यह लेख अनुच्छेद 47 (Article 47) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;
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📜 अनुच्छेद 47 (Article 47)
47. पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य – राज्य, अपने लोगों के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने और लोक स्वास्थ्य के सुधार को अपने प्राथमिक कर्तव्यों में मानेगा और राज्य, विशेष रूप से, मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकर औषधियों के, औषधीय प्रयोजनों से भिन्न, उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा। |
47. Duty of the State to raise the level of nutrition and the standard of living and to improve public health.—The State shall regard the raising of the level of nutrition and the standard of living of its people and the improvement of public health as among its primary duties and, in particular, the State shall endeavour to bring about prohibition of the consumption except for medicinal purposes of intoxicating drinks and of drugs which are injurious to health. |
🔍 Article 47 Explanation in Hindi
राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy/DPSP) का शाब्दिक अर्थ है – राज्य के नीति को निर्देशित करने वाले तत्व।
जब संविधान बनाया गया था उस समय लोगों को लोकतांत्रिक राज्य में शासन करने का और देशहीत में कानून बनाने का कोई तजुर्बा नहीं था। खासकर के राज्यों के लिए जो कि एक लंबे औपनिवेशिक काल के बाद शासन संभालने वाले थे।
जैसा कि हम जानते है कि हमारे देश में राजनेताओं के लिए पढ़ा-लिखा होना कोई अनिवार्य नहीं है। ऐसे में मार्गदर्शक आवश्यक हो जाता है ताकि नीति निर्माताओं को हमेशा ज्ञात होता रहे कि किस तरफ जाना है।
◾ ऐसा नहीं था कि DPSP कोई नया विचार था बल्कि आयरलैंड में तो ये काम भी कर रहा था और हमने इसे वहीं से लिया।
◾ राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) नागरिकों के कल्याण और विकास के लिए कानूनों और नीतियों को बनाने के लिए दिशानिर्देश हैं। ये भारतीय संविधान के भाग IV में शामिल हैं।
◾ ये सिद्धांत गैर-प्रवर्तनीय (non enforceable) हैं, जिसका अर्थ है कि ये अदालतों द्वारा लागू नहीं हैं, हालांकि इसे देश के शासन में मौलिक माना जाता है और कानून और नीतियां बनाते समय सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए।
कुल मिलाकर नीति-निदेशक तत्व लोकतांत्रिक और संवैधानिक विकास के वे तत्व है जिसका उद्देश्य लोक-कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
DPSP का वर्गीकरण — नीचे आप निदेशक तत्वों का वर्गीकरण देख सकते हैं। इससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि जो अनुच्छेद आप पढ़ रहें है वे किसलिए DPSP में शामिल की गई है और किन उद्देश्यों को लक्षित करने के लिए की गई है।
सिद्धांत (Principles) | संबंधित अनुच्छेद (Related Articles) |
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समाजवादी (Socialistic) | ⚫ अनुच्छेद 38 ⚫ अनुच्छेद 39 ⚫ अनुच्छेद 39क ⚫ अनुच्छेद 41 ⚫ अनुच्छेद 42 ⚫ अनुच्छेद 43 ⚫ अनुच्छेद 43 क ⚫ अनुच्छेद 47 |
गांधीवादी (Gandhian) | ⚫ अनुच्छेद 40 ⚫ अनुच्छेद 43 ⚫ अनुच्छेद 43ख ⚫ अनुच्छेद 46 ⚫ अनुच्छेद 48 |
उदार बौद्धिक (Liberal intellectual) | ⚫ अनुच्छेद 44 ⚫ अनुच्छेद 45 ⚫ अनुच्छेद 48 ⚫ अनुच्छेद 48A ⚫ अनुच्छेद 49 ⚫ अनुच्छेद 50 ⚫ अनुच्छेद 51 |
इसके अलावा निदेशक तत्वों को निम्नलिखित समूहों में भी बांट कर देखा जा सकता है;
कल्याणकारी राज्य (Welfare State) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 38 (1 एवं 2), अनुच्छेद 39 (ख एवं ग), अनुच्छेद 39क, अनुच्छेद 41, अनुच्छेद 42, अनुच्छेद 43, अनुच्छेद 43क एवं अनुच्छेद 47 को रखा जाता है।
प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता (Equality of Dignity & Opportunity) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 40, 41, 44, 45, 46, 47 48 एवं 50 को रखा जाता है।
व्यक्ति के अधिकार (individual’s rights) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 39क, 41, 42, 43 45 एवं 47 को रखा जाता है।
संविधान के भाग 4 के अंतर्गत अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 47 को समझने वाले हैं;
| अनुच्छेद 47 – पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य
इस अनुच्छेद को दो भागों में बांट कर देखा जा सकता है।
पहला भाग – इस अनुच्छेद के तहत राज्य, अपने लोगों के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने और लोक स्वास्थ्य के सुधार को अपने प्राथमिक कर्तव्यों में मानेगा।
भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए पोषण स्तर और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के उद्देश्य से कई कार्यक्रमों और नीतियों को लागू किया है। कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:
◾एकीकृत बाल विकास सेवाएं (ICDS): इस कार्यक्रम का उद्देश्य 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ-साथ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करना है। यह पूरक पोषण, स्वास्थ्य जांच और प्री-स्कूल शिक्षा प्रदान करता है।
◾राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): इस अधिनियम का उद्देश्य पात्र परिवारों को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराकर आबादी के एक बड़े हिस्से को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है।
◾राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM): इस मिशन का उद्देश्य पोषण में सुधार पर ध्यान देने के साथ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं सहित नागरिकों के लिए स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और पहुंच में सुधार करना है।
◾प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: यह योजना गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उनके पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
◾प्रधानमंत्री आवास योजना: इस योजना का उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को किफायती आवास उपलब्ध कराना है, जिससे उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद मिलेगी।
◾स्वच्छ भारत अभियान: इस स्वच्छता अभियान का उद्देश्य स्वच्छ और स्वच्छ रहने की स्थिति प्रदान करना है, जो अच्छे स्वास्थ्य और पोषण के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है।
◾राष्ट्रीय पोषण मिशन (NNM): इस मिशन का उद्देश्य बच्चों और महिलाओं में स्टंटिंग, अल्प-पोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन को कम करना है। यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के पोषण की स्थिति में सुधार लाने पर केंद्रित है।
◾मध्याह्न भोजन योजना: यह योजना स्कूल जाने वाले बच्चों को उनके पोषण सेवन और स्कूल में उपस्थिति बढ़ाने के लिए गर्म पका हुआ भोजन प्रदान करती है।
◾जन धन योजना: इस योजना का उद्देश्य गरीबों और कमजोर लोगों को बैंक खाते, डेबिट कार्ड और दुर्घटना बीमा प्रदान करके वित्तीय समावेशन प्रदान करना है। इससे उनके जीवन स्तर और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
◾महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा): इस अधिनियम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार को न्यूनतम 100 दिनों का रोजगार प्रदान करना है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और जीवन स्तर को सुधारने में मदद मिल सकती है।
◾प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों जैसी अप्रत्याशित घटनाओं के कारण फसल के नुकसान के लिए बीमा कवरेज प्रदान करती है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने में मदद मिल सकती है।
लोक स्वास्थ्य की बात करें तो भारत सरकार ने देश में लोक स्वास्थ्य में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:
◾राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM): एनआरएचएम का उद्देश्य मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ-साथ व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के लिए स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और पहुंच में सुधार करना है।
◾आयुष्मान भारत योजना: इस योजना का उद्देश्य 100 मिलियन से अधिक आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करना है, जिससे उन्हें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान की जा सके।
◾कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक (npcdcs) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के नेटवर्क के माध्यम से शीघ्र निदान और प्रबंधन सेवाएं प्रदान करके देश में गैर-संचारी रोगों के बोझ को रोकना और नियंत्रित करना है। .
◾राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP): इस कार्यक्रम का उद्देश्य वेक्टर नियंत्रण, शीघ्र निदान और उपचार जैसे उपायों के उपयोग के माध्यम से मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे वेक्टर जनित रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना और रोकना है।
◾राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य व्यक्तियों को खसरा, पोलियो और टेटनस जैसी विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण प्रदान करना है।
◾राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुदाय-आधारित देखभाल और सहायता सेवाएं प्रदान करके नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करना है।
◾बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य बुजुर्ग नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल में सुधार करना है, जैसे कि जराचिकित्सा क्लीनिक (Geriatric Clinic), डे-केयर सेंटर और घर-आधारित देखभाल।
ये केवल कुछ उदाहरण हैं, भारत सरकार एवं राज्य सरकार नागरिकों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं चलाती है।
दूसरा भाग – दूसरी बात कि राज्य, विशेष रूप से, मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकर औषधियों के, औषधीय प्रयोजनों से भिन्न, उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।
भारत सरकार ने मादक पेय पदार्थों और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाओं के उपयोग को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:
◾निषेध: भारत में कुछ राज्यों ने निषेध लागू किया है, जो शराब की बिक्री, निर्माण और खपत पर प्रतिबंध लगाता है। जैसे कि बिहार एवं गुजरात
◾शराब पीने की कानूनी उम्र: भारत में शराब पीने की कानूनी उम्र 25 साल है, जो कई अन्य देशों की तुलना में अधिक है।
◾उत्पाद शुल्क (Excise Duty) : सरकार शराब पर अधिकतम उत्पाद शुल्क लगाती है, जिससे यह अधिक महंगी हो जाती है और खपत को हतोत्साहित कर सकती है।
◾विज्ञापन पर प्रतिबंध: सरकार ने खपत को हतोत्साहित करने के लिए शराब और तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
◾पुनर्वास केंद्र: शराब और नशीली दवाओं की लत से जूझ रहे व्यक्तियों को उपचार प्रदान करने के लिए सरकार ने पुनर्वास केंद्र और अस्पताल स्थापित किए हैं।
◾नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो: यह एक सरकारी एजेंसी है जो अवैध दवाओं के कब्जे, बिक्री और उपयोग से संबंधित कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
◾NDPS (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस) एक्ट: यह अधिनियम मादक दवाओं और साइकोट्रोपिक पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति और उपयोग के नियंत्रण और विनियमन का प्रावधान करता है। इसमें अपराधियों के लिए सजा का भी प्रावधान है।
◾नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना: इस योजना का उद्देश्य बहु-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से दवाओं की मांग को कम करना है जिसमें जागरूकता अभियान, उपचार और पुनर्वास और कानून प्रवर्तन शामिल हैं।
◾नशामुक्ति केंद्र: सरकार नशामुक्ति केंद्र भी चलाती है, जहां व्यक्ति व्यसन के लिए परामर्श और उपचार प्राप्त कर सकते हैं।
ये केवल कुछ उदाहरण हैं, और भारत सरकार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पेय पदार्थों और दवाओं के उपयोग को रोकने के लिए नई नीतियों को लगातार अपडेट और कार्यान्वित कर रही है।
यहाँ यह याद रखें कि औषधीय निर्मितियों के विनिर्माण में लिकर या अल्कोहल का प्रयोग किया जा सकता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि औषध के रूप में मादक द्रव्यों का अबाध उपयोग हो सकता है।
जैसे कि भांग (Hemp) को औषधीय प्रयोग के लिए छूट दी जा सकती है।
यह अनुच्छेद किसी नागरिक को मादक पेय को अपने पास रखने या उसके सेवन करने के लिए कोई प्रवर्तनीय अधिकार नहीं देता, चाहे सेवन औषधीय प्रयोजनों के लिए ही क्यों न हो।
तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 47 (Article 47), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
राज्य, अपने लोगों के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने और लोक स्वास्थ्य के सुधार को अपने प्राथमिक कर्तव्यों में मानेगा और राज्य, विशेष रूप से, मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकर औषधियों के, औषधीय प्रयोजनों से भिन्न, उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;
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अस्वीकरण - यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से) और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।