यह लेख Article 243ZT (अनुच्छेद 243यन) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं;
⬇️⬇️⬇️

📜 अनुच्छेद 243यन (Article 243ZT) – Original

*भाग 9ख [सहकारी सोसाइटियाँ]
243ZT. विद्यमान विधियों का जारी रहना— इस भाग में किसी बात के होते हुए भी, संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2011 के प्रारंभ से ठीक पूर्व किसी राज्य में प्रवृत्त सहकारी सोसाइटियों से संबंधित किसी विधि का कोई उपबंध, जो इस भाग के उपबंधों से असंगत है, उसे सक्षम विधान-मंडल या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा संशोधित या निरसित किए जाने तक या ऐसे प्रारंभ से एक वर्ष के समाप्त होने तक, इनमें से जो भी कम हो, प्रवृत्त बना रहेगा।
अनुच्छेद 243ZT हिन्दी संस्करण

*Part IXB [THE CO-OPERATIVE SOCIETIES]
243ZT. Continuance of existing laws— Notwithstanding anything in this Part, any provision of any law relating to co-operative societies in force in a State immediately before the commencement of the Constitution (Ninety seventh Amendment) Act, 2011, which is inconsistent with the provisions of this Part, shall continue to be in force until amended or repealed by a competent Legislature or other competent authority or until the expiration of one year from such commencement, whichever is less.
Article 243ZT English Version

🔍 Article 243ZT Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 9B, अनुच्छेद 243ZG से लेकर अनुच्छेद 243ZT तक विस्तारित है। यह भाग भारत में सहकारी सोसाइटियों की नींव रखता है जो कि हमेशा से संविधान का हिस्सा नहीं था बल्कि इसे साल 2012 में 97वां संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान का हिस्सा बनाया गया।

सहकारी सोसाइटियाँ स्वयं सहायता संगठनों का एक रूप हैं जो समान आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक हितों वाले व्यक्तियों द्वारा स्थापित की जाती हैं। ये समितियाँ भारत के सहकारी कानूनों और विनियमों द्वारा शासित होती हैं, और वे आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

भारत में सहकारी सोसाइटियाँ संगठन के एक अनूठे और महत्वपूर्ण रूप के रूप में कार्य करती हैं जो समुदायों और व्यक्तियों के बीच सामूहिक कार्रवाई, आर्थिक सहयोग और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देती हैं।

संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम 2011 की मदद से इसे संविधान में अंतःस्थापित किया गया था। इस संविधान संशोधन की मदद से मुख्यत: तीन चीज़ें की गई थी;

1) सहकारी समिति बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया।
2) राज्य के नीति निदेशक तत्व में इसे अनुच्छेद 43B के तहत जोड़ा गया। और,
3) संविधान में एक नया खंड 9B जोड़ा जिसके तहत अनुच्छेद ZH से लेकर ZT तक 13 अनुच्छेदों को जोड़ा गया।

कहने का अर्थ है कि भाग 9B पूरी तरह से सहकारी सोसाइटियों (Cooperative Societies) को समर्पित है। इसके तहत कुल 13 अनुच्छेद आते हैं जिसकी मदद से सहकारी सोसाइटियों को एक संवैधानिक संस्था बनाया गया।

इस लेख में हम अनुच्छेद 243ZT को समझने वाले हैं;

याद रखें, सहकारी सोसाइटी के पूरे संवैधानिक कॉन्सेप्ट को समझने के लिए भाग 9B के तहत आने वाले पूरे 13 अनुच्छेद को एक साथ जोड़कर पढ़ना और समझना जरूरी है। अगर आप चीजों को समग्रता के साथ समझना चाहते हैं तो पहले कृपया नीचे दिए गए दोनों लेखों को पढ़ें और समझें;

| अनुच्छेद 243ZT – विद्यमान विधियों का जारी रहना (Continuance of existing laws)

अनुच्छेद 243ZT के तहत विद्यमान विधियों का जारी रहना (Continuance of existing laws) वर्णित है।

अनुच्छेद 243ZT के तहत कहा गया है कि इस भाग में किसी बात के होते हुए भी, संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2011 के प्रारंभ से ठीक पूर्व किसी राज्य में प्रवृत्त सहकारी सोसाइटियों से संबंधित किसी विधि का कोई उपबंध, जो इस भाग के उपबंधों से असंगत है, उसे सक्षम विधान-मंडल या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा संशोधित या निरसित किए जाने तक या ऐसे प्रारंभ से एक वर्ष के समाप्त होने तक, इनमें से जो भी कम हो, प्रवृत्त बना रहेगा।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZT मौजूदा कानूनों की निरंतरता के संबंध में निम्नलिखित बताता है: –

इस भाग में कुछ भी होने के बावजूद, सहकारी समितियों से संबंधित कोई भी राज्य कानून जो संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2011 से पहले प्रभावी थे और इस धारा के प्रावधानों के साथ असंगत हैं, तब तक लागू रहेंगे जब तक कि उनमें उपयुक्त विधायिका या प्राधिकरण द्वारा संशोधन नहीं किया जाता है या अधिनियम के प्रारंभ होने के एक वर्ष बाद तक, जो भी पहले हो, निरस्त कर दिया जाएगा।

कुल मिलाकर, संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2011 से सहकारी समिति की व्यवस्था संवैधानिक रूप से लागू हुआ। लेकिन सहकारी समितियों से संबंधित कई कानून इससे पहले चल रहे थे, उन्ही पुरानी क़ानूनों को संशोधित करने या समाप्त करने का एक वर्ष का समय विधानमंडलों को दिया गया ताकि नए बने कानून से वो संगत हो जाए।

अगर एक वर्ष के भीतर कुछ भी नहीं किया जाता है तो फिर वो कानून अपने आप ही समाप्त हो जाएगा।

तो यही है अनुच्छेद 243ZT , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

| Related Article

अनुच्छेद 244 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 243ZS- भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 243ZT
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।