यह लेख अनुच्छेद 5 (Article 5) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें;

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अनुच्छेद 5


📜 अनुच्छेद 5 (Article 5) Original

5. संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता – इस संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवास है और-
(क) जो भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या
(ख) जिसके माता या पिता में से कोई भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या
(ग) जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम से कम पांच वर्ष तक भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है,
भारत का नागरिक होगा ।
——-अनुच्छेद 5———-
5. Citizenship at the commencement of the Constitution— At the commencement of this Constitution, every person who has his domicile in the territory of India and—
(a) who was born in the territory of India; or
(b) either of whose parents was born in the territory of India; or
(c) who has been ordinarily resident in the territory of India for not less than five years immediately preceding such commencement,
shall be a citizen of India.
——-Article 5——–

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🔍 Article 5 Explanation in Hindi

नागरिकता एक कानूनी स्थिति है जो व्यक्तियों को किसी विशेष देश या राष्ट्र-राज्य के भीतर कुछ अधिकार, विशेषाधिकार और जिम्मेदारियाँ प्रदान करती है। यह व्यक्ति और सरकार के बीच एक औपचारिक संबंध स्थापित करता है।

भारत में एकल नागरिकता (Single citizenship) की व्यवस्था है। यानी कि आप देश के किसी भी भाग से क्यों न हो, आप भारत के ही नागरिक होंगे, उस क्षेत्र विशेष के नहीं।

भारत के संविधान के भाग 2 का नाम है “नागरिकता (Citizenship)”, इसके तहत नागरिकता के संबंध में कुछ बातें की गई है। इस भाग के तहत अनुच्छेद 5 से 11 तक कुल 7 अनुच्छेद आते है।

लेकिन यहाँ याद रखने वाली बात है कि इन अनुच्छेदों में उन्ही लोगों के नागरिकता की चर्चा की गयी है जो आजादी के समय देश के नागरिक बन चुके थे या फिर बनने वाले थे।

इसके बाद जन्मे लोगों के लिए या देश में आने वाले अन्य नए लोगों के लिए नागरिकता की व्यवस्था के लिए नागरिकता अधिनियम 1955 बनाया गया।

अभी किसी भी गैर-नागरिक को जो नागरिकता दी जाती है या फिर उससे नागरिकता छीनी जाती है वो इसी नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत किया जाता है। [इस विषय पर एक लेख मौजूद है आप उसे अवश्य पढ़ें – नागरिकता : अर्थ, अर्जन, समाप्ति इत्यादि]

कुल मिलाकर यहाँ समझने वाली बात ये है कि संविधान में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करने वाली कोई स्थायी विधि नहीं है। बल्कि अनुच्छेद 11 के तहत यह संसद पर छोड़ दिया गया कि वह इस संबंध में उचित स्थायी कानून बनाए। और संसद ने इसी को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से साल 1955 में नागरिकता अधिनियम अधिनियमित किया।

लेकिन जब तक यह कानून नहीं बना था तब तक किसे भारत का नागरिक माना जाएगा और किसे नहीं, इसी का उल्लेख मुख्य रूप से अनुच्छेद 5 से लेकर 8 तक किया गया है।

| अनुच्छेद 5  – संविधान के प्रारम्भ पर नागरिकता

जैसा कि हमने ऊपर समझा, संविधान के अनुच्छेद 5 से लेकर 8 तक, संविधान लागू होने के दिन तक जिसको-जिसको नागरिकता मिल चुकी है, उसके बारे में है। उसी का पहला अनुच्छेद है – अनुच्छेद 5, जो कि संविधान के प्रारम्भ पर नागरिकता की बात करता है।

इस अनुच्छेद के तहत तीन में से किसी भी एक शर्त को पूरा करने की स्थिति में उस समय के भारत में अधिवासित (Domiciled) व्यक्ति को भारत का नागरिक मान लिया गया।

पहला शर्त (अनुच्छेद 5क) – उसका जन्म भारत में होना चाहिए, चाहे उसकी राष्ट्रीयता कुछ भी हो। या

राष्ट्रीयता (Nationality) और नागरिकता (Citizenship) में अंतर
यहाँ यह याद रखें कि राष्ट्रीयता (Nationality) और नागरिकता (Citizenship) में अंतर होता है; राष्ट्रीयता किसी व्यक्ति की किसी विशेष राष्ट्र या जातीय समूह (ethnic group) में सदस्यता को संदर्भित करती है, जबकि नागरिकता संबंधित अधिकारों और कर्तव्यों के साथ किसी विशिष्ट देश के सदस्य होने की कानूनी स्थिति से संबंधित है।

दूसरा शर्त (अनुच्छेद 5ख) – उसके माता-पिता में से किसी एक का जन्म भारत में होना चाहिए, चाहे उसके माता या पिता की राष्ट्रीयता कुछ भी हो। अथवा उस व्यक्ति का जन्म भारत में या उसके बाहर कहीं भी हुआ हो, या

तीसरा शर्त (अनुच्छेद 5ग) – कोई भी व्यक्ति जो स्वयं या उसके माता-पिता भारत में नहीं जन्मा हो लेकिन संविधान लागू होने के 5 वर्ष पूर्व से वो भारत में रह रहा हो, तो संविधान के प्रारम्भ पर वो व्यक्ति भारत का नागरिक होगा।

अधिवास (Domicile) क्या होता है?
जैसा कि हमने ऊपर देखा अनुच्छेद 5 के तहत अधिवास (Domicile) का जिक्र है। हालांकि संविधान में इसे परिभाषित नहीं किया गया है लेकिन इसका मतलब स्थायी निवास (permanent residence) होता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो डोमिसाइल का मतलब आमतौर पर किसी खास स्थान पर अनिश्चित काल तक रहने के इरादे से एक स्थायी घर होता है।

डोमिसाइल को मुख्य रूप से दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:

मूल निवास (Domicile by origin) : यह उस अधिवास को संदर्भित करता है जो एक व्यक्ति अपने जन्म पर प्राप्त करता है।

पसंद से अधिवास (Domicile by Choice): यह उस अधिवास को संदर्भित करता है जिसे कोई व्यक्ति जानबूझकर दूसरे देश में स्थायी रूप से रहने या बसने के इरादे से जाकर प्राप्त करता है।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया बनाम राम नारायण (1954) के मामले में, यह माना गया कि किसी व्यक्ति का अधिवास वह स्थान है जहां उसके पास वहां से जाने के किसी भी इरादे के बिना एक निश्चित निवास स्थान है।

तो कुल मिलाकर यही है अनुच्छेद 5 (Article 5), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 5 (Article 5) क्या है?

संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता – इस संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवास है और-
(क) जो भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या
(ख) जिसके माता या पिता में से कोई भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या
(ग) जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम से कम पांच वर्ष तक भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है,
भारत का नागरिक होगा ।

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।