यह लेख Article 320 (अनुच्छेद 320) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 320 (Article 320) – Original

भाग 14 [संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं] अध्याय 2 – लोक सेवा आयोग
320. लोक सेवा आयोगों के कृत्य— (1) संघ और राज्य लोक सेवा आयोगों का यह कर्तव्य होगा कि वे क्रमशः संघ की सेवाओं और राज्य की सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाओं का संचालन करें।

(2) यदि संघ लोक सेवा आयोग से कोई दो या अधिक राज्य ऐसा करने का अनुरोध करते हैं तो उसका यह भी कर्तव्य होगा कि वह ऐसी किन्ही सेवाओं के लिए, जिनके लिए विशेष अर्हताओं वाले अभ्यर्थी अपेक्षित हैं, संयुक्त भर्ती की स्कीमें बनाने और उनका प्रवर्तन करने में उन राज्यों की सहायता करे;

(3) यथास्थिति, संघ लोक सेवा आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग से

(क) सिविल सेवाओं में और सिविल पदों के लिए भर्ती की पद्धतियों से संबंधित सभी विषयों पर,
(ख) सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्ति करने में तथा एक सेवा से दूसरी सेवा में प्रोन्नति और अंतरण करने में अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांतों पर और ऐसी नियुक्ति, प्रोन्नति या अंतरण के लिए अभ्यर्थियों की उपयुक्तता पर,
(ग) ऐसे व्यक्ति पर, जो भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार की सिविल हैसियत में सेवा कर रहा है, प्रभाव डालने वाले, सभी अनुशासनिक विषयों पर, जिनके अंतर्गत ऐसे विषयों से संबंधित अभ्यावेदन या याचिकाएं हैं,
(घ) ऐसे व्यक्ति द्वारा या उसके संबंध में, जो भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या भारत में क्राउन के अधीन या किसी देशी राज्य की सरकार के अधीन सिविल हैसियत में सेवा कर रहा है या कर चुका है, इस दावे पर कि अपने कर्तव्य के निष्पादन में किए गए या किए जाने के लिए तात्पर्यित कार्यों के संबंध में उसके विरुद्ध संस्थित विधिक कार्यवाहियों की प्रतिरक्षा में उसके द्वारा उपगत खर्च का, यथास्थिति, भारत की संचित निधि में से या राज्य की संचित निधि में से संदाय किया जाना चाहिए,
(ङ) भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार या भारत में क्राउन के अधीन या किसी देशी राज्य की सरकार के अधीन सिविल हैसियत में सेवा करते समय किसी व्यक्ति को हुई क्षतियों के बारे में पेंशन अधिनिर्णीत किए जाने के लिए किसी दावे पर और ऐसे अधिनिर्णय की रकम विषयक प्रश्न पर,

परामर्श किया जाएगा और इस प्रकार उसे निर्देशित किए गए किसी विषय पर तथा ऐसे किसी अन्य विषय पर, जिसे, यथास्थिति, राष्ट्रपति या उस राज्य का राज्यपाल 1*** उसे निर्देशित करे, परामर्श देने का लोक सेवा आयोग का कर्तव्य होगा;

परंतु अखिल भारतीय सेवाओं के संबंध में तथा संघ के कार्यकलाप से संबंधित अन्य सेवाओं और पदों के संबंध में भी राष्ट्रपति तथा राज्य के कार्यकलाप से संबधित अन्य सेवाओं और पदों के संबंध में राज्यपाल 2*** उन विषयों को विनिर्दिष्ट करने वाले विनियम बना सकेगा जिनमें साधारणतया या किसी विशिष्ट वर्ग के मामले में या किन्ही विशिष्ट परिस्थितियों में लोक सेवा आयोग से परामर्श किया जाना आवश्यक नहीं होगा।

(4) खंड (3) की किसी बात से यह अपेक्षा नहीं होगी कि लोक सेवा आयोग से उस रीति के संबंध में, जिससे अनुच्छेद 16 के खंड में निर्दिष्ट कोई उपबंध किया जाना है या उस रीति के संबंध में, जिससे अनुच्छेद 335 के उपबंधों को प्रभावी किया जाना है, परामर्श किया जाए।

(5) राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल 1*** द्वारा खंड (3) के परंतुक के अधीन बनाए गए सभी विनियम, बनाए जाने के पश्चात्‌ यथाशीघ्र, यथास्थिति, संसद्‌ के प्रत्येक सदन या राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के समक्ष कम से कम चौदह दिन के लिए रखे जाएंगे और निरसन या संशोधन द्वारा किए गए ऐसे उपांतरणों के अधीन होंगे जो संसद्‌ के दोनों सदन या उस राज्य के विधान-मंडल का सदन या दोनों सदन उस सत्र में करें जिसमें वे इस प्रकार रखे गए हैं।
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1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 का धारा 29 और अनुसूची द्वारा “या राजप्रमुख” शब्दों का (1-11-1956 से) लोप किया गया।
2. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 का धारा 29 और अनुसूची द्वारा “यथास्थिति, राज्यपाल या या राजप्रमुख” शब्दो के स्थान पर उपरोक्त रूप से रखा गया।
अनुच्छेद 320 हिन्दी संस्करण

Part XIV [SERVICES UNDER THE UNION AND THE STATES] CHAPTER II.— PUBLIC SERVICE COMMISSIONS
320. Functions of Public Service Commissions— (1) It shall be the duty of the Union and the State Public Service Commissions to conduct examinations for appointments to the services of the Union and the services of the State respectively.

(2) It shall also be the duty of the Union Public Service Commission, if requested by any two or more States so to do, to assist those States in framing and operating schemes of joint recruitment for any services for which candidates possessing special qualifications are required.

(3) The Union Public Service Commission or the State Public Service Commission, as the case may be, shall be consulted—

(a) on all matters relating to methods of recruitment to civil services and for civil posts;

(b) on the principles to be followed in making appointments to civil services and posts and in making promotions and transfers from one service to another and on the suitability of candidates for such appointments, promotions or transfers;

(c) on all disciplinary matters affecting a person serving under the Government of India or the Government of a State in a civil capacity, including memorials or petitions relating to such matters;

(d) on any claim by or in respect of a person who is serving or has served under the Government of India or the Government of a State or under the Crown in India or under the Government of an Indian State, in a civil capacity, that any costs incurred by him in defending legal proceedings instituted against him in respect of acts done or purporting to be done in the execution of his duty should be paid out of the Consolidated Fund of India, or, as the case may be, out of the Consolidated Fund of the State;

(e) on any claim for the award of a pension in respect of injuries sustained by a person while serving under the Government of India or the Government of a State or under the Crown in India or under the Government of an Indian State, in a civil capacity, and any question as to the amount of any such award,

and it shall be the duty of a Public Service Commission to advise on any matter so referred to them and on any other matter which the President, or, as the case may be, the Governor 1*** of the State, may refer to them:

Provided that the President as respects the all-India services and also as respects other services and posts in connection with the affairs of the Union, and the Governor 2*** as respects other services and posts in connection with the affairs of a State, may make regulations specifying the matters in which either generally, or in any particular class of case or in any particular circumstances, it shall not be necessary for a Public Service Commission to be consulted.

(4) Nothing in clause (3) shall require a Public Service Commission to be consulted as respects the manner in which any provision referred to in clause

(4) of article 16 may be made or as respects the manner in which effect may be given to the provisions of article 335.

(5) All regulations made under the proviso to clause (3) by the President or the Governor 1*** of a State shall be laid for not less than fourteen days before each House of Parliament or the House or each House of the Legislature of the State, as the case may be, as soon as possible after they are made, and shall be subject to such modifications, whether by way of repeal or amendment, as both Houses of Parliament or the House or both Houses of the Legislature of the State may make during the session in which they are so laid.
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1. The words “or Rajpramukh” omitted by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 29 and Sch. (w.e.f. 1-11-1956).
2. The words “or Rajpramukh, as the case may be” omitted by s. 29 and Sch. ibid. (w.e.f. 1-11-1956).
Article 320 English Version

🔍 Article 320 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 14, अनुच्छेद 308 से लेकर अनुच्छेद 323 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं (SERVICES UNDER THE UNION AND THE STATES) के बारे में है। जो कि दो अध्याय में बंटा हुआ है जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

ChaptersSubjectArticles
Iसेवाएं (Services)308 – 314
IIलोक सेवा आयोग (Public Services Commissions) 315 – 323
Part 14 of the Constitution

इस लेख में हम दूसरे अध्यायलोक सेवा आयोग (Public Services Commissions) ” के तहत आने वाले अनुच्छेद 320 को समझने वाले हैं;

◾ राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC)
Closely Related to Article 320

| अनुच्छेद 320 – लोक सेवा आयोगों के कृत्य (Functions of Public Service Commissions)

अनुच्छेद 320 के तहत लोक सेवा आयोगों के कृत्य (Functions of Public Service Commissions) की व्यवस्था है। यह अनुच्छेद अपने पूर्ववर्ती अनुच्छेदों (अनुच्छेद 315, अनुच्छेद 316, अनुच्छेद 317, अनुच्छेद 318 एवं अनुच्छेद 319) का ही विस्तार है, तो पहले के अनुच्छेदों को अवश्य पढ़ें। इस अनुच्छेद के तहत कुल पाँच खंड आते हैं आइये एक-एक करके इसे समझें;

अनुच्छेद 320 के खंड (1) तहत कहा गया है कि संघ और राज्य लोक सेवा आयोगों का यह कर्तव्य होगा कि वे क्रमशः संघ की सेवाओं और राज्य की सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाओं का संचालन करें।

जैसा कि हम जानते हैं कि यह अखिल भारतीय सेवाओं, केन्द्रीय सेवाओं व केंद्रशासित क्षेत्रों की लोक सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है। यही बात इस खंड में लिखा हुआ है।

कहने का अर्थ है कि राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी नौकरियों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए परीक्षा आयोजित करना संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और राज्य स्तर पर सरकारी नौकरियों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए परीक्षा आयोजित करना राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) की जिम्मेदारी है।

अनुच्छेद 320 के खंड (2) तहत कहा गया है कि यदि संघ लोक सेवा आयोग से कोई दो या अधिक राज्य ऐसा करने का अनुरोध करते हैं तो उसका यह भी कर्तव्य होगा कि वह ऐसी किन्ही सेवाओं के लिए, जिनके लिए विशेष अर्हताओं वाले अभ्यर्थी अपेक्षित हैं, संयुक्त भर्ती की स्कीमें बनाने और उनका प्रवर्तन करने में उन राज्यों की सहायता करे;

संघ लोक सेवा आयोग, राज्य को किसी ऐसी सेवाओं के लिए जिसके लिए विशेष अर्हता वाले अभ्यर्थी की जरूरत है, उनके लिए संयुक्त भर्ती की योजना बनाने व उसका प्रवर्तन करने में सहायता करता है। हालांकि ऐसा तभी हो सकता है जब दो या अधिक राज्य ऐसा अनुरोध करें;

यह प्रावधान यूपीएससी को विशेष भूमिकाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए राज्यों को अपनी विशेषज्ञता और संसाधन उधार देने की अनुमति देता है।

अनुच्छेद 320 के खंड (3) तहत कहा गया है कि संघ लोक सेवा आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग से कार्मिक प्रबंधन से संबन्धित निम्नलिखित विषयों पर परामर्श किया जा सकता है;

(क) सिविल सेवाओं में और सिविल पदों के लिए भर्ती की पद्धतियों से संबंधित सभी विषयों पर,

(ख) सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्ति करने में तथा एक सेवा से दूसरी सेवा में प्रमोशन और ट्रान्सफर करने में अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांतों पर और ऐसी नियुक्ति, प्रमोशन या ट्रान्सफर के लिए अभ्यर्थियों की उपयुक्तता (suitability) पर,

(ग) ऐसे व्यक्ति पर, जो भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार की सिविल हैसियत में सेवा कर रहा है, प्रभाव डालने वाले, सभी अनुशासनिक विषयों पर, जिनके अंतर्गत ऐसे विषयों से संबंधित अभ्यावेदन या याचिकाएं हैं,

(घ) ऐसे व्यक्ति द्वारा या उसके संबंध में, जो भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या भारत में क्राउन के अधीन या किसी देशी राज्य की सरकार के अधीन सिविल हैसियत में सेवा कर रहा है या कर चुका है, इस दावे पर कि अपने कर्तव्य के निष्पादन में किए गए या किए जाने के लिए तात्पर्यित कार्यों के संबंध में उसके विरुद्ध संस्थित विधिक कार्यवाहियों की प्रतिरक्षा में उसके द्वारा उपगत खर्च का, यथास्थिति, भारत की संचित निधि में से या राज्य की संचित निधि में से संदाय किया जाना चाहिए,

किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा या उसके संबंध में किसी भी दावे पर, जो भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या भारत में राजशाही के अधीन या किसी भारतीय राज्य की सरकार के अधीन नागरिक क्षमता में सेवा कर रहा है या कर चुका है, किसी भी कीमत पर अपने कर्तव्य के निष्पादन में किए गए या किए जाने वाले कार्यों के संबंध में उसके खिलाफ शुरू की गई कानूनी कार्यवाही का बचाव करने में उसके द्वारा किए गए किसी भी खर्च का भुगतान भारत की संचित निधि से या फिर राज्य की संचित निधि से (जैसा भी मामला हो) किया जाना चाहिए;

(ङ) भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या भारत में क्राउन के अधीन या किसी देशी राज्य की सरकार के अधीन नागरिक क्षमता में सेवा करते समय किसी व्यक्ति को हुई क्षति के संबंध में पेंशन के लिए किसी भी दावे पर, और ऐसे किसी पुरस्कार की राशि के बारे में किसी प्रश्न पर।

इस प्रकार आयोग को निर्देशित किए गए किसी विषय पर तथा ऐसे किसी अन्य विषय पर, जिसे, यथास्थिति, राष्ट्रपति या उस राज्य का राज्यपाल उसे निर्देशित करे, परामर्श देने का लोक सेवा आयोग का कर्तव्य होगा।

◾ हालांकि यहां यह याद रखें कि अखिल भारतीय सेवाओं के संबंध में तथा संघ के कार्यकलाप से संबंधित अन्य सेवाओं और पदों के संबंध में राष्ट्रपति तथा राज्य के कार्यकलाप से संबधित अन्य सेवाओं और पदों के संबंध में राज्यपाल उन विषयों को विनिर्दिष्ट करने वाले विनियम बना सकेगा जिनमें साधारणतया या किसी विशिष्ट वर्ग के मामले में या किन्ही विशिष्ट परिस्थितियों में लोक सेवा आयोग से परामर्श किया जाना आवश्यक नहीं होगा।

हालांकि इन शर्तों के तहत राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल द्वारा बनाए गए सभी नियमों को प्रभावी होने से पहले कम से कम 14 दिनों के लिए संसद या राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाना चाहिए और वहां पर इसमें संशोधन किए जा सकते हैं। इसी बात को खंड (5) में बताया गया है।

अनुच्छेद 320 के खंड (4) तहत कहा गया है कि खंड (3) की किसी बात से यह अपेक्षा नहीं होगी कि लोक सेवा आयोग से उस रीति के संबंध में, जिससे अनुच्छेद 16 के खंड में निर्दिष्ट कोई उपबंध किया जाना है या उस रीति के संबंध में, जिससे अनुच्छेद 335 के उपबंधों को प्रभावी किया जाना है, परामर्श किया जाए।

कहने का अर्थ है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 16(4) और अनुच्छेद 335 में निर्दिष्ट कुछ प्रावधानों के कार्यान्वयन से संबंधित मामलों पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और राज्य लोक सेवा आयोग (एसपीएससी) से परामर्श की आवश्यकता नहीं है।

अनुच्छेद 16(4)↗ नागरिकों के किसी पिछड़े वर्ग के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण (Reservation) से संबंधित है।

अनुच्छेद 335↗ शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सार्वजनिक सेवाओं में नियुक्तियों के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के दावों से संबंधित है।

अनुच्छेद 320 के खंड (5 ) तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा खंड (3) के परंतुक के अधीन बनाए गए सभी विनियम, बनाए जाने के पश्चात्‌ यथाशीघ्र, यथास्थिति, संसद्‌ के प्रत्येक सदन या राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के समक्ष कम से कम चौदह दिन के लिए रखे जाएंगे और निरसन या संशोधन द्वारा किए गए ऐसे उपांतरणों के अधीन होंगे जो संसद्‌ के दोनों सदन या उस राज्य के विधान-मंडल का सदन या दोनों सदन उस सत्र में करें जिसमें वे इस प्रकार रखे गए हैं।

राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा खंड (3) के परंतुक के अधीन बनाए गए सभी नियमों को प्रभावी होने से पहले कम से कम 14 दिनों के लिए संसद या राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाना चाहिए और वहां पर इसमें संशोधन किए जा सकते हैं।

तो यही है अनुच्छेद 320, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

Question 1: Which of the following is the primary responsibility of the Public Service Commissions (PSCs) under Article 320 of the Indian Constitution?

(a) To conduct examinations for appointments to various civil services and government posts.
(b) To advise the government on matters related to personnel administration and public policy.
(c) To investigate cases of corruption and misconduct in government offices.
(d) To protect the rights and interests of minorities and marginalized groups.

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Answer: (a) Explanation: Article 320 of the Indian Constitution primarily deals with the functions of the PSCs, which are to conduct examinations for appointments to various civil services and government posts. This includes both direct recruitment and promotion examinations.

Question 2: Article 320(3) of the Indian Constitution empowers the PSCs to consult with the government on various matters related to personnel administration. Which of the following is NOT an example of a matter on which the PSCs can consult with the government?`

(a) Methods of recruitment for civil services and government posts
(b) Principles of making appointments to civil services and government posts
(c) Disciplinary matters related to government employees
(d) Fiscal policies of the government

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Answer: (d) Explanation: The PSCs are not empowered to consult with the government on fiscal policies of the government. This is because fiscal policies are primarily the responsibility of the Ministry of Finance.

Question 3: The PSCs play an important role in upholding the principles of merit and fairness in the Indian civil service system. Which of the following is NOT a way in which the PSCs contribute to this objective?

(a) Conducting examinations that are open to all eligible candidates, regardless of their background or social status.
(b) Setting high standards for eligibility and selection for government posts.
(c) Maintaining a system of transparency and accountability in the recruitment process.
(d) Advocating for the interests of government employees in matters of salary and benefits.

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Answer: (d) Explanation: While the PSCs play a role in promoting merit and fairness in the civil service system, they are not primarily responsible for advocating for the interests of government employees in matters of salary and benefits. This is the role of employee unions and other labor organizations.

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अनुच्छेद 321 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 319 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 320
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।