यह लेख Article 173 (अनुच्छेद 173) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 173 (Article 173) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [साधारण]
173. राज्य के विधान-मंडल की सदस्यता के लिए अर्हता —  कोई व्यक्ति किसी राज्य में विधान-मंडल के किसी स्थान को भरने के लिए चुने जाने के लिए अर्हित तभी होगा जब

1[(क) वह भारत का नागरिक है और निर्वाचन आयोग द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार शपथ लेता है या प्रतिज्ञान करता है और उस पर अपने हस्ताक्षर करता है ;]

(ख) वह विधान सभा के स्थान के लिए कम से कम पच्चीस वर्ष की आयु का और विधान परिषद्‌ के स्थान के लिए कम से कम तीस वर्ष की आयु का है ; और

(ग) उसके पास ऐसी अन्य अर्हताएं हैं जो इस निमित्त संसद्‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की जाएं।
================
1. संविधान (सोलहवां संशोधन) अधिनियम, 1963 की धारा 4 द्वारा (5-10-1963 से) खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 173 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [General]
173. Qualification for membership of the State Legislature. — A person shall not be qualified to be chosen to fill a seat in the Legislature of a State unless he—
1[(a) is a citizen of India, and makes and subscribes before some person authorised in that behalf by the Election Commission an oath or affirmation according to the form set out for the purpose in the Third Schedule;]

(b) is, in the case of a seat in the Legislative Assembly, not less than twenty-five years of age and, in the case of a seat in the Legislative Council, not less than thirty years of age; and

(c) possesses such other qualifications as may be prescribed in that behalf by or under any law made by Parliament
================
1. Subs. by the Constitution (Sixteenth Amendment) Act, 1963, s. 4, for cl. (a) (w.e.f. 5-10-1963).
Article 173 English Version

🔍 Article 173 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature)Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally)Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हम साधारण (General) के तहत आने वाले अनुच्छेद 173 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 84 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 173

| अनुच्छेद 173 – राज्य के विधान-मंडल की सदस्यता के लिए अर्हता (Qualification for membership of the State Legislature)

जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

संसद की तरह ही इसके ऊपरी सदन को विधान परिषद (Legislative Council) और निचले सदन को विधान सभा (Assembly) कहा जाता है।

अनुच्छेद 173 राज्य के विधान-मंडल की सदस्यों के लिए अर्हता (Qualification) के बारे में है। यानि कि कौन से लोग विधानमंडल का सदस्य बन सकता है;

इस अनुच्छेद के तहत निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने वाले लोग ही विधान मंडल के सदस्य हो सकते हैं;

(क) उसे भारत का नागरिक होना चाहिए

अगर वो भारत का नागरिक है तो फिर उसे निर्वाचन आयोग द्वारा इस काम के लिए प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार शपथ लेना पड़ेगा और उसे अपना हस्ताक्षर करना होगा।

शपथ कुछ इस प्रकार से होता है;

मैं, …………………..ईश्वर की शपथ लेता हूँ कि विधान सभा/विधान परिषद में स्थान भरने के लिए अभ्यर्थी के रूप में नामनिर्देशित हुआ हूँ, कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा और मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा।

Article 173 subject to Schedule 3

(ख) अगर वह व्यक्ति विधान सभा में जाना चाहता है तो उसकी उम्र कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए और अगर वह विधान परिषद जाना चाहता है तो उसकी उम्र कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए।

(ग) उपरोक्त के अलावा उसके पास ऐसी अन्य अर्हताएं भी होनी चाहिए जो कि इस निमित्त संसद्‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की जाएं।

जैसे कि – जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत सदन ने निम्नलिखित अतिरिक्त अर्हताओं का निर्धारण किया है :-

(1) विधानपरिषद में निर्वाचित होने वाला व्यक्ति विधानसभा का निर्वाचक होने की अर्हता रखता हो और उसमें राज्यपाल द्वारा नामित होने के लिए संबन्धित राज्य का निवासी होना चाहिए।

(2) अनुसूचित जाति / जनजाति का सदस्य होना चाहिए यदि वह अनुसूचित जाति / जनजाति की सीट के लिए चुनाव लड़ता है। हालांकि अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य उस सीट के लिए भी चुनाव लड़ सकता है, जो उसके लिए आरक्षित न हो।

2. निरर्हताएं (Disqualification) – संविधान के अनुसार, कोई व्यक्ति राज्य विधानपरिषद या विधानसभा के लिए नहीं चुना जा सकता,

1. यदि वह केंद्र या राज्य सरकार के तहत किसी लाभ के पद पर है

2. यदि वह विकृत चित्त है और सक्षम न्यायालय की ऐसी घोषणा विद्यमान है।

3. यदि वह घोषित दिवालिया हो।

4. यदि वह भारत का नागरिक न हो या उसने विदेश में कहीं नागरिकता स्वेछा से अर्जित कर ली हो या वह किसी विशेषी राज्य के प्रति निष्ठा रखता हो;

5. यदि संसद द्वारा निर्मित किसी विधि द्वारा या उसके अधीन निरर्हित (Disqualified) कर दिया जाता है।

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत संसद ने कुछ अतिरिक्त निरर्हताएं निर्धारित की है,

1. वह चुनाव में किसी प्रकार के भ्रष्ट आचरण अथवा चुनावी अपराध का दोषी नहीं पाया गया हो।

2. उसे किसी ऐसे अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया हो जिसके लिए उसे दो या अधिक वर्षों कि कैद की सजा मिली हो। लेकिन किसी व्यक्ति का किसी निरोधात्मक कानून के अंतर्गत निरुद्ध करना अयोग्यता नहीं मानी जाएगी।

3. वह निर्धारित समय सीमा के अंदर चुनावी खर्च संबन्धित विवरण प्रस्तुत करने में विफल नहीं रहा हो।

4. उसका किसी सरकारी ठेके, कार्य अथवा सेवाओं में कोई रुचि नहीं हो।

5. वह किसी ऐसे निगम में लाभ के पद पर कार्यरत नहीं हो अथवा उसका निदेशक या प्रबंधकीय एजेंट नहीं हो, जिसमें सरकार की कम से कम 25 हिस्सेदारी हो।

6. वह भ्रष्टाचार अथवा सरकार के प्रति विश्वासघात के कारण सरकारी सेवा हटाया गया हो।

7. उसे विभिन्न समूहों के बीच वैमनष्य बढ़ाने अथवा घूसखोरी के अपराध में दोषी नहीं ठहराया गया हो।

8. उसे अश्लीलता, दहेज तथा सती प्रथा आदि जैसे सामाजिक अपराधों में संलिप्तता अथवा इन्हे बढ़ावा देने के लिए दंडित नहीं किया गया हो।

उपरोक्त निरर्हताओं के संबंध में किसी सदस्य के प्रति यदि प्रश्न उठे तो राज्यपाल का निर्णय अंतिम होगा। हालांकि इस मामले में वह चुनाव आयोग की सलाह लेकर काम करता है।

दल-बदल के आधार पर निरर्हता – संविधान के दसवीं अनुसूची के तहत यदि कोई व्यक्ति दल-परिवर्तन के आधार पर निरर्ह (Disqualified) होता है तो वह राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन की सदस्यता के लिए निरर्ह रहेगा।

इस तरह के मामलों का निपटारा विधानसभा में अध्यक्ष और विधानपरिषद में सभापति करता है। हालांकि इनके द्वारा लिया गया फैसला न्यायिक समीक्षा की परिधि में आता है। (1992 से)

3. शपथ (Oath) – विधानमण्डल के प्रत्येक सदन का प्रत्येक सदस्य सदन में सीट ग्रहण करने से पहले राज्यपाल या उसके द्वारा इस कार्य के लिए नियुक्त व्यक्ति के समक्ष शपथ लेगा।

इस शपथ में विधानमण्डल का सदस्य प्रतिज्ञा करता है कि वह, 1. भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेगा। 2. भारत की प्रभुता व अखंडता को अक्षुण्ण रखेगा। 3. प्रदत कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करेगा।

बिना शपथ लिए कोई भी सदस्य सदन में न तो मत दे सकता है और न ही कार्यवाही में भाग ले सकता है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उस पर प्रतिदिन पाँच सौ रुपए जुर्माना लगेगा।

4. स्थानों का रिक्त होना –

दिये गए मामलों में विधानमंडल का सदस्य पद छोड़ता है या उसे छोड़ना पड़ता है।

1. दोहरी सदस्यता : एक व्यक्ति एक समय में विधानमंडल के दोनों सदनों का सदस्य नहीं हो सकता। यदि कोई व्यक्ति दोनों सदनों के लिए निर्वाचित होता है तो राज्य विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि के उपबंधों के तहत एक सदन से उसकी सीट रिक्त हो जाएगी।

2. निरर्हता : राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य यदि निरर्ह पाया जाता है, तो उसका पद रिक्त हो जाएगा।

3. त्यागपत्र : कोई सदस्य अपना लिखित इस्तीफा विधान परिषद के मामले में सभापति और विधानसभा के मामले में अध्यक्ष को दे सकता है। त्यागपत्र स्वीकार होने पर उसका पद रिक्त हो जाएगा।

4. अनुपस्थिति : यदि कोई सदस्य बिना पूर्व अनुमति के 60 दिनों तक बैठकों से अनुपस्थित रहता है तो सदन उसके पद को रिक्त घोषित कर सकता है।

5. अन्य मामले : किसी सदस्य का पद रिक्त हो सकता है:-

(1) यदि न्यायालय द्वारा उसके निर्वाचन को अमान्य ठहरा दिया जाये,

(2) यदि उसे सदन से निष्काषित कर दिया जाये,

(3) यदि वह राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो जाये; और,

(4) यदि वह किसी राज्य का राज्यपाल निर्वाचित हो जाये।

तो यही है अनुच्छेद 173, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Related to Article 173

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

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Chapter Wise Polity Quiz

राज्य विधानमंडल: अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 8 
  2. Passing Marks – 75  %
  3. Time – 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. सदन के सदस्यों के कम से कम दसवें भाग के बराबर सदस्य उपस्थित नहीं रहने पर सदन नहीं चल सकता है।
  2. महाधिवक्ता विधानमंडल के किसी भी सदन के कार्यवाही में हिस्सा ले सकता है।
  3. राज्य विधानमंडल के सदस्यों को सदन चलने के 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
  4. सदन के सदस्य कुछ महत्वपूर्ण मामलों में गुप्त बैठक कर सकते हैं।

2 / 8

राज्य विधानमंडल में किन स्थितियों में किसी व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया जा सकता है?

  1. यदि वह व्यक्ति विकृत चित्त का हो।
  2. वह चुनाव में किसी प्रकार के भ्रष्ट आचरण अथवा चुनावी अपराध का दोषी नहीं पाया गया हो।
  3. उसे किसी अपराध में 3 महीने या उससे अधिक की सजा मिली हो।
  4. उसे अश्लीलता, दहेज आदि जैसे सामाजिक अपराधों में संलिप्त पाया गया हो।

3 / 8

निम्न में किस राज्य में विधान परिषद नहीं है?

4 / 8

निम्न में से किन मामलों में विधानमंडल का सदस्य पद छोड़ता है या उसे छोड़ना पड़ता है?

  1. जब कोई सदस्य अपना त्यागपत्र दे देता हो।
  2. जब कोई सदस्य बिना पूर्व अनुमति के 45 दिनों तक बैठकों से अनुपस्थित रहता हो।
  3. यदि न्यायालय द्वारा उसके निर्वाचन को अमान्य ठहरा दिया जाये।
  4. यदि वह किसी राज्य का राज्यपाल निर्वाचित हो जाये।

5 / 8

राज्य विधानमंडल के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

6 / 8

राज्य विधानमंडल के सदस्यता के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. राज्य विधानमंडल में सदस्यता पाने के लिए किसी व्यक्ति का भारत में रहना जरूरी होता है।
  2. राज्य विधानमंडल की सदस्यता पाने के लिए किसी व्यक्ति की कम से कम 21 वर्ष उम्र होनी चाहिए।
  3. अनुसूचित जाति के व्यक्ति उसी क्षेत्र से विधानमंडल में जा सकते हैं जो उसके लिए आरक्षित है।
  4. विधान परिषद की सदस्यता के लिए कम से कम 30 वर्ष की आयु होनी चाहिए।

7 / 8

राज्य विधानमंडल संविधान के किस भाग से संबंधित है?

8 / 8

विधानमंडल के मामले में कोरम यानी कि गणपूर्ति का पैमाना क्या है?

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अनुच्छेद 174 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 172 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 173
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।