सरकारी नीति तक पहुंचने में भेदभाव नहीं करेगा।
मूलवंश (race)राज्य द्वारा किसी जातीय मूल को भेदभाव का आधार नहीं बनाया जाएगा। यानि कि किसी को यह कहकर फायदा नहीं पहुंचाया जा सकता है कि वो पठान या टर्कीस नस्ल का है।
जाति (Caste)राज्य जातिगत भेदभाव को बढ़ावा नहीं देगा और जाति आधारित असमानताओं को खत्म करने का प्रयास करेगा। हालांकि राज्य ने SC, ST, OBC एवं EWS जैसा वर्गीकरण किया है लेकिन इसका उद्देश्य भेदभाव को खत्म करना है।
लिंग (sex)लिंग को कभी भी भेदभाव का आधार नहीं बनाया जाएगा। ट्रांसजेंडरों, महिलाओं या पुरुषों आदि के साथ उसके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
जन्मस्थान (Place of Birth)जन्मस्थान को कभी भी भेदभाव का आधार नहीं बनाया जाएगा।
Article 15 (1)

* यहाँ पर एक बात ध्यान देने योग्य है कि उस कथन में ‘केवल’ लगा है इसका मतलब है कि अन्य आधारों पर विभेद किया जा सकता है। जैसे कि आर्थिक, सामाजिक पिछड़ेपन या शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर विभेद हो सकता है।

कुल मिलाकर विभेद का प्रतिषेध का मतलब नागरिक अधिकारों के विरुद्ध राज्य की कार्यवाही को रोकना है।

Article 15(2) Explanation :-

अनुच्छेद 15(2) के तहत मुख्य रूप से दो बातें सुनिश्चित की गई है;

पहली बात) कोई नागरिक केवल धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर, दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश के संबंध में किसी दायित्व (liability), निर्बंधन (Restriction) या शर्त के अधीन नहीं होगा।

दूसरी बात) कोई नागरिक केवल धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर, आंशिक या पूर्णरूपेण राज्य निधि से पोषित या आम जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग के संबंध में किसी दायित्व (liability), निर्बंधन (Restriction) या शर्त के अधीन नहीं होगा।

इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि एक मेला जो कि एक सार्वजनिक मनोरंजन स्थल है और सबके घूमने के लिए खुला हुआ है, उसमें किसी को इस आधार पर जाने से नहीं रोका जा सकता है कि तुम्हारा जन्म चूंकि फलां गाँव में फलां जाति में हुआ है इसीलिए तुम मेला में नहीं आ सकते हो, या फिर जब तक तुम चंदा नहीं दे देते तब तक तुम नहीं आ सकते।

यहाँ पर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि अनुच्छेद 15(1) में “राज्य (State)” शब्द का इस्तेमाल किया गया है लेकिन अनुच्छेद 15(2) में “राज्य” शब्द का जिक्र नहीं है। इसीलिए अनुच्छेद 15(2) थोड़ा ज्यादा व्यापकता लिए हुए है; इस सेंस में कि राज्य के अलावे भी कोई अन्य व्यक्ति या संस्था इस के दायरे में आ सकता है। हालांकि मूल अधिकारों को राज्य के संदर्भ में पढ़ा और समझा जाता है।

Article 15(3) Explanation :-

अनुच्छेद 15(3) कहता है कि इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।

इसका क्या मतलब है इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं;

हमने अनुच्छेद 15(1) और (2) के तहत समझा कि धर्म, जाति, लिंग, मूलवंश एवं जन्मस्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है या फिर उसे किसी शर्त या निर्योग्यता के अंतर्गत नहीं लाया जा सकता है। जैसे कि चाहे वो स्त्रीलिंग हो, पुलिंग हो या नपुंसकलिंग; सबके साथ समान व्यवहार किया जाएगा।

इसी के अपवाद के रूप में अनुच्छेद 15(3) यह कहता है कि इस अनुच्छेद में और कहीं जो भी लिखा हुआ है, उसके बावजूद भी राज्य स्त्रियों एंव बच्चों के लिए चाहे तो विशेष उपबंध कर सकता है। इसे सकारात्मक कार्रवाई (Affirmative Action) कहा जाता है।

सकारात्मक कार्रवाई को इसीलिए अपनाया गया है ताकि समानता को न्याय मिल सके। कहने का अर्थ है कि हम पहले से ही एक असमान समाज में रह रहें है ऐसे में समाज के बहुत सारे ऐसे वर्ग या व्यक्ति होते हैं जिसे मुख्य धारा में लाने के लिए या सामाजिक सशक्तिकरण के लिए उसके पक्ष में कुछ विशेष करने की जरूरत होती है।

स्त्री (Women) और बालक (children) को इसी श्रेणी में रखा गया है और राज्य चाहे तो इसके पक्ष में या इसे फायदा पहुंचाने के लिए कुछ विशेष कदम उठा सकती है, जो कि सिर्फ इसी पर लागू होगा और किसी पर नहीं।

उदाहरण के लिए आप बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा और महिलाओं को मिलने वाली सवेतन मातृत्व अवकाश को ले सकते हैं। जिसे कि राज्य द्वारा इसी वर्ग को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाया गया है।

कुल मिलाकर कहने का अर्थ ये है कि एक कल्याणकारी राज्य में अगर बालकों एवं स्त्रियॉं के पक्ष में कुछ विशेष प्रावधान किए जाते है तो इसे अनुच्छेद 15 का उल्लंघन नहीं समझा जाएगा।

Article 15(4) Explanation :-

अनुच्छेद 15(4) के तहत कहा गया है कि इस अनुच्छेद में लिखी बात या अनुच्छेद 29 के खंड(2) के प्रावधानों के होते हुए भी; राज्य, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विकास के लिए कोई विशेष उपबंध कर सकता है।

◾ यह खंड भी एक अपवाद (exception) है क्योंकि यहाँ लिखा हुआ है कि “इस अनुच्छेद की या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की कोई बात”। अनुच्छेद 15 में क्या लिखा हुआ है इसे तो हम देख ही रहें हैं लेकिन सवाल यह आता है कि अनुच्छेद 29(2) को इसमें क्यों शामिल किया गया है।

दरअसल अनुच्छेद 29(2) में लिखा हुआ है कि सरकारी शिक्षण संस्थान या सरकार के अनुदान पर चलने वाली शिक्षण संस्थानों में प्रवेश से किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी के आधार पर वंचित नहीं किया जाएगा।

लेकिन सरकार को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जाति एवं जनजाति को शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में छूट या आरक्षण देना था, या आवेदन फीस इत्यादि में छूट देना था। और सरकार अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 29(2) के रहते ऐसा नहीं कर सकती थी। इसीलिए सरकार ने अनुच्छेद 15 में इस खंड को जोड़ दिया।

◾ कुल मिलाकर बात ये है कि इस खंड का उद्देश्य लोक शिक्षा संस्थाओं में, पिछड़े वर्ग के नागरिकों और अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए राज्य द्वारा स्थान के आरक्षण को साविधानिक स्वीकृति देना है। जैसे कि इन वर्गों के आवास सुविधा उपलब्ध करवाना, फीस में कटौती या माफ करना इत्यादि।

◾ दरअसल ये जो अनुच्छेद 15 का चौथा प्रावधान है इसे पहला संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। पहला संविधान संशोधन क्यों लाया गया था इसके पीछे कई कारण है लेकिन समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मामला है –  चंपकम दोराईराजन बनाम मद्रास सरकार का मामला 1951 (इसे विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें)

चंपकम दोराईराजन मामले में अभी के लिए बस इतना समझिए कि चंपकम नामक एक ब्राह्मण लड़की का एड्मिशन एक कॉलेज में सिर्फ इसीलिए नहीं हो पाया क्योंकि वहाँ विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी।

इसीलिए चंपकम ने इस व्यवस्था को कोर्ट में चुनौती दी। जांच करने पर, यह पता चला कि मद्रास सरकार के आदेश ने अनुच्छेद 15 के खंड (1) का उल्लंघन किया है। इसके बाद सात जजों की बेंच ने इस आदेश को पलट दिया, जिसमें योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि जाति के आधार पर सीटें आवंटित की गई थीं।

सरकार ने DPSP के अनुच्छेद 46 के तहत इसे बचाने की कोशिश की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मूल अधिकार को DPSP से ऊपर माना और इस तरह के आरक्षण को अनुच्छेद 29(2) का उल्लंघन माना। इसी को बदलने के लिए साल 1951 में पहला संविधान संशोधन करके अनुच्छेद 15 में चौथा क्लॉज़ जोड़ दिया गया।

अनुच्छेद 15 के इस चौथे खंड को संविधान में डालने का उद्देश्य, पिछड़े वर्ग के नागरिकों और एससी एवं एसटी वर्ग को राज्य शिक्षा संस्थाओं में आरक्षण देना था।

अनुच्छेद 15 में इस खंड के जुड़ने से सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग और SC एवं ST वर्ग के लिए शैक्षणिक संस्थानों में विशेष प्रावधान (जैसे कि आवास सुविधा उपलब्ध करवाना, फीस में कटौती या माफ करना, प्रवेश में आरक्षण इत्यादि) बनाने का रास्ता साफ हो गया।

लेकिन याद रखिए कि यह व्यवस्था सिर्फ सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (socially and educationally backward classes) और SC एवं ST के लिए था। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (Economically Weaker section) के मामले में यह प्रावधान लागू नहीं होता है।

◾ दूसरी बात यह भी याद रखिए कि सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा कौन होगा इसकी परिभाषा यहाँ नहीं बताई गई है। सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा कौन होगा, यह अनुच्छेद 342क के तहत राष्ट्रपति तय करता है। फिर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग इसे लिस्ट में शामिल करता है।

याद रखिए कि न्यायालय ने कई निर्णयों में बताया है कि पिछड़ा वही माना जाएगा जो कि सामाजिक और शैक्षणिक दोनों रूप से पिछड़े हैं;

बालाजी बनाम मैसूर राज्य (1963) मामले में, मैसूर सरकार ने एक आदेश जारी किया और पिछड़े वर्ग के छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए 68% आरक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया। सरकार ने मेरिट पर प्रवेश पाने वाले छात्रों के लिए केवल 32% आरक्षण छोड़ा।

इस आरक्षण के कारण, आरक्षित श्रेणी के छात्रों की तुलना में अधिक अंक वाले छात्र सीट प्राप्त करने में असफल रहे। न्यायालय की राय में अनुच्छेद 15(4) के तहत पिछड़े और उससे भी अधिक पिछड़े वर्गों का वर्गीकरण उचित नहीं था। ‘पिछड़ा (Backward)’ माने जाने के लिए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े दोनों को शामिल किया जाना चाहिए।

अनुच्छेद 15 का खंड (4) जाति की नहीं बल्कि वर्ग की बात करता है। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने कहा कि मेडिकल और इंजीनियरिंग स्कूलों में 68% सीटें आरक्षित करना संवैधानिक धोखाधड़ी होगी, क्योंकि अनुच्छेद 15 का खंड (4) पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधानों पर रोक लगाता है। इसलिए, आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता।

आंध्र प्रदेश राज्य बनाम यूएसवी बलराम (1972) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “जाति” इस बात का निर्धारण करने वाला कारक नहीं होनी चाहिए कि कोई व्यक्ति पिछड़े वर्ग का है या नहीं। पिछड़े वर्ग का निर्धारण के लिए सामाजिक और शैक्षणिक कारक को अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए।

Article 15(5) Explanation :-

अनुच्छेद 15(5) अपने पिछले वाले खंड का ही विस्तार है। इस खंड के तहत मुख्य रूप से दो बातें कही गई है;

पहला) इस अनुच्छेद में लिखी बात या अनुच्छेद 19 के खंड(1) के उपखंड (g) के प्रावधानों के होते हुए भी; राज्य, सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों या अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगों के उत्थान के लिए शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश (admission) के लिए छूट संबंधी कोई नियम बना सकता है।

दूसरा) ये शैक्षणिक संस्थान अनुच्छेद 30 के खंड (1) में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं से भिन्न है। लेकिन यह विशेष प्रावधान निजी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से संबंधित हैं, चाहे वे राज्य द्वारा सहायता प्राप्त हों या गैर सहायता प्राप्त हों।

* अनुच्छेद 15 के पांचवें प्रावधान को 93वें संविधान संशोधन 2005 द्वारा संविधान में डाला गया है। इसे क्यों डाला गया है और इन संशोधनों का क्या मतलब है, इसे आरक्षण (Reservation) वाले लेख में हम विस्तार से समझेंगे।

यहाँ बस इतना याद रखिए कि अनुच्छेद 19 के खंड 1 का जो उपखंड g है (जिसके तहत किसी नागरिक को वृत्ति (profession), उपजीविका (occupation), व्यापार या कारोबार करने का अधिकार दिया गया है), वो सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों या अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगों के शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए राज्य द्वारा दिए गए छूट में कोई अवरोध न उत्पन्न करे, इसीलिए इसे जोड़ा गया।

यानि कि यह भी समानता के सिद्धांत का एक अपवाद है। लेकिन यहाँ भी आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (Economically Weaker section) के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है।

Article 15(6) Explanation :-

अनुच्छेद 15(6) की बात करें तो इसे साल 2019 में 103वें संविधान संशोधन की मदद से संविधान में जोड़ा गया, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए भी प्रवेश में आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

इस खंड के तहत मुख्य रूप से दो बातें कही गई है;

पहली बात) इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 19 के खंड (1) के उपखंड (छ) या अनुच्छेद 30 के खंड (1) की कोई बात, राज्य को खंड (4) और खंड (5) में उल्लिखित वर्गों से भिन्‍न नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल किन्हीं वर्गों की उन्‍नति के लिए कोई भी विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।

इसका मतलब यह है कि अनुच्छेद 15(4) और अनुच्छेद 15(5) के तहत, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों और एससी एवं एसटी वर्ग के लिए जो प्रवेश में आरक्षण की व्यवस्था की गई है; अनुच्छेद 15(6) उससे अलग है।

अलग इस मायने में है कि यह आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गों (Economically Weaker Section) के लिए है। और इस पर भी अनुच्छेद 19(1)(g) और अनुच्छेद 30(1) का प्रभाव नहीं पड़ता है।

दूसरी बात) आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग (Economically Weaker Section) के नागरिकों पर भी अनुच्छेद 15(5) के जैसा प्रावधान ही लागू होता है, अंतर बस इतना है कि यहाँ पर EWS के लिए 10% आरक्षण की घोषणा कर दी गई है।

अब सवाल ये आता है कि “आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग” किसे माना जाएगा? इसका जवाब भी इसी अनुच्छेद में स्पष्टीकरण के रूप में दिया हुआ है।

इसमें बताया गया है कि अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 के प्रयोजनों के लिए “आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग” वे होंगे, जो राज्य द्वारा कुटुंब की आय (Family Income) और आर्थिक अलाभ (Economic disadvantages) के सूचकों के आधार पर समय-समय पर अधिसूचित किया जाएगा।

अभी के लिए EWS के लिए जो Criteria बनाया गया है उसे आप नीचे देख सकते हैं;

Q. आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग (Economically Weaker Section) किसे माना जाएगा?

  • उम्मीदवार की वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रूपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए।
  • उनके परिवार के पास 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
  • आवासीय फ्लैट क्षेत्र 1000 वर्ग फुट से कम होना चाहिए।
  • यदि घर अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्र में आवासीय भूखंड का क्षेत्रफल 100 वर्ग गज से कम होना चाहिए।
  • यदि घर गैर-अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्र में है तो आवासीय भूखंड का क्षेत्रफल 200 वर्ग गज से कम होना चाहिए।

EWS आरक्षण में परिवार की परिभाषा का अर्थ है: – “वह व्यक्ति जो आरक्षण का लाभ चाहता है, उसके माता-पिता है और 18 वर्ष से कम उम्र के भाई-बहन है और उसके पति/पत्नी और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं”।

Closing Remarks

अनुच्छेद 15(1) और 15(2) के तहत हमने समझा कि किस तरह से कुछ आधारों (जैसे कि धर्म, मूलवंश, जाति इत्यादि के आधार) पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

लेकिन हम देखते हैं कि अनुच्छेद 15 खंड (3), (4), (5) और (6) स्वयं अनुच्छेद 15 खंड (1) और (2) का अपवाद है। कुल मिलाकर अनुच्छेद 15 का खंड (3), (4), (5) और (6) विशेष प्रावधान या आरक्षण की व्यवस्था के लिए राज्य को खुली छूट देता है। यानि कि राज्य इस अनुच्छेद के तहत निम्नलिखित व्यक्ति या वर्ग के लिए विशेष प्रावधान बना सकता है?

  • महिलाओं और बच्चों के लिए,
  • सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति या आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की उन्नति के लिए या शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए,

हालांकि यहाँ याद रखिए कि शैक्षणिक संस्थान, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अलावा है। वो निजी शैक्षणिक संस्थान भी हो सकता है चाहे वे राज्य द्वारा सहायता प्राप्त हों या गैर-सहायता प्राप्त हों।

यही है अनुच्छेद 15 (Article 15), उम्मीद है आपको इसका कॉन्सेप्ट समझ में आया होगा। हो सकता है कि आपको अनुच्छेद 15 का जो चौथा, पांचवा और छठा क्लॉज़ है वो ठीक से समझ न आया हो। इसे ठीक से समझने के लिए आपको आरक्षण को अच्छे से समझना होगा।

हमने आरक्षण पर चार पार्ट में बहुत ही सरल और सहज भाषा में लेख तैयार किया है आपको सभी को पढ़ना होगा। तभी आप अनुच्छेद 15 और 16 को ठीक से समझ पाएंगे। तो आप उसे जरूर पढ़ें लिंक नीचे दिया हुआ है।

यहाँ से पढ़ें – भारत में आरक्षण [Reservation in India] [1/4]


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MCQs on Article 15 with Explanation

Question 1: What is the main focus of Article 15 of the Indian Constitution?

A) Right to Freedom of Speech
B) Prohibition of Discrimination on Grounds of Religion, Race, Caste, Sex, or Place of Birth
C) Right to Equality before Law
D) Right to Religious Freedom

Correct Answer: B) Prohibition of Discrimination on Grounds of Religion, Race, Caste, Sex, or Place of Birth. Article 15 of the Indian Constitution focuses on prohibiting discrimination based on religion, race, caste, sex, or place of birth. It promotes equality and prevents any form of discrimination in matters of access to public places and services.

Question 2: What does Article 15(1) specifically address?

A) Abolition of untouchability
B) Right to Education
C) Prohibition of discrimination on the grounds of religion
D) Equality in employment opportunities

Correct Answer: C) Prohibition of discrimination on the grounds of religion. Article 15(1) states that the State shall not discriminate against any citizen on grounds only of religion, race, caste, sex, place of birth, or any of them. It emphasizes equal treatment of all citizens without discrimination based on these factors.

Question 3: Which clause under Article 15 allows the State to make special provisions for women and children?

A) Article 15(1)
B) Article 15(2)
C) Article 15(3)
D) Article 15(4)

Correct Answer: C) Article 15(3). Article 15(3) allows the State to make special provisions for women and children. This clause acknowledges the need for protective discrimination to uplift these vulnerable groups and ensure their well-being.

Question 4: According to Article 15(4), the State can make special provisions for which group of people?

A) Scheduled Castes and Scheduled Tribes
B) Religious minorities
C) Economically backward classes
D) Linguistic minorities

Correct Answer: A) Scheduled Castes and Scheduled Tribes. Article 15(4) permits the State to make special provisions for the advancement of socially and educationally backward classes, which includes Scheduled Castes and Scheduled Tribes. This provision is aimed at uplifting marginalized communities.

Question 5: What is the primary objective of Article 15(2)?

A) To ensure equal pay for equal work
B) To provide free and compulsory education for children
C) To eliminate discrimination against women
D) To prevent caste-based discrimination

Correct Answer: D) To prevent caste-based discrimination. Article 15(2) prohibits citizens from being subjected to any disability, liability, restriction, or condition on grounds of religion, race, caste, sex, or place of birth in regard to access to shops, public restaurants, hotels, and places of public entertainment. It aims to ensure equality and prevent discrimination in public spaces.


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अस्वीकरण - यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।