यह लेख अनुच्छेद 128 (Article 128) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 128


📜 अनुच्छेद 128 (Article 128) – Original

केंद्रीय न्यायपालिका
128. उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति — इस अध्याय में किसी बात के होते होते हुए भी, 1[राष्ट्रीय नियुक्ति आयोग], किसी भी समय, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से किसी व्यक्ति से, जो उच्चतम न्यायालय या फेडरल न्यायालय के न्यायाधीश का पद धारण कर चुका है 2[या जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद धारण कर चुका है और उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त लिए सम्यक्त रूप से अर्हित है,] उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में और कार्य करने का अनुरोध कर सकेगा और प्रत्येक ऐसा व्यक्ति, जिससे इस प्रकार अनुरोध किया जाता है, इस प्रकार बैठने और कार्य करने के दौरान, ऐसे भत्तों का हकदार होगा जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करे और उसको उस न्यायालय के न्यायाधीश की सभी अधिकारिता, शक्तियाँ और विशेषाधिकार होंगे, किन्तु उसे अन्यथा उस न्यायालय का न्यायाधीश नहीं समझा जाएगा :

परन्तु जब तक यथापूर्वोक्त व्यक्ति उस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बैठने और कार्य करने की सहमति नहीं दे देता है तब तक इस अनुच्छेद की कोई बात उससे ऐसा करने की अपेक्षा करने वाली नहीं समझी जाएगी।
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1. संविधान (निन्यानवैवां संशोधन) अधिनियम, 2014 की धारा 5 द्वारा (13-4-2015 से) “भारत का मुख्य न्यायमूर्ति,” के स्थान पर प्रतिस्थापित। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स आन रिकार्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ ए.आई.आर. 2016 एस.सी. 117 वाले मामले मैं उच्चतम न्यायालय के तारीख 16 अक्तूबर, 2015 के आदेश द्वारा अभिखंडित कर दिया गया है ।
2. संविधान (पंद्रहवां संशोधन) अधिनियम, 1963 की धारा 3 द्वारा (5-10-1963 से) अंतःस्थापित।
अनुच्छेद 128

THE UNION JUDICIARY
128. Attendance of retired Judges at sittings of the Supreme Court — Notwithstanding anything in this Chapter, 2[The National Judicial Appointments Commission] may at any time, with the previous consent of the President, request any person who has held the office of a Judge of the Supreme Court or of the Federal Court 3[or who has held the office of a Judge of a High Court and is duly qualified for appointment as a Judge of the Supreme Court] to sit and act as a Judge of the Supreme Court, and every such person so requested shall, while so sitting and acting, be entitled to such allowances as the President may by order determine and have all the jurisdiction, powers and privileges of, but shall not otherwise be deemed to be, a Judge of that Court:

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1. Subs. by s. 5, ibid., for “the Chief Justice of India” (w.e.f. 13-4-2015). This amendment has been struck down by the Supreme Court in the case of Supreme Court Advocateson-Record Association and another Vs. Union of India in its judgment dated 16-10- 2015, AIR 2016 SC 117.
2. Ins. by the Constitution (Fifteenth Amendment) Act, 1963, s.3 (w.e.f. 5-10-1963).
Article 128

🔍 Article 128 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का चौथा अध्याय है – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary)

न्याय (Justice) एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और न्यायपूर्ण समाज के रखरखाव को संदर्भित करता है।

न्याय लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय

संसद के इस अध्याय के तहत अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक आते हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 128 (Article 128) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-127- भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 128 – उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति

जैसा कि हमने ऊपर भी समझा, संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 128 उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति (Attendance of retired Judges at sittings of the Supreme Court) के बारे में है।

अनुच्छेद 128 कहता है कि इस अध्याय में किसी बात के होते होते हुए भी, भारत का मुख्य न्यायाधीश, किसी भी समय, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से किसी व्यक्ति से, जो उच्चतम न्यायालय या फेडरल न्यायालय के न्यायाधीश का पद धारण कर चुका है या जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद धारण कर चुका है और उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त लिए सम्यक रूप से अर्हित है, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में और कार्य करने का अनुरोध कर सकेगा और प्रत्येक ऐसा व्यक्ति, जिससे इस प्रकार अनुरोध किया जाता है, इस प्रकार बैठने और कार्य करने के दौरान, ऐसे भत्तों का हकदार होगा जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करे और उसको उस न्यायालय के न्यायाधीश की सभी अधिकारिता, शक्तियाँ और विशेषाधिकार होंगे, किन्तु उसे अन्यथा उस न्यायालय का न्यायाधीश नहीं समझा जाएगा :

परन्तु जब तक यथापूर्वोक्त व्यक्ति उस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बैठने और कार्य करने की सहमति नहीं दे देता है तब तक इस अनुच्छेद की कोई बात उससे ऐसा करने की अपेक्षा करने वाली नहीं समझी जाएगी।

अनुच्छेद 128 के तहत प्रावधान किया गया है कि किसी भी समय भारत का मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश से अल्पकाल के लिए उच्चतम न्यायालय में कार्य करने का अनुरोध कर सकता है। लेकिन यहाँ कुछ बातें याद रखनी जरूरी है;

पहली बात, मुख्य न्यायाधीश ऐसा संबन्धित व्यक्ति एवं राष्ट्रपति कि पूर्व अनुमति के बाद ही कर सकता है। सबसे जरूरी है उस व्यक्ति की सहमति जिसे न्यायाधीश बनना है।

दूसरी बात, उस व्यक्ति का उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित (Qualified) होना चाहिए।

अगर इस तरह से न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है तो ऐसे न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित भत्ते मिलते हैं। साथ ही उसे उस न्यायालय के सभी अधिकारिता, शक्तियाँ और विशेषाधिकार मिलते हैं। लेकिन यहाँ यह याद रखिए कि ऐसे व्यक्ति को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नहीं माना जाता है। जबकि तदर्थ न्यायाधीश को अन्य न्यायाधीशों की तरह ही एक न्यायाधीश माना जाता है।

अनुच्छेद-31- भारतीय संविधान

तो यही है अनुच्छेद 128 (Article 128), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 127 – भारतीय संविधान
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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 128 (Article 128) क्या है?

अनुच्छेद 128 उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति (Attendance of retired Judges at sittings of the Supreme Court) के बारे में है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।