यह लेख अनुच्छेद 115 (Article 115) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 115

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📜 अनुच्छेद 115 (Article 115) – Original

वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया
115. अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान — (1) यदि —
(क) अनुच्छेद 114 के उपबंधों के अनुसार बनाई गई किसी विधि द्वारा किसी विशिष्ट सेवा पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए व्यय किए जाने के लिए
प्राधिकृत कोई रकम उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाती है या उस वर्ष के वार्षिक वित्तीय विवरण में अनुध्यात की गई किसी नई सेवा पर अनुपूरक या अतिरिक्त व्यय की चालू वित्तीय वर्ष के दौरान आवश्यकता पैदा हो गई है, या
(ख) किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी सेवा पर, उस वर्ष और उस सेवा के लिए अनुदान की गई रकम से अधिक कोई धन व्यय हो गया है,

तो राष्ट्रपति, यथास्थिति, संसद्‌ के दोनों सदनों के समक्ष उस व्यय की प्राक्कलित रकम को दर्शित करने वाला दूसरा विवरण रखवाएगा या लोक सभा में ऐसे आधिक्य के लिए मांग प्रस्तुत करवाएगा।

(2) ऐसे किसी विवरण और व्यय या मांग के संबंध में तथा भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय या ऐसी मांग से संबंधित अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में भी, अनुच्छेद 112, अनच्छेद 113 और अन॒च्छेद 114 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण और उसमें वर्णित व्यय या किसी अनुदान की किसी मांग के संबंध में और भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय या अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं।
—-अनुच्छेद 115 —-

Procedure in Financial Matter
115. Supplementary, additional or excess grants — (1) The President shall —
(a) if the amount authorised by any law made in accordance with the provisions of article 114 to be expended for a particular service for the current financial year is found to be insufficient for the purposes of that year or when a need has arisen during the current financial year for supplementary or additional expenditure upon some new service not contemplated in the annual financial statement for that year, or
(b) if any money has been spent on any service during a financial year in excess of the amount granted for that service and for that year,

cause to be laid before both the Houses of Parliament another statement showing the estimated amount of that expenditure or cause to be presented to the House of the People a demand for such excess, as the case may be.

(2) The provisions of articles 112, 113 and 114 shall have effect in relation to any such statement and expenditure or demand and also to any law to be made authorising the appropriation of moneys out of the Consolidated
Fund of India to meet such expenditure or the grant in respect of such demand as they have effect in relation to the annual financial statement and the expenditure mentioned therein or to a demand for a grant and the law to be made for the authorisation of appropriation of moneys out of the Consolidated Fund of India to meet such expenditure or grant.
Article 115

🔍 Article 115 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 90 (Article 90) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 115 – अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा और राज्यसभा। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं। भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। और यही वो लोग हैं जो कि देश का बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण तैयार करते हैं।

भारत का बजट संसद में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत वार्षिक वित्तीय विवरण को संदर्भित करता है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपने राजस्व (Revenue) और व्यय (Expenditure) की रूपरेखा तैयार करता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक चलता है।

अनुच्छेद 112 के तहत वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) की व्यवस्था की गई है जिसे कि हम बजट के नाम से भी जानते हैं।

अनुच्छेद 113 संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Parliament with respect to estimates) के बारे में है जो कि संचित निधि पर भारित व्यय और संचित निधि से व्यय के बारे में कुछ विशेष प्रावधानों की व्यवस्था करता है।

अनुच्छेद 114 विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) के बारे में है जो कि अनुच्छेद 113 के तहत लोकसभा द्वारा अनुदान किए जाने के पश्चात की कार्रवाहियों से संबंधित है। इसी के तहत भारत सरकार संचित निधि से धन निकाल पाती है।

अनुच्छेद 115 के तहत अनुपूरक (Supplementary), अतिरिक्त (additional) और अधिक अनुदान (excess grants) की व्यवस्था की गई है। जो कि अनुच्छेद 114 के विनियोग विधेयक पारित होने के बाद की व्यवस्था है; इस अनुच्छेद के तहत कुल 2 खंड है। आइये समझें;

Complete Concept : बजट – पूरी प्रक्रिया और क्रियान्वयन
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Article 115(1) Explanation

बजट में एक वित्तीय वर्ष हेतु आय (Income) और व्यय (Expenditure) का सामान्य अनुमान होता है। अनुच्छेद 114 के तहत समझा कि विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) की रकम में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

लेकिन आगे चलकर अगर संचित निधि से किसी प्रकार के धन की निकासी की कोई जरूरत आती है तो राष्ट्रपति की सहमति के उपरांत ही इस प्रकार कोई व्यवस्था बनाया जा सकता है जिससे कि धन निकासी की जा सके।

दूसरे शब्दों में कहें तो पारित बजट के अतिरिक्त संसद द्वारा असाधारण या विशेष परिस्थितियों में अनेक अन्य अनुदानें (grants) भी दी जाती है। जिसकी चर्चा अनुच्छेद 115 में की गई है। अनुच्छेद 115(1) के अनुसार दो प्रकार के अनुदानों की बात की गई है;

अनुपूरक अनुदान (Supplementary grant) :-

संसद द्वारा प्राधिकृत रकम से अधिक राशि उसकी मंजूरी के बिना खर्च नहीं की जा सकती है। लेकिन यदि ऐसी कोई विशेष स्थिति आती है जब किसी विशिष्ट सेवा के लिए मंजूर की गई राशि उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाए या फिर जब उस वर्ष हेतु बजट में किसी नई सेवा के संबंध में खर्च परिकल्पित न किया गया हो और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान उसके लिए अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता उत्पन्न हो जाए तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति उस खर्चे की अनुमानित राशि दर्शाने वाला एक अन्य विवरण यानि कि अनुपूरक अनुदानों की मांगे दर्शाने वाला विवरण, संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाता है।

कुल मिलाकर, अनुपूरक अनुदान संसद तब स्वीकृत करता है जब किसी विशिष्ट सेवा के लिए मंजूर की गई राशि उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाए या फिर किसी नई सेवा के लिए धन की आवश्यकता आन पड़े।

अतिरिक्त अनुदान (Additional grant) :-

जब उस वर्ष के बजट में उस सेवा के लिए निर्धारित रकम स ज्यादा रकम खर्च हो जाती है, तो राष्ट्रपति ऐसी अतिरिक्त राशि के लिए मांग लोक सभा में पेश करवाता है।

ऐसे अतिरिक्त खर्च के जितने भी मामले होते हैं वे सभी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा विनियोग लेखाओं (Appropriation Accounts) पर रिपोर्ट के माध्यम से संसद की जानकारी में लाए जाते हैं। फिर इसके बाद इन खर्चों की जांच लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) द्वारा की जाती है। और अपनी रिपोर्ट के माध्यम से जरूरी सिफ़ारिशें की जाती है।

लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) किसे कहते हैं?

संसद की समितियां सरकार के खर्चे की और कार्य निष्पादन की विस्तृत छानबीन करने का काम करती है जिससे कि सरकार का वित्तीय मामलों में संसद के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित होता है। तीन ऐसी वित्तीय समितियां (लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति और सार्वजनिक उद्यम समिति) हैं जो संसद द्वारा बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में अकुशलताओं और अपव्यय को प्रकाश में लाती है।

लोक लेखा समिति (Public Account committee) का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि क्या धन संसद द्वारा प्राधिकृत रूप से खर्च किया गया है और क्या उसी प्रयोजन के लिए खर्च किया गया है जिसके लिए वह प्रदान किया गया था।
यदि किसी वित्त वर्ष के दौरान किसी सेवा पर उसके प्रयोजन के लिए सदन द्वारा प्रदान की गई राशि से अतिरिक्त राशि खर्च की गई हो तो समिति उन परिस्थितियों की जांच करती है जिसके कारण अतिरिक्त व्यय किया गया है।
यह समिति तकनीकी अनियमितताओं का तो पता लगाती ही है साथ ही साथ वित्तीय मामलों के संचालन में अगर कोई अपव्यय, भ्रष्टाचार आदि हुआ हो तो उसे भी प्रकाश में लाती है।
विस्तार से समझेंसंसदीय समितियां : तदर्थ व स्थायी समितियां

याद रखें,

अनुपूरक अनुदानों की मांगे वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व सदन में पेश की जाती है और पास की जाती है जबकि अतिरिक्त अनुदानों की मांगे धन खर्च कर चुकने के बाद और उस वित्तीय वर्ष के बीत जाने के बाद पेश की जाती है, जिससे वे संबन्धित हो।

◾ अनुपूरक अनुदानों की मांगों की चर्चा प्रस्तुत मांगों तक ही सीमित रहती है यानि कि मूल अनुदान (जिसे कि विनियोग विधेयक या Appropriation bill के रूप में समझा जाता है) पर चर्चा नहीं की जा सकती है।

इसे इस तरह से भी समझ सकते हैं कि मुख्य बजट में जिन योजनाओं को मंजूरी मिल चुकी हो उनके विषय में किसी सिद्धांत या नीति के प्रश्न पर चर्चा नहीं की जा सकती है।

अनुपूरक अनुदान पर चर्चा के दौरान सामान्य शिकायतें व्यक्त नहीं की जा सकती है। सदस्य केवल यह कह सकते हैं कि अनुपूरक मांग आवश्यक है कि नहीं।

वहीं अतिरिक्त अनुदान की बात करें तो सदस्य केवल यह कह सकते हैं कि धन किस प्रकार से अनावश्यक रूप से खर्च किया गया है। या फिर किस प्रकार से उसे अनावश्यक रूप से धन नहीं खर्च करना चाहिए था।

Article 115(2) Explanation

अनुच्छेद 115(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि अगर अनुच्छेद 115(1) के तहत इस तरह से धन निकाली जाती है तो उस पर अनुच्छेद 112, अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 वैसे ही लागू होंगे जैसे कि बजट या अनुदान मांगों के संबंध में बनाई गई विधि के संबंध में लागू होती है।

तो यही है अनुच्छेद 115 (Article 115), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 115 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 113 – भारतीय संविधान
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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 115 (Article 115) क्या है?

अनुच्छेद 115 के तहत अनुपूरक अनुदान (Supplementary Grant) और अतिरिक्त अनुदान (Additional Grant) की व्यवस्था की गई है। जो कि अनुच्छेद 114 के विनियोग विधेयक पारित होने के बाद की व्यवस्था है; इस अनुच्छेद के तहत कुल 2 खंड है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रसिद्ध पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप आदि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।