यह लेख Article 184 (अनुच्छेद 184) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 184 (Article 184) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी] |
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184. सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति — (1) जब सभापति का पद रिक्त है तब उपसभापति, यदि उपसभापति का पद भी रिक्त है तो विधान परिषद् का ऐसा सदस्य, जिसको राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा। (2) विधान परिषद् की किसी बैठक से सभापति की अनुपस्थिति में उपसभाषति, या यदि वह भी अनुपस्थित है तो ऐसा व्यक्ति, जो विधान परिषद् की प्रक्रिया के नियमों द्वारा अवधारित किया जाए, या यदि ऐसा कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं है तो ऐसा अन्य व्यक्ति, जो विधान परिषद् द्वारा अवधारित किया जाए, सभापति के रूप में कार्य करेगा। |
Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Officers of the State Legislature] |
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184. Power of the Deputy Chairman or other person to perform the duties of the office of, or to act as, Chairman—(1) While the office of Chairman is vacant, the duties of the office shall be performed by the Deputy Chairman or, if the office of Deputy Chairman is also vacant, by such member of the Council as the Governor may appoint for the purpose. (2) During the absence of the Chairman from any sitting of the Council the Deputy Chairman or, if he is also absent, such person as may be determined by the rules of procedure of the Council, or, if no such person is present, such other person as may be determined by the Council, shall act as Chairman. |
🔍 Article 184 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।
इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapter 3 [Sub-Chapters] | Articles |
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साधारण (General) | Article 168 – 177 |
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) | Article 178 – 187 |
कार्य संचालन (Conduct of Business) | Article 188 – 189 |
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) | Article 190 – 193 |
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) | Article 194 – 195 |
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) | Article 196 – 201 |
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) | Article 202 – 207 |
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) | Article 208 – 212 |
इस लेख में हम राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) के तहत आने वाले अनुच्छेद 184 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 91 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 184 – सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति (Power of the Deputy Chairman or other person to perform the duties of the office of, or to act as, Chairman)
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।
◾ केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।
जिस तरह से अनुच्छेद 91 के तहत केंद्र में सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति का वर्णन है उसी तरह से अनुच्छेद 184 के तहत राज्यों के लिए सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति का वर्णन है;
अनुच्छेद 184 के तहत दो खंड है;
अनुच्छेद 184(1) के तहत कहा गया है कि जब सभापति का पद रिक्त है तब उपसभापति, यदि उपसभापति का पद भी रिक्त है तो विधान परिषद् का ऐसा सदस्य, जिसको राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।
यहाँ पर दो बातें हैं;
पहली बात तो ये कि यदि सभापति का पद रिक्त है, तो उपसभापति (Deputy Chairman), सभापति का पद संभालेगा।
दूसरी बात ये कि यदि सभापति का पद तो रिक्त है कि लेकिन उसे भरने वाले उपसभापति का पद भी अगर किन्ही कारण वश अगर रिक्त है तो फिर राज्यसभा का वो सदस्य सभापति के रूप में कार्य करेगा जिसे कि राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे।
अनुच्छेद 184(2) के तहत कहा गया है कि विधान परिषद् की किसी बैठक से सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति, या यदि वह भी अनुपस्थित है तो ऐसा व्यक्ति, जो विधान परिषद् की प्रक्रिया के नियमों द्वारा अवधारित किया जाए, या यदि ऐसा कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं है तो ऐसा अन्य व्यक्ति, जो विधान परिषद् द्वारा अवधारित किया जाए, सभापति के रूप में कार्य करेगा।
यहाँ पर दो बातें हैं;
पहली बात तो ये कि यदि सभापति विधान परिषद की बैठक में अनुपस्थित (Absent) है, तो उपसभापति (Deputy Chairman), सभापति के रूप में बैठक की अध्यक्षता करेगा।
दूसरी बात ये कि यदि सभापति विधान परिषद के बैठक में अनुपस्थित हो लेकिन उसे भरने वाले उपसभापति भी अगर किन्ही कारण वश बैठक में अनुपस्थित है तो फिर विधान परिषद का वो सदस्य सभापति के रूप में कार्य करेगा जिसे कि विधान परिषद की प्रक्रिया के नियमों द्वारा अवधारित (Determined) किया जाएगा।
अगर यह व्यक्ति भी उपस्थित नहीं है तो फिर विधान परिषद का वो सदस्य सभापति के रूप में कार्य करेगा जिसे कि विधान परिषद द्वारा अवधारित (Determined) किया जाएगा।
◾ सभापति सदस्यों के बीच से उप सभाध्यक्षों की सूची जारी करता है। सभापति और उपसभापति की अनुपस्थिति में उनमें से कोई भी कार्य संभाल सकता है।
यहाँ पर एक बात याद रखिए कि यदि सभापति और उप-सभापति का पद रिक्त (Vacant) हो तो तब इस सूची के सदस्य उस कार्यवाही का संचालन नहीं कर सकता। इस रिक्त स्थान को भरने के लिए जितना जल्द हो सकें, चुनाव कराया जाता है।
कुल मिलाकर यहाँ याद रखने वाली बात यह है कि प्रथम खंड रिक्ति (Vacancy) की बात करता है जबकि दूसरा खंड अनुपस्थिति (Absence) का।
रिक्ति का मतलब होता है वो जिस व्यक्ति को उस पद का दायित्व निभाना था वो है ही नहीं, जबकि अनुपस्थिति का मतलब होता है वो व्यक्ति है तो लेकिन आज काम पर नहीं आया है, या छुट्टी पर है या बीमार है, इत्यादि।
तो यही है अनुच्छेद 184, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |