यह लेख अनुच्छेद 126 (Article 126) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।
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📜 अनुच्छेद 126 (Article 126) – Original
केंद्रीय न्यायपालिका |
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126. कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति — जब भारत के मुख्य न्यायमूर्ति का पद रिक्त है या जब मुख्य न्यायमूर्ति, अनुपस्थिति के कारण या अन्यथा अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से ऐसा एक न्यायाधीश, जिसे राष्ट्रपति इस के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा। |
THE UNION JUDICIARY |
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126. Appointment of acting Chief Justice.—When the office of Chief Justice of India is vacant or when the Chief Justice is, by reason of absence or otherwise, unable to perform the duties of his office, the duties of the office shall be performed by such one of the other Judges of the Court as the President may appoint for the purpose. |
🔍 Article 126 Explanation in Hindi
अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का चौथा अध्याय है – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary)।
न्याय (Justice) एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और न्यायपूर्ण समाज के रखरखाव को संदर्भित करता है।
न्याय लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।
भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय।
संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 126 कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति (Appointment of acting Chief Justice) के बारे में है।
| अनुच्छेद 126 – कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति
Article 126 कहता है कि जब भारत के मुख्य न्यायमूर्ति का पद रिक्त है या जब मुख्य न्यायमूर्ति, अनुपस्थिति के कारण या अन्यथा अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से ऐसा एक न्यायाधीश, जिसे राष्ट्रपति इस के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।
कहने का अर्थ है कि निम्नलिखित स्थितियों में, मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से किसी न्यायाधीश को कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति (acting Chief Justice), बनाया जा सकता है;
- जब भारत के मुख्य न्यायमूर्ति (CJI) का पद रिक्त हो, या
- जब वो अनुपस्थित हो, या
- किसी अन्य कारण से अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो।
याद रखें, अगर ऐसा होता है उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और वो न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश के कर्तव्यों का पालन करेगा।
⚫ अनुच्छेद-79 – भारतीय संविधान |
तो यही है अनुच्छेद 126 (Article 126), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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Article 126 कहता है कि जब भारत के मुख्य न्यायमूर्ति का पद रिक्त है या जब मुख्य न्यायमूर्ति, अनुपस्थिति के कारण या अन्यथा अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों में से ऐसा एक न्यायाधीश, जिसे राष्ट्रपति इस के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |