यह लेख अनुच्छेद 4 (Article 4) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;

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अनुच्छेद 4
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📜 अनुच्छेद 4 (Article 4)

4.  पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियाँ – (1) अनुच्छेद 2 या अनुच्छेद 3 में निर्दिष्ट किसी विधि में पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट होंगे जो उस विधि के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक हों तथा ऐसे अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध भी (जिनके अंतर्गत ऐसी विधि से प्रभावित राज्य या राज्यों के संसद में और विधान-मंडल या विधान-मंडलों में प्रतिनिधित्व के बारे में उपबंध हैं) अंतर्विष्ट हो सकेंगे जिन्हें संसद आवश्यक समझे।

(2) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।
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4.  Laws made under Articles 2 and 3 to provide for the amendment of the First and the Fourth Schedules and supplemental, incidental and consequential matters – (1) Any law referred to in Article 2 or Article 3 shall contain such provisions for the amendment of the First Schedule and the Fourth Schedule as may be necessary to give effect to the provisions of the law and may also contain such supplemental, incidental and consequential provisions (including provisions as to representation in Parliament and in the Legislature or Legislatures of the State or States affected by such law) as Parliament may deem necessary

(2) No such law as aforesaid shall be deemed to be an amendment of this Constitution for the purposes of Article 368.
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🔍 Article 4 Explanation in Hindi

ये बस इतना कहता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत जो भी परिवर्तन किए जाएंगे वे सभी संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन नहीं माना जाएगा। 

यहाँ पर दो चीज़ें है पहला तो अनुच्छेद 2 और 3 के तहत परिवर्तन की बात कही गई है और दूसरी बात है अनुच्छेद 368।

तो अनुच्छेद 1 जो है वो सिर्फ भारत के विवरण के बारे में है उसकी मदद से किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इसीलिए सिर्फ अनुच्छेद 2 और 3 ही है जिसकी मदद से भारत के नक्शे में परिवर्तन लाया जा सकता है।

दूसरी बात अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन के लिए है, अगर अनुच्छेद 368 के तहत किसी प्रकार का संशोधन किया जाता है तो उसमें विशेष बहुमत की जरूरत पड़ती है।

अनुच्छेद 4 में साफ-साफ लिखा है कि अनुच्छेद 2 और 3 के माध्यम से किया गया परिवर्तन अनुच्छेद 368 के तहत नहीं माना जाएगा। इसका मतलब ये हुआ कि इस तरह का कानून सामान्य बहुमत और साधारण विधायी प्रक्रिया से पारित किया जा सकता है। अनुच्छेद 368 के बारे में विस्तार से जानने के लिए ↗️यहाँ क्लिक करें।

तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 4 (Article 4), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 4 (Article 4) क्या है?

पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियाँ – (1) अनुच्छेद 2 या अनुच्छेद 3 में निर्दिष्ट किसी विधि में पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट होंगे जो उस विधि के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक हों तथा ऐसे अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध भी (जिनके अंतर्गत ऐसी विधि से प्रभावित राज्य या राज्यों के संसद में और विधान-मंडल या विधान-मंडलों में प्रतिनिधित्व के बारे में उपबंध हैं) अंतर्विष्ट हो सकेंगे जिन्हें संसद आवश्यक समझे।

(2) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।
[ज्यादा जानकारी के लिए व्याख्या पढ़ें]

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।