यह लेख Article 276 (अनुच्छेद 276) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं;
⬇️⬇️⬇️

📜 अनुच्छेद 276 (Article 276) – Original

भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण)
276. वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर कर — (1) अनुच्छेद 246 में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य के विधान-मंडल की ऐसे करों से संबंधित कोई विधि, जो उस राज्य के या उसमें किसी नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी के फायदे के लिए वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं या नियोजनों के संबंध में है, इस आधार पर अविधिमान्य नहीं होगी कि वह आय पर कर से संबंधित है।

(2) राज्य को या उस राज्य में किसी एक नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी को किसी एक व्यक्ति के बारे में वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के रूप में संदेय कुल रकम 1[दो हजार पांच सौं रुपए] प्रति वर्ष से अधिक नहीं होगी।

2 * * * *

(3) वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के संबंध में पूर्वोक्त रूप में विधियां बनाने की राज्य के विधान-मंडल की शक्ति का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों से प्रोद्भूत या उद्भूत आय पर करों के संबंध में विधियां बनाने की संसद्‌ की शक्ति को किसी प्रकार सीमित करती है।
==============
1. संविधान (साठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 की धारा 2 द्वारा “दो सौँ पचास रुपए” शब्दों के स्थान पर. (20-42-1988 से) प्रतिस्थापित ।
2. संविधान (साठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 का धारा 2 द्वारा परन्तुक का लोप किया गया।
अनुच्छेद 276 हिन्दी संस्करण

Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Distribution of revenues between the Union and the States)
276. Taxes on professions, trades, callings and employments — (1) Notwithstanding anything in article 246, no law of the Legislature of a State relating to taxes for the benefit of the State or of a municipality, district board, local board or other local authority therein in respect of professions, trades, callings or employments shall be invalid on the ground that it relates to a tax on income.

(2) The total amount payable in respect of any one person to the State or to any one municipality, district board, local board or other local authority in the State by way of taxes on professions, trades, callings and employments
shall not exceed 1[two thousand and five hundred rupees] per annum.

2* * * *

(3) The power of the Legislature of a State to make laws as aforesaid with respect to taxes on professions, trades, callings and employments shall not be construed as limiting in any way the power of Parliament to make laws with respect to taxes on income accruing from or arising out of professions, trades, callings and employments.
==============
1. Subs. by the Constitution (Sixtieth Amendment) Act, 1988, s. 2, for “two hundred and fifty rupees” (w.e.f. 20-12-1988).
2. Proviso omitted by s.2, ibid. (w.e.f. 20-12-1988).
Article 276 English Version

🔍 Article 276 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iवित्त (Finance)Article 264 – 291
IIउधार लेना (Borrowing)Article 292 – 293
IIIसंपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS)294 – 300
IVसंपत्ति का अधिकार (Rights to Property)300क
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।

संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;

  • कर व्यवस्था (Taxation System)
  • विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
  • भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
  • संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।

संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Sub-Chapters TitleArticles
साधारण (General)Article 264 – 267
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)Article 268 – 281
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions)282 – 291*
* अनुच्छेद 291 को 26वें संविधान संशोधन अधिनियम 1971 की मदद से निरसित (Repealed) कर दिया गया है।

इस लेख में हम अनुच्छेद 276 को समझने वाले हैं; जो कि संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
Closely Related to Article 276

| अनुच्छेद 276 – वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर कर (Taxes on professions, trades, callings and employments)

अनुच्छेद 276 के तहत वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर कर का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल तीन खंड आते हैं;

अनुच्छेद 276 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 246 में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य के विधान-मंडल की ऐसे करों से संबंधित कोई विधि, जो उस राज्य के या उसमें किसी नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी के फायदे के लिए वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं या नियोजनों के संबंध में है, इस आधार पर अविधिमान्य नहीं होगी कि वह आय पर कर से संबंधित है।

अनुच्छेद 246 में कुछ भी लिखा होने के बावजूद, पेशे, व्यापार, आजीविका या रोजगार के संबंध में राज्य या स्थानीय अधिकारियों (नगरपालिका, जिला बोर्ड इत्यादि) के लाभ के लिए करों के संबंध में राज्य विधायिका द्वारा पारित कोई भी कानून केवल इसलिए अमान्य नहीं माना जाएगा क्योंकि यह आय (Income) पर कर से संबंधित है।

दूसरे शब्दों में, राज्य सरकारों के पास राज्य या स्थानीय अधिकारियों के लाभ के लिए आय पर कर लगाने की शक्ति है, और इन कानूनों को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है कि वे आय पर कर से संबंधित हैं।

अनुच्छेद 246 केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण की रूपरेखा तैयार करता है। विस्तार से समझने के लिए पढ़ें; Article 246

अनुच्छेद 276 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि राज्य को या उस राज्य में किसी एक नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी को किसी एक व्यक्ति के बारे में वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के रूप में संदेय कुल रकम दो हजार पांच सौं रुपए प्रति वर्ष से अधिक नहीं होगी।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 276 का खंड (2) उन करों की मात्रा पर एक सीमा निर्धारित करता है जो राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण (नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड) द्वारा किसी व्यक्ति पर पेशे, व्यापार, आजीविका और रोजगार के लिए लगाए जा सकते हैं।

इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा इनमें से किसी भी विषय के लिए राज्य में किसी एक व्यक्ति पर लगाए जाने वाले करों की कुल राशि एक निश्चित राशि से अधिक नहीं होगी, जो वर्तमान में 2,500 रुपये प्रति वर्ष है।

इसका मतलब यह है कि किसी राज्य में पेशे, व्यापार, आजीविका और रोजगार के लिए किसी व्यक्ति पर लगाए जाने वाले करों की अधिकतम राशि 2,500 रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होगी। यह राशि संविधान (साठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 के द्वारा तय की गई थी।

अनुच्छेद 276 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के संबंध में पूर्वोक्त रूप में विधियां बनाने की राज्य के विधान-मंडल की शक्ति का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों से प्रोद्भूत या उद्भूत आय पर करों के संबंध में विधियां बनाने की संसद्‌ की शक्ति को किसी प्रकार सीमित करती है।

यह खंड राज्य विधायिका की कानून बनाने की शक्ति और केंद्र सरकार की कानून बनाने की शक्ति (विशेष रूप से करों के संबंध में), के बीच संबंध के बारे में बात करता है।

खंड में कहा गया है कि राज्य विधायिका के पास व्यवसायों, व्यापारों, आजीविका और रोजगार पर करों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है। हालाँकि, इस शक्ति को व्यवसायों, व्यापारों, आजीविकाओं और रोजगारों से आने वाली आय पर करों के संबंध में कानून बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति को किसी भी तरह से सीमित या प्रतिबंधित करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

कहने का अर्थ है कि राज्य सरकार के पास व्यवसायों, व्यापार, आजीविका और रोजगार पर करों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति है, यह शक्ति इन्हीं विषयों पर आय पर करों के संबंध में कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार की शक्ति को प्रतिबंधित या सीमित नहीं करती है।

तो यही है अनुच्छेद 276 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

Question 1: Article 276 of the Indian Constitution deals with:

(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) Taxes on professions, trades, callings, and employments

Click to Answer
Answer: (d) Explanation: Article 276 of the Indian Constitution states that the Union Government has the power to levy taxes on professions, trades, callings, and employments.

Question 2: Which of the following is an example of a tax that can be levied under Article 276 of the Indian Constitution?

(a) Corporate tax
(b) Capital gains tax
(c) Goods and services tax (GST)
(d) Profession tax

Click to Answer
Answer: (d) Explanation: Profession tax is an example of a tax that can be levied under Article 276 of the Indian Constitution.

Question 4: Which of the following is NOT a challenge associated with Article 276 of the Indian Constitution?

(a) The definition of “professions, trades, callings, and employments” is broad and can be interpreted in different ways.
(b) There is a risk of double taxation.
(c) The taxes levied under Article 276 can be regressive, meaning that they place a disproportionate burden on low-income earners.
(d) The taxes levied under Article 276 can be complex and difficult to comply with.

Click to Answer
Answer: (d) Explanation: The taxes levied under Article 276 are not complex and difficult to comply with. They are typically straightforward and easy to understand.

| Related Article

अनुच्छेद 277 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 275 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 276
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।