Article 276 of the Constitution | अनुच्छेद 276 व्याख्या
यह लेख Article 276 (अनुच्छेद 276) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और
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�� अनुच्छेद 276 (Article 276) – Original
भाग 12 अध्याय 1 – वित्त (संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण) 276. वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों पर कर — (1) अनुच्छेद 246 में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य के विधान मंडल की ऐसे करों से संबंधित कोई विधि, जो उस राज्य के या उसमें किसी नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी के फायदे के लिए वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं या नियोजनों के संबंध में है, इस आधार पर अविधिमान्य नहीं होगी कि वह आय पर कर से संबंधित है। (2) राज्य को या उस राज्य में किसी एक नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी को किसी एक व्यक्ति के बारे में वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के रूप में संदेय कुल रकम 1 प्रति वर्ष से अधिक नहीं होगी। 2 * * * * (3) वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के संबंध में पूर्वोक्त रूप में विधियां बनाने की राज्य के विधान-मंडल की शक्ति का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों से प्रोद्भू त या उद्भू त आय पर करों के संबंध में विधियां बनाने की संसद् की शक्ति को किसी प्रकार सीमित करती है। ============== 1. संविधान (साठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 की धारा 2 द्वारा “दो सौँ पचास रुपए” शब्दों के स्थान पर. (20-42-1988 से) प्रतिस्थापित । 2. संविधान (साठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 का धारा 2 द्वारा परन्तुक का लोप किया गया। |
अनुच्छेद 276 हिन्दी संस्करण
Article 276 English Version
�� Article 276 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters I | Title वित्त (Finance) | Articles Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights To Property) | 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
कर व्यवस्था (Taxation System)
विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Sub-Chapters Title साधारण (General) | Articles Article 264 – 267 |
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution Of Revenues Between The Union And The States) | Article 268 – 281 |
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) | 282 – 291* |
* अनुच्छेद 291 को 26वें संविधान संशोधन अधिनियम 1971 की मदद से निरसित (Repealed) कर दिया गया है।
इस लेख में हम अनुच्छेद 276 को समझने वाले हैं; जो कि संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
Closely Related to Article 276
| अनुच्छेद 276 – वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों पर कर (Taxes On Professions, Trades, Callings And Employments)
अनुच्छेद 276 के तहत वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों पर कर का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल तीन खंड आते हैं;
अनुच्छेद 276 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 246 में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य के विधान मंडल की ऐसे करों से संबंधित कोई विधि, जो उस राज्य के या उसमें किसी नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी के फायदे के लिए वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं या नियोजनों के संबंध में है, इस आधार पर अविधिमान्य नहीं होगी कि वह आय पर कर से संबंधित है।
अनुच्छेद 246 में कुछ भी लिखा होने के बावजूद, पेशे, व्यापार, आजीविका या रोजगार के संबंध में राज्य या स्थानीय अधिकारियों (नगरपालिका, जिला बोर्ड इत्यादि) के लाभ के लिए करों के संबंध में राज्य विधायिका द्वारा पारित कोई भी कानून केवल इसलिए अमान्य नहीं माना जाएगा क्योंकिक्यों यह आय (Income) पर कर से संबंधित है।
दूसरे शब्दों में, राज्य सरकारों के पास राज्य या स्थानीय अधिकारियों के लाभ के लिए आय पर कर लगाने की शक्ति है, और इन कानूनों को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है कि वे आय पर कर से संबंधित हैं।
अनुच्छेद 246 केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण की रूपरेखा तैयार करता है। विस्तार से समझने के लिए पढ़ें; Article 246
अनुच्छेद 276 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि राज्य को या उस राज्य में किसी एक नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी को किसी एक व्यक्ति के बारे में वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के रूप में संदेय कुल रकम दो हजार पांच सौं रुपए प्रति वर्ष से अधिक नहीं होगी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 276 का खंड (2) उन करों की मात्रा पर एक सीमा निर्धारित करता है जो राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण (नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड) द्वारा किसी व्यक्ति पर पेशे, व्यापार, आजीविका और रोजगार के लिए लगाए जा सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा इनमें से किसी भी विषय के लिए राज्य में किसी एक व्यक्ति पर लगाए जाने वाले करों की कुल राशि एक निश्चित राशि से अधिक नहीं होगी, जो वर्तमान में 2,500 रुपये प्रति वर्ष है।
इसका मतलब यह है कि किसी राज्य में पेशे, व्यापार, आजीविका और रोजगार के लिए किसी व्यक्ति पर लगाए जाने वाले करों की अधिकतम राशि 2,500 रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होगी। यह राशि संविधान (साठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 के द्वारा तय की गई थी।
अनुच्छेद 276 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के संबंध में पूर्वोक्त रूप में विधियां बनाने की राज्य के विधान-मंडल की शक्ति का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह वृत्तियों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और नियोजनों से प्रोद्भू त या उद्भू त आय पर करों के संबंध में विधियां बनाने की संसद् की शक्ति को किसी प्रकार सीमित करती है।
यह खंड राज्य विधायिका की कानून बनाने की शक्ति और केंद्र सरकार की कानून बनाने की शक्ति (विशेष रूप से करों के संबंध में), के बीच संबंध के बारे में बात करता है।
खंड में कहा गया है कि राज्य विधायिका के पास व्यवसायों,यों व्यापारों,रों आजीविका और रोजगार पर करों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है। हालाँकि, इस शक्ति को व्यवसायों,यों व्यापारों,रों आजीविकाओं और रोजगारों से आने वाली आय पर करों के संबंध में कानून बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति को किसी भी तरह से सीमित या प्रतिबंधित करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
कहने का अर्थ है कि राज्य सरकार के पास व्यवसायों,यों व्यापार, आजीविका और रोजगार पर करों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है, यह शक्ति इन्हीं विषयों पर आय पर करों के संबंध में कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार की शक्ति को प्रतिबंधित या सीमित नहीं करती है।
तो यही है अनुच्छेद 276 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
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Question 1: Article 276 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services (b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess (d) Taxes on professions, trades, callings, and employments
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Question 2: Which of the following is an example of a tax that can be levied under Article 276 of the Indian Constitution?
(a) Corporate tax
(b) Capital gains tax
(c) Goods and services tax (GST)
(d) Profession tax
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Question 4: Which of the following is NOT a challenge associated with Article 276 of the Indian Constitution?
(a) The definition of “professions, trades, callings, and employments” is broad and can be interpreted in different ways.
(b) There is a risk of double taxation.
(c) The taxes levied under Article 276 can be regressive, meaning that they place a disproportionate burden on low-income earners.
(d) The taxes levied under Article 276 can be complex and difficult to comply with. Click to Answer