यह लेख अनुच्छेद 154 (Article 154) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 154 (Article 154) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 2 — कार्यपालिका] [राज्यपाल] |
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154. राज्य की कार्यपालिका शक्ति — (1) राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। (2) इस अनुच्छेद की कोई बात — (क) किसी विद्यमान विधि द्वारा किसी अन्य प्राधिकारी को प्रदान किए गए कृत्य राज्यपाल को अंतरित करने वाली नहीं समझी जाएगी ; या (ख) राज्यपाल के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को विधि द्वारा कृत्य प्रदान करने से संसद् या राज्य के विधान-मंडल को निवारित नहीं करेगी। |
Part VI “State” [CHAPTER II — THE EXECUTIVE] [The Governor] |
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154. Executive power of State.— (1) The executive power of the State shall be vested in the Governor and shall be exercised by him either directly or through officers subordinate to him in accordance with this Constitution. (2) Nothing in this article shall— (a) be deemed to transfer to the Governor any functions conferred by any existing law on any other authority; or (b) prevent Parliament or the Legislature of the State from conferring by law functions on any authority subordinate to the Governor. |
🔍 Article 154 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 2 का नाम है “कार्यपालिका (The Executive) और इसका विस्तार अनुच्छेद 153 से लेकर अनुच्छेद 167 तक है।
इस अध्याय को तीन उप-अध्यायों में बांटा गया है – राज्यपाल (The Governor), मंत्रि-परिषद (Council of Ministers), राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the States) और सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business)।
इस लेख में हम राज्यपाल के तहत आने वाले अनुच्छेद 154 को समझने वाले हैं। आइये समझें;
⚫ अनुच्छेद 152- भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 154 – राज्य की कार्यपालिका शक्ति (Executive power of State):
जैसा कि हम देख सकते हैं अनुच्छेद 154 राज्य की कार्यपालक शक्ति के बारे में है। इस अनुच्छेद के दो खंड है;
अनुच्छेद 154(1) के तहत कहा गया है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।
जिस तरह से अनुच्छेद 53 के तहत संघ की कार्यपालक शक्ति को राष्ट्रपति में निहित किया गया है उसी तरह से राज्य की कार्यपालिका शक्ति को राज्यपाल में निहित किया गया है।
और राज्यपाल भी इस शक्ति का प्रयोग या तो स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों (Sub-ordinate Officer) के माध्यम से करता है। यहाँ मुख्य रूप से दो टर्म है – (1) कार्यपालक शक्ति और (2) अधीनस्थ अधिकारी।
पहला सवाल कार्यपालिका शक्ति (Executive Power) क्या होती है?
कार्यपालिका शक्ति में वे सब सरकारी कृत्य आते हैं जो विधायी और न्यायिक कृत्यों को निकालने पर बचे रहते हैं। यानि कि जो न्यायिक कृत्य है उसे निकाल दे और विधायी कृत्य को निकाल दे तो इसके अलावे जो बचेगा वो कार्यपालिका शक्ति कहलाएगा।
मोटे तौर पर कार्यपालिका कृत्य में निम्न चीज़ें आती है;
- नीति का अवधारण और उसका निष्पादन (Formulation of policy and its execution),
- विधायन का प्रारम्भ (initiation of legislation),
- व्यवस्था बनाए रखना (maintain order),
- सामाजिक और आर्थिक कल्याण का प्रोन्नयन (Promotion of social and economic welfare),
- विदेश नीति का संचालन (conduct of foreign policy) इत्यादि।
कुल मिलाकर राज्य के सामान्य प्रशासन को चलना या उसका अधीक्षण करना इसमें आता है। साथ ही इसमें राजनीतिक और राजनयिक गतिविधियां भी सम्मिलित है।
लेकिन यहाँ यह याद रखिए कि साल 1956 में 7वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत अनुच्छेद 298 में संशोधन किया गया और संघ एवं राज्य के कार्यपालक शक्तियों का विस्तार निम्नलिखित विषयों पर भी किया गया;
(क) व्यापार एवं कारोबार (trade and business) ,
(ख) संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन (acquisition, holding and disposal of property),
(ग) किसी भी प्रयोजन के लिए संविदा (Contract) करना।
दूसरा सवाल अधीनस्थ अधिकारी (Sub-Ordinate Officer) कौन होते हैं?
मंत्री (Ministers), अनुच्छेद 154(1) के तहत राज्यपाल के अधीनस्थ अधिकारी है। अतएव वे भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के अर्थांतर्गत लोकसेवक भी है।
तो यहाँ तक हमने इतना समझ लिया होगा कि कार्यपालिका शक्ति क्या होती है और अधीनस्थ अधिकारी कौन होते हैं, अब आपके मन में सवाल आ सकता है कि राज्यपाल को कौन-कौन सी कार्यपालक शक्ति प्राप्त होती है, यानि कि वो कौन-कौन से कार्यपालक कार्य कर सकता है;
| राज्यपाल को प्राप्त कार्यपालक शक्तियाँ (Executive Powers of the Governor):
● संविधान राज्य सरकार की सभी कार्यकारी शक्तियाँ राज्यपाल में निहित करता है। अनुच्छेद 166 के तहत किसी राज्य में सभी कार्यकारी कार्य राज्यपाल के नाम पर किये जाते हैं।
● अनुच्छेद 164 के तहत राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है, जिसे राज्य विधान सभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है। वह मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति भी करता है और उन्हें विभागों का वितरण भी करता है।
● मंत्रिपरिषद राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत सत्ता में रहती है। हालाँकि, यदि राज्यपाल किसी राज्य में संवैधानिक उल्लंघन की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है, और वह रिपोर्ट इस कथन की पुष्टि करती है कि राज्य सरकार संविधान के सिद्धांतों का पालन नहीं कर रही है, तो राष्ट्रपति ऐसे राज्य में आपातकालीन प्रावधानों की घोषणा कर सकता है। इससे उस राज्य में मंत्रिपरिषद को बर्खास्त कर दिया जाएगा।
● राज्यपाल राज्य के मुख्यमंत्री व महाधिवक्ता और सदस्यों की नियुक्ति करता है। और ये सब राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत काम करते हैं।
● राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्य की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं लेकिन इन्हे केवल राष्ट्रपति ही हटा सकता है, राज्यपाल नहीं।
राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भी राज्यपाल द्वारा की जाती है (हालाँकि उसे सिर्फ राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है)।
● चुनाव आयोग या क्षेत्रीय आयुक्त द्वारा अनुरोध किए जाने पर, उचित कामकाज के लिए आवश्यक कर्मचारी उपलब्ध कराना राज्यपाल या राष्ट्रपति की जिम्मेवारी होती है।
● राज्य के राज्यपाल अपने पद के आधार पर राज्य के अधिकांश विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं। विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में राज्यपाल सीनेट के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते हैं।
राज्यपाल के पास विश्वविद्यालयों और संबद्ध कॉलेजों के प्रत्येक घटक के निरीक्षण का निर्देश देने की शक्ति है। साथ ही जांच के परिणाम पर उचित कार्रवाई करने की शक्ति भी राज्यपाल के पास होती है।
राज्यपाल सीनेट द्वारा पारित क़ानूनों को मंजूरी देते हैं या अस्वीकार करते हैं और संबंधित समितियों की सिफारिश के आधार पर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति करते हैं।
● राज्यपाल विधान सभा के अध्यक्ष या विधान परिषद के अध्यक्ष के परामर्श के बाद विधानसभा या परिषद के सचिवीय कर्मचारियों के रूप में नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने के लिए नियम बना सकते हैं।
● एक राज्यपाल के पास कुल संख्या का 1/6 भाग नामांकित करने की शक्ति है। किसी राज्य की विधान परिषद में साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और सामाजिक सेवा के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले सदस्य।
● वह मुख्यमंत्री से प्रशासनिक मामलों या किसी विधायी प्रस्ताव की जानकारी प्राप्त कर सकता है साथ ही यदि किसी मंत्री ने कोई निर्णय लिया हो और मंत्रिपरिषद ने उस पर संज्ञान न लिया हो तो राज्यपाल, मुख्यमंत्री से उस मामले पर विचार करने की मांग कर सकता है।
समापन तथ्य (Closing Facts):
राज्यपाल, राज्यों के शीर्ष कार्यकारी अधिकारी होते हैं और सभी भारत के राष्ट्रपति द्वारा चुने जाते हैं। राज्यपाल के पास कार्यकारी (Executive), विधायी (Legislative), वित्तीय (Financial) और न्यायिक (Judicial) शक्तियाँ और कार्य होते हैं;
कुल मिलाकर कार्यकारी शक्तियाँ राज्यपाल की शक्तियों और कार्यों को संदर्भित करती हैं जो कि राज्यपाल के नाम पर मंत्रिपरिषद द्वारा निष्पादित किया जाता है।
कहने का अर्थ है कि, राज्यपाल केवल औपचारिक प्रमुख (Formal Head) है, जबकि मंत्रिमण्डल वास्तविक कार्यकारी (Real Executive) होते है।
दूसरी बात यहाँ यह भी याद रखिए कि अनुच्छेद 154(2) के तहत दो बातें बताई गई है, जो कि इस प्रकार है;
(पहली बात) अगर किसी विद्यमान विधि द्वारा किसी काम को किसी अन्य प्राधिकारी को सौंप दिए जाते हैं तो वह कृत्य राज्यपाल को अंतरित करने वाली नहीं समझी जाएगी। या,
(दूसरी बात) संसद या राज्य विधानमंडल चाहे तो राज्यपाल के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को विधि द्वारा कोई काम प्रदान कर सकता है। भले ही अनुच्छेद 154(1) में कुछ भी क्यों न लिखा हो।
⚫ विस्तार से समझने के लिए पढ़ें – राज्यपाल की शक्तियाँ व कार्य
तो यही है अनुच्छेद 154 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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⚫ विस्तार से समझें; अनुच्छेद 148 – भारतीय संविधान |
| MCQs Related to Article 154
MCQ 1 : The Governor acts as the representative of:
a) The Chief Minister
b) The President
c) The Prime Minister
d) The Legislative Assembly
Explanation: b) The President
The Governor’s role is to ensure the coordination and communication between the state government and the Union government.
MCQ 2: What does Article 154 of the Indian Constitution pertain to?
a) Appointment of the Prime Minister
b) Formation of the Council of Ministers
c) Governor’s office in states
d) Division of powers between the Union and states
Explanation: c) Governor’s office in states
Article 154 of the Indian Constitution deals with the executive power of the state. It states that the executive power of the state shall be vested in the Governor and is to be exercised by him either directly or through officers subordinate to him in accordance with the Constitution.
MCQ 3: According to Article 154, who exercises the executive power on behalf of the Governor?
a) Chief Minister
b) Prime Minister
c) President
d) Chief Justice of India
Explanation: a) Chief Minister
Article 154 states that the executive power of the state is vested in the Governor and is exercised by him either directly or through officers subordinate to him. The Chief Minister, as the head of the state government, plays a significant role in exercising this executive power on behalf of the Governor.
MCQ 4: What is the importance of Article 154 in the Indian federal system?
a) It establishes a uniform executive structure across all states
b) It outlines the powers of the President over state governments
c) It defines the relationship between the Union and states
d) It ensures the efficient functioning of state executive power
Explanation: d) It ensures the efficient functioning of state executive power
Article 154 plays a vital role in the Indian federal system by ensuring the efficient functioning of the state executive power. It designates the Governor as the head of the executive power in the state and outlines how this power is to be exercised for the proper governance of the state.
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⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |