यह लेख Article 206 (अनुच्छेद 206) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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Article 206 अनुच्छेद 206


📜 अनुच्छेद 206 (Article 206) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया]
206. लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान —(1) इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य की विधान सभा को
(क) किसी वित्तीय वर्ष के भाग के लिए प्राक्कलित व्यय के संबंध में कोई अनुदान, उस अनुदान के लिए मतदान करने के लिए अनुच्छेद 203 में विहित प्रक्रिया के पूरा होने तक और उस व्यय के संबंध में अनुच्छेद 204 के उपबंधों के अनुसार विधि के पारित होने तक, अग्रिम देने की;

(ख) जब किसी सेवा की महत्ता या उसके अनिश्चित रूप के कारण मांग ऐसे ब्यौरे के साथ वर्णित नहीं की जा सकती है जो वार्षिक वित्तीय विवरण में सामान्यतया दिया जाता है तब राज्य के संपत्ति स्रोतों पर अप्रत्याशित मांग की पूर्ति के लिए अनुदान करने की;

(ग) किसी वित्तीय वर्ष की चालू सेवा का जो अनुदान भाग नहीं है ऐसा कोई अपवादानुदान करने की,

शक्ति होगी और जिन प्रयोजनों के लिए उक्त अनुदान किए गए हैं उनके लिए राज्य की संचित निधि में से धन निकालना विधि द्वारा प्राधिकृत करने की राज्य के विधान-मंडल को शक्ति होगी।

(2) खंड (1) के अधीन किए जाने वाले किसी अनुदान और उस खंड के अधीन बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में अनुच्छेद 203 और अनुच्छेद 204 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण में वर्णित किसी व्यय के बारे में कोई अनुदान करने के संबंध में और राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैँ।
अनुच्छेद 206 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Procedure in respect of financial matters]
206. Votes on account, votes of credit and exceptional grants—(1) Notwithstanding anything in the foregoing provisions of this Chapter, the Legislative Assembly of a State shall have power—

(a) to make any grant in advance in respect of the estimated expenditure for a part of any financial year pending the completion of the procedure prescribed in article 203 for the voting of such grant and the passing of the law in accordance with the provisions of article 204 in relation to that expenditure;

(b) to make a grant for meeting an unexpected demand upon the resources of the State when on account of the magnitude or the indefinite character of the service the demand cannot be stated with the details ordinarily given in an annual financial statement;

(c) to make an exceptional grant which forms no part of the current service of any financial year; and the Legislature of the State shall have power to authorise by law the withdrawal of moneys from the Consolidated Fund of the State for the purposes for which the said grants are made.

(2) The provisions of articles 203 and 204 shall have effect in relation to the making of any grant under clause (1) and to any law to be made under that clause as they have effect in relation to the making of a grant with regard to any expenditure mentioned in the annual financial statement and the law to be made for the authorisation of appropriation of moneys out of the Consolidated Fund of the State to meet such expenditure.
Article 206 English Version

🔍 Article 206 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature)Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally)Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हमवित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) के तहत आने वाले अनुच्छेद 206 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 116 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 206

| अनुच्छेद 206 – लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान (Votes on account, votes of credit and exceptional grants)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

जिस तरह से अनुच्छेद 116 के तहत केंद्र के लिए लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान (Votes on account, votes of credit and exceptional grants) की व्यवस्था की गई है उसी तरह से अनुच्छेद 206 के तहत राज्यों के लिए लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान (Votes on account, votes of credit and exceptional grants) की व्यवस्था की गई है।

राज्य का बजट विधानमंडल में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत वार्षिक वित्तीय विवरण को संदर्भित करता है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपने राजस्व (Revenue) और व्यय (Expenditure) की रूपरेखा तैयार करता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक चलता है।

अनुच्छेद 202 के तहत वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) की व्यवस्था की गई है जिसे कि हम बजट के नाम से भी जानते हैं।

अनुच्छेद 203 विधानमंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Legislature with respect to estimates) के बारे में है जो कि संचित निधि पर भारित व्यय और संचित निधि से व्यय के बारे में कुछ विशेष प्रावधानों की व्यवस्था करता है।

अनुच्छेद 204 विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) के बारे में है जो कि अनुच्छेद 203 के तहत विधान सभा द्वारा अनुदान किए जाने के पश्चात की कार्रवाहियों से संबंधित है। इसी के तहत राज्य सरकार संचित निधि से धन निकाल पाती है।

अनुच्छेद 205 के तहत अनुपूरक अनुदान (Supplementary Grant) और अतिरिक्त अनुदान (Additional Grant) की व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 206 के तहत लेखानुदान (Votes on account), प्रत्ययानुदान (votes of creditऔर अपवादानुदान  (exceptional grants) की व्यवस्था की गई है। जो कि अनुच्छेद 204 के विनियोग विधेयक पारित होने के बाद की व्यवस्था है; इस अनुच्छेद के तहत कुल 2 खंड है। आइये समझें;

अनुच्छेद 206 के तहत कुल 2 खंड आते हैं;

Article 206 Clause (1) Explanation

बजट में एक वित्तीय वर्ष हेतु आय (income) और व्यय (expenditure) का सामान्य अनुमान होता है। जैसा कि हमने अनुच्छेद 204 के तहत समझा कि विनियोग विधेयक की रकम में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

लेकिन आगे चलकर अगर संचित निधि से किसी प्रकार के धन की निकासी की कोई जरूरत आती है तो विधानमंडल के द्वारा इस प्रकार कोई व्यवस्था बनाया जा सकता है जिससे कि धन निकासी की जा सके।

दूसरे शब्दों में कहें तो पारित बजट के अतिरिक्त विधानमंडल द्वारा असाधारण या विशेष परिस्थितियों में अनेक अन्य अनुदानें भी दी जाती है। जिसकी चर्चा अनुच्छेद 206 में की गई है।

हालांकि यहाँ यह याद रखिए कि अनुच्छेद 205 में भी इस तरह की व्यवस्था है लेकिन फिर भी अनुच्छेद 206 में जो व्यवस्था है वो पिछले अन्य अनुच्छेदों के तहत की गई व्यवस्था के अलावे है।

अनुच्छेद 206(1)  के अनुसार तीन प्रकार के अनुदानों की बात की गई है;

लेखानुदान (Vote On Account) :-

जैसे कि हमने अनुच्छेद 203 और अनुच्छेद 204 के तहत समझा कि विनियोग विधेयक जब तक लागू नहीं हो जाता तब तक सरकार संचित निधि से कोई धन निकासी नहीं कर सकती है।

इसमें काफी समय लगता है तथा यह प्रक्रिया अप्रैल तक खींच सकता है। ऐसे में अगर सरकार को कुछ काम करने के लिए तब तक धन की आवश्यकता हो तो वो क्या करे?

इस स्थिति से निपटने के लिए संविधान द्वारा विधानसभा को यह शक्ति दी गई है कि वह इस प्रकार के आवश्यक कार्यों के लिए विशेष प्रयासों के माध्यम से धन निकासी कर सकती है इसे लेखानुदान (Vote on account) के नाम से जाना जाता है।

इसे बजट पर आम बहस के उपरांत पारित किया जाता है। इसमें वित्तीय वर्ष में जितना धन खर्च होने का अनुमान लगाया गया है सामान्यतः उसके 1/6 भाग रकम सरकार को 2 महीने तक खर्च करने की स्वीकृति दी जाती है।

प्रत्ययानुदान (Vote Of Credit) :-

जब किसी सेवा या मद के लिए आकस्मिक रूप से धन की अत्यधिक एवं तुरंत सहायता आवश्यक हो तो ऐसी स्थिति में इस प्रकार की अनुदान मांग रखी जाती है।

ये ऐसे विषय होते हैं जिसका रूप अनिश्चित होता है और यह वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) का हिस्सा नहीं होता है। दूसरे शब्दों में, किसी राष्ट्रीय आपात की स्थिति में सरकार के समक्ष धन की अप्रत्याशित जरूरत आन पड़ती है। यह आम तौर पर इस तरह की समस्या होती है जिसके बारे में पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए आप कोरोना से उत्पन्न वित्तीय जरूरत को समझ सकते हैं।

ऐसी स्थिति में सदन बिना ब्योरा दिया प्रत्ययानुदान के माध्यम से एकमुश्त धनराशि जारी कर सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि यह विधान सभा द्वारा कार्यपालिका को दिया गया ब्लैंक चेक होता है।

अपवादानुदान (Exceptional grant) :-

इसे विशेष प्रयोजन के लिए मंजूर किया जाता है तथा यह वर्तमान वित्तीय वर्ष या सेवा से संबन्धित नहीं होती है। इसीलिए इसे अपवादानुदान (grant of exception) कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें, तो यह अनुदान वित्तीय वर्ष के साधारण खर्च का भाग नहीं होता है। इसे अपवादस्वरूप किसी विशेष प्रयोजन के लिए जारी किया जाता है।

Article 206 Clause (2) Explanation

अनुच्छेद 206(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि खंड (1) के अधीन किए जाने वाले किसी अनुदान और उस खंड के अधीन बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में अनुच्छेद 203 और अनुच्छेद 204 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण में वर्णित किसी व्यय के बारे में कोई अनुदान करने के संबंध में और राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैँ।

कहने का अर्थ है कि खंड (1) के अधीन किए जाने वाले किसी अनुदान और उस खंड के अधीन बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में अनुच्छेद 203 और अनुच्छेद 204 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे;

(1) वे बजट में वर्णित किसी व्यय के बारे में कोई अनुदान करने के संबंध में बनाई गई विधि के संबंध में प्रभावी हैं।

(2) वे राज्य की संचित निधि में से ऐसे खर्च की पूर्ति के लिए धन निकासी को प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं।

तो यही है Article 206, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

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Chapter Wise Polity Quiz

बजट – प्रक्रिया और क्रियान्वयन अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 10
  2. Passing Marks – 80 %
  3. Time – 8 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 10

बजट के संबंध में कटौती प्रस्ताव को कब स्वीकृति मिल सकती है?

  1. जब इसमें भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से संबन्धित कोई विषय नहीं होगा।
  2. जब इसके द्वारा किसी विशेषाधिकार प्रश्न को शामिल किया जाएगा।
  3. जब इसमें किसी न्यायालयीन प्रकरण का उल्लेख होगा।
  4. जब इसमें संशोधन संबंधी या वर्तमान नियम को परिवर्तित करने संबन्धित कोई सुझाव नहीं होगा।

2 / 10

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. विनियोग विधेयक जब तक लागू नहीं हो जाता तब तक सरकार भारत की संचित निधि से कोई धन निकासी नहीं कर सकती है।
  2. अनुच्छेद 113 के अनुसार भारत की संचित निधि पर भारित व्यय एक अनिवार्य व्यय है।
  3. राष्ट्रपति बजट को हर वित्त वर्ष में संसद के दोनों सदनों में पेश करवाता है।
  4. विधि द्वारा पारित विनियोग के अलावा भारत की संचित निधि से कोई धन नहीं निकाला जाएगा।

3 / 10

जब किसी विशिष्ट सेवा के लिए मंजूर की गई राशि उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाए, तो कौन सा अनुदान स्वीकृत किया जाता है?

4 / 10

बजट से संबन्धित अनुदानों के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. जब किसी सेवा या मद के लिए आकस्मिक रूप से धन की अत्यधिक एवं तुरंत सहायता आवश्यक हो तो प्रत्ययानुदान का इस्तेमाल होता है।
  2. जब किसी वित्त वर्ष में धन शेष बच जाये तो उसे अतिरिक्त अनुदान के रूप में समझा जाता है।
  3. अपवादानुदान वर्तमान वित्तीय वर्ष या सेवा से संबन्धित नहीं होती है।
  4. किसी वित्तीय वर्ष में पिछले वित्तीय वर्ष से अधिक धन निकासी को अधिक अनुदान कहा जाता है।

5 / 10

विनियोग विधेयक जब तक लागू नहीं हो जाता तब तक सरकार भारत की संचित निधि से कोई धन निकासी नहीं कर सकती है, ऐसी स्थिति में उन कुछ दिनों में खर्च करने के लिए कौन से अनुदान का इस्तेमाल किया जाता है?

6 / 10

निम्नलिखित तथ्यों पर गौर करें एवं सही कथनों का चुनाव करें;

  1. राज्यसभा के उपसभापति, की वेतन एवं भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित व्यय है।
  2. अनुच्छेद 114 के तहत बजट पेश करने से पहले हलवा समारोह किया जाता है।
  3. 2021-22 वित्तीय वर्ष के लिए पपेरलेस बजट पेश किया गया।
  4. साल 2016 से बजट को 1 फरवरी को पेश किए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

7 / 10

भारत में वित्त वर्ष कब से लेकर कब तक चलता है?

8 / 10

अनुदान मांगों पर विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें।

9 / 10

बजट के संबंध में इनमें से कौन सा तथ्य सही है?

  1. बजट एक संवैधानिक टर्म है जिसे कि अनुच्छेद 112 में परिभाषित किया गया है।
  2. बजट एक वित्त वर्ष के दौरान भारत सरकार के अनुमानित प्राप्तियों और खर्च का विवरण है।
  3. भारत में बजट वित्त मंत्री बजट संसद में पेश करता है।
  4. भारत में बजट एक वर्ष से कम के लिए नहीं बनाया जा सकता है।

10 / 10

बजट पास होने की प्रक्रिया के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. बजट को प्रस्तुत करने के कुछ दिन बाद तक उस बजट पर आम बहस चलती रहती है।
  2. स्थायी समितियां अनुदान की मांग की विस्तार से जांच-पड़ताल करती है और एक रिपोर्ट तैयार करती है।
  3. अनुदान मांगों पर मतदान दोनों सदनों में होता है।
  4. वित्त विधेयक में संशोधन प्रस्तावित किए जा सकते हैं।

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अनुच्छेद 207 – भारतीय संविधान
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संसद की बेसिक्स
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।