यह लेख अनुच्छेद 45 (Article 45) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;

अपील - Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें;
अनुच्छेद 45

📌 Join YouTube📌 Join FB Group
📌 Join Telegram📌 Like FB Page
अगर टेलीग्राम लिंक काम न करे तो सीधे टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
📖 Read in English📥 PDF

📜 अनुच्छेद 45 (Article 45)

1[45. छह वर्ष से कम आयु के बालकों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा का उपबंध – राज्य सभी बालकों के लिए छह वर्ष की आयु पूरी करने तक, प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास करेगा।]
—————-
1. संविधान (छियासीवां संशोधन) अधिनियम, 2002 की धारा 3 द्वारा (1-4-2010 से) “अनुच्छेद 45″ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
अनुच्छेद 45—-
1[45. Provision for early childhood care and education to children below the age of six years.—The State shall endeavour to provide early childhood care and education for all children until they complete the age of six years.]
—————-
1. Subs. by the Constitution (Eighty-sixth Amendment) Act, 2002, s. 3, for art. 45
(w.e.f. 1-4-2010)
Article 45

🔍 Article 45 Explanation in Hindi

राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy/DPSP) का शाब्दिक अर्थ है – राज्य के नीति को निर्देशित करने वाले तत्व।

जब संविधान बनाया गया था उस समय लोगों को लोकतांत्रिक राज्य में शासन करने का और देशहीत में कानून बनाने का कोई तजुर्बा नहीं था। खासकर के राज्यों के लिए जो कि एक लंबे औपनिवेशिक काल के बाद शासन संभालने वाले थे।

जैसा कि हम जानते है कि हमारे देश में राजनेताओं के लिए पढ़ा-लिखा होना कोई अनिवार्य नहीं है। ऐसे में मार्गदर्शक आवश्यक हो जाता है ताकि नीति निर्माताओं को हमेशा ज्ञात होता रहे कि किस तरफ जाना है।

◾ ऐसा नहीं था कि DPSP कोई नया विचार था बल्कि आयरलैंड में तो ये काम भी कर रहा था और हमने इसे वहीं से लिया।

◾ राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) नागरिकों के कल्याण और विकास के लिए कानूनों और नीतियों को बनाने के लिए दिशानिर्देश हैं। ये भारतीय संविधान के भाग IV में शामिल हैं।

◾ ये सिद्धांत गैर-प्रवर्तनीय (non enforceable) हैं, जिसका अर्थ है कि ये अदालतों द्वारा लागू नहीं हैं, हालांकि इसे देश के शासन में मौलिक माना जाता है और कानून और नीतियां बनाते समय सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए।

कुल मिलाकर नीति-निदेशक तत्व लोकतांत्रिक और संवैधानिक विकास के वे तत्व है जिसका उद्देश्य लोक-कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।

DPSP का वर्गीकरण — नीचे आप निदेशक तत्वों का वर्गीकरण देख सकते हैं। इससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि जो अनुच्छेद आप पढ़ रहें है वे किसलिए DPSP में शामिल की गई है और किन उद्देश्यों को लक्षित करने के लिए की गई है।

सिद्धांत
(Principles)
संबंधित अनुच्छेद
(Related Articles)
समाजवादी
(Socialistic)
⚫ अनुच्छेद 38
⚫ अनुच्छेद 39
⚫ अनुच्छेद 39क
⚫ अनुच्छेद 41
⚫ अनुच्छेद 42
⚫ अनुच्छेद 43
⚫ अनुच्छेद 43 क
⚫ अनुच्छेद 47
गांधीवादी
(Gandhian)
⚫ अनुच्छेद 40
⚫ अनुच्छेद 43
⚫ अनुच्छेद 43ख
⚫ अनुच्छेद 46
⚫ अनुच्छेद 48
उदार बौद्धिक
(Liberal intellectual)
⚫ अनुच्छेद 44
⚫ अनुच्छेद 45
⚫ अनुच्छेद 48
⚫ अनुच्छेद 48A
⚫ अनुच्छेद 49
⚫ अनुच्छेद 50
⚫ अनुच्छेद 51
Article 45

इसके अलावा निदेशक तत्वों को निम्नलिखित समूहों में भी बांट कर देखा जा सकता है;

कल्याणकारी राज्य (Welfare State) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 38 (1 एवं 2), अनुच्छेद 39 (ख एवं ग), अनुच्छेद 39क, अनुच्छेद 41, अनुच्छेद 42, अनुच्छेद 43, अनुच्छेद 43क एवं अनुच्छेद 47 को रखा जाता है।

प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता (Equality of Dignity & Opportunity) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 40, 41, 44, 45, 46, 47 48 एवं 50 को रखा जाता है।

व्यक्ति के अधिकार (individual’s rights) — इस समूह के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 39क, 41, 42, 43 45 एवं 47 को रखा जाता है।

संविधान के भाग 4 के अंतर्गत अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 45 को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-34 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-35 – भारतीय संविधान
—————————

| अनुच्छेद 45 – छह वर्ष से कम आयु के बालकों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा का उपबंध

इस अनुच्छेद के तहत राज्य सभी बालकों के लिए छह वर्ष की आयु पूरी करने तक, प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास करेगा।

भारत में, छह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) का प्रावधान मुख्य रूप से एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम के माध्यम से किया जाता है।

यह कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चलाया जाता है, और इसका उद्देश्य छह साल से कम उम्र के बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को व्यापक विकास सेवाएं प्रदान करना है।

एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम पूरक पोषण, पूर्व-विद्यालय शिक्षा, स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और रेफरल सेवाओं सहित कई सेवाएं प्रदान करता है। इन सेवाओं के लिए आंगनवाड़ी केंद्र प्राथमिक वितरण बिंदु हैं, जहां बच्चों को पूरक पोषण, स्वास्थ्य जांच और पूर्व-विद्यालय शिक्षा प्रदान की जाती है।

आईसीडीएस कार्यक्रम सेवाओं की एक श्रृंखला प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:

पूरक पोषण (nutritional supplements): बच्चों को कुपोषण दूर करने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाता है।

प्री-स्कूल शिक्षा (pre-school education): बच्चों को प्राथमिक स्कूल के लिए तैयार करने के लिए बुनियादी शिक्षा और सीखने की गतिविधियाँ प्रदान की जाती हैं।

स्वास्थ्य जांच (health check up): किसी भी स्वास्थ्य समस्या की पहचान करने और उसका पता लगाने के लिए बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच की जाती है।

टीकाकरण (vaccination): बच्चों को रोकी जा सकने वाली बीमारियों से बचाने के लिए उनका टीकाकरण किया जाता है।

रेफ़रल सेवाएं (referral services): बच्चों और उनके परिवारों को आवश्यकतानुसार अन्य सरकारी सेवाओं और कार्यक्रमों के लिए रेफ़र किया जाता है। ICDS कार्यक्रम गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पूरक पोषण, स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाओं सहित सेवाएं भी प्रदान करता है।

ICDS कार्यक्रम ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर ध्यान देने के साथ वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों और परिवारों पर लक्षित है। यह कार्यक्रम बाल श्रम, बाल विवाह और बाल तस्करी जैसे विशिष्ट मुद्दों से प्रभावित बच्चों और परिवारों पर भी लक्षित है।

ICDS कार्यक्रम को व्यापक रूप से भारत में बाल विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण और सफल कार्यक्रमों में से एक माना जाता है। हालांकि, कार्यक्रम के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाओं की कवरेज और गुणवत्ता राज्यों में भिन्न होती है, और कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धन और संसाधन उपलब्ध नहीं कराने के लिए सरकार की आलोचना भी की जाती रही है।

तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 45 ( Article 45), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-31(ख) – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
—————————
अनुच्छेद 45 (Article 45) क्या है?

छह वर्ष से कम आयु के बालकों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा का उपबंध – राज्य सभी बालकों के लिए छह वर्ष की आयु पूरी करने तक, प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास करेगा।]
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

| Related Article

अनुच्छेद 44
अनुच्छेद 46
—————————
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
—————————–
अस्वीकरण - यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से) और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।