यह लेख Article 256 (अनुच्छेद 256) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 256 (Article 256) – Original
भाग 11 [संघ और राज्यों के बीच संबंध] |
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256. राज्यों की और संघ की बाध्यता — प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संसद् द्वारा बनाई गई विधियों का और ऐसी विद्यमान विधियों का, जो उस राज्य में लागू हैं, अनुपालन सुनिश्चित रहे और संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक होगा जो भारत सरकार को उस प्रयोजन के लिए आवश्यक प्रतीत हों। |
Part XI [RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES] |
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256 . Obligation of States and the Union— The executive power of every State shall be so exercised as to ensure compliance with the laws made by Parliament and any existing laws which apply in that State, and the executive power of the Union shall extend to the giving of such directions to a State as may appear to the Government of India to be necessary for that purpose. |
🔍 Article 256 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | विधायी संबंध (Legislative Relations) | Article 245 – 255 |
II | प्रशासनिक संबंध (Administrative Relations) | Article 256 – 263 |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक।
भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों, जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।
ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।
अनुच्छेद 256 से लेकर अनुच्छेद 263 तक केंद्र-राज्य प्रशासनिक सम्बन्धों (Centre-State Administrative Relations) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;
- राज्यों की ओर संघ की बाध्यता (Union’s obligation towards the states)
- राज्यों पर संघ का नियंत्रण (Union control over states)
- जल संबंधी विवाद (Water disputes)
इस लेख में हम अनुच्छेद 256 को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य प्रशासनिक संबंध Center-State Administrative Relations) |
| अनुच्छेद 256 – राज्यों की और संघ की बाध्यता (Obligation of States and the Union)
अनुच्छेद 256 के तहत राज्यों की और संघ की बाध्यता (Obligation of States and the Union) का वर्णन है।
अनुच्छेद 256 के तहत कहा गया है कि प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संसद् द्वारा बनाई गई विधियों का और ऐसी विद्यमान विधियों का, जो उस राज्य में लागू हैं, अनुपालन सुनिश्चित रहे और संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक होगा जो भारत सरकार को उस प्रयोजन के लिए आवश्यक प्रतीत हों।
हमने केंद्र-राज्य के विधायी संबंध में जाना था कि किस प्रकार से तीन सूचियाँ बनाकर केंद्र और राज्य के विधायी विषयों को अलग-अलग कर दिया गया है। अब जैसे कि संघ सूची के विषयों पर केंद्र विधान बना सकता है तो उस विधान को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र उस विधान पर प्रशासन भी तो कर सकता है।
केंद्र के पास विधान बनाने के लिए राज्य की अपेक्षा बहुत ही ज्यादा विषय है, तो जाहिर है केंद्र की कार्यपालक या प्रशासनिक शक्तियाँ भी राज्य से ज्यादा होंगी। और है भी। केंद्र की प्रशासनिक शक्तियाँ सम्पूर्ण भारत में फैली हैं, जबकि राज्य की कार्यपालक शक्ति बस उसकी सीमा के अंदर तक।
दूसरी बात ये कि समवर्ती सूची के विषयों पर दोनों कानून बना सकता है तो दोनों उस आधार पर प्रशासन भी कर सकता है। हालांकि संसद चाहे तो कार्यकारी शक्तियों को राज्य को भी निदेशित कर सकता है।
इस अनुच्छेद के तहत राज्यों एवं संघ के ऊपर कुछ बाध्यताएं (Obligations) आरोपित की गई है। यहां दो बातें कही गई है;
पहली बात) प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संसद् द्वारा बनाई गई विधियों का और ऐसी विद्यमान विधियों का, जो उस राज्य में लागू हैं, अनुपालन सुनिश्चित रहे; और,
दूसरी बात) संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक होगा जो भारत सरकार को उस प्रयोजन के लिए आवश्यक प्रतीत हों।
कुल मिलाकर यह अनुच्छेद स्थापित करता है कि प्रत्येक राज्य की कार्यकारी शक्ति का प्रयोग इस प्रकार किया जाएगा कि संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके। हमने केंद्र-राज्य विधायी संबन्ध के तहत आने वाले अनुच्छेदों (अनुच्छेद 248-254) से यह समझा था कि संसद द्वारा बनाई गई विधि सामान्यतः राज्य विधान मंडल द्वारा बनायी गई विधि को प्रत्यादिष्ट (Override) कर सकता है। ऐसे में जब उस कानून के तहत प्रशासन की बात आती है तो राज्यों को यह ध्यान रखना होता है कि उसके किसी भी निर्णय से संसद द्वारा बनाए गया क़ानूनों का उल्लंघन न हो।
इस तरह से यह अनुच्छेद संघ द्वारा अधिनियमित कानूनों का पालन करने और लागू करने के राज्यों के कर्तव्य पर जोर देता है। और इस सिद्धांत को पुष्ट करता है कि राज्य कार्यपालिका को संवैधानिक ढांचे के भीतर और केंद्रीय कानूनों के अनुरूप कार्य करना चाहिए।
इस अनुच्छेद की दूसरी खास बात ये है कि इस अनुच्छेद के तहत केंद्र को यह शक्ति मिलती है कि वह राज्यों को निदेश (directions) दे सकता है, अगर केंद्र को लगता है कि राज्य अपना प्रशासन संविधानसम्मत तरीके से नहीं चला रहा है।
यदि राष्ट्रपति को यह प्रतीत होता है कि किसी राज्य का शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, तो राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार के सभी या किसी भी कार्य को स्वयं संभालने का अधिकार है। हालाँकि, यह प्रावधान आम तौर पर संवैधानिक मशीनरी के टूटने की चरम स्थितियों में लागू किया जाता है।
अनुच्छेद 256 शासन के मामलों में संघ और राज्यों के बीच एक सहज और सहयोगात्मक संबंध सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए संवैधानिक ढांचे का हिस्सा है। यह संविधान और संसद द्वारा बनाए गए कानूनों की सर्वोच्चता पर जोर देते हुए संघवाद के सिद्धांत को रेखांकित करता है।
तो यही है अनुच्छेद 256 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ https://wonderhindi.com/article-249/ |
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Related MCQs with Explanation
1. What is the primary obligation imposed by Article 256 of the Indian Constitution?
a) States to exercise executive power independently
b) States to comply with laws made by Parliament
c) Union to comply with State laws
d) States to seek President’s approval for legislation
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2. In which list of the Indian Constitution are the subjects covered by laws made under Article 256 typically found?
a) Union List
b) State List
c) Concurrent List
d) Residuary List
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3. What does Article 256 emphasize regarding the exercise of executive power by States?
a) Complete autonomy
b) Coordination with Union laws
c) Dependence on Union approval
d) Nullification of Union laws
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4. What is the significance of the provision allowing the President to assume functions of a State government under Article 256?
a) Routine administrative measure
b) Emergency provision for financial crises
c) Extreme measure in case of breakdown of constitutional machinery
d) President’s discretionary power for any reason
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5. Which constitutional principle is reinforced by Article 256?
a) Parliamentary supremacy
b) Federalism
c) States’ autonomy
d) Presidential discretion
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⚫ अनुच्छेद 257 – भारतीय संविधान |
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⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |