यह लेख Article 174 (अनुच्छेद 174) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 174 (Article 174) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [साधारण]
1[174. राज्य के विधान-मंडल के सत्र, सत्रावसान और विघटन —(1) राज्यपाल, समय-समय पर, राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा, किंतु उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह मास का अंतर नहीं होगा।

(2) राज्यपाल, समय-समय पर,
(क) सदन का या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा ;
(ख) विधान सभा का विघटन कर सकेगा।]
===================
1. संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 195। की धारा 8 द्वारा (18-6-1951 से) प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 174 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [General]
1[174. Sessions of the State Legislature, prorogation and dissolution. — (1) The Governor shall from time to time summon the House or each House of the Legislature of the State to meet at such time and place as he thinks fit, but six months shall not intervene between its last sitting in one session and the date appointed for its first sitting in the next session.
(2) The Governor may from time to time—
(a) prorogue the House or either House;
(b) dissolve the Legislative Assembly.]
================
1. Subs. by the Constitution (First Amendment) Act, 1951, s. 8, for art.174 (w.e.f. 18-6-1951).
Article 174 English Version

🔍 Article 174 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature)Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally)Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हम साधारण (General) के तहत आने वाले अनुच्छेद 174 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 85 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 174

| अनुच्छेद 174 – राज्य के विधान-मंडल के सत्र, सत्रावसान और विघटन (Sessions of the State Legislature, prorogation and dissolution)

जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

संसद की तरह ही इसके ऊपरी सदन को विधान परिषद (Legislative Council) और निचले सदन को विधान सभा (Assembly) कहा जाता है।

अनुच्छेद 174 के तहत विधानमंडलों के सत्र (Session), सत्रावसान (Prorogation) और विघटन (Dissolution) की चर्चा की गई है। इस अनुच्छेद के दो खंड हैं; आइये समझें;

अनुच्छेद 174(1) के तहत कहा गया है कि राज्यपाल, समय-समय पर, राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा, किंतु उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह मास का अंतर नहीं होगा।

यहां पर तीन बातें है;

पहली बात) राज्य विधानमंडल के सदन या सदनों का अधिवेशन राज्यपाल आहूत (summon) करता है।

दूसरी बात) राज्यपाल अधिवेशन को ऐसे समय और स्थान पर बुला सकता है जो वह ठीक समझें; यानि कि राज्यपाल अभी का जो विधानमंडल हैं उसके इत्तर भी कहीं और सत्र को शुरू करवा सकता है। 

तीसरी बात) दो सत्रों के बीच छह माह से अधिक का समय नहीं होना चाहिए।

याद रखिए कि यह सारी चीज़ें केंद्र में जिस तरह से होता है उसी तरह से है अंतर बस इतना है कि वहाँ ये राष्ट्रपति करता है। अनुच्छेद 85 को आप पढ़ सकते हैं;

यहां पर तीन टर्म है : सत्र (Session), सत्रावसान (Prorogation) और विघटन (Dissolution) ; इसे समझना जरूरी है;

सत्र (Session) का क्या मतलब है:

भारतीय राजनीति में, एक सत्र उस अवधि को संदर्भित करता है जिसके दौरान संसद या राज्य विधानमंडल अपने व्यवसाय का संचालन करने के लिए मिलते हैं। किए जाने वाले विधायी कार्य की मात्रा के आधार पर एक सत्र कई सप्ताह या महीनों तक चल सकता है।

◾ सामान्यतः साल में तीन सत्र आयोजित किए जाते हैं, बजट सत्र (Budget Session)मानसून सत्र (Monsoon Session) और शीतकालीन सत्र (Winter Session)। हालांकि कितने सत्र आयोजित किए जा सकते हैं इसके बारे में लिखा नहीं बस इतना लिखा है कि दो सत्रों के बीच 6 माह से अधिक का समय नहीं होना चाहिए। अधिकांश राज्यों में एक वर्ष में दो या तीन सत्र होते हैं।

◾ एक सत्र के दौरान, सदन विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता है, जिसमें बहस, विधेयकों को पारित करना और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा शामिल है।

◾ संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्य इन गतिविधियों में भाग लेते हैं और अपने घटकों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सदन की कार्यवाही आमतौर पर नियमों और प्रक्रियाओं के एक सेट के अनुसार संचालित की जाती है, जो सदन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए तैयार की जाती हैं।

◾ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक सत्र (Session), सदन की अवधि (Term of House) से अलग होता है। एक सत्र कुछ हफ्तों या महीनों तक चलता है, जबकि सदन की अवधि उस पूरी अवधि को संदर्भित करती है जिसके लिए सदस्य चुने जाते हैं।

एक सत्र को सत्रावसान या स्थगित किया जा सकता है, लेकिन सदन की अवधि केवल राज्यपाल द्वारा ही भंग की जा सकती है,।

सत्रावसान (Prorogation) का क्या मतलब है?:

◾ भारतीय राजनीति में, सत्रावसान संसद या राज्य विधानमंडल के एक सत्र के औपचारिक अंत को संदर्भित करता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा भारत के राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल, जैसा भी मामला हो, क्रमशः संसद या राज्य विधानमंडल के सत्र को समाप्त करते हैं।

◾ सत्रावसान एक सत्र के अंत को चिह्नित करता है, और सभी लंबित बिल (Pending Bills) और अन्य संसदीय काम समाप्त हो जाते हैं। हालांकि, अधूरे कार्य को अगले सत्र में शुरू किया जा सकता है, जो आमतौर पर कुछ महीनों के अंतराल के बाद शुरू होता है।

◾ किसी सत्र के सत्रावसान की शक्ति राष्ट्रपति/राज्यपाल में निहित होती है, जो यथास्थिति, प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्य करता है। राष्ट्रपति/राज्यपाल सत्रावसान की घोषणा करते हुए एक अधिसूचना जारी करते हैं, जो आमतौर पर सदन द्वारा स्थगन के प्रस्ताव को सदन के समक्ष रखने और और उसे पारित करने के बाद किया जाता है।

यहाँ दो बातें याद रखिए

(1) सत्रावसान (Prorogation) एक सत्र का अंत होता है, लोकसभा या विधानसभा के अंत का, सरकार के अंत का नहीं।

(2) सत्रावसान, स्थगन (Adjournment) से अलग होता है, वो ऐसे कि स्थगन एक निर्दिष्ट अवधि के लिए सदन की कार्यवाही के अस्थायी निलंबन (temporary suspension) को संदर्भित करता है, जबकि सत्रावसान (Prorogation) सत्र के औपचारिक अंत को चिह्नित करता है।

विघटन (Dissolution) का क्या मतलब है?:

भारतीय राजनीति में, विघटन (Dissolution) संसद या राज्य विधानमंडल के कार्यकाल की औपचारिक समाप्ति को संदर्भित करता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा भारत के राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल, जैसा भी मामला हो, क्रमशः संसद या राज्य विधानमंडल को उसके सामान्य कार्यकाल के पूरा होने से पहले भंग कर देते हैं।

◾ विघटन आमतौर पर तब होता है जब सत्तारूढ़ दल या गठबंधन के पास सदन में बहुमत नहीं होता है, और सरकार महत्वपूर्ण कानून पारित करने में असमर्थ होती है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति या राज्यपाल को सदन को भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने की सलाह देते हैं।

अनुच्छेद 174(2) के तहत कहा गया है कि राज्यपाल, समय-समय पर, (क) सदन का या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा ; (ख) विधान सभा का विघटन कर सकेगा।

◾ विधानसभा को भंग करने की शक्ति इस अनुच्छेद के तहत राज्यपाल में निहित है, जो मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्य करता है। राज्यपाल सदन को भंग करने की घोषणा करते हुए एक अधिसूचना जारी करते हैं, जिससे सदन के सभी सदस्यों का कार्यकाल तत्काल समाप्त हो जाता है।

◾ एक बार जब सदन भंग हो जाता है, तो देश “कार्यवाहक सरकार (caretaker government)” के एक चरण में प्रवेश करता है, जहां निवर्तमान सरकार चुनाव के बाद नई सरकार बनने तक सीमित क्षमता में कार्य करना जारी रखती है।

कार्यवाहक सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह कोई भी बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से बचें और नई सरकार के कार्यभार संभालने तक केवल आवश्यक कार्य ही करें।

◾ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विघटन, सत्रावसान या स्थगन से अलग होता है। सत्रावसान और स्थगन से अस्थायी निलंबन या सत्र का अंत होता है, जबकि विघटन से सदन के पूरे कार्यकाल का ही अंत हो जाता है।

तो यही है Article 174, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

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Chapter Wise Polity Quiz

विधानसभा और विधानपरिषद : अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 8 
  2. Passing Marks – 75  %
  3. Time – 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 8

निम्न में से किन मामलों में विधान परिषद विधान सभा के बराबर होता है?

2 / 8

विधान परिषद के अध्यक्ष के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

3 / 8

राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष एवं विधान परिषद के उप-सभापति को ध्यान में रखकर दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. उपाध्यक्ष अपना इस्तीफ़ा अध्यक्ष को सौंपता है।
  2. उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष की शक्तियों का उपभोग करता है।
  3. विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों के बीच से एक पैनल का गठन करता है, उनमें से कोई एक अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सभा की कार्यवाही सम्पन्न कराता है।
  4. विधान सभा चाहे तो बहुमत के आधार पर अध्यक्ष को हटाने का संकल्प पारित कर सकता है।

4 / 8

इनमें से कौन सा कथन राज्य विधान परिषद को राज्यसभा से अलग करता है?

5 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. विधान परिषद कभी विघटित नहीं होता है।
  2. विधान परिषद प्रसिद्ध व्यक्तियों और विशेषज्ञों को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है जो प्रत्यक्ष चुनाव का सामना नहीं कर पाते।
  3. विधानपरिषद वित्त विधेयक में न संशोधन और न ही इसे अस्वीकार कर सकती है।
  4. कोई विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं, यह तय करने का अधिकार विधानसभा के अध्यक्ष को है।

6 / 8

विधानसभा के गठन के संबंध में दिए गए कथनों में से कौन सा कथन सही है?

7 / 8

विधान सभा अध्यक्ष निम्न में से किसका अध्यक्ष होता है?

8 / 8

विधान सभा के अध्यक्ष को ध्यान में रखते हुए दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. विधानसभा के सदस्य अपने सदस्यों के बीच से ही अध्यक्ष का निर्वाचन करते है।
  2. विधानसभा अध्यक्ष वोटिंग प्रक्रिया में कभी भाग नहीं ले सकता है।
  3. अध्यक्ष कोरम की अनुपस्थिति में वह विधानसभा की बैठक को स्थगित या निलंबित कर सकता है।
  4. अध्यक्ष दसवीं अनुसूची के उपबंधों आधार पर किसी सदस्य की निरर्हता को लेकर उठे किसी विवाद पर फैसला देता है।

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।