यह लेख अनुच्छेद 61 (Article 61) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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अनुच्छेद 61

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📜 अनुच्छेद 61 (Article 61)

61. राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया(1) जब संविधान के अतिक्रमण के लिए राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाना हो, तब संसद का कोई सदन आरोप लगाएगा।

(2) ऐसा कोई आरोप तब तक नहीं लगाया जाएगा जब तक कि — (क) ऐसा आरोप लगाने की प्रस्थापना किसी ऐसे संकल्प में अंतर्विष्ट नहीं है, जो कम से कम चौदह दिन की ऐसी लिखित सूचना के दिए जाने के पश्चात्‌ प्रस्तावित किया गया है जिस पर उस सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों ने हस्ताक्षर करके उस संकल्प को प्रस्तावित करने का अपना आशय प्रकट किया है; और
(ख) उस सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा ऐसा संकल्प पारित नहीं किया गया है।

(3) जब आरोप संसद्‌ के किसी सदन द्वारा इस प्रकार लगाया गया है तब दूसरा सदन उस आरोप का अन्वेषण करेगा या कराएगा और ऐसे अन्वेषण में उपस्थित होने का तथा अपना प्रतिनिधित्व कराने का राष्ट्रपति को अधिकार होगा।

(4) यदि अन्वेषण के परिणामस्वरूप यह घोषित करने वाला संकल्प कि राष्ट्रपति के विरुद्ध लगाया गया आरोप सिद्ध हो गया है, आरोप का अन्वेषण करने या कराने वाले सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित कर दिया जाता है तो ऐसे संकल्प का प्रभाव उसके इस प्रकार पारित किए जाने की तारीख से राष्ट्रपति को उसके पद से हटाना होगा।
अनुच्छेद 61
61. Procedure for impeachment of the President.(1) When a President is to be impeached for violation of the Constitution, the charge shall be preferred by either House of Parliament.

(2) No such charge shall be preferred unless— (a) the proposal to prefer such charge is contained in a resolution which has been moved after at least fourteen days’ notice in writing signed by not less than one-fourth of the total number of members of the House has been given of their intention to move the resolution, and
(b) such resolution has been passed by a majority of not less than two-thirds of the total membership of the House.

(3) When a charge has been so preferred by either House of Parliament, the other House shall investigate the charge or cause the charge to be investigated and the President shall have the right to appear and to be
represented at such investigation.

(4) If as a result of the investigation a resolution is passed by a majority of not less than two-thirds of the total membership of the House by which the charge was investigated or caused to be investigated, declaring that the charge preferred against the President has been sustained, such resolution shall have the effect of removing the President from his office as from the date on which the resolution is so passed.
Article 61

🔍 Article 61 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का पहला अध्याय है – कार्यपालिका (Executive)

कार्यपालिका के तहत अनुच्छेद 52 से लेकर 78 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के कार्यपालिका की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), उप-राष्ट्रपति (vice president), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) एवं महान्यायवादी (Attorney General) आते हैं।

कार्यपालिका के तहत यहाँ प्रधानमंत्री की चर्चा इसीलिए नहीं की गई है क्योंकि मंत्रिपरिषद का मुखिया ही प्रधानमंत्री होता है।

यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अंतर्गत अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 151 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 61 को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 61 – राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया

अनुछेद 61 राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया के बारे में है। इस अनुच्छेद के 4 खंड है। आइये समझें;

अनुच्छेद 56 के तहत हमने राष्ट्रपति (President) की पदावधि (term of office) के बारे में समझा। वहाँ हमने देखा कि राष्ट्रपति (President) अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करता है।

इसके अलावा वह चाहे तो उप-राष्ट्रपति को किसी भी समय अपना त्यागपत्र देकर पद से हट सकता है। या अगर राष्ट्रपति की अपने पद पर रहते हुए ही मृत्यु हो जाए तो वो पद खाली हो जाता है।

अनुच्छेद 60 के तहत हमने समझा कि राष्ट्रपति संविधान और विधि का परिरक्षन (Preservation), संरक्षण (Protection) और प्रतिरक्षण (defend) करने की शपथ लेता है।

क्या हो अगर राष्ट्रपति अपने शपथ पर खड़ा न उतरे और वो संविधान को बचाने के बजाय खुद ही संविधान का अतिक्रमण करने लग जाए।

ऐसे में जाहिर है कि राष्ट्रपति को अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं बनता है। लेकिन अगर वो खुद ही त्यागपत्र नहीं दे, या 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा न हो, या पद पर रहते हुए मृत्यु न हो तो फिर राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जाएगा…?

इसी के लिए एक व्यवस्था बनाया गया – महाभियोग (Impeachment)अनुच्छेद 56 के खंड (ख) में इसका जिक्र किया गया कि संविधान का अतिक्रमण करने पर राष्ट्रपति को, अनुच्छेद 61 में बताए गए रीति से चलाये गए महाभियोग (Impeachment) द्वारा पद से हटाया जा सकता है।

यानि कि राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग (Impeachment) द्वारा हटाया जा सकता है लेकिन इसकी प्रक्रिया क्या होगी यही अनुच्छेद 61 में लिखा है।

महाभियोग प्रक्रिया (impeachment process) :

अनुच्छेद 61(1) के अनुसार जब संविधान के अतिक्रमण के लिए राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाना हो, तब संसद का कोई सदन आरोप लगाएगा।

यानि कि महाभियोग की पहली जो सीढ़ी है वो आरोप लगाने से शुरू होता है। और ये आरोप संसद के किसी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) को लगाना होगा।

अनुच्छेद 61(2) के तहत व्यवस्था किया गया है कि ऐसा कोई आरोप तब तक नहीं लगाया जाएगा जब तक कि (क) ऐसा आरोप लगाने की प्रस्थापना (proposal) किसी ऐसे संकल्प में अंतर्विष्ट नहीं है, जो कम से कम चौदह दिन की ऐसी लिखित सूचना के दिए जाने के पश्चात्‌ प्रस्तावित किया गया है जिस पर उस सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों ने हस्ताक्षर करके उस संकल्प को प्रस्तावित करने का अपना आशय प्रकट किया है; और
(ख) उस सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा ऐसा संकल्प पारित नहीं किया गया है।

? कहने का अर्थ ये है कि महाभियोग का आरोप संसद के किसी भी सदन में प्रारम्भ किया जा सकता है। इन आरोपों पर सदन के एक चौथाई सदस्यों (जिस सदन में आरोप लगाए गए है) के हस्ताक्षर होने चाहिए। उसके बाद राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस दिया जाएगा।

ये एक संकल्प के रूप में लाया जाएगा और उसके बाद महाभियोग का प्रस्ताव उस सदन में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके पश्चात यह दूसरे सदन में भेजा जाता है।

अनुच्छेद 61(3) के तहत जब आरोप संसद्‌ के किसी सदन द्वारा इस प्रकार लगाया गया है तब दूसरा सदन उस आरोप का अन्वेषण (Investigation) करेगा या कराएगा। और राष्ट्रपति को ऐसे अन्वेषण में उपस्थित होने का तथा अपना प्रतिनिधित्व कराने का अधिकार दिया जाएगा।

अनुच्छेद 61(4) के तहत दूसरे सदन द्वारा कराए गए अन्वेषण (Investigation) से अगर यह सिद्ध हो जाता है कि महाभियोग का संकल्प उचित है तो इसे लागू करने के लिए उस सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा उस संकल्प को पारित करना होगा।

अगर ऐसा हो जाता है तो इस प्रकार पारित किए जाने की तारीख से राष्ट्रपति को उसके पद से हटाना होगा। यहाँ यह याद रखिए कि यहाँ जो दो-तिहाई बहुमत का प्रावधान है वो कुल सदस्य संख्या के सेंस में है। उस दिन सदन में उपस्थित सदस्य संख्या के सेंस में नहीं।

यानि कि लोकसभा में 362 या उससे अधिक सदस्यों की सहमति होनी जरूरी है और राज्यसभा में 163।

? इस प्रकार महाभियोग संसद की अर्ध-न्यायिक (Quasi-judicial) प्रक्रिया है। इस संदर्भ में दो बातें ध्यान देने योग्य है।

1. संसद के दोनों सदनों के नामांकित सदस्य (जो राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं ले सकता है), वो इस महाभियोग में भाग ले सकता है।
2. राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य तथा दिल्ली व पुडुचेरी केंद्रशासित राज्य विधानसभाओं के सदस्य इस महाभियोग प्रस्ताव में भाग नहीं लेते हैं, जबकि वे राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।

? दिलचस्प बात ये है कि अभी तक किसी भी राष्ट्रपति_(President) को महाभियोग के द्वारा हटाया नहीं गया है।

तो यही है अनुच्छेद 61 (Article 61), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया समझने के लिए पढ़ें –  राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया

अनुच्छेद-31(ख) – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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FAQ. अनुच्छेद 61 (Article 61) क्या है?

अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया के बारे में है। हम जानते हैं राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग चलाकर हटाया जा सकता है। इस महाभियोग की प्रक्रिया क्या होगी वही अनुच्छेद 61 में लिखा है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

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अनुच्छेद 60
अनुच्छेद 62
⚫ Article 60
⚫ Article 62
——-Article 61——
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
——Article 61——–
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से) और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।