यह लेख Article 293 (अनुच्छेद 293) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 293 (Article 293) – Original

भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 2 – उधार लेना
293. राज्यों द्वारा उधार लेना— (1) इस अनुच्छेद के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, उस राज्य की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें ऐसे राज्य का विधान-मंडल, समय-समय पर, विधि द्वारा, नियत करे, भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर उधार लेने तक और ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें इस प्रकार नियत किया जाए, प्रत्याभूति देने तक है।

(2) भारत सरकार, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो संसद्‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन अधिकथित की जाएं, किसी राज्य को उधार दे सकेगी या जहां तक अनुच्छेद 292 के अधीन नियत किन्हीं सीमाओं का उल्लंघन नहीं होता है वहां तक किसी ऐसे राज्य द्वारा लिए गए उधारों के संबंध में प्रत्याभूति दे सकेगी और ऐसे उधार देने के प्रयोजन के लिए अपेक्षित राशियां भारत की संचित निधि पर भारित की जाएंगी।

(3) यदि किसी ऐसे उधार का, जो भारत सरकार ने या उसकी पूर्ववर्ती सरकार ने उस राज्य को दिया था अथवा जिसके संबंध में भारत सरकार ने या उसकी पूर्ववर्ती सरकार ने प्रत्याभूति दी थी, कोई भाग अभी भी बकाया है तो वह राज्य, भारत सरकार की सहमति के बिना कोई उधार नहीं ले सकेगा।

(4) खंड (3) के अधीन सहमति उन शर्तों के अधीन, यदि कोई हों, दी जा सकेगी जिन्हें भारत सरकार अधिरोपित करना ठीक समझे।
अनुच्छेद 293 हिन्दी संस्करण

Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 2 – BORROWING
293. Borrowing by States— (1) Subject to the provisions of this article, the executive power of a State extends to borrowing within the territory of India upon the security of the Consolidated Fund of the State within such limits, if any, as may from time to time be fixed by the Legislature of such State by law and to the giving of guarantees within such limits, if any, as may be so fixed.

(2) The Government of India may, subject to such conditions as may be laid down by or under any law made by Parliament, make loans to any State or, so long as any limits fixed under article 292 are not exceeded, give guarantees in respect of loans raised by any State, and any sums required for the purpose of making such loans shall be charged on the Consolidated Fund of India.

(3) A State may not without the consent of the Government of India raise any loan if there is still outstanding any part of a loan which has been made to the State by the Government of India or by its predecessor Government, or in respect of which a guarantee has been given by the Government of India or by its predecessor Government.

(4) A consent under clause (3) may be granted subject to such conditions, if any, as the Government of India may think fit to impose.
Article 293 English Version

🔍 Article 293 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iवित्त (Finance)Article 264 – 291
IIउधार लेना (Borrowing)Article 292 – 293
IIIसंपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS)294 – 300
IVसंपत्ति का अधिकार (Rights to Property)300क
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।

संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;

  • कर व्यवस्था (Taxation System)
  • विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
  • भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
  • संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।

संविधान के इस भाग (भाग 12) का दूसरा अध्याय भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा उधार लेने से संबंधित है। इस लेख में हम अनुच्छेद 292 को समझने वाले हैं;

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
Closely Related to Article 293

| अनुच्छेद 293 – राज्यों द्वारा उधार लेना (Borrowing by States)

Article 293 के तहत राज्यों द्वारा उधार लेने (Borrowing By States) का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 4 खंड आते हैं;

अनुच्छेद 293 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि इस अनुच्छेद के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, उस राज्य की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें ऐसे राज्य का विधान-मंडल, समय-समय पर, विधि द्वारा, नियत करे, भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर उधार लेने तक और ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें इस प्रकार नियत किया जाए, प्रत्याभूति देने तक है।

जिस तरह से अनुच्छेद 292 के तहत केंद्र अगर चाहे तो भारत या भारत के बाहर से संचित निधि की गारंटी पर ऋण ले सकता है। इसी व्यवस्था को अनुच्छेद 293 के तहत राज्यों के लिए भी भी सुनिश्चित किया गया है।

अनुच्छेद 293 के तहत, राज्य अगर चाहे तो भारत के भीतर से राज्य की संचित निधि की गारंटी पर ऋण ले सकता है। लेकिन विधानमंडल द्वारा निर्धारित सीमा के ऊपर ऋण नहीं लिया जा सकता। लेकिन यहां यह जो प्रावधान है वह इस अनुच्छेद 293 के अधीन है यानि कि कुछ अपवादों के अधीन है;

अनुच्छेद 293 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि भारत सरकार, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो संसद्‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन अधिकथित की जाएं, किसी राज्य को उधार दे सकेगी या जहां तक अनुच्छेद 292 के अधीन नियत किन्हीं सीमाओं का उल्लंघन नहीं होता है वहां तक किसी ऐसे राज्य द्वारा लिए गए उधारों के संबंध में प्रत्याभूति दे सकेगी और ऐसे उधार देने के प्रयोजन के लिए अपेक्षित राशियां भारत की संचित निधि पर भारित की जाएंगी।

कहने का अर्थ है कि अनुच्छेद 293(2) के तहत, केंद्र सरकार भी राज्यों को ऋण दे सकती है या फिर अगर राज्य कहीं और से ऋण लेती है तो उसका केंद्र गारंटर बन सकती है।

इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई राज्य सरकार किसी भी बैंक या फिर कहीं से भी लोन लेती है और चुका नहीं पाती है, तो केंद्र सरकार को उसे चुकाना पड़ेगा। वो भी भारत के खजाने से।

अनुच्छेद 293 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि यदि किसी ऐसे उधार का, जो भारत सरकार ने या उसकी पूर्ववर्ती सरकार ने उस राज्य को दिया था अथवा जिसके संबंध में भारत सरकार ने या उसकी पूर्ववर्ती सरकार ने प्रत्याभूति दी थी, कोई भाग अभी भी बकाया है तो वह राज्य, भारत सरकार की सहमति के बिना कोई उधार नहीं ले सकेगा।

अनुच्छेद 293(2) के तहत अगर राज्य के ऊपर पहले से ही बकाया ऋण हो तो राज्य अनुच्छेद 292(3) के अनुसार फिर से दूसरा ऋण केंद्र की अनुमति के बिना नहीं ले सकता।

अनुच्छेद 293 के खंड (4) के तहत कहा गया है कि खंड (3) के अधीन सहमति उन शर्तों के अधीन, यदि कोई हों, दी जा सकेगी जिन्हें भारत सरकार अधिरोपित करना ठीक समझे।

भारत सरकार को इस खंड के तहत खंड (3) के संदर्भ में शर्तें आरोपित करने की शक्ति दी गई है।

तो यही है अनुच्छेद 293 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद 292
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Question 1: Article 293 of the Indian Constitution deals with:

(a) The borrowing powers of the State Governments
(b) The power of the State Governments to levy taxes on goods and services
(c) The power of the Union Government to levy surcharges on the taxes levied by the State Governments
(d) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess

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Answer: (a) Explanation: Article 293 of the Indian Constitution deals with the borrowing powers of the State Governments. It states that the State Legislatures can pass laws to authorize the State Governments to borrow money.

Question 2: The State Governments can borrow money from a variety of sources, including:

(a) The Union Government
(b) Banks and other financial institutions
(c) The public
(d) All of the above

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Answer: (d) Explanation: The State Governments can borrow money from a variety of sources, including the Union Government, banks and other financial institutions, and the public.

Question 3: The State Governments can borrow money for a variety of purposes, including:

(a) To finance their development programs
(b) To meet their revenue shortfall
(c) To pay off their existing debt
(d) All of the above

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Answer: (d) Explanation: The State Governments can borrow money for a variety of purposes, including to finance their development programs, meet their revenue shortfall, and pay off their existing debt.

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मौलिक अधिकार बेसिक्स
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।