Article 312 of the Constitution | अनुच्छेद 312 व्याख्या
यह लेख Article 312 (अनुच्छेद 312) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
�� अनुच्छेद 312 (Article 312) – Original
भाग 14 अध्याय 1 – सेवाएं 312. अखिल भारतीय सेवाएं— (1) 1 में किसी बात के होते हुए भी, यदि राज्यसभा ने उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों में से कम से कम दो-तिहाई सदस्यों द्वारा समर्थित संकल्प द्वारा यह घोषित किया है कि राष्ट्री य हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो संसद, विधि द्वारा, संघ और राज्यों के लिए सम्मिलित एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाओं के 2 सृजन के लिए उपबंध कर सकेगी और इस अध्याय के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी ऐसी सेवा के लिए भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेगी। (2) इस संविधान के प्रारंभ पर भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के नाम से ज्ञात सेवाएं इस अनुच्छेद के अधीन संसद् द्वारा सृजित सेवाएं समझी जाएंगी। 2 ================= 1. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 45 द्वारा (3-1-1977 से) “भाग 11” के स्थान पर प्रतिस्थापित। 2.संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 45 द्वारा (3-1-1977 से) अंतः स्थापित। |
अनुच्छेद 312 हिन्दी संस्करण
Article 312 English Version
�� Article 312 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 14, अनुच्छेद 308 से लेकर अनुच्छेद 323 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं (SERVICES UNDER THE UNION AND THE STATES) के बारे में है। जो कि दो अध्याय में बंटा हुआ है जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapters I | Subject सेवाएं (Services) | Articles 308 – 314 |
II | लोक सेवा आयोग (Public Services Commissions) | 315 – 323 |
Part 14 of the Constitution
इस लेख में हम पहले अध्याय “सेवाएं (Services)” के तहत आने वाले Article 312 को समझने वाले हैं;
⚫ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
Closely Related to Article 312
| अनुच्छेद 312 – अखिल भारतीय सेवाएं (All-India Services)
Article 312 के तहत अखिल भारतीय सेवाएं (All-India services) का वर्णन है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 312 अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) के निर्माण से संबंधित है। अखिल भारतीय सेवाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत सरकार के पास सक्षम और योग्य अधिकारियों का एक समूह है जिन्हें विभिन्न विभागों में सेवा देने के लिए देश भर में तैनात किया जा सकता है।
इस अनुच्छेद के तहत कुल चार खंड आते हैं;
अनुच्छेद 312 के खंड (1) तहत कहा गया है कि भाग 6 के अध्याय 6 या भाग 11 में किसी बात के होते हुए भी, यदि राज्यसभा ने उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों में से कम से कम दो-तिहाई सदस्यों द्वारा समर्थित संकल्प द्वारा यह घोषित किया है कि राष्ट्री य हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो संसद, विधि द्वारा, संघ और राज्यों के लिए सम्मिलित एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाओं के (जिनके अंतर्गत अखिल भारतीय न्यायिक सेवा है) सृजन के लिए उपबंध कर सकेगी और इस अध्याय के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी ऐसी सेवा के लिए भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेगी।
यहां मुख्य रूप से दो बातें कही गई है;
पहली बात) यदि राज्यसभा ने उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों में से कम से कम दो-तिहाई सदस्यों द्वारा समर्थित संकल्प द्वारा यह घोषित किया है कि राष्ट्री य हित में ऐसा करना आवश्यक है तो संसद, विधि द्वारा, संघ और राज्यों के लिए सम्मिलित एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाओं के सृजन के लिए उपबंध कर सकती है। याद रखिए इस व्यवस्था के अंतर्गत अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (All India Judicial Service) भी आती है।
इस व्यवस्था को आप अनुच्छेद 249 के साथ जोड़कर देख सकते हैं, जिसके तहत यह व्यवस्था किया गया है कि जब राज्यसभा उस दिन सदन में उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से एक प्रस्ताव करेगा कि संसद को राज्य सूची के मामलों पर कानून बनाना चाहिए तो संसद उस मामले पर कानून बनाने में सक्षम हो जाएंगी।
दूसरी बात) संसद इस अध्याय के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी ऐसी सेवा के लिए भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेगी।
एक बार जब राज्यों की परिषद ने इस प्रस्ताव को पारित कर दिया, तो संसद अखिल भारतीय न्यायिक सेवा सहित एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाओं का निर्माण करने वाला कानून पारित करने में सक्षम हो जाएगी। यह कानून इन सेवाओं में नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों को भी विनियमित करेगा।
यहां यह याद रखिए कि इस खंड के तहत जो व्यवस्थाएं बनाई गई है वो संविधान के भाग 6 के अध्याय 6 या भाग 11 का अपवाद है।
संविधान के भाग 6 के अध्याय 6 के तहत अनुच्छेद 233 से लेकर अनुच्छेद 237 तक आता है है जिसका विषय-वस्तु है – अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)। वहीं संविधान के भाग 11 की बात करें तो इसके तहत अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक आता है जिसका विषय-वस्तु है – RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES
अनुच्छेद 312 के खंड (2) तहत कहा गया है कि इस संविधान के प्रारंभ पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के नाम से ज्ञात सेवाएं इस अनुच्छेद के अधीन संसद् द्वारा सृजित सेवाएं समझी जाएंगी।
अनुच्छेद 312 का यह दूसरा खंड दो विशिष्ट सेवाओं को संदर्भित करता है जिन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के नाम से जाना जाता है जो कि भारतीय संविधान को अपनाने के समय मौजूद थीं।थीं ये दोनों सेवाएं अखिल भारतीय सेवाएं (AIS) है।
यह खंड महत्वपूर्ण है क्योंकिक्यों यह भारतीय संसद द्वारा बनाई गई सेवाओं के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की कानूनी स्थिति को स्थापित करता है।
अनुच्छेद 312 के खंड (3) तहत कहा गया है कि खंड (1) में निर्दिष्ट अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के अंतर्गत अनुच्छेद 236 में परिभाषित जिला न्यायाधीश के पद से अवर कोई पद नहीं होगा।
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का उल्लेख खंड (1) में किया गया है उसी के बारे में कुछ अन्य प्रावधानों की चर्चा की गई है। इस खंड में कहा गया है कि इस अखिल भारतीय न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीश (District Judge) से कमतर कोई भी पद शामिल नहीं होगा।
जिला न्यायाधीश भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक वरिष्ठ न्यायिक पद है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 236 के तहत जिला न्यायाधीश पद को व्याख्यायित किया गया है। अनुच्छेद 236 में परिभाषित किया गया है ताकि संविधान के भाग 6 के अध्याय 6 के तहत अनुच्छेद 233 से अनुच्छेद 237 तक जहां भी जिला न्यायाधीश (District Judge) शब्द का इस्तेमाल किया गया है वहां इसका मतलब क्या समझा जाएगा;
कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह है कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा एक उच्च स्तर की न्यायिक सेवा है जो केवल उन लोगों के लिए खुली है जो जिला न्यायाधीश या उससे उच्चतर स्तर तक पहुँच चुके हैं। यह व्यवस्था इस बाट को सुनिश्चित करता है कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा में उच्च योग्य और अनुभवी व्यक्तियों का स्टाफ हो।
अनुच्छेद 312 के खंड (4) तहत कहा गया है कि पूर्वोक्त अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन के लिए उपबंध करने वाली विधि में भाग 6 के अध्याय 6 के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट हो सकेंगे जो उस विधि के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए आवश्यक हों और ऐसी कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।
इस अनुच्छेद का अंतिम खंड उस कानून का जिक्र कर रहा है जो अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के निर्माण के लिए भारतीय संसद द्वारा बनाया जाएगा। इसमें कहा गया है कि इस कानून में भारतीय संविधान के भाग VI के अध्याय VI में संशोधन के प्रावधान हो सकते हैं। हालांकि इन संशोधनों का उद्देश्य अखिल भारतीय न्यायिक सेवा बनाने वाले कानून के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए संविधान में आवश्यक परिवर्तन करना है।
दूसरी बात, अखिल भारतीय न्यायिक सेवा बनाने वाले कानून को भारतीय संविधान में संशोधन नहीं माना जाता है। इसका मतलब यह है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में उल्लिखित संविधान में संशोधन की प्रक्रिया इस कानून पर लागू नहीं होती है। इसका उद्देश्य इस बात पर जोर देना है कि इस कानून द्वारा संविधान में किए गए परिवर्तन अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए विशिष्ट हैं और संविधान में व्यापक संशोधन नहीं करते हैं।
Article 312 in Nutshell
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 312 अखिल भारतीय सेवाओं के निर्माण से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार, कानून द्वारा, संघ और राज्यों के लिए एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाएं बना सकती है। अखिल भारतीय सेवाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत सरकार के पास सक्षम और योग्य अधिकारियों का एक समूह है जिन्हें विभिन्न विभागों में सेवा देने के लिए देश भर में तैनात किया जा सकता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312 में यह भी प्रावधान है कि अखिल भारतीय सेवाओं का अधिकार क्षेत्र राज्य सरकार की सहमति से राष्ट्रपति द्वारा किसी भी राज्य तक बढ़ाया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार अस्थायी रूप से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को ऐसे राज्य में तैनात कर सकती है जो जनशक्ति की कमी का सामना कर रहा है या जिसे विशेष विशेषज्ञता की आवश्यकता है।
अब तक बनाई गई अखिल भारतीय सेवाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFoS) हैं। ये सेवाएँ कई प्रकार के कार्यों के लिए ज़िम्मेदार हैं, जिनमें शामिल हैं:
◾ सरकारी विभागों का प्रशासन
◾ कानून प्रवर्तन
◾ वन संरक्षण
◾ सरकारी खातों की लेखापरीक्षा
अखिल भारतीय सेवाओं को भारत की विशिष्ट सिविल सेवाएँ माना जाता है। वे पूरे देश से सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को आकर्षित करते हैं और उन्हें देश की सेवा करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं।
अखिल भारतीय सेवाएं (AIS) क्या है?
भारत में सिविल सेवकों का चयन भारत के संविधान के अनुसार किया जाता है। सिविल सेवक भारत के राष्ट्रपति की इच्छा पर कार्य करते हैं।
भारत की सिविल सेवाओं को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है- अखिल भारतीय सेवाएँ (AIS) और केंद्रीय सिविल सेवाएँ (central civil services) (समूह ए और बी)। अखिल भारतीय सेवाओं (एआईएस) में भारत में केंद्र और राज्य सरकारों के लिए सामान्य तीन सिविल सेवाएं शामिल हैं, जिनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) शामिल हैं।
केंद्रीय सिविल सेवा (CCS) में भारत की विभिन्न सिविल सेवाएँ शामिल हैं जो विशेष रूप से भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं। यह अखिल भारतीय सेवाओं के विपरीत है, जो केंद्र और राज्य सरकारों,रों या राज्य सिविल सेवाओं दोनों के लिए सामान्य हैं, जो अलग-अलग राज्यों के दायरे में आती हैं।
प्रत्येक स्थापित सेवा के लिए कैडर नियंत्रण प्राधिकरण को भारत के संबंधित केंद्र सरकार के मंत्रालयों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) को कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) का नियंत्रण गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है। और भारतीय वन सेवा (IFS) को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
केंद्रीय सिविल सेवाओं में उच्च-स्तरीय पदों को समूह ए और समूह बी में वर्गीकृत किया गया है, जो दोनों राजपत्रित हैं।
अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 1951 भारतीय संसद द्वारा पारित एक कानून है जो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) को नियंत्रित करता है।
यह अधिनियम इन अखिल भारतीय सेवाओं के उद्देश्य, शक्ति और जिम्मेदारियों को रेखांकित करता है और इन सेवाओं में शामिल होने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए भर्ती प्रक्रिया और सेवा की शर्तों के लिए नियमों और विनियमों का भी प्रावधान करता है।
भारत में अखिल भारतीय सेवाएँ होने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
◾ प्रशासन का एक सामान्य मानक सुनिश्चित करता है: अखिल भारतीय सेवाएँ यह सुनिश्चित करने में मदद करती हैं कि सरकारी विभागों का प्रशासन पूरे देश में एक समान हो। यह नीति कार्यान्वयन में एकरूपता बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि नागरिकों को उनके स्थान की परवाह किए बिना समान व्यवहार मिले।
◾ विशिष्ट विशेषज्ञता का एक पूल प्रदान करता है: अखिल भारतीय सेवाएँ भारत सरकार को विशेष विशेषज्ञता के एक पूल का उपयोग करने की अनुमति देती हैं जो सभी राज्यों में उपलब्ध नहीं है। यह उन विभागों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिन्हें विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है, जैसे पुलिस और वन सेवा।
◾ राष्ट्री य एकता को बढ़ावा देता है: अखिल भारतीय सेवाएँ देश के विभिन्न हिस्सों से अधिकारियों को एक साथ लाती हैं, जो राष्ट्री य एकता और समझ को बढ़ावा देने में मदद करती हैं। यह भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए महत्वपूर्ण है।
तो यही है Article 312, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल–जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 312 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services (b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The creation of All India Services
(d) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
Click to Answer
Question 2: The purpose of creating All India Services is to:
(a) Provide a uniform standard of administration across the country
(b) Ensure that the best talent is recruited into the civil services
(c) Promote inter-state cooperation and integration
(d) All of the above
Click to Answer
Question 3: The creation of an All India Service requires a resolution of the Council of States supported by not less than two-thirds of the members present and voting.
True
False
Click to Answer
Question 4: Once an All India Service is created, the Parliament can make laws to regulate the recruitment and conditions of service of persons appointed to that service.
True
False
Click to Answer