यह लेख Article 205 (अनुच्छेद 205) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं; |
📜 अनुच्छेद 205 (Article 205) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया] |
---|
205. अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान —(1) यदि— (क) अनुच्छेद 204 के उपबंधों के अनुसार बनाई गई किसी विधि द्वारा किसी विशिष्ट सेवा पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए व्यय किए जाने के लिए प्राधिकृत कोई रकम उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाती है या उस वर्ष के वार्षिक वित्तीय विवरण में अनुध्यात न की गई किसी नई सेवा पर अनुपूरक या अतिरिक्त व्यय की चालू वित्तीय वर्ष के दौरान आवश्यकता पैदा हो गई है, या (ख) किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी सेवा पर उस वर्ष और उस सेवा के लिए अनुदान की गई रकम से अधिक कोई धन व्यय हो गया है, तो राज्यपाल, यथास्थिति, राज्य के विधान-मंडल के सदन या सदनों के समक्ष उस व्यय की प्राक्कलित रकम को दर्शित करने वाला दूसरा विवरण रखवाएगा या राज्य की विधान सभा में ऐसे आधिक्य के लिए मांग प्रस्तुत करवाएगा। (2) ऐसे किसी विवरण और व्यय या मांग के संबंध में तथा राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय या ऐसी मांग से संबंधित अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में भी, अनुच्छेद 202, अनुच्छेद 203 और अनुच्छेद 204 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण और उसमें वर्णित व्यय के संबंध में या किसी अनुदान की किसी मांग के संबंध में और राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय या अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं। |
Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Procedure in respect of financial matters] |
---|
205. Supplementary, additional or excess grants— (1) The Governor shall— (a) if the amount authorised by any law made in accordance with the provisions of article 204 to be expended for a particular service for the current financial year is found to be insufficient for the purposes of that year or when a need has arisen during the current financial year for supplementary or additional expenditure upon some new service not contemplated in the annual financial statement for that year, or (b) if any money has been spent on any service during a financial year in excess of the amount granted for that service and for that year, cause to be laid before the House or the Houses of the Legislature of the State another statement showing the estimated amount of that expenditure or cause to be presented to the Legislative Assembly of the State a demand for such excess, as the case may be. (2) The provisions of articles 202, 203 and 204 shall have effect inrelation to any such statement and expenditure or demand and also to any law to be made authorising the appropriation of moneys out of the Consolidated Fund of the State to meet such expenditure or the grant in respect of such demand as they have effect in relation to the annual financial statement and the expenditure mentioned therein or to a demand for a grant and the law to be made for the authorisation of appropriation of moneys out of the Consolidated Fund of the State to meet such expenditure or grant. |
🔍 Article 205 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
---|---|---|
I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।
इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapter 3 [Sub-Chapters] | Articles |
---|---|
साधारण (General) | Article 168 – 177 |
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) | Article 178 – 187 |
कार्य संचालन (Conduct of Business) | Article 188 – 189 |
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) | Article 190 – 193 |
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) | Article 194 – 195 |
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) | Article 196 – 201 |
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) | Article 202 – 207 |
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) | Article 208 – 212 |
इस लेख में हम वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) के तहत आने वाले अनुच्छेद 205 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 115 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 205 – अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान (Supplementary, additional or excess grants)
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।
◾ केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।
जिस तरह से अनुच्छेद 115 के तहत केंद्र के लिए अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान (Supplementary, additional or excess grants) की व्यवस्था की गई है उसी तरह से अनुच्छेद 205 के तहत राज्यों के लिए अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान (Supplementary, additional or excess grants) की व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 205 के तहत कुल 2 खंड आते हैं;
Article 205 Clause (1) Explanation
बजट में एक वित्तीय वर्ष हेतु आय (Income) और व्यय (Expenditure) का सामान्य अनुमान होता है। अनुच्छेद 204 के तहत हमने समझा कि विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) की रकम में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
लेकिन आगे चलकर अगर संचित निधि से किसी प्रकार के धन की निकासी की कोई जरूरत आती है तो राज्यपाल की सहमति के उपरांत ही इस प्रकार कोई व्यवस्था बनाया जा सकता है जिससे कि धन निकासी की जा सके।
दूसरे शब्दों में कहें तो पारित बजट के अतिरिक्त विधानमंडल द्वारा असाधारण या विशेष परिस्थितियों में अनेक अन्य अनुदानें (grants) भी दी जाती है। जिसकी चर्चा अनुच्छेद 205 में की गई है। अनुच्छेद 205 के खंड (1) के अनुसार दो प्रकार के अनुदानों की बात की गई है;
अनुपूरक अनुदान (Supplementary grant) :-
विधानमंडल द्वारा प्राधिकृत रकम से अधिक राशि उसकी मंजूरी के बिना खर्च नहीं की जा सकती है। लेकिन यदि ऐसी कोई विशेष स्थिति आती है जब किसी विशिष्ट सेवा के लिए मंजूर की गई राशि उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाए या फिर जब उस वर्ष हेतु बजट में किसी नई सेवा के संबंध में खर्च परिकल्पित न किया गया हो और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान उसके लिए अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता उत्पन्न हो जाए तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल उस खर्चे की अनुमानित राशि दर्शाने वाला एक अन्य विवरण यानि कि अनुपूरक अनुदानों की मांगे दर्शाने वाला विवरण, विधानमंडल के सदन या सदनों के समक्ष रखवाता है।
कुल मिलाकर, अनुपूरक अनुदान विधानमंडल तब स्वीकृत करता है जब किसी विशिष्ट सेवा के लिए मंजूर की गई राशि उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाए या फिर किसी नई सेवा के लिए धन की आवश्यकता आन पड़े।
अतिरिक्त अनुदान (Additional grant) :-
जब उस वर्ष के बजट में उस सेवा के लिए निर्धारित रकम से ज्यादा रकम खर्च हो जाती है, तो राज्यपाल ऐसी अतिरिक्त राशि के लिए मांग विधान सभा में पेश करवाता है।
विस्तार से समझें – संसदीय समितियां : तदर्थ व स्थायी समितियां
याद रखें,
◾ अनुपूरक अनुदानों की मांगे वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व सदन में पेश की जाती है और पास की जाती है जबकि अतिरिक्त अनुदानों की मांगे धन खर्च कर चुकने के बाद और उस वित्तीय वर्ष के बीत जाने के बाद पेश की जाती है, जिससे वे संबन्धित हो।
◾ अनुपूरक अनुदानों की मांगों की चर्चा प्रस्तुत मांगों तक ही सीमित रहती है यानि कि मूल अनुदान (जिसे कि विनियोग विधेयक या Appropriation bill के रूप में समझा जाता है) पर चर्चा नहीं की जा सकती है।
इसे इस तरह से भी समझ सकते हैं कि मुख्य बजट में जिन योजनाओं को मंजूरी मिल चुकी हो उनके विषय में किसी सिद्धांत या नीति के प्रश्न पर चर्चा नहीं की जा सकती है।
◾ अनुपूरक अनुदान पर चर्चा के दौरान सामान्य शिकायतें व्यक्त नहीं की जा सकती है। सदस्य केवल यह कह सकते हैं कि अनुपूरक मांग आवश्यक है कि नहीं।
वहीं अतिरिक्त अनुदान की बात करें तो सदस्य केवल यह कह सकते हैं कि धन किस प्रकार से अनावश्यक रूप से खर्च किया गया है। या फिर किस प्रकार से उसे अनावश्यक रूप से धन नहीं खर्च करना चाहिए था।
Article 205 Clause (2) Explanation
अनुच्छेद 205(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि ऐसे किसी विवरण और व्यय या मांग के संबंध में तथा राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय या ऐसी मांग से संबंधित अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में भी, अनुच्छेद 202, अनुच्छेद 203 और अनुच्छेद 204 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण और उसमें वर्णित व्यय के संबंध में या किसी अनुदान की किसी मांग के संबंध में और राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय या अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं।
कहने का अर्थ है कि अगर अनुच्छेद 205(1) के तहत इस तरह से धन निकाली जाती है तो उस पर अनुच्छेद 202, अनुच्छेद 203 और अनुच्छेद 204 वैसे ही लागू होंगे जैसे कि बजट या अनुदान मांगों के संबंध में बनाई गई विधि के संबंध में लागू होती है।
तो यही है अनुच्छेद 205, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
| Related Article
⚫ अनुच्छेद 206- भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद 204- भारतीय संविधान |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |