Article 257 of the Constitution | अनुच्छेद 257 व्याख्या
यह लेख Article 257 (अनुच्छेद 257) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण
पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
�� अनुच्छेद 257 (Article 257) – Original
भाग 11 257. कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण — (1) प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शाक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में कोई अड़चन न हो या उस पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े और संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक होगा जो भारत सरकार को इस प्रयोजन के लिए आवश्यक प्रतीत हो। (2) संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्य को ऐसे संचार साधनों के निर्माण और बनाए रखने के बारे में निदेश देने तक भी होगा जिनका राष्ट्री य या सैनिक महत्व का होना उस निदेश में घोषित किया गया है; परंतु इस खंड की कोई बात किसी राजमार्ग या जलमार्ग को राष्ट्री य राजमार्ग या राष्ट्री य जलमार्ग घोषित करने की संसद् की शक्ति को अथवा इस प्रकार घोषित राजमार्ग या जलमार्ग के बारे में संघ की शक्ति को अथवा सेना, नौसेना और वायुसेना संकर्म विषयक अपने कृत्यों के भागरूप संचार साधनों के निर्माण और बनाए रखने की संघ की शक्ति को निर्बधित करने वाली नहीं मानी जाएगी। (3) संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य में रेलों के संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में उस राज्य को निदेश देने तक भी होगा। (4) जहां खंड (2) के अधीन संचार साधनों के निर्माण या बनाए रखने के बारे में अथवा खंड (3) के अधीन किसी रेल के संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में किसी राज्य को दिए गए किसी निदेश के पालन में उस खर्च से अधिक खर्च हो गया है जो, यदि ऐसा निदेश नहीं दिया गया होता तो राज्य के प्रसामान्य कर्तव्यों के निर्वहन में खर्च होता वहां उस राज्य द्वारा इस प्रकार किए गए अतिरिक्त खर्चा के संबंध में भारत सरकार द्वारा उस राज्य को ऐसी राशि का, जो करार पाई जाए या करार के अभाव में ऐसी राशि का, जिसे भारत के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा नियुक्त मध्यस्थ अवधारित करे, संदाय किया जाएगा। |
अनुच्छेद 257 हिन्दी संस्करण
Article 257 English Version
�� Article 257 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters I | Title विधायी संबंध (Legislative Relations) | Articles Article 245 – 255 |
II | प्रशासनिक संबंध (Administrative Relations) | Article 256 – 263 |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक।
भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों,यों जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।
ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।
अनुच्छेद 256 से लेकर अनुच्छेद 263 तक केंद्र-राज्य प्रशासनिक सम्बन्धों (Centre-State Administrative Relations) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;
राज्यों की ओर संघ की बाध्यता (Union’s obligation towards the states)
राज्यों पर संघ का नियंत्रण (Union control over states)
जल संबंधी विवाद (Water disputes)
इस लेख में हम अनुच्छेद 257 को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य प्रशासनिक संबंध Center-State Administrative Relations)
Closely Related to Article 257
| अनुच्छेद 257 – कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण (Control Of The Union Over States In Certain Cases)
अनुच्छेद 257 के तहत कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण (Control of the Union over States in certain cases) का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 4 खंड हैं;
अनुच्छेद 257 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शाक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में कोई अड़चन न हो या उस पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े और संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक होगा जो भारत सरकार को इस प्रयोजन के लिए आवश्यक प्रतीत हो।
यह खंड अनुच्छेद 256 का ही विस्तार है। जहां अनुच्छेद 256 के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संसद् द्वारा बनाई गई विधियों का और ऐसी विद्यमान विधियों का, जो उस राज्य में लागू हैं, अनुपालन सुनिश्चित रहे;
इसी तरह से अनुच्छेद 257 के खंड (1) के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शाक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में कोई अड़चन न आए;
इसी प्रकार से जिस तरह अनुच्छे 256 के तहत व्यवस्था किया गया है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक होगा जो भारत सरकार को उस प्रयोजन के लिए आवश्यक प्रतीत हों;हों
इसी तरह से अनुच्छेद 257 के खंड (1) के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक होगा जो भारत सरकार को इस प्रयोजन के लिए आवश्यक प्रतीत हो।
कुल मिलाकर अनुच्छेद 256 और अनुच्छेद 257 (1) की मदद से राज्यों के ऊपर एक बाध्यकारी कर्तव्य डाला गया है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग से संघ द्वारा बनायी गई विधियों का और संघ द्वारा प्रयोग की जाने वाली कार्यपालिका शक्ति का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
अनुच्छेद 257 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्य को ऐसे संचार साधनों के निर्माण और बनाए रखने के बारे में निदेश देने तक भी होगा जिनका राष्ट्री य या सैनिक महत्व का होना उस निदेश में घोषित किया गया है;
राष्ट्री य एवं सैनिक महत्व के जो संचार साधन है उस भी संघ का प्रशासन होता है, भले ही ऐसे साधन किसी भी राज्य में क्यों न हों;हों
यहां यह भी याद रखिए कि अगर केंद्र सरकार चाहे तो किसी राजमार्ग या जलमार्ग को राष्ट्री य राजमार्ग या जलमार्ग घोषित कर सकता है और उस पर प्रशासन कर सकता है या फिर सेना, नौसेना व वायुसेना के किन्ही उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
अनुच्छेद 257 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य में रेलों के संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में उस राज्य को निदेश देने तक भी होगा।
जैसा कि हम जानते हैं कि रेलवे केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है और उसी का प्रशासन उस पर चलता है। लेकिन रेलवे चूंकि विभिन्न राज्यों से होकर गुजरती है इसीलिए उसके रखरखाव या संरक्षण के लिए संघ चाहे तो राज्य को निदेश (Direction) दे सकता है।
अनुच्छेद 257 के खंड (4) के तहत कहा गया है कि जहां खंड (2) के अधीन संचार साधनों के निर्माण या बनाए रखने के बारे में अथवा खंड (3) के अधीन किसी रेल के संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में किसी राज्य को दिए गए किसी निदेश के पालन में उस खर्च से अधिक खर्च हो गया है जो, यदि ऐसा निदेश नहीं दिया गया होता तो राज्य के प्रसामान्य कर्तव्यों के निर्वहन में खर्च होता वहां उस राज्य द्वारा इस प्रकार किए गए अतिरिक्त खर्चा के संबंध में भारत सरकार द्वारा उस राज्य को ऐसी राशि का, जो करार पाई जाए या करार के अभाव में ऐसी राशि का, जिसे भारत के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा नियुक्त मध्यस्थ अवधारित करे, संदाय किया जाएगा।
इस खंड के तहत कहा गया है कि यदि खंड (2) और खंड (3) के तहत केंद्र सरकार द्वारा किसी राज्य को निदेश दिया जाता है और इस निदेश के पालन में राज्यों को अतिरिक्त खर्चा करना पड़ता है तो फिर ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा उस राज्य सरकार को पेमेंट किया जाएगा।
कितनी राशि का पेमेंट किया जाएगा, यह या तो कांट्रैक्ट में लिखा होगा या फिर भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा इस संबंध में एक मध्यस्थ (Mediator) बनाया जाएगा और वो जो पेमेंट सुझाएगा, उतना केंद्र को उस राज्य को देना होगा।
तो यही है Article 257 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल–जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
1. What is the central theme of Article 257 of the Indian Constitution?
a) Control of States over Union
b) Control of Union over States
c) Autonomy of Union Territories
d) Autonomy of States
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2. When can the President direct a State to exercise its executive power in a particular manner?
a) At the President’s discretion
b) If the Governor requests it
c) In case of conflict with Union laws
d) If a State Legislature passes a resolution
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